रोज सुबह 3:40 पर क्या आश्चर्यजनक होता है

कई समस्याएं, जिनका इंसान सामना कर रहे हैं। वो सिर्फ इसलिए हैं, कि हमने वो जागरूकता खो दी है; कि कई शक्तियों के साथ तालमेल में कैसे रहा जाए। अगर, आप जीवन के तालमेल में आ जाए, तो आप भी सुबह 3:00 बजे के आस-पास नींद से जाग जाएंगे। उस समय अगर आप बैठकर वो अभ्यास करें। जिनकी आपको दीक्षा दी गई है, तो उससे सबसे ज्यादा फायदा होगा। 

जिस तरह से धरती घूम रही है और जो भी हो रहा है। उस वजह से एक बहुत बुनियादी बदलाव आता है। सुबह 3:20 से सुबह 3:40 के बीच, इसे ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। ऐसा, बस 33 डिग्री लाटीट्यूड तक ही होता है। आपका सिस्टम, मनुष्य का सिस्टम एक विशेष तरीके से व्यवहार करता है। ये एक संभावना है, तो एक जागरूकता रही है, इस संभावना का इस्तेमाल करने की। आपका जीवन उन कई चीजों का परिणाम है, जिन्हे हम ब्रह्मांड कहते हैं, या जिन्हें हम अस्तित्व कहते हैं। तो हम इस जबरदस्त घटना का परिणाम है। जिसे हम सृष्टि कहते हैं। 

हम अपने आप में एक अलग जीवन नहीं हैं, तो जब आप तालमेल में होंगे, तो कुछ चीजें होंगी। हमारे अमेरिका के टेनेसी में स्थित कुछ आश्रम में ऐसे जिंगुर पाए जाते हैं। जो 17 सालों में सिर्फ एक बार जागते हैं। क्या आपने ऐसा कुछ देखा है? वो समझ जाते हैं, कि 17 साल हो गए हैं, और वो जाग जाते हैं। फिर, वो बच्चे पैदा करते हैं और सो जाते हैं। वो समझ जाते हैं, कि 17 साल हो गए। वो भी बिना किसी अलार्म बेल के, तो ये कैसे होता है। मैं कह रहा हूं, कि वो प्रकृति के साथ तालमेल में है। 

हमने प्रकृति के साथ तालमेल खो दिया है और हमें लगता है, कि यही हमारी प्रकृति है। नहीं.. कई सारी बीमारियां और समस्याएं जिनका मनुष्य अनुभव कर रहा है। वो बस इसलिए हैं, क्योंकि हमने वो जागरूकता खो दी है; कि उन कई सारी शक्तियों के साथ तालमेल में कैसे रहा जाए। जो हमें वो बनाती हैं, जो हम हैं; तो योग वो तालमेल लाने के लिए है। ताकि, आप जीवन के साथ लेह में हो। अगर, आप जीवन के साथ लेह में होंगे तो आप भी सुबह 3:00 बजे के थोड़ा बाद जागेगे। अगर, आप जागरूक हैं तो अचानक आपके अंदर जीवंतता कि एक किरण जागेगी और अगर आप गहरी नींद में भी हूं, तो भी आप जाग जाएंगे। आपके साथ ये होना चाहिए। इसका मतलब है, आप उसके साथ तालमेल में है। आप जीवन के तालमेल में है। 

तो मुझे क्या करना चाहिए? क्या मुझे ध्यान करना चाहिए या क्रिया। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या करते हैं। आपको वो प्रक्रिया करनी चाहिए, जिसकी आप को दीक्षा दी गई है। क्योंकि दीक्षा का मतलब है, आपको कोई अभ्यास बस सिखाया ही नहीं गया है। आपके सिस्टम में उसे उतार दिया गया है। उसे आपके सिस्टम में बिठा दिया गया है। तो वो जो भी हो। अगर, आप में एक जीवित बीज है और आप ब्रह्म मुहूर्त में जागे और वो अभ्यास करें, तो इससे सबसे ज्यादा फायदा होता है। क्योंकि तब धरती के बर्ताव का आपके सिस्टम पर वैसा ही असर होता है। 

अगर, आप एक विशेष तरह से जागरूक हो जाएं। आपके अंदर एक खास तरह की जागरूकता आ जाए, तो आप बस जान जाएंगे; कि वो समय कब है। अगर, आप सही समय पर सोने जाएंगे तो आपको घड़ी देखने की जरूरत नहीं होगी। आप हमेशा जान जाएंगे; कि 3:40 बजे है। क्योंकि फिर शरीर  एक अलग तरीके से बर्ताव करता है। उस समय अगर आप बैठकर वो प्रक्रिया करें। जिसकी आपको दीक्षा मिली है। वो नहीं, जो आपने किताबों से पड़ी है, तो सबसे ज्यादा फायदा होगा। उस समय बीज को अंकुरित होने के लिए जरूरी मदद मिल जाएगी। या वो अन्य समय के मुकाबले ज्यादा तेजी से विकसित होगा। ये सिर्फ दीक्षित लोगों के लिए ही है। 

अगर, आप दीक्षित नहीं है। आप किताब योगी हैं, तो 3:40, 6:40, 7:40 इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। ऐसे लोगों के लिए संध्याकाल ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। संध्या मतलब सूरज के उगने से 20 मिनट पहले से 20 मिनट बाद तक या सूरज डूबने से 20 मिनट पहले से 20 मिनट बाद तक। दोपहर और आधी रात के लिए भी, यही सच है, लेकिन उनकी प्रकृति अलग है। तो ये दो संध्याए  उनके लिए बेहतर है। जो दीक्षित नहीं है, 3:40 उनके लिए अच्छा है। जिन्हें शक्तिशाली दीक्षा मिली।
रोज सुबह 3:40 पर क्या आश्चर्यजनक होता है रोज सुबह 3:40 पर क्या आश्चर्यजनक होता है Reviewed by Tarun Baveja on July 14, 2020 Rating: 5

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