क्रोध हमारे शरीर पर कैसे बुरा प्रभाव डालता है
नमस्कार दोस्तों
गुस्सा एंगर एक ऐसा छोटा सा इमोशन जो आज बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को, किसी को थोड़ा कम, किसी को थोड़ा ज्यादा और किसी किसी को तो यह हॉलसेल में आता है। जिसे अक्सर आप शब्दों या बॉडी से जताते हैं। कभी-कभी तो "तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा" यह सोच कर या कहकर उस गुस्से के बीज को, उस आग को मन ही मन पालते हैं। गुस्सा, क्रोध या नफरत ये वो इमोशन है जिसे आप अपने अंदर पाले या किसी और पर निकाले। दोनों ही कंडीशन में एक बात की गारंटी है। कि यह नींद, चैन ,आराम, मन की शांति और स्वास्थ्य आपका ही छीनने वाला है। गुस्सा उस जलते हुए कोयले की तरह है जिसे आप दूसरों पर फेंकने के लिए उठाते हैं लेकिन वह कोयला पहले आपके हाथ जलाता है और इस बात को मैं इस टॉपिक में विज्ञानिक रूप से साबित करने वाला हूं।
दोस्तों यदि आपको भी गुस्सा आता है तो इस 5 मिनट के टॉपिक को पूरा जरूर पढ़ें क्योंकि आज आपको वह पता चलने वाला है। जिसे जानकर आप गुस्सा करना, अंदर ही अंदर कुढ़ना, जलना, दूसरों को बुरा कहना आज से ही छोड़ देंगे। दोस्तों जापान के स्कॉलर डॉक्टर मसारी इमोतो ने अपने हजारों एक्सपेरिमेंट के दौरान इस बात को साबित किया है। कि पानी सुन सकता है। सोच सकता है आपके ब्रेन में चल रहे इरादों को या फिर इंटेंशनस को ये आपके बिना बोले जान सकता है और उन विचारों या आपके द्वारा बोले गए शब्दों के हिसाब से पानी खुद को एक्सप्रेस भी कर सकता है।
अपनी इस बात को साबित करने के लिए डॉक्टर इमोतो ने एक ही जगह के पानी के सैंपल को कुछ भागों में बांट दिया और फिर हर सेम्पल को एक अलग विचार, एक अलग इंटेंशन, एक अलग भावना दी। जैसे किसी सैंपल के सामने बैठ कर उन्होंने उसको पॉजिटिव बातें बोली, प्रार्थना की, कुछ अच्छे थॉट्स कहें, पानी की तारीफ की और उसका धन्यवाद किया। दूसरी तरफ किसी दूसरे सैंपल के सामने बैठकर कि केवल नेगेटिव बातें बोली, अपशब्द कहे, उसे बुरा भला कहा, उसकी निंदा की और फिर जब उन्होंने उस पानी को क्रिस्टलाइज करके माइक्रोस्कोप में देखा। तो उसके नतीजों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। उन्होंने पाया कि पानी को ना केवल अच्छा या बुरा बोलने से बल्कि पानी के सामने अच्छा या बुरा केवल सोचने मात्र से भी, केवल भावना देने मात्र से भी पानी के क्रिस्टल की भौतिक सरचना में बदलाव आ जाता है। जी हां केवल सोचने मात्र से।
जी हाँ उन्होंने पाया कि पानी के जिस सैंपल के सामने उनके विचारों ने पानी के लिए सुंदरता शांति प्यार और खुशी इत्यादि जैसी अच्छी भावनाएं थी। उस पानी की संरचना बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक बनी। दूसरी तरफ उन्होंने जिस पानी के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया। नफरत ,गुस्सा, जलन, इत्यादि वाली भावनाएं सोची या व्यक्त की, उस पानी के क्रिस्टल की रचना बहुत ही भद्दी और भयानक बन गई। अब आप सोच रहे होंगे कि आपका इसके एंगल से क्या लेना देना है। तो दोस्तों अब मैं बोलने वाला हूं उसे ध्यान से सुनो और अपने अंदर तक जाने दो। ताकि वह बातें आपके सबकॉन्सस माइंड के प्रोग्राम में चली जाएं और हमेशा के लिए फिक्स हो जाएं और आप भूल कर भी गुस्सा करने की भूल ना कर पाये।
दोस्तों जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हम सभी के शरीर में 70% से ज्यादा लिक्विड यानी कि पानी है। जब आप गुस्सा करते हैं। किसी के लिए बुरा भला सोचते हैं या कहते हैं तो सोचिए उस समय आपके शरीर का पानी कितने विकृत और डरावनी फॉरमेशन बनाता होगा। इस विकृत फॉर्मेशन का आपके शरीर पर, आपके ब्रेन कितना बुरा असर होता होगा और जब आप अपने भीतर क्रोध जैसी कोई भावना पालते हैं। तो आपकी वो सोच आपके अंदर बहुत सी विकृतियां पैदा करती हैं। जो किसी ना किसी बीमारी, किसी न किसी रोग के रूप में आपके सामने आती हैं। जो व्यक्ति जितना अधिक गुस्सा, क्रोध और जलन अपने भीतर पाल कर रखता है उस व्यक्ति को उतने ही ज्यादा असाध्य रोग घेरते चले जाते हैं।
दोस्तो अनेक मानसिक ओर शरीरिक बीमारियों की वजह आज गुस्सा, क्रोध, जलन, सहनशीलता की कमी है। इस तरह की नेगेटिव भावनाएं आपके भीतर मौजूद पानी को विकृत करती हैं और उसके इलावा गुस्सा करने से बी,पी हार्ट संबंधी समस्याएं इंटेंशन, डिप्रेशन आदि अनेक रोग आपको घेरने लगते हैं। दोस्तों पानी पर इस खोज पर वैज्ञानिक मोहर भले ही जापान के डॉक्टर इमोतो ने लगाई हो। लेकिन इसका ज्ञान हमारे पूर्वजों को हजारों साल पहले से ही था और शायद यही कारण है कि आज भी भोजन करने से पूर्व अनेक धर्मों में कुछ क्षण प्रार्थना करने को बहुत ही अच्छा माना जाता है। अगली बार जब भी आपको क्रोध आए, गुस्सा आए तो भूलिएगा मत आपका गुस्सा आपको बीमार और बेहद बीमार भी बना सकता है।
इसीलिए कोशिश करें कि अपनों या बेगानों की जो बातें आपको बुरी लगती हैं। दुख देती हैं उन बातों को अपने भीतर बांधना नहीं है। बल्कि भूलना है ।जहां तक संभव हो आपसी झगड़ा और गलतफमीयो को गुस्सा करके उलझाना नहीं है बल्कि शांत मन से सुलझाना है। जब कुछ बातें सुनकर गुस्सा आए तो कुछ क्षण मौन रहने का प्रयास करें। कुछ क्षण का मौन आपको जिंदगी भर के होने वाले पछतावे से बचा सकता है। इसीलिए क्रोध के समय रुक जाओ और गलती के समय झुक जाओ। यदि आप चाहते हैं कि गुस्सा आए ही नहीं। तो दोस्तों उसके लिए मेडिटेशन का नियमित अभ्यास ही एकमात्र तरीका है मन को नियंत्रित करने का। दोस्तों आपको 1 दिन में या 1 हफ्ते में कितनी बार गुस्सा आता है। तब आप क्या करते हैं मुझे जरूर बताएं।
धन्यवाद।

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