कष्ट उठाइये, सूख पाइये : अद्भुत कहानी

 

 

कष्ट उठाइये, सूख पाइये : अद्भुत कहानी

भारत में एक बहुत बड़ा पहलवान और मल्लयोद्धा रहता था। उसने एक नाई से कहा कि उसकी भुजा को कुरेदे और उस पर सिंह का चित्र गोद दे। उसने नाई से अनुरोध किया कि सिंह का चित्र बहुत ही महान् और भव्य हो तथा दोनों भुजाओं पर उत्कीर्ण किया जाय। उसने यह भी बताया कि जब उसका जन्म हुआ था, उस समय उसके जन्म-राशि में सिंह बैठा हुआ था। इसलिए उसका जन्म राशि के चिन्ह अर्थात् सिंह के पूरे प्रभाव के अधीन हुआ था, और उसे एक बहादुर आदमी समझा जाना चाहिये।

कष्ट उठाइये, सूख पाइये : अद्भुत कहानी


नाई ने सूई उठायी और उसकी भूजा पर चित्र गोदने के लिए तैयार हुआ। उसने अभी सूई की नोक को उसकी भुजा पर रखकर तनिक गोदना चाहा, कि पहलवान महोदय के होश के तोते उड़ने लगे और सहनशक्ति के छक्के छूट गये। उसका सांस फूलने लगा। उसने नाई को सम्बोधित करके कहा, "ठहरो, ठहरो, जरा दम लो। यह तुम क्या करने लगे हो?"

नाई ने उत्तर दिया, कि वह शेर की दुम बनाने लगा है। "दुम बनाने लगे हो !" पहलवान के मुंह से अनायास ये शब्द निकल गये और सच तो यह है कि पहलवान महोदय सूई की चुभन की पीड़ा के सहन करने की क्षमता नहीं रखते थे। उन्होंने बहुत ही विचित्र बहाना पड़ा और बोले, "तुम जानते नहीं गया कि फैशनेबल व्यक्ति अपने कुत्तों और घोड़ों आदि की पूछे कटवा डालते हैं ? इसलिए वह शेर, जिसको दुम नहीं होगी, बहुत बलवान व भयंकर समझा जायगा। तुम शेर की पूंछ क्यों गोदना चाहते हो ? पूंछ की कोई आवश्यकता नहीं।"

"जी, बहुत अच्छा," नाई ने कहा, "मैं दुम नही उकीरूंगा। मैं शेर के शरीर के दूसरे अंगों का चित्रण करूंगा।" और नाई ने फिर सूई उठायी और अभी नोक को भुजा की त्वचा में जरा चुभोया ही पा कि पहलवान इसे भी सहन न कर सका। उसने नाई को रोका और कहा, "अब तुम क्या करने चले हो?"

नाई ने उत्तर दिया, "जनाब, सिंह के कान बनाने चला हूँ।"

पहलवान बोला, "अरे नाई ! तुम बहुत ही सुर्ख हो। तुम जानते नहीं क्या कि लोग कुत्तों के कान कटवा देते हैं ? वे लम्बे-लम्ये कान वाले कुत्ते नहीं रखते। तुम नहीं जानते कि शेर जिसके कान नहीं होते, सर्वथेष्ठ होता है?"

नाई रुक गया। कुछ ही क्षण के पश्चात् उसने सूई उठाई और पुनः पहलवान को भुजा में चुभोयी। पहलवान इसे सहन न कर सका और नाई को रोककर बोला, "अबे नाई ! अब यह तू क्या करने जा रहा है ?"

नाई ने उत्तर दिया, "मैं अब सिंह को कमर का चित्रण करने लगा हूँ।"

पहलवान ने कहा, "क्या तूने हमारा काव्य नही पढ़ा, क्या तूने भारतीय कवियों के विचारों का अवलोकन नहीं किया ? सिंहों का चित्र बनाते समय कलाकार सदा उनकी कमर बहुत छोटी-पतली और नाम-मात्र ही बनाया करते हैं ? तुझे सिंह की कमर बनाने की आवश्यकता नहीं है।"

नाई ने अब आवेश में आकर अपने रंग और गोदने की सूइयाँ एक ओर फेंक दी और पहलवान से कहा कि वह तुरन्त उनकी आंखों से दूर हो जाय।

देखिये यह एक व्यक्ति है, जो बड़े गौरव और अनुरोधपूर्वक कहता है कि यह अपने जन्म-लग्न से, जिसमें सिंह बैठा हुआ है अर्थात् उस राशि से, बहुत प्रभावशाली हुआ है, सिंह के समान बहादुर है। यह एक व्यक्ति है, जो अपने आपको बहुत बड़ा पहलवान कहता है-बहुत बड़ा मल्ल योद्धा होने की डीग हांकता है। यह एक व्यक्ति है जो अपने आपको सिंह जताता है। वह अपने शरीर पर सिंह गोदवाना चाहता है, परन्तु सुई की जरा-सी चुभन भी सहन नहीं कर सकता।

इसी प्रकार के व्यक्तियों की बहुसंख्या है, जो परमात्मा के दर्शन करना चाहते हैं, जो वेदान्त का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, जो हर घड़ी और पल के पूर्ण सत्य को जानने की इच्छा करते हैं, जो अपने आपको हर बात में सम्पूर्ण बनाना चाहते हैं, एक आधे ही मिनट में ईसा मसीह बन जाना चाहते हैं। और जब उस सिंह (सत्य) को अपने आत्मा पर गोदवाने का समय आता है। जब सच्चाई, नेकी, ईमानदारी के सिंह को अपने व्यक्तित्व-अपनी प्रकृति में उत्तीर्ण करने का समय आता है, तो ये चूभन को-चुभती हुई वेदना को सहन नहीं कर सकते। यहां आकर वे टालमटोल करते, बहाने बनाते हैं, बगले झांकने लगते हैं। आखिर यह बात क्या हुई कि मैं मूल्य चुकाना चाहता नहीं किन्तु वह वस्तु चाहता हूँ।

निष्कर्ष

संसार में अच्छी शाश्वत वस्तु पाने के लिए और ऊंचे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत, व निरन्तर प्रयत्न करना और कष्ट उठाना अत्यावश्यक है। कष्ट के बिना सुख नहीं मिलता। 




कष्ट उठाइये, सूख पाइये : अद्भुत कहानी कष्ट उठाइये, सूख पाइये : अद्भुत कहानी Reviewed by Tarun Baveja on August 13, 2021 Rating: 5

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