स्वामी विवेकानंद की तीक्ष्ण स्मरण शक्ति का रहस्य

 

 

स्वामी विवेकानंद की तीक्ष्ण स्मरण शक्ति का रहस्य

नमस्कार दोस्तों

800 पेज की किताब को कुछ ही घंटो में पड़कर उसका अक्षर अक्षर याद कर लेना या फिर किसी विदेशी भाषा की किताब को जिस भाषा का आपको कोई ज्ञान ही ना हो। उसे बिना खोलें दोनों हाथों के बीच में कुछ देर रखकर पढ़ लेना। फिर उसके किस पेज पर क्या लिखा है ये बता देना कोई चमत्कार सा लगता है या फिर ऐसा तो कोई सुपरमैन ही कर सकता है। वरना इंसान के लिए तो यह संभव सा नहीं लगता। लेकिन यह सब संभव कर दिखाया स्वामी विवेकानंद जी ने। जिनके नाम से इतिहास में ऐसी दर्जनों घटनाएं भारत और विदेशों में दर्ज हैं। लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों का दिल और दिमाग इस बात को मानना ही नहीं चाहता कि किसी व्यक्ति में ऐसी क्षमताए भी हो सकती हैं।

स्वामी विवेकानंद की तीक्ष्ण स्मरण शक्ति का रहस्य


लोगों की सोच, उनकी जानकारी और उनके आसपास मौजूद लोगों की क्षमताओं के आधार पर बनती है। आज जहां मोबाइल में मौजूद सैकड़ों फोन नंबर में से केवल 5 से 10 नंबर भी याद करना मुश्किल लगता है। मैं मानता हूं ऐसे दौर में ऐसी बातों पर यकीन करना आसान नहीं है। लेकिन दोस्तों विवेकानंद जी के इलावा हमारे भारतीय इतिहास में ऐसी विलक्षण मानसिक क्षमता के कई उदाहरण हैं। जैसे भक्तिसिद्धन्त सरस्वती जी, इनकी स्मरण शक्ति भी बहुत हद तक स्वामी विवेकानंद जी की तरह थी। उन्होंने अंग्रेजी भाषा का पूरा शब्दकोश केवल एक बार पढ़कर ही याद कर लिया था।

दोस्तों ओशो के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन काल में डेढ़ लाख किताबें पढ़ डाली थी। यानी कि वह भी किसी स्पेशल टेक्निक से किताबों को बहुत जल्दी पढ़ लिया करते थे और उनकी भी स्मरण शक्ति बहुत अच्छी थी। लेकिन इस वीडियो में बात करेंगे विवेकानंद की अद्भुत शक्ति की। यकीन मानिए इस टॉपिक को पूरा  पढ़ने के बाद स्वामी विवेकानंद द्वारा बताई गई दो बातों को यदि आपने अपने जीवन का हिस्सा बनाकर संकल्प शक्ति के साथ निरंतर अभ्यास किया। तो आप भले ही विवेकानंद ना सही  विवेकवान जरूर बन जाएगे। आपकी स्मरण शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी।

कल्पना कीजिए! यदि आप उनके जैसी स्मरण शक्ति का केवल 10% भी अपने अंदर विकसित कर पाये। तो आप ना केवल स्कूल में या कॉलेज में टॉप कर सकते हैं। बल्कि आप अपने जीवन के ऐसे बहुत से लक्ष्यो को पाने में सफलता पा सकते हैं। जो आज आपको असंभव लगती होगी। मेरे बहुत से दोस्त अब यह सोच रहे होंगे की आप तो बस जल्दी वो टेक्निक बता दो जिसे सीखकर कुछ भी पढ़ा हुआ एक ही बार में हमेशा के लिए याद हो जाए। तो दोस्तों इससे पहले कि आप यह टॉपिक पड़े। मैं आपको एक बात और बता दूं कि स्वामी विवेकानंद ना तो कोई सुपरमैन थे और ना ही उनकी विलक्षण प्रतिभाए किसी चमत्कार का परिणाम।

इसलिए मेरे जो दोस्त किसी चमत्कार की तलाश में है। वे यह टॉपिक ना पड़े क्योंकि विवेकानंद ने इस योग्यताओं को निरंतर ओर कढ़े अभ्यास से पाया था। यदि आप भी मजबूत संकल्प शक्ति के साथ, सयम और धैर्य रखते हुए निरंतर अभ्यास के लिए तैयार हैं। तो आगे का टॉपिक आपके लिए है। 

दोस्तों विवेकानंद अपनी इस योग्यता के लिए दो बातों का पालन करने की सलाह देते थे। उनके अनुसार यदि दृढ़ता से ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए निरंतर ध्यान किया जाए तो उससे एकाग्रता बढ़ती है और एकाग्र मस्तिष्क के साथ किसी भी चीज को एक बार पढ़ कर यह सुनकर आसानी से याद किया जा सकता है।

एकाग्रता के लिए यह भी जरूरी है कि हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें। ध्यान के महत्व का उल्लेख करते हुए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि अगर बचपन में ही किसी ने ध्यान के बारे में उन्हें बताया होता तो वह सैकड़ों किताबों को पढ़ने की बजाए सिर्फ और सिर्फ ध्यान करते। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के दिमाग में हमेशा हजारों विचार दौड़ते रहते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि हम होते कहीं और हैं लेकिन सोच कुछ और रहे होते हैं। काम कुछ और कर रहे होते है लेकिन हमारी सोच कुछ और चल रहा होता है। इस तरह हम किसी भी काम को अपनी पूरी क्षमता से नहीं कर पाते हैं। जो अक्सर किसी भी क्षेत्र में आपकी असफलता का एक बड़ा कारण बनता है।

विवेकानंद जी ने के अनुसार इंसान अपनी 90% सोच यूं ही व्यर्थ के बातों को सोचने में बर्बाद कर देता हैं। ध्यान ही एक ऐसा साधन है जिससे मस्तिष्क को इस प्रकार विकसित किया जा सकता है कि बेकार की चीजों के बारे में सोचने की बजाय आप अपने जरूरी कामों को पूरी एकग्रता से कर सकें। दोस्तों आप में से कुछ लोगों के लिए मेडिटेशन करना बहुत ही कठिन है। कुछ के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना। लेकिन यदि आप जीवन में कुछ करना चाहते हैं। तो कुछ तो कर त्यागना ही पड़ेगा। शुरुआत में हर काम मुश्किल लगता है। लेकिन निरंतर अभ्यास से हर काम आसान हो जाता है।

तो यदि जीवन में कुछ करना चाहते हैं तो कुछ हफ्ते दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए मैडिटेशन का अभ्यास करें। और 1 महीने के बाद यही टॉपिक के नीचे हमें बताएं कि आपने अपने अंदर क्या बदलाव महसूस किये। मानव मस्तिष्क असीमित क्षमताओ का सागर है। इस सागर में अनेकों अनमोल मोती मौजूद हैं। उन्हें पाने के लिए सागर की गहराइयों में गोता लगाना जरूरी है। इस सागर की गहराइयों में गोता लगाने का एकमात्र साधन है ब्रह्मचार्य और ध्यान। दोस्तो विवेकानंद की अद्भुत योग्यताएं उनके वर्षों के त्याग, दृढ़ संकल्प और साधना का परिणाम थे।

आप भी तुरंत रिजल्ट पाने की इच्छा ना करें। इसमें हफ्तों महीनों या फिर कुछ ज्यादा समय लग सकता है। आपको अपने भीतर एक सकारात्मक बदलाव कुछ ही दिनों में महसूस होने लगेगा। आपकी एकाग्रता ओर स्मरण शक्ति में भी आपको फर्क सिर्फ तीन हफ्तों में ही महसूस होने लगेगा। दोस्तों इस टेक्निक में ब्रह्मचर्य का पालन, ध्यान और निरंतरता बहुत जरूरी है। 

धन्यवाद।


स्वामी विवेकानंद की तीक्ष्ण स्मरण शक्ति का रहस्य स्वामी विवेकानंद की तीक्ष्ण स्मरण शक्ति का रहस्य Reviewed by Tarun Baveja on August 15, 2021 Rating: 5

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