आयुर्वेद के अनुसार पानी पीने के नियम और फायदे
पानी पीने के बारे में हमारे मन में बहुत कंफ्यूजन है। पानी कितना पिये, कैसे पिये, कब पिये। पानी पीने का क्या नियम है? आयुर्वेद में इसके बारे में क्या बताया है?आइए देखते हैं आज के टॉपिक में। उष्णपान करना, सुबह खाली पेट पानी पीना, तांबे के लोटे में रखा हुआ पानी पीना, इसके बारे में मैंने पहले भी आपको बताया है।पानी पीने का सबसे पहला नियम पानी शुद्ध होना चाहिए। निर्मल होना चाहिए। गंद रहित होना चाहिए।
बारिश का जल सर्वश्रेष्ठ है
आचार्य सुश्रुत ने द्रव्यद्रव्विधि अध्याय में बताया है। अंतरिक्ष जल यानी बारिश का जल सबसे श्रेष्ठ है और वह अमृत के समान है। तृष्णा का नाश करने वाला है।पानी सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। ऐसा पानी जब तीन चार बार अच्छे से बारिश हो जाने के बाद की जो बारिश का पानी है। वही पानी इस्तेमाल करना चाहिए। आचार्य वाग्भट्ट ने इसे गंगाजल का नाम दिया है।
पानी के बारे में दूसरा नियम
पानी के बारे में दूसरा नियम है। इसका शुद्धिकरण अच्छे से होना चाहिए। शुद्धिकरण के लिए हम इसको अग्नि संस्कार दे सकते हैं। तो आयुर्वेद ने उबाला हुआ पानी बताया है जैसे आपने 1 लीटर पानी उबाल लिया है तो उसमें से आप 125 एम एल आप बचाते हैं। उसको बोलेंगे अष्टमस शेष। अगर 250 एम एल बचा लिया उसको बोलेंगे चतुर्थशेष ओर 500 एम एल अगर आपने बचा लिया तो उसे बोलेगे अर्धअंश शेष और आपने उबालकर इसको गैस बंद कर दिया तो यह हो गया चौथा प्रकार। इसमे से जो अष्टमस् शेष हो वो सबसे उत्तम है। पीने के लिए सर्वक्षेष्ठ है।
पानी उबलते समय लौंग, काली मिर्च
पानी उबालते समय आप उसमे लौंग, काली मिर्च डाल सकते हैं। ये जो उबला हुआ पानी है हमे 2 से 3 घंटे में इस्तेमाल करना है। ज्यादा से ज्यादा इसे 12 घंटे तक इस्तेमाल करना हैं और इसके बाद ये बच जाता है तो इसे बासी बोला जाता है।
सूर्य की रोशनी चंद्र की रोशनी और शुद्ध हवा
आचार्य वाग्भट्ट ने बताया है। जिस पानी में सूर्य की रोशनी, चंद्र की रोशनी का स्पर्श ना हुआ हो या शुद्ध हवा इसका स्पर्श न हुआ हो वो पानी हमें नहीं पीना है। फिर आज जो हम बोटल में मिनरल्स वोटर या कंटेनर में पानी रख रहे है या फ्रिज में पानी रख रहे हैं वो भी सही नही है।
शांति से बैठकर थोड़ा-थोड़ा घूंट पानी पीना चाहिए
पानी पीते समय बैठकर शांति से थोड़ा थोड़ा पानी पीजिए। जिस ग्लास से आप पानी पी रहे हैं उसे मुंह से लगाकर पानी पीऐ। अगर आप ऊपर से पानी पीते है तो पानी पीते समय पानी के साथ जो हवा है वो भी अंदर जाती है। इसके साथ साथ मुह की जो राल है वह भी उसमे अच्छी तरह से मिक्स नहीं हो पाती है। हमें लगता है कितना भी पानी पी लिया तो क्या फर्क पड़ता है। लेकिन पानी को भी पचाना पड़ता है।
आवश्यकता से अधिक पानी नहीं पीना चाहिए
आयुर्वेद ने बताया है यानी ज्यादा पानी पीने से हमारी अग्नि मंद हो जाएगी और फिर पचाने का काम भी कम हो जाएगा। फिर इससे शरीर में चर्बी जमने लगेगी और मोटापा बढ़ने लगेगा। कफ विकारो को यह सब चीजें बढ़ाएगी।
पानी कितनी मात्रा में पिये।
पानी कितनी मात्रा में पिये। हमारी प्रकृति के अनुसार।जैसे मेरी पित्त प्रकृति है तो मुझे प्यास ज्यादा लगेगी। अगर कफ प्रकृति है तो प्यास कम लगेगी। गर्मी के मौसम में पसीना ज्यादा आ रहा है तो प्यास ज्यादा लगेगी या फिर ठंडी चल रही है तो प्यास कम लगेगी। ऋतु के हिसाब से आपकी प्यास के हिसाब से आप पानी पी सकते हैं।
खाना खाते समय कितना पानी लें
अगर आप खाने के तुरंत पहले पानी बहुत पी लिया तो यह वात का प्रकोप करेगा। खाने के तुरंत बाद आपने पानी पी लिया तो यह कफ़ का प्रकोप करेगा। लेकिन खाने के बीच में अगर आपने थोड़ा-थोड़ा पानी लिया तो यह तीनों दोषों को सम रखने में मदद करेगा।
ऐसा है पानी पीने के लिए आयुर्वेद ने बताया है। अगर आपको खाने के पहले पानी पीना है तो 40 या 45 मिनट पहले पानी पी लीजिए। अगर खाने के बाद पीना है तो दो से ढाई घंटे के बाद पानी पीजिए और खाने के बीच में थोड़ा-थोड़ा घुट घुट आप पानी लेते रहें। जैसे अगर हम मिक्सर में कोई चटनी बना रहे हैं तो ज्यादा पानी डाल दे तो कभी काम नहीं करेगा अगर बहुत ही कम डालेंगे तो भी चटनी नहीं बनेगी। आपके हिसाब से आप उतना पानी ले सकते हैं।
खाना खाते समय सॉलि़ड, लिक्विड के अनुसार पानी
खाना खाते समय जितना पानी आपने लेना है उसके लिए सिंपल सा रूल है। जो आप सॉलि़ड फूड ले रहे हैं जैसे आप चावल ले रहे हैं या रोटी ले रहे हैं सब्जी ले रहे हैं। तो इसका 50 परसेंट होना चाहिए। टोटल जो खाना है उसके 50% होना चाहिए। जो लिक्विड है जिसमे पानी है या छाछ ले रहे है या जूस ले रहे हैं या फिर खीर ले रहे हैं उसका 25% होना चाहिए और बाकी और बाकी जो 25 पर्सेंट बचता है वो आपने हवा के लिए खाली रखना है यानि उतना आपने कम खाना है यह जो नियम बताया गया है वो एकदम से नाप तोल कर नही है। आप अपने हिसाब से ले सकते हैं।
शाम को सूर्यास्त के बाद पानी का सेवन कम करें
शाम को सूर्यास्त के बाद पानी का सेवन कम से कम करे। अगर आपको बहुत ही प्यास लगे तो आप घुट घुट पानी ले सकते हैं। आपको खाना भी खाना है तो आप 7:30 बजे तक या ज्यादा से ज्यादा आप 8:00 बजे तक खा सकते हैं। उसके बाद पानी पीना कम मात्रा में लीजिये।
इससे आपको दो फायदे होंगे जो खाना आपने खाया है उसका पचन बहुत अच्छे से हो जाएगा। दूसरा आपकी किडनी को भी रात बार आराम मिलेगा। हमारे यहां ऐसे बहुत से पेशेंट आते हैं जिनको एसिडिटी की तकलीफ है। पेट अच्छे से साफ नहीं होता। यह दोनों चीजों के लिए इसका आपको बहुत फायदा मिलेगा। अगर आप आपने खान-पान का टाइमिंग थोड़ा सा अपने हिसाब से रखेंगे तो बहुत फायदा होगा।
शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए पानी पीने के नियम
जो व्यक्ति शारीरिक श्रम करने वाले हैं। जिनका अग्नि तीक्ष्ण है उन्हों ने जो नियम बताये है पानी पीने के उसको उन्होंने थोड़ा बदला, तो भी चलेगा। क्योंकि उनका अग्नि तीक्ष्ण है जो भी पानी उन्होंने पिया है उसका वो पाचन करने कर लिए यह अग्नि मदद करेगा। सृष्टि में सारे पशु पक्षियों निसर्ग के नियमो का पालन करते हैं। यानी सुबह सूर्य उदय के बाद ही खान पीना चालू करते हैं। सूर्य अस्त के बाद खत्म करते हैं। तो हमें भी नियमों का पालन करना चाहिए।
धन्यवाद।
आयुर्वेद के अनुसार पानी पीने के नियम और फायदे
Reviewed by Tarun Baveja
on
August 06, 2021
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