भोजन से अधिक ताकत कैसे पाएं


"भोजन से पौष्टिकता पाने के उपाय'

 भोजन की पौष्टिकता का शरीर को अधिकतम लाभ मिले, इसके लिए निम्नलिखित उपायों पर गौर करें --


* खाना भली-भांति चबा-चबाकर खाएं :--

   इससे भोजन अच्छी तरह पचता है, पेट में पाचन रस अच्छी तरह चबाए हुए भोजन पर जल्दी असर करते हैं व शरीर इनमें से पोषण शीघ्र ही सोख लेता है।

* नाश्ता पौष्टिकता से भरपूर हो, इसका ध्यान रखें :--

   नाश्ता दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन है। यह रात भर के व्रत को तोड़ता है। यदि सुबह संतुलित आहार न मिले, तो शरीर व मस्तिष्क फुर्तीला नहीं रह पाता। जो लोग सुबह सवेरे ब्रेड के साथ गर्म-गर्म कॉफी या चाय पीकर दफ्तर या काम पर भागने की जल्दी में रहते हैं, उन्हें जल्दी ही शरीर में शिथिलता व कमजोरी महसूस होती है। सुबह के नाश्ते में दूध, फल व अनाज का समावेश जरूरी है।

* भोजन धीरे-धीरे खाएं :--

   पेट को मस्तिष्क को यह संकेत देने में कि अब भूख शांत हो गई है, लगभग 20 मिनट का समय लगता है। इसलिए वजन घटाने के इच्छुक लोग कम खाना धीरे-धीरे खाएं, तो वे जल्दी ही तृप्त हो जाएंगे व शरीर में अतिरिक्त कैलोरी भी नहीं जा पाएगी।

* बच्चों की तरह खाना खाएं :--

   बच्चे उतना ही खाना खाते हैं, जितनी उन्हें भूख हो। एक समय के बाद मस्तिष्क यह संकेत देता है कि पेट भर गया है। पर कुछ लोग इस पर ध्यान न देकर अधिक खा लेते हैं। धीरे-धीरे उनमें इस संकेत को समझने की क्षमता खत्म हो जाती है व अधिक खाना उनकी आदत बन जाती है।

* रात में अधिक कैलोरीयुक्त भोजन न करें :--

   शारीरिक ऊर्जा की आवश्यकता रात के मुकाबले दिन में अधिक होती है। सुबह का नाश्ता व दोपहर का भोजन भरपूर, परन्तु रात का खाना अधिक मात्रा में न खाएं। दिन भर की भागदौड़
में सुबह व दोपहर का खाना पच जाता है। पर रात का खाना पाचन क्रिया पर बुरा असर डाल सकता है। विशेषकर तब जब खाना खाकर तुरंत सोने की आदत हो। इसलिए रात का भोजन गरिष्ठ न हो। यह ध्यान रखें व सोने से दो घंटे पहले भोजन कर लें। जिससे वह अच्छी तरह पच जाए व रात में अपच से पेट दर्द की शिकायत न हो।

* जब भूख लगे तभी खाएं :--

 दिन में चार-पांच बार कम मात्रा में भोजन करना दो बार गरिष्ठ भोजन से बेहतर है। इस बात में कोई तुक नहीं कि जब भूख लगे तब खाना न खाएं या जब पेट भरा हो, तो समय देखकर खा लें। हमारे शरीर के अंदर एक घड़ी है, जो हमें भोजन कब या
कितना खाएं इसके बारे में जानकारी दे देती है। इसलिए भूख के अनुसार खाएं।

* खाने के फौरन बाद या साथ पानी न पीयें :--

   पेट में पाचन रस खाने को पचाते हैं। पर खाने के दौरान या फौरन बाद पानी पी लेने से इनका असर कम हो जाता है।

* सब्जियों को भाप में ही बनाएं :--

   तली-भुनी सब्जियां खाने से उनके पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। विटामिन 'सी' युक्त भोज्य पदार्थ अधिक तापमान पर अपने गुण खो देते हैं। सब्जियों को न्यूनतम पानी में भाप से बनाने से, वे पौष्टिक व स्वादिष्ट रहती हैं।

* जूस की जगह फल खाएं :--

   फल जूस के मुकाबले अधिक फायदेमंद रहते हैं। फलों में रेशा होता है। जबकि जूस रेशारहित होते हैं। फलों को चबाने से दांतो का व्यायाम होता है। साथ ही अधिक समय तक रखे हुए जूस में कई पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसलिए ताजे फलों का उपयोग सबसे श्रेयकर है।

* फास्ट फूड से परहेज करें :--

  बर्गर, पीज्जा, पैट्टी, पेस्ट्री आदि खानों से मुंह में पानी तो आ जाता है, पर स्वास्थ्य की दृष्टि से इनका नियमित उपयोग बेहद नुकसानदायक है। बाजार में उपलब्ध डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ व फास्ट फूड में कुछ ऐसे रसायनों का प्रयोग होता है, जिनको खाने से कब्ज, बवासीर, कैंसर, आंखों के रोग आदि भी हो सकते हैं। इनमें शक्कर, वसा व रिफाइंड आटे का प्रयोग (चोकर रहित) किया जाता है। साथ ही नूडल्स जैसे खाने में 'मोनोसोडियम ग्लुटामेट' जैसा रसायन होता है। जिससे कैंसर के होने का अंदेशा रहता है। फास्ट फूडों को अधिक समय तक टिकाए रखने के लिए उनमें सोडियम बेंजोएट, सोडियम मेटाबाइसल्फाइड इत्यादि जैसे- रसायनों का प्रयोग किया जाता है। जिनसे बच्चों में दमा के लक्षण उभर सकते हैं।

   बोतलबंद पेय जो कृत्रिम मिठास व रंग लिए होते हैं, सेहत के लिए हानिकारक हैं। इनमें न तो ताजे फलों के गुण और न ही रेशा होता है। इनसे दांतों की ऊपरी पर्त जिसे 'इनेमल' कहते है। घुलकर बदरंग हो जाती है।

   फास्ट फूड में प्रोटीन कम या न के बराबर होता है। इनका स्वाद अच्छा होने के कारण इन्हें दूसरे भोजनों की अपेक्षा अधिक खाया जाता है। इससे मोटापा तो बढ़ता है, साथ ही बच्चों की शारीरिक व मानसिक वृद्धि नहीं हो पाती है। इनमें लौह तत्व व विटामिन का अभाव होने से शरीर में रक्त की कमी व विटामिन की कमी से होने वाले रोग भी हो सकते हैं।

* कच्चे फल व सब्जियां आहार में शामिल करें :--

   कच्चे फल व सब्जियां रेशे से भरपूर व विटामिन व खनिजो की अच्छी स्रोत होती हैं। इनमें कैलोरी कम होती है। रेशेदार होने से आहार को भोजन की नली से पेट में पहुंचने में आसानी होती है। यह आंतों को भी अतिरिक्त भार से मुक्त कराती हैं। साथ ही दांतों की कसरत भी कराती हैं।

* भोजन के बाद हल्का व्यायाम अच्छा है :--

   भोजन के बाद थोड़ा टहलना सेहत के लिए लाभदायक है। यह वसा जलाने में सहायक है। भोजन के बाद व्यायाम खाली पेट व्यायाम के मुकाबले 15 प्रतिशत कैलोरी अधिक जलाता है। इससे आप चुस्त व हल्का महसूस करेंगे।

* थोड़ा-थोड़ा खाएं :--

   जब आहार शरीर में पहुंचता है, तो शरीर इंसुलिन हार्मोन निकालता है। आहार जितनी अधिक मात्रा में शरीर में पहुंचेगा व खाने में चीनी और वसा की मात्रा जितनी अधिक होगी, उतना ही
इन्सुलिन शरीर बाहर निकालेगा। थोड़ा-थोड़ा करके बार-बार खाने से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा एकदम से अधिक नहीं होती। इन्सुलिन की कम मात्रा जहां वसा घटाने में सहायक है, वहीं मधुमेह जैसी बीमारियों को भी दूर रखती है।

* शराब से परहेज करें :--

   वैसे तो यह सर्वविदित है, कि शराब एक अत्यंत नुकसानदेह पेय है। इसके सेवन से न केवल शरीर में चर्बी बढ़ती है, वरन् यह कई तरह की बीमारियों को भी बुलावा देती है। पश्चिमी संस्कृति की अंधाधुंध नकल करने वाले लोग खाने के साथ शराब लेना पसंद करते हैं। पर क्योंकि शरीर में अल्कोहल का संचय नहीं होता है व शरीर सबसे पहले इसे जलाने में अपनी ऊर्जा नष्ट कर देता है।
वसा आदि जलाने के लिए शरीर में ऊर्जा नहीं बचती। फलतः शराब पीने वाले अक्सर मोटे हो जाते हैं।

   अत्यधिक शराब पी लेने से केन्द्रीय नाड़ी संस्थान इतना धीमा हो सकता है, कि मस्तिष्क को सांस लेने के संदेश मिलने की प्रक्रिया के बंद होने तक का खतरा पैदा हो सकता है। मधुमेह, हृदय की बीमारी आदि भी शराब के नियमित सेवन से हो सकती हैं।

* कैफीन से बचें :--

   सुबह-सुबह जैसे ही एक कड़क चाय या कॉफी का प्याला पेट में जाता है, कुछ समय बाद एड्रिनल ग्रंथि में से दो उत्तेजक रसायन अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में निकलते हैं। जिससे रक्त में शर्करा की
मात्रा बढ़ जाती है, रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं व रक्तचाप दस प्रतिशत अधिक हो जाता है। नब्ज हालांकि थोड़ी धीमी पड़ जाती है, पर शरीर व मस्तिष्क तरोताजा हो जाता है।

   यह कैफीन का ही असर है। एक कप फिल्टर कॉफी में लगभग 85 मिलीग्राम व इन्सटैंट कॉफी में 60 मिलीग्राम तक कैफीन की मात्रा होती है। एक प्याला चाय में इसकी मात्रा 50 मिलीग्राम तक
होती है।

   कैफीन केवल चाय या कॉफी के प्याले तक सीमित नहीं रहती है। यह चॉकलेट, कोला, कुछ बेकरी खाद्य पदार्थो में, सिरदर्द, सर्दी व जुकाम आदि की दवाइयों आदि में भी होती है।

   कैफीन व्यसनी बनाती है। जो लोग इसके आदी हो चुके, वे यदि इसका अचानक सेवन बंद कर दें तो भीषण सरदर्द, आलस्य, चिड़चिड़ाहट, अवसाद आदि से ग्रस्त हो सकते हैं।

   कैफीन अधिक मात्रा में विषाक्तता भी पैदा कर सकती है। कान बजना, धड़कन की तेजी, मांसपेशियों में तनाव या आंखों के सामने तेज रोशनी आना आदि इसके लक्षण हैं।

   कैफीन गर्भावस्था में शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

   गर्भावस्था में अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन नुकसानदायक है। कैफीन प्लेस्टा से रिसकर गर्भस्थ शिशु के शरीर में प्रवेश कर जाती है। इसलिए इसका प्रयोग सीमित रखना चाहिए। कैफीन हृदय को नुकसान पहुंचाती है।

   कैफीन नब्ज व रक्तचाप पर सीधा प्रभाव डालती है। इससे रक्त में असंतृप्त वसा अम्लों लाइपिडो और कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है। यह हृदय रोग का कारण भी बन सकता है।

भोजन से अधिक ताकत कैसे पाएं भोजन से अधिक ताकत कैसे पाएं Reviewed by Tarun Baveja on October 30, 2020 Rating: 5

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