द्रोपदी के 5 पति नहीं 1 पति था, जानिए

 

द्रोपदी के 5 पति नहीं 1 पति था, जानिए

नमस्कार मित्रो
क्या आप जानते हैं हमारे देश के इतिहास के दो महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं रामायण और महाभारत। लेकिन क्या आप जानते हैं इन ग्रंथों में समय समय पर काफी ज्यादा मिलावट की गई है। महाभारत में तो 80% ज्यादा भाग मिलावट है। ऐसा इतिहासकर स्वयं मानते हैं कि ऋषि दयानंद ने राजा भोज के रचित एक ग्रंथ से यह प्रमाण दिया और बताया कि व्यास जी ने 4,400 श्लोक और उनके शिष्यों ने 5600 कुल मिलाकर 10000 श्लोकों के प्रमाण से महाभारत ग्रंथ बनाया है।
 
द्रोपदी के 5 पति नहीं 1 पति था, जानिए

महाभारत में समय के साथ-साथ श्लोकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है 

महाराजा विक्रमादित्य के समय में महाभारत 20000 श्लोकों का बन गया और राजा भोज कहते हैं उनके पिताजी के समय में 25000 और राजा भोज की आधी उम्र में 30000 श्लोक युक्त महाभारत का पुस्तक मिलता है। अगर ऐसे ही इसमें श्लोक बढ़ते गए तो यह एक पुस्तक ना हो करके ऊंट का बोझा हो जाएगा। आज महाभारत में 100000 श्लोक मिलते हैं। ऋषि के लिए इस प्रमाण से अनेको इतिहासकार सहमत है। पंचाल देश की राजकुमारी द्रोपती के पांच पति बताना इसी मिलावट का हिस्सा है। द्रोपती के पांच नहीं बल्कि एक ही पति था। वह पति कौन था? इसे हम आगे बतायेगे।

द्रोपदी के पांच पति नहीं थे 

इस टॉपिक में तर्क प्रमाण और युक्तियों से आप जानेंगे की द्रोपती के पांच पति नहीं थे। द्रोपती महाभारत की आदर्श पात्र है। आप सब ने बचपन में महाभारत देखी होगी। महाभारत में आप सब ने देखा होगा कि द्रौपदी के पांच पति दिखाए गये और उसे सही साबित करने के लिए दो काल्पनिक कहानियां भी महाभारत में बताई गई। द्रौपदी के पांच पति सिद्ध करने के लिए महाभारत में एक काल्पनिक कहानी जोड़ी गई। 

द्रोपदी के पांच पति सिद्ध करने के लिए काल्पनिक कहानी का महाभारत में जोड़ना 

सबसे पहले हम उस काल्पनिक कहानी को देखते हैं जो द्रौपदी के पांच पति होने का कारण बनती है। जब स्वयंवर में अर्जुन लक्ष भेद की शर्त पूरी कर देते हैं। तब पांडवों में युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव माता कुंती को इस विजय की सूचना देने के लिए चले जाते हैं।

भीम और अर्जुन का वहां उपस्थित राजाओं से युद्ध छिड़ जाता है। उन राजाओं को परास्त करके भीम और अर्जुन द्रोपती को लेकर माता कुंती के पास जाते हैं। जब वह कुंती के पास पहुंचते हैं। तब वह कुंती से कहते हैं माता आज हम बहुत अच्छी भिक्षा लेकर आए हैं। यह सुनकर कुंती बिना देखे ही कह देती है जो भी लाए हो वह पांचों भाई आपस में बांट लो। 

जब कुंती को पता चलता है कि द्रोपती को स्वयंवर जीतकर लाये है। तब कुंती को अपनी कही हुई बात पर पछतावा होता है। अपनी माता की कही हुई बात को टाल नहीं सकते इसलिए माता की बात को मानकर वह सब द्रोपती से विवाह कर लेते हैं। यह कहानी मैंने आपको शॉर्ट में बता दी। 

यह कहानी कैसे कल्पनिक हैं जानते हैं 

अब मैं आपको ये बताना चाहता हूं कि यह कहानी स्पष्ट एक मिलावट है। आइए देखते हैं कैसे? सबसे पहले ज़रा आप सोचिए। द्रोपती को अर्जुन ने स्वयंवर में जीता था ना कि भिक्षा के रूप में मांगा। तब द्रोपती भिक्षा कैसे हो गई। भिक्षा मांग कर ली जाती है न की जीतकर। द्रोपती को भिक्षा कहना ही मिलावट करने वालों की सबसे बड़ी भूल थी। 

एक सामान्य स्त्री भी गलती से कही गई ऐसी बात को सही साबित करने के लिए जबरदस्ती किसी स्त्री को पांच पति से शादी नहीं करवाएगी। माता कुंती एक विदुषी महिलाएं थी वह ऐसा मूर्खता भला काम क्यों करेगी। कोई भी स्त्री विवाह के बाद पति के घर जाती है। द्रोपती का विवाह होना अभी बाकी था। लेकिन मिलावट करने वालों ने द्रौपदी को विवाह से पहले ही भीम और अर्जुन के साथ रवाना कर दिया।

माता कुंती ने भिक्षा को आपस में बांटने के लिए कहा या नही

इस काल्पनिक कहानी में सबसे ज्यादा इस बात पर जोर दिया गया  कि माता कुंती ने आपस में बांटने को कह दिया। तो बस माता की इस बात को टाला नहीं जा सकता इसलिए इन सब ने द्रोपती से शादी कर ली। यहां हम कुछ गंभीर सवाल उठाना चाहेंगे। 

अगर माता की कही बात को मानना ही है तो उसी अर्थ में मानना चाहिए। जिस अर्थ में माता ने यह बात कही हो कुंती ने भिक्षा में खाना समझकर सबको आपस में बांटने के लिए खाने को कहा। यानी कुंती के भाव खाना बांट कर खाने के थे। ऐसा ही है तो कुंती की बात को सही सिद्ध करने के लिए द्रौपदी को खाना समझकर आपस में बांट कर खा लेना चाहिए था ना कि उससे विवाह करना चाहिए था।

विवाह के लिए आपस में बांटना कुंती की भावना नहीं थी 

विवाह के लिए आपस में बांटना कुंती की भावना नहीं थी बल्कि यह मिलावट करने वाले की भावना थी। कुंती पहले से जानती थी कि उसके पुत्र स्वयंम्बर में गए हैं।उसके तीन कारण है। पहले महाभारत के अनुसार एकचक्रा नगरी में ही एक कुंती को एक ब्राह्मण ने स्वयंम्बर में उसके पुत्रों को जाने की सलाह दी। इसीलिए वह एकचक्रा नगरी में स्वयम्बर के लिए अन्य देश से आए थे। 

दूसरा कारण जब पांडव स्वयंवर में गए थे। तब कुंती पांडवों की चिंता करती हुई कहती है। कहीं धृतराष्ट्र पुत्रों ने पांडवों को पहचान कर मार तो नहीं डाला। यानी कुंती को पहले ही पांडवों के स्वयंवर में जाने का पूरा पता था। तीसरा कारण अर्जुन के द्वारा द्रोपती को जीते ही युधिष्ठिर नकुल और सहदेव पहले ही कुंती के पास चले जाते हैं। कुंती को अर्जुन के विजय की सूचना नहीं देंगे। 

यहां स्पष्ट है  की पांडव स्वयंवर में गए हैं ना कि भिक्षा मांगने 

स्पष्ट है कि कुंती जानती थी कि उसके पुत्र स्वयंवर में गए हैं ना कि भिक्षा मांगने। इस पूरी काल्पनिक कहानी को सही सिद्ध करने के लिए मिलावट करने वालों ने महाभारत में जगह-जगह अनेकों मिलावट कि जैसे कि पांच पतियों से पांच ही पुत्र उत्पन्न करवाना। व्यास जी द्वारा द्रोपती के पांच पतियों को पूर्व जन्म की घटनायों से जोड़ना। 

ऐसी अनेको मिलावट महाभारत में की गई हैं। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए आप फ्री पीडी एफ पुस्तक को पढें। जिसमें विस्तार से इस पूरी मिलावट की पोल खोली गई है। 

आखिर द्रौपदी का विवाह किससे हुआ था 

अब बात करते हैं द्रोपती का विवाह किससे हुआ। द्रोपती को स्वयंवर में अर्जुन ने जीता था। लेकिन अर्जुन खुद महाभारत में कहते हैं कि बड़े भाई के अविवाहित रहते हुए छोटे भाई का विवाह कैसे हो सकता है। इसलिए युधिष्ठिर पांडवों में सबसे बड़े होने के कारण उनका विवाह द्रोपती से किया गया। 

द्रौपदी का एक पति होने का प्रमाण 

अब द्रोपती का एक ही पति होने का समस्त प्रमाण हम देते हैं। जब विराट नगरी में अज्ञातवास के समय पांडव लोग राजा विराट के महल में रहते थे। चीचक नाम का एक व्यक्ति जो द्रोपती पर आसक्त हो गया था। उसने द्रोपती का अपहरण करने की कोशिश की और उसे अपमानित किया। जब भीम को इस बात का पता चलता है। तब भीम चीचक को मार डालते हैं। चीचक को मारते हुए भीम कहते हैं। मेरे बड़े भाई की पत्नी अपहरण करने वाले चीचक को आज ही मार कर मुझे शांति मिलेगी। यह श्लोक में बड़े भाई की पत्नी के लिए भ्रतुभर्याशब्द का प्रयोग हुआ। यदि द्रोपती भीम की पत्नी होती तो भ्रतुर्भर्या श्लोक की जगह आत्मभर्या शब्द होता।

संस्कृत के विद्वानों के अनुसार संस्कृत साहित्य में कहीं भी भ्रतुभर्या शब्द का प्रयोग छोटे भाई की पत्नी के लिए नहीं हुआ। इससे स्पष्ट है कि द्रोपती का एक ही पति था और वह भीम का बडा भी युधिष्टर ही था। जिस तरह आर्यन इनवेजन थ्योरी का पूरा आधार आर्य शब्द के भ्रामक अर्थ पर टिका है। इसी तरह द्रोपदी के पांच पति की काल्पनिक कहानी भिक्षा शब्द पर टिकी है। जीत कर प्राप्त की गई वस्तु कभी भिक्षा नहीं होती इसलिए यह काल्पनिक कहानी कही गयी है।बआशा करता हूं कि आप को दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी।
धन्यवाद।

द्रोपदी के 5 पति नहीं 1 पति था, जानिए द्रोपदी के 5 पति नहीं 1 पति था, जानिए Reviewed by Tarun Baveja on August 05, 2021 Rating: 5

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