आयुर्वेदानुसार अचार खाने के फायदे
नमस्कार दोस्तों
अचार का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि उनको अचार सहन नहीं होता। अचार खाने के बाद एसिडिटी बन जाती है। सीने में जलन होती है या फिर कभी कभी ऐसे भी होता है। किसी बीमारी के वजह से उनको अचार खाने से मना किया जाता है। तो अचार खाना चाहिए या नहीं खाना चाहिए। अगर खाना है तो कौन सा खाए और अचार में ऐसा क्या डालें जिससे वह आचार नहीं औषधि जैसा गुणकारी हो फिर वह हमें स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य भी मिले। इस पूरी जानकारी के लिए टॉपिक जरूर पढ़ें।

आयुर्वेद में रसों का महत्व
आयुर्वेद शास्त्र में षडरसात्मक आहार का वर्णन किया है। यानी छः रस मधुर, लवण ,कटु, तिक्त, कषाय। मधुर यानी मीठा, आमल यानी खट्टा, लावण यानी खारा, कटु यानी तीखा, तिक्त यानी कड़वा, कषाय यानी कसेला। यह छः रस है। हमारे शरीर में जो तीन दोष है यानी वात, पित्त, कफ। यह जो छ रस है, यह तीन दोषों की जो अवस्था है उनको सम स्थिति में बनाए रखने के लिए हमें मदद करते हैं और काफी बार हम देखते हैं। जो भी आचार हम खाते हैं। उसमें छ रस होते हैं। जैसे हम नींबू का अचार बना रहे हैं। उसमें मीठा भी डालते हैं। खट्टा तो उसमें है ही। उसमे तीखा रस भी डालते है। जैसे करेले का अचार बनाते हैं तो उसमें कड़वा रस भी है। आंवला का बनाते हैं तो उसमें कसैला रस भी है।काफी बार ये सभी रस हमारे खाने में जाते हैं।
हमारी भारतीय संस्कृति में खाना परोसने की विधि
हमारी भारतीय संस्कृति में खाना परोसने की खास विधि हैं। वैसे हम रोज तो खाना परोसने में इतना ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन कोई त्योहार हो या घर में मेहमान आये हुए हो तो खाने की थाली जो है वो अच्छी तरह से parosi जाती है। अगर खाने की थाली देखें तो बीच में हम नमक परोसते हैं। उसकी बायीं और नींबू है ,अचार है, सलाद है, पापड़ ,कढ़ी ,पकोड़े या फिर रहता है खीर है। यह सब परोसा जाता है। उसमें दायीं ओर सब्जियां है, दाल है। यह सब परोसा जाता है। बीच में रोटी चाहे गेहू की या मक्की की हो या बाजरे की। फिर उसके साथ साथ दाल चावल, उसके ऊपर घी ये सब परोसा जाता है।
भारतीय परंपरा वाली खाने की थाली के पीछे की वैज्ञानिकता
क्या हमने कभी सोचा है कि इसके पीछे कोई साइंस है। जी हां जो चीजें हम खाने में बाई तरफ परोसते हैं। हमारा जो हाथ है। जैसे हम खाना खा रहे हैं। उसको ऐसे लेना पड़ेगा जो भी चीज हम बाई तरफ परोसे उसे कम मात्रा में लेना है। चाहे वो आचार हो या चटनी हो कुछ भी हो।जो हम दाहिनी तरफ परोसे उसे हम ज्यादा मात्रा में ले सकते हैं। यहां तक कि पानी हम ग्लास रखते हैं। वह भी हम बाई तरफ रखते हैं। पानी भी हमें खाना खाते समय घुट घुट लेना है। ज्यादा मात्रा में सेवन नहीं करना।
घर पर अचार बनाना सर्वश्रेष्ठ
अब देखते हैं अचार घर पर बनाना है या बाहर से खरीदा हुआ अचार हमें इस्तेमाल करना है। हो सके तो अचार घर पर ही बनाए। जब भी हम आचार बाजार से खरीदते हैं या फूड कलर रहते हैं, विनेगर रहता है जो भी मसाला डाला जाता है या जो आचार बनते समय तेल इस्तेमाल किया जाता है। वह भी अच्छी क्वालिटी का नहीं होता। घर पर जब हम अचार बनाते हैं। तो उसको बहुत सिंपल तरीके से हम बना सकते हैं। ज्यादा कुछ देर भी नहीं लगती तो हो सके तो अचार घर पर बनाएं।
कौन-कौन से आचार आप बना सकते हैं
अब देखते हैं घर पर कौन-कौन सा अचार बना सकते हैं। इसमें बहुत सारे ऑप्शन है। आप नींबू का अचार बना सकते हैं। आम का, करेले का, आंवले का, मिक्स अचार ऐसे बहुत सारे आचार हैं जो हम बना सकते हैं। जैसे सब्जियों का अचार बना सकते हैं। जैसे गाजर का अचार भी हम बना सकते है। इसमें इतनी सारी वरायटी है तो अलग-अलग अचार हम बना सकते हैं। घर में छोटे बच्चे हैं। वह भी इसे बड़े चाव से खाते हैं। घर में जब हम आचार बनाते है तो उसमें हल्दी, मेथी, हींग, राई और कुछ लोग भी अजवायन भी डालते हैं।
अचार में हल्दी का प्रयोग
यह भी तो सभी चीजे है जो अचार को औषधी जैसे गुणकारी बनाती है। जैसे हम देखते हैं डायबिटीज की चिकित्सा में अमल योग दिया है हल्दी और आवला। जब हम आंवले का अचार बनाते हैं उसमें हल्दी डालते हैं तो यह डायबिटीज के लिए बहुत अच्छी औषधि है।
अचार में मेथी का प्रयोग
अचार में हम मेथी का प्रयोग भी हम करते हैं। तो मैथी जो है वात और कफ दोष विकार हो तो उसे दूर करने वाली है। यह हमारे पाचन को अच्छा रखने वाली है। पाचन से संबंधित कोई भी गड़बड़ी है तो उसे भी दूर करती है। भूख बढ़ती है। शरीर में अगर कही दर्द है उसे कम करती है। जिनको जोड़ों में दर्द या सूजन है। उसको भी कम करती है तो जिनको दर्द या सूजन है वो इसका प्रयोग आछी तरह से कर सकते हैं। इसके अलावा मेथी डायबिटीज के लिए भी एक बहुत अच्छी ओषधि है।
अचार बनाने में ही का प्रयोग
आचार में हींग का इस्तेमाल भी किया जाता है तो ये जो हींग है ये वात और कफ दोष को अगर ये बड़े हुए है तो इनको भी ये ठीके करने में काम करता है। भूख को अच्छी तरह से बढ़ाता है। पेट में फूलापन है उसको भी कम करता है। मासिक धर्म के समय अगर महिलाओं को पेट में दर्द है तो उसको भी कम करने में मदद करता है। प्रसव के बाद गर्भाशय के शोधन का यह काम करता है।इस तरह से यह भी बहुत उपयुक्त है
हमें कितनी मात्रा में आचार का सेवन करना चाहिए
अब देखते हैं अचार का सेवन हमें कितनी मात्रा में करना है। पहले जो खाना परोसने की विधि देखी। अचार को हम बाई तरफ रखेंगे तो उसको बाई तरफ से दाहनी तरफ कभी नहीं लाना है। उसको सब्जी की तरह इस्तेमाल नहीं करना है तो इसको थोड़ी ही मात्रा में प्रयोग करना है। इसको थोड़ी मात्रा में स्वाद लेके चख के खाने का स्वाद बढ़ाना है।
आज सभी हमे बताते हैं कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए हमें विटामिन सी का इस्तेमाल करना चाहिए तो गोली क्यों ले। अचार है ना, तो खाने में अचार का इस्तेमाल कीजिए और स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ भी बढ़ाइए। अगर आज का टॉपिक आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।
धन्यवाद।
आयुर्वेदानुसार अचार खाने के फायदे
Reviewed by Tarun Baveja
on
August 04, 2021
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