नमस्कार दोस्तों
दोस्तों कहां जाता है। कि जल ही जीवन है। लेकिन यही जल जब आरओ के जरिए फिल्टर होता है या बोतलों मे बंद होकर हजार गुना दाम पर बिकता है। तो यह आपके जीवन को संकट में भी डाल सकता है। यदि आपके या आपके किसी मित्र के घर पर भी आरओ लगा है। या अक्सर आप घर से बहार होने पर बोतल में मिलने वाला पानी से पसंद करते है तो आज के इस के टॉपिक को अंत तक जरूर तक देखिए
हर गली नुक्कड़ चौराहा रेस्टूरेंट कैफे होटल और दुकानों पर बोतल में मिलना वाला पानी उतना सुरक्षित नहीं है। जितना आप उसे समझते है। कई लोग इस बात को जानते भी है लेकिन फिर भी घर में आरओ लगाना और बाहर बोतल का ठंडा पानी पीना आज एक फेशन की तरह बन गया है। ज्यादातर लोगो की सोच होती है कि पानी मीठा होता है उतना जादा सा और अच्छा होता है।
पानी की गुणवत्ता को टोटल डिसोल्वड सॉलि़ड यानी कि टीडीएस में मापा जाता है। जो कि यह बताता है। पानी में कितने परसेंट मिनरल्स मौजूद है। सामान्य टीडीएस ढाई सौ से 350 के बीच में हो तो यह सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन 200 से 400 की रेंज भी बुरी नहीं होती है।
आरो और बोतल में मिलने वाले पानी का टीडीएस बहुत ज्यादा कम होता है। और ज्यादातर लोग पानी का स्वाद मीठा लगे इसलिए खुद ही घर में लगे आरो का टीडीएस कम करवाते है। 150 से कम टीडीएस पानी में आवश्यक मिनरल्स की मात्रा का बहुत ज्यादा कम हो जाती है। और अक्सर स्वाद में ज्यादा मीठे लगने वाले पानी का टीडीएस 100 से भी कम होता है। 100 से कम टीडीएस का पानी हमारे दिल की सेहत के लिए बहुत अधिक हानिकारक होता है और इससे हार्ड फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
इसके अलावा कम टीडीएस वाला पानी हमारे बालों की ग्रोथ और शरीर के हारमोंस पर भी बुरा प्रभाव डालता है। पानी जब आरओ से फिल्टर होकर साफ होता है। तो उसमें से 90% तक मिनरल्स निकल जाते है। इसी तरह जब बोतल में पानी भरने से पहले उसे भी रिवर्स ऑस्मोसिस प्रोसेस के जरिए फिल्टर किया जाता है तो पानी बोतल मैं जाने से पहले ही अपनी गुणवत्ता पूरी तरह खो देता है और मिनरल्स के नाम पर इसमें कुछ भी नहीं बचता लेकिन फिर भी बोतल में मिलने वाले पानी को मिनरल्स वोटर कहा जाता है। बोतल में मिलने वाले पानी में मिनरल्स नहीं होने की वजह से देश के हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा पैकेजिंग पर मिनरल्स वोटर लिखने पर रोक लगाया गया था जिसके बाद से अब पानी की बोतलो पर अब मिनरल्स वॉटर की जगह पैड ड्रिंकिंग वॉटर लिखा हुआ आने लगा है।
क्या आप जानते है। कि साधारण पानी में कैल्शियम मैग्नीशियम और आयरन जैसे आवश्यक मिनरल्स भी मौजूद होते है। जो हमारी हड्डीयो पेट और दिमाग के लिए बहुत जरुरी होते है और साथ ही इनकी वजह से ही हमारी भूख और प्यास शांत होती है। बोतल में मिलने वाले पानी में इस तरह के मिनरल्स नहीं पाए जाते जिसकी वजह से हमारे शरीर में धीरे-धीरे कैल्शियम मैग्नीशियम और आयरन जैसे अवश्यक मिनरल्स की कमी आने लगती है।
दोस्तों प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है। जिसे कचरा समझकर जब जमीन में दफनाया जाता है। तो इससे प्राकर्तिक तरीके गलने से 500 से भी ज्यादा साल लग जाते है। इसलिए कहा जाता है। कि प्लास्टिक को रीसायकल नहीं किया जा सकता और इसका कम से कम इस्तेमाल करें जिस प्लास्टिक को हमारी धरती तक नहीं पचा सकती उसे हमारा पेट तो बिल्कुल भी नहीं पचा सकता । आरव से जब पानी छनता है तो इसमें प्लास्टिक घुलता रहता है और साथ ही पानी में टी डी एस की कमी होने के कारण हर तरह चीजें इसमें ज्यादा जल्दी घुलने लग जाती है। बोतल में बंद पानी जब धूप के संपर्क में आता है या बहुत दिनों तक रखा रहता है। तो इसमें भी प्लास्टिक घूलता चला जाता है। पानी में प्लास्टिक घूलेने के कारण कैंसर और किडनी फेल से जैसी समस्याएं होती है।
इसके साथ ही बोतल मिलने वाले पानी में क्लोरिट और क्लोराइड नामक हानिकारक केमिकल भी मौजूद होते है। हानिकारक केमिकल की अधिकता और मिनरल्स की कमी के कारण बोतल मैं मिलने वाला पानी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन जाता है। और इसकी वजह से बालों का झड़ना गंजापन दांतों में कमजोरी चेहरे पर झुर्रियां और पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियां होने की संभावना भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
ऐसे में सवाल उठता है। कि आखिर क्या करें अगर आप आरव का इस्तमाल करते है। तो सबसे पहले अपने आरो का टी डी एस 200 से 350 तक के बीच में ही सेट करवाएं और फिल्टर होने के बाद उसमें से पानी निकाल कर किसी स्टील मिट्टी या तांबे के बर्तन मे रख दे उसके बाद पानी उसी बर्तन में से पिए । बोतल में मिलने वाला पानी कम से कम पिये ओर अगर हो सके तो पूरी तरह से ही बंद कर दे क्योंकि ना सिर्फ इसमें मिलने वाला पानी हमारी सेहत के लिए हानिकारक होता है। बल्कि खुद इसकी बोतल से ही कई तरह की दूसरी समस्या जुडी हुई है।
कीमत के नजरिए से देखा जाए तो पानी के बोतल में 90 प्रतिशत चार्ज उसकी पैकेजिंग का होता है। और केवल 10 % उसमे मौजूद पानी का यानी कि 20 रुपए में वाली बोतल में पानी केवल दो रुपए का होता है। बाकी बचे हुए 18 रुपए केवल कचरे में फेक दी जाने वाली बोतल का होता है। इसके बाद हमारे द्वारा फेंकी गई चार बोतलो में से केवल एक बोतल ही सफलतापूर्वक रीसायकल हो पाती है। बाकी की बॉटल या तो नदी तलाब या कूड़ो में फेक दी जाती है। या फिर जमीन में दफना दी जाती है। और इस वजह से ही हमारा वातावरण मिट्टी और पानी बहुत जादा प्रदूषित होता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तन में पानी पिये और स्टील या कांच की बोतल का इस्तेमाल करें
मिट्टी के मटके की खास बात यह है। यह प्राकर्तिक फ़िल्टर की तरह काम करता है। अगर इसमें ज्यादा टी डी एस वाला पानी डाला जाए तो यहां उसमें से मिनरल्स निकाल देता है। और अगर कम टी डी एस वाला पानी डाला जाए तो यहां उसमें मिनरल्स की को बड़ा देता है। पानी वैसे तो हमारी सेहत के लिए बहुत जरुरी होता है। और अगर इस पानी का सही तरीके से और सही नियम के अनुसार सेवन किया जाए तो कई बीमारियों में यह दवाईयों से भी बेहतर बन जाता है। लेकिन अगर पानी पीते समय कुछ आवश्यक बातों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो यही पानी हमारे शरीर में कई तरह के बिमारियों और कमजोरियों को भी जन्म दे सकता है।
दोस्तों कहां जाता है। कि जल ही जीवन है। लेकिन यही जल जब आरओ के जरिए फिल्टर होता है या बोतलों मे बंद होकर हजार गुना दाम पर बिकता है। तो यह आपके जीवन को संकट में भी डाल सकता है। यदि आपके या आपके किसी मित्र के घर पर भी आरओ लगा है। या अक्सर आप घर से बहार होने पर बोतल में मिलने वाला पानी से पसंद करते है तो आज के इस के टॉपिक को अंत तक जरूर तक देखिए
हर गली नुक्कड़ चौराहा रेस्टूरेंट कैफे होटल और दुकानों पर बोतल में मिलना वाला पानी उतना सुरक्षित नहीं है। जितना आप उसे समझते है। कई लोग इस बात को जानते भी है लेकिन फिर भी घर में आरओ लगाना और बाहर बोतल का ठंडा पानी पीना आज एक फेशन की तरह बन गया है। ज्यादातर लोगो की सोच होती है कि पानी मीठा होता है उतना जादा सा और अच्छा होता है।
पानी की गुणवत्ता को टोटल डिसोल्वड सॉलि़ड यानी कि टीडीएस में मापा जाता है। जो कि यह बताता है। पानी में कितने परसेंट मिनरल्स मौजूद है। सामान्य टीडीएस ढाई सौ से 350 के बीच में हो तो यह सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन 200 से 400 की रेंज भी बुरी नहीं होती है।
आरो और बोतल में मिलने वाले पानी का टीडीएस बहुत ज्यादा कम होता है। और ज्यादातर लोग पानी का स्वाद मीठा लगे इसलिए खुद ही घर में लगे आरो का टीडीएस कम करवाते है। 150 से कम टीडीएस पानी में आवश्यक मिनरल्स की मात्रा का बहुत ज्यादा कम हो जाती है। और अक्सर स्वाद में ज्यादा मीठे लगने वाले पानी का टीडीएस 100 से भी कम होता है। 100 से कम टीडीएस का पानी हमारे दिल की सेहत के लिए बहुत अधिक हानिकारक होता है और इससे हार्ड फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
इसके अलावा कम टीडीएस वाला पानी हमारे बालों की ग्रोथ और शरीर के हारमोंस पर भी बुरा प्रभाव डालता है। पानी जब आरओ से फिल्टर होकर साफ होता है। तो उसमें से 90% तक मिनरल्स निकल जाते है। इसी तरह जब बोतल में पानी भरने से पहले उसे भी रिवर्स ऑस्मोसिस प्रोसेस के जरिए फिल्टर किया जाता है तो पानी बोतल मैं जाने से पहले ही अपनी गुणवत्ता पूरी तरह खो देता है और मिनरल्स के नाम पर इसमें कुछ भी नहीं बचता लेकिन फिर भी बोतल में मिलने वाले पानी को मिनरल्स वोटर कहा जाता है। बोतल में मिलने वाले पानी में मिनरल्स नहीं होने की वजह से देश के हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा पैकेजिंग पर मिनरल्स वोटर लिखने पर रोक लगाया गया था जिसके बाद से अब पानी की बोतलो पर अब मिनरल्स वॉटर की जगह पैड ड्रिंकिंग वॉटर लिखा हुआ आने लगा है।
क्या आप जानते है। कि साधारण पानी में कैल्शियम मैग्नीशियम और आयरन जैसे आवश्यक मिनरल्स भी मौजूद होते है। जो हमारी हड्डीयो पेट और दिमाग के लिए बहुत जरुरी होते है और साथ ही इनकी वजह से ही हमारी भूख और प्यास शांत होती है। बोतल में मिलने वाले पानी में इस तरह के मिनरल्स नहीं पाए जाते जिसकी वजह से हमारे शरीर में धीरे-धीरे कैल्शियम मैग्नीशियम और आयरन जैसे अवश्यक मिनरल्स की कमी आने लगती है।
दोस्तों प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है। जिसे कचरा समझकर जब जमीन में दफनाया जाता है। तो इससे प्राकर्तिक तरीके गलने से 500 से भी ज्यादा साल लग जाते है। इसलिए कहा जाता है। कि प्लास्टिक को रीसायकल नहीं किया जा सकता और इसका कम से कम इस्तेमाल करें जिस प्लास्टिक को हमारी धरती तक नहीं पचा सकती उसे हमारा पेट तो बिल्कुल भी नहीं पचा सकता । आरव से जब पानी छनता है तो इसमें प्लास्टिक घुलता रहता है और साथ ही पानी में टी डी एस की कमी होने के कारण हर तरह चीजें इसमें ज्यादा जल्दी घुलने लग जाती है। बोतल में बंद पानी जब धूप के संपर्क में आता है या बहुत दिनों तक रखा रहता है। तो इसमें भी प्लास्टिक घूलता चला जाता है। पानी में प्लास्टिक घूलेने के कारण कैंसर और किडनी फेल से जैसी समस्याएं होती है।
इसके साथ ही बोतल मिलने वाले पानी में क्लोरिट और क्लोराइड नामक हानिकारक केमिकल भी मौजूद होते है। हानिकारक केमिकल की अधिकता और मिनरल्स की कमी के कारण बोतल मैं मिलने वाला पानी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन जाता है। और इसकी वजह से बालों का झड़ना गंजापन दांतों में कमजोरी चेहरे पर झुर्रियां और पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियां होने की संभावना भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
ऐसे में सवाल उठता है। कि आखिर क्या करें अगर आप आरव का इस्तमाल करते है। तो सबसे पहले अपने आरो का टी डी एस 200 से 350 तक के बीच में ही सेट करवाएं और फिल्टर होने के बाद उसमें से पानी निकाल कर किसी स्टील मिट्टी या तांबे के बर्तन मे रख दे उसके बाद पानी उसी बर्तन में से पिए । बोतल में मिलने वाला पानी कम से कम पिये ओर अगर हो सके तो पूरी तरह से ही बंद कर दे क्योंकि ना सिर्फ इसमें मिलने वाला पानी हमारी सेहत के लिए हानिकारक होता है। बल्कि खुद इसकी बोतल से ही कई तरह की दूसरी समस्या जुडी हुई है।
कीमत के नजरिए से देखा जाए तो पानी के बोतल में 90 प्रतिशत चार्ज उसकी पैकेजिंग का होता है। और केवल 10 % उसमे मौजूद पानी का यानी कि 20 रुपए में वाली बोतल में पानी केवल दो रुपए का होता है। बाकी बचे हुए 18 रुपए केवल कचरे में फेक दी जाने वाली बोतल का होता है। इसके बाद हमारे द्वारा फेंकी गई चार बोतलो में से केवल एक बोतल ही सफलतापूर्वक रीसायकल हो पाती है। बाकी की बॉटल या तो नदी तलाब या कूड़ो में फेक दी जाती है। या फिर जमीन में दफना दी जाती है। और इस वजह से ही हमारा वातावरण मिट्टी और पानी बहुत जादा प्रदूषित होता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तन में पानी पिये और स्टील या कांच की बोतल का इस्तेमाल करें
मिट्टी के मटके की खास बात यह है। यह प्राकर्तिक फ़िल्टर की तरह काम करता है। अगर इसमें ज्यादा टी डी एस वाला पानी डाला जाए तो यहां उसमें से मिनरल्स निकाल देता है। और अगर कम टी डी एस वाला पानी डाला जाए तो यहां उसमें मिनरल्स की को बड़ा देता है। पानी वैसे तो हमारी सेहत के लिए बहुत जरुरी होता है। और अगर इस पानी का सही तरीके से और सही नियम के अनुसार सेवन किया जाए तो कई बीमारियों में यह दवाईयों से भी बेहतर बन जाता है। लेकिन अगर पानी पीते समय कुछ आवश्यक बातों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो यही पानी हमारे शरीर में कई तरह के बिमारियों और कमजोरियों को भी जन्म दे सकता है।
RO का पानी कभी न पिएं। जानिए क्यों !
Reviewed by Tarun Baveja
on
March 19, 2019
Rating:

बहुत ही अच्छी जानकारी।
ReplyDeleteThank you for your valuable feedback.
ReplyDeleteइस वेबसाइट से जुड़े रहे
भविष्य में आप इस तरह के अनमोल जानकारी इस वेबसाइट के माध्यम से पाते रहेंगे
💪
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