मोटिवेशनल वीडियो की सच्चाई और इनका प्रभाव
मोटिवेशनल लेक्चर का असर 5 से 10 मिनट ही क्यों रहता है और फिर धीरे-धीरे सारा मोटिवेशनल गायब हो जाता है। दोस्तों, यह मोटिवेशनल चाहे किसी भी का हो या हमारे देश के किसी सम्माननीय मोटिवेशनल स्पीकर का, जैसे- डॉक्टर विवेक बिंद्रा, संदीप महेश्वरी और उज्जवल पाटनी जैसे जबरदस्त मोटिवेशनल स्पीकर्स। जिनका मैं स्वयं दिल से सम्मान करता हूं।

यह एक ऐसे मोटिवेशनल स्पीकर्स हैं; जिनके फ्री वीडियोस, जबरदस्त सेमिनार, और अनेकों ट्रेनिंग प्रोग्राम, जो आपको अंदर से झंझोडते हैं, हिलाते हैं और जगाते भी हैं। लेकिन इन सबके बावजूद कामयाबी की सीढ़ियां केवल चंद लोग ही चढ पाते हैं, क्यों बाकी के लोग भीड़ का हिस्सा बन कर रह जाते हैं। अनेकों सफल और अमीर लोगों के किस्से कहानियां, उनके संघर्ष और सफलताओं के किस्से जो पढ़ते-सुनते और देखते समय सबके अंदर एक चिंगारी-सी उठा देते है; कि बस अब तो करना है, हर मैदान फतेह।
लेकिन मेहनत के मैदान पर आते ही वो चिंगारी कुछ ही मिनटों या घंटों में बुझ-सी जाती है। लेकिन दोस्तों आज इस आर्टिकल में मोटिवेशनल को लेकर आपकी बहुत-सी गलतफहमियां दूर होने वाली है। इसलिए इस आर्टिकल को आप अंत तक जरूर पढ़ें; क्योंकि आपकी भी कोई ना कोई गलतफहमी दूर होने वाली है।
दोस्तों, दुनिया का कोई भी मोटिवेशनल स्पीकर वीडियो या कोई भी स्पीच, सेमिनार या केवल किसी ट्रेनिंग प्रोग्राम से आप अपनी जिंदगी नहीं बदल सकते। यह बात सुनने में थोड़ी कड़वी जरूर लग सकती है, लेकिन यही एक सच्चाई है। लेकिन आपको निराश होने की जरूरत नहीं है, मकसद इन मोटिवेशंशनल्स के मकसद को समझने की है।
मोटिवेशनल वीडियोस, सेमिनार, ट्रेंनिंग प्रोग्राम्स यह सब इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं, कि आप बड़े सपने देख सके। लेकिन सपने आप ही के होने चाहिए। मोटिवेशनल प्रेरित करते है, जीवन के बड़े लक्ष्य बनाने के लिए। लेकिन लक्ष्य बनाने का काम आप ही को करना होगा। मोटिवेशनल खुद पर विश्वास रखना सिखाता है, लेकिन खुद पर विश्वास रखना और आगे बढ़ना आप ही को है। मोटिवेशनल आपको आपकी औकात से बाहर सोचने के लिए प्रेरित करते है, लेकिन औकात से बाहर सोचना आप ही को है। मोटिवेशनल का काम है, आपको मेंटली स्ट्रांग बनाना। लेकिन स्ट्रांग होकर परिस्थितियों का सामना करना आप ही को करना है। मोटिवेशनल का काम है, आप में बदलाव लाना, लेकिन बदलना आप ही को है। मोटिवेशनल मार्गदर्शक तो बन सकता है, लेकिन मार्ग पर चलना आप ही को है और अगर मोटिवेशनल वीडियो दिन भर आप को मोटिवेट नहीं रख पाते और आप आज के काम को कल पर टालते रहते हैं, तो कमी मोटिवेशनल में नहीं, आपके लक्ष्यों में है। लक्ष्य जो आपने खुद चुने है, अपने सपनों को पूरा करने के लिए और अगर लक्ष्य और सपने में अन्तर स्पष्ट नहीं है, तो उसके लिए आप शान्त मन से ध्यान लगाकर अपने लक्ष्यों को निश्चित कर ले। क्योंकि अगर लक्ष्य स्पष्ट नहीं है, तो कोई मोटिवेशनल वीडियो आप को मोटिवेट रखने में आपकी मदद नहीं कर सकता। क्योंकि मोटिवेशनल वीडियो, सेमिनार, ट्रेनिंग प्रोग्राम तो केवल आपके लक्ष्यों में फ्यूल भरने का काम करते हैं। यह आपको एक्स्ट्रा एनर्जी, जोश और हिम्मत देते हैं, लंबी उड़ान भरने के लिए। "हिम्मत" परेशानियों से लड़ने के लिए, "हौसला" असफलताओं से बिना घबराए कुछ नयी सीख, आगे बढ़ने के लिए। पॉजिटिविटी और जानकारी से भरपूर यह वीडियोस और सेमिनार आप में एक नई ऊर्जा का संचार करते हैं, लक्ष्यों को पाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहने के लिए।
याद रखिए 5 से 10 मिनट के मोटिवेशनल वीडियो 2 से 4 घंटे के सेमिनार या 2 से 3 दिन की ट्रेनिंग प्रोग्राम केवल आपको मेंटली तैयार करते हैं। लेकिन आपकी कामयाबी इस बात पर निर्भर करती है, कि आप किसी वीडियो सेमिनार या ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद मेंटली और फिजिकली कितने जुनून से अपने लक्ष्य पर काम करते हैं और यहीं पर अधिकतर लोग चूक जाते हैं। दूसरे के संघर्ष और सफलताओं के किस्से मोटिवेट तो बहुत करते हैं, मगर जब खुद संघर्ष की बारी आती है, जब खुद को फेलियर का सामना करके आगे बढ़ना पड़ता है, जब खुद को रिस्क उठाना पड़ता है, तब ज्यादातर लोग बीच रास्ते में ही आसान रास्ते चुन अपने रास्ते बदल लेते हैं।
मोटिवेशनल, रॉकेट में फ्यूल की तरह है। लक्ष्यों के रास्ते में रोशनी की तरह और सोच में सकारात्मकता का संचार करता है। अनुशासन और निरंतरता सिखाता है और प्रेरित करता है, एक्शन के लिए। लेकिन सफलता का सफर तब शुरू होता है, जब आपका हेडफोन आपके कानों से उतर जाता है, जब मोटिवेशनल सेमिनार या वर्कशॉप खत्म हो जाती है, जब आपके साथ केवल आपके लक्ष्य होते हैं। उस वक्त केवल आपको ही उन लक्ष्यों को पाने के लिए संघर्षों की धूप में तपना होता है और आपको केवल आपके केवल लक्ष्य ही मोटिवेट रख सकते हैं। बशर्ते, आप उन लक्ष्यों को जुनून की हद तक प्यार करते हो और जो लोग ऐसा कर पाते हैं, उन्हीं लोगों में से सचिन, धोनी आदि सितारे भीड़ में अपनी अपनी अलग पहचान बना पाते हैं।
हर समय मोटिवेट रहने के लिए मोटिवेशनल वीडियो से ज्यादा जरूरी है, आपके लक्ष्य। जो आपको एकदम स्पष्ट हो। जो किसी के प्रभाव में नहीं। बल्कि आपने अपने दिल से चुने हो। ऐसे लक्ष्य जिन्हें आप जुनून की हद तक चाहते हो। मोटिवेशनल वीडियोस आपको दिमागी रूप से तैयार करते हैं, जीवन की पिच पर हर तरह की बॉल को खेलने के लिए। लेकिन खेलना आप ही को है।
मोटिवेशनल वीडियोस से टिप्स और ट्रिक्स मिलते हैं, आपको समस्याओं से लड़ने के लिए। लेकिन सिखाई गई टिप्स और ट्रिक्स को खुद पर लागू आप ही को करना है। यह आप ही को देखना होगा, कि आप जब अकेले होते हैं, तो आप अपने कीमती समय को यूज करते हैं या मिस यूज करते हैं। सुबह देर तक सोना आपको चैन देता है या बेचैन कर देता है, जल्दी उठकर अपने लक्ष्यों पर काम करने के लिए। थकने के बाद आप कुछ और कदम एक्स्ट्रा आपको ही चलने होंगे। किसी भी मोटिवेशन का कोई फायदा नहीं, अगर आप इन सिखाई और पढ़ाई गई बातों को खुद पर लागू ही नहीं करते। कामयाबी और बदलाव के किस्से सुनने का कोई फायदा नहीं, अगर आप खुद में बदलाव नहीं ला पाते।
दोस्तों मोटिवेशनल वीडियोस कोई अलादीन का चिराग नहीं है, जिससे हर रोज आप के लिए एक दिन जिन निकल आएगा और आपके जीवन को बदल देगा। हर रोज का मोटिवेशन, हर रोज के नहाने की तरह है, जो आपको हर रोज आपको मेंटली फ्रेश रखता है। लेकिन कामयाबी आपको अपने लक्ष्यों पर काम करने से ही मिलेगी और अगर भीड़ से हटकर अपनी अलग पहचान बनानी है, तो काम भीड़ से हटकर और भीड़ से ज्यादा करना होगा, तब भी जब भीड़ आराम कर रही हो। वरना उतना ही मिलेगा, जितना भीड़ को मिलता है। वही 9:00 से 5:00 की जॉब और शाम को घर पर टीवी सीरियल के साथ चाय।
बुराई इस जीवन में भी नहीं है। बशर्ते, यह जीवन आपको पसंद हो। लेकिन क्या आपको यही चाहिए और अगर इससे ज्यादा चाहिए, तो काम ज्यादा करना होगा। यकीनन ज्यादा काम, ज्यादा थकाएगा भी। मुश्किलें हर रोज आपकी हिम्मत तोड़ेंगे और मजबूर करेंगे कि आप भीड़ का हिस्सा ही बन जाओ। हर कठिनाई आपको मजबूर करेगी कि आप अपने रास्ते बदल दे, रास्ते आपको चढ़ाएंगे की तेरी औकात नहीं है; इस रास्ते पर चलने की। परिस्थितियां परेशान करेंगी और 'परेशानियां' परिस्थितियों को और बिगाड़ेगी, ताकि आप भीड़ में शामिल हो जाएं। लेकिन बता दो परेशानियों को, बता दो मुश्किलों को कि आप भीड़ का हिस्सा नहीं है और बता दो खुद को कि सबको कुछ कर दिखाना है और अगर कुछ कर दिखाना है, तो यही सबसे बेहतर समय है, खुद को साबित करने का चैलेंज इसका सामना कर आगे बढ़ने का।
अनेकों मोटिवेशनल वीडियो देखकर कुछ लोगों ने अपना जीवन बदला है और कुछ लोग बदल रहे हैं और कुछ केवल देख रहे हैं; क्योंकि उनके पास कोई लक्ष्य नहीं है, उन्हें आराम पसंद है। समय बहुत है, लेकिन कल पर टालने की आदत से मजबूर हैं। अगर आपको परिवर्तन चाहिए, तो परिवर्तन केवल वीडियोस देखने से नहीं आएगा। खुद में परिवर्तन लाना होगा। चुनाव करना होगा, कि काम करना है या आराम करना है। आज काम करोगे, तो भविष्य में आराम रहेगा और अगर आज कुछ एक्स्ट्रा काम करोगे तो भविष्य में बहुत कुछ एक्स्ट्रा भी पा सकते हो।

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