ये 5 बाधाएं जो सफल नहीं होने देती
नमस्कार दोस्तों
हर इंसान के जीवन में होते हैं बड़े सपने बड़े लक्ष्य लेकिन बड़े बनते कितने हैं केवल 2% लोग। केवल 2% लोग ही अपने सभी सपनों को पूरा कर पाते है।
आज इस article में ऐसे पांच कारण जानेंगे जो आपको सिखाएंगे कि क्यों 98% लोगों के सपने और उनके लक्ष्य रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
कारण नंबर 1. comfort zone - कम्फर्ट जोन
दोस्तों, बहुत से लोग अपने लक्ष्य तय कर लेते हैं लेकिन अपने comfort zone को नहीं छोड़ पाते। उन्हें आपने आसान लाइफ छोड़ना बहुत ही मुश्किल लगता है। लेकिन जनाब आप अपनी आसान लाइफ नहीं छोड़ेंगे तो better लाइफ कैसे मिलेगी। भविष्य बेहतर चाहिए तो अपने आज के आराम को छोड़, मेहनत करनी होगी। अगर वही करोगे जो करते आ रहे हो तो वही मिलेगा जो आपको मिलता आ रहा है। अगर सपने जीने है तो सपनों के लिए आज मरना होगा। अगर अपने आज में आराम और comfort को नहीं छोड़ोगे तो भविष्य में अफसोस और पछतावे के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।कारण नंबर 2. discipline की कमी
लक्ष्य बनाना इतना कठिन नहीं है। लेकिन लक्ष्यो को हासिल करने के लिए चाहिए कठोर अनुशासन। ऐसा अनुशासन जिसे हर हाल में निभाया जाए। फिर भले ही आप डिमोटिवेट हो। भले ही आप निराश हो। भले ही रास्ता कठिन नज़र आए। क्योंकि लक्ष्य के रास्ते में कठिनाइयां भी आयेगी। लोग demotivate भी करेंगे। कभी-कभी निराशा भी घेरेंगी। कभी-कभी जुनून भी ठंडा पड़ जाएगा। परन्तु discipline से आज जो भी अपने लक्ष्य के लिए कर रहे हैं उसे अनुशासन से निभाते रहे। क्योंकि लक्ष्यों की कामयाबी के लिए निरंतरता और अनुशासन सबसे जरूरी है।आपके लक्ष्यों की कामयाबी इस बात पर निर्भर करती है कि क्या आप अपने नियम और अनुशासन के तब भी उतने ही पक्के रहते हैं जब आपको निराशा घेर लेती है। क्या आप तब भी अपने अनुशासन के पक्के रहते हैं जब आपके आसपास आपका हौसला बढ़ाने के लिए कोई भी नहीं होता और आप अकेले होते हैं। क्योंकि कामयाबी उन्हीं को मिलती है जो परिस्थितियों के गुलाम नहीं बनते और अपने अनुशासन और मेहनत से परिस्थितियों को बदलने का दम रखते हैं।
कारण नंबर 3. फेल होने का डर
फेल होने का डर लक्ष्यों और कामयाबी के बीच एक ऐसा दानव है। जो लक्ष्यों के पैदा होने से पहले ही निगल जाता है। ज्यादातर लक्ष्य इस दानव के कारण, दिमाग के अंदर ही आधे अधूरे में दम तोड़ देते हैं। मत भूलो, अगर सपने बड़े हैं तो रिस्क भी बड़े ही लेने पड़ेंगे। प्रकृति का एक बहुत ही साधारण नियम है कि दौड़ना सीखना है तो उसके लिए पहले चलना सीखना होगा और चलना है तो बच्चे की तरह पहले कई बार गिरना भी पड़ेगा। कितनी बार गिरता है एक बच्चा, जब वो चलना सीखता है। लेकिन वो हार नहीं मानता और सीख जाता है। मत भूलिए, अगर लाइफ की कोई भी game जीतना चाहते हैं तो खेलना होगा। क्योंकि खेलोगे तो 50% chance है कि आप जीत जाओगे। लेकिन अगर खेलोगे ही नहीं तो आपकी हार 100 % निश्चित है। मत भूलो, लॉटरी जीतने के लिए लॉटरी खरीदनी जरूरी है।
कारण नंबर 4. लक्ष्य प्राप्त करने का कारण जरूर होना चाहिए
लक्ष्य पूरे करने के लिए चाहिए एक जुनून और जुनून के लिए चाहिए कोई सॉलिड सा रीजन कि आपको अपने लक्ष्यों में सफलता क्यों चाहिए? क्योंकि कामयाबी पाने के लिए अगर आपका कारण strong है तो किसी भी परिस्थिति में आप रुकेंगे नहीं, थकेंगे नहीं। लेकिन वह कारण इतना strong होना चाहिए कि करो या मरो वाला। जैसे दशरथ मांझी के पास था। जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं। क्योंकि लक्ष्यो को हासिल करने के लिए निरंतरता। लेकिन केवल weekend पर या फालतू के समय होने पर लक्ष्यों पर काम करने से लक्ष्य नहीं मिलते।
सपने पूरे करने के लिए चाहिए करो या मरो वाला जज़्बा। उस जज़बे के लिए ढूंढिए एक ऐसा 'why' जो आपको परेशानियों में टूटने ना दें। जो आपको अंदर से हमेशा मोटिवेट रख सके। ढूंढिए अपनी वो वजह, वो कारण, आपकी वो वजह आपके मम्मी पापा भी हो सकते हैं। आपका परिवार हो सकता है। वो लोग हो सकते हैं जिन्हें लगता है कि आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे। वह कारण, वो वजह, वो 'why' जो आपको थकने ना दे, हारने ना दे। जो आपको याद दिलाता रहे कि आपको कामयाब क्यों होना है?
कारण नंबर 5. किस्मत
जी हां, बहुत से लोग इसी के सहारे बैठे रहते हैं कि जब समय आएगा तब करेंगे। या कुछ लोग लक्ष्यों में जरा सी परेशानियों के आते ही बैठ जाते हैं कि शायद अभी किस्मत में नहीं है। किस्मत में होगा तो मिल जाएगा और जिंदगी किस्मत के सहारे ही गुजार देते हैं। ऐसे लोगों के पास समय गुजर जाने के बाद केवल एक चीज बचती है, केवल अफसोस कि काश किस्मत की बजाय खुद पर भरोसा किया होता तो शायद सफल हो जाते। याद रखिए आपको वो नहीं मिलता जो आप चाहते हैं। आपको वो मिलता है जो आप deserve करते हैं।किस्मत के भरोसे बैठे रहने वालो को उतना ही मिलता है जितना मेहनत करने वाले छोड़ देते हैं। कामयाबी किसी अल्लादीन के चिराग को घिसने से नहीं, खुद को घिसने से मिलती है। चमत्कार किस्मत से नहीं, सपनों के रास्ते पर हर रोज खुद को घिसने से पूरे होते हैं। लक्ष्यों को पूरा करने के लिए खुद को घिसोगे तो सीखोगें, और सीखोगें तो बढ़ोगे और बढ़ोगे तो हर रोज अपने लक्ष्यों के ओर नजदीक आते जाओगे। तो खुश रहिए और मेहनत से अपने लक्ष्यों की ओर कदम बढ़ाते रहिए।
धन्यवाद।

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