व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी है। आधुनिक जीवन शैली में 'व्यायाम' शब्द की अहमियत और भी बढ़ जाती है। सारा दिन एक ही जगह बैठे रहने से, मशीनों पर निर्भर रहने से शरीर की कसरत नहीं हो पाती है। जिससे यह
बीमारियों का शिकार हो जाता है।
आसान-सी बात है, कि यदि हम शरीर के किसी अंग में चोट लगने से उसे कुछ समय तक इस्तेमाल करना बंद कर दें, तो वह कमजोर व निश्चल हो जाता है। इसी प्रकार यदि हम अपने शरीर को एक ही अवस्था में रखें व इसकी कसरत न हो पाए, तो इसे भी अनेक बीमारियां घेर लेंगी। व्यायाम शरीर में खून का दौरा बढ़ाता है। जिससे शरीर के अंगों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है। इससे हृदय मजबूत व फेफड़े अधिक सक्षम बनते हैं। यह हृदय में रक्त का बहाव तेज कर उसे अधिक श्रम करने के लिए प्रेरित करता है। जिससे हृदय मजबूत बनता है।
व्यायाम से संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। यह हड्डियों के रोगों को पास नहीं फटकने देता। अरिथराइटस, ओस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां शारीरिक के अभाव में शरीर को घेरती हैं। व्यायाम से सुंदरता भी बढ़ती है। इससे शरीर की विपाक्तता कम होती है। मांसपेशिया कस जाती हैं, दिमाग में रक्त का दौरा बढ़ता है, जिससे स्फूर्ति मिलती है। शरीर में जमा वसा कम होती है। मोटापे के साथ जुडी बीमारियां शारीरिक व्यायाम करने वालों से दूर रहती हैं। व्यायाम से कोलेस्ट्रोल का स्तर भी नियंत्रित रहता है। इससे मेटाबोलिक स्तर बढता है। व्यायाम शरीर को स्फूर्ति देता है, जिससे काम बोझ नही लगता। साथ ही तनाव व अवसाद से भी मुक्ति मिलती है।
व्यायाम करने के कई तरीके हैं। पैदल चलना, दौड़ना, तैराकीक्षकरना, ऐरोबिक्स, साइकिल चलाना, जिम जाना या खेल जैसे टेनिस, बेडमिन्टन, हॉकी आदि। इसके अलावा सीढ़ियां चढ़ना या मार्शल आर्ट भी व्यायाम के तरीके हैं। नृत्य करना भी व्यायाम है।
* शुरुआत कैसे करें ?
यदि आप ने आज तक कोई नियमित व्यायाम न किया हो, तो शुरुआत पैदल चलने से करें। जोश में आकर एकदम से भारी व्यायाम करना अति नुकसानदायक हो सकता है। कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले डाक्टरी जांच आवश्यक है। खासकर तब जब आप किसी बीमारी का शिकार रहे हों या आपकी उम्र अधिक हो। हृदय के रोगियों को कुछ विशेष व्यायाम ही करने चाहिएं।
पहले कुछ दिन केवल टहलें। धीरे-धीरे समय सीमा बढ़ाए। कोशिश करें, कि ज्यादा से ज्यादा चलने का मौका मिले। अधिक से अधिक दूरी पैदल चलकर तय करें। धीरे-धीरे अपनी क्षमता
बढ़ाकर फिर भारी व्यायाम शुरू करें।
* व्यायाम के लिए उपयुक्त आयु :--
व्यायाम कभी भी शुरू किया जा सकता है। परन्तु छोटे बच्चोंक्षको कभी भी भारी व्यायाम के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए। जिमनास्टिक या तैराकी आदि कसरतें छोटे बच्चों को ज्यादा समय तक कराना उन्हें शारीरिक चोट पहुंचा सकता है या फिर मानसिक रूप से विरक्त भी कर सकता है। वैसे व्यायाम शुरू करने की कोई उम्र नहीं है, पर तीस वर्ष की अवस्था के बाद शरीर में मेटाबोलिज्म सुस्त पड़ जाते हैं व शरीर पर स्वतः ही चर्बी जमा होने लगती है। इसलिए 30 वर्ष की आयु के उपरांत नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। एक सामान्य व स्वस्थ व्यक्ति को हफ्ते में 3-4 बार, हर बार कम से कम 20 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए।
* कब व्यायाम करना उचित नहीं है :--
यदि आप बीमार हैं या बुखार से पीड़ित हैं, तो व्यायाम करना नुकसानदेह होता है। इससे हृदय की बाहरी कोशिकाओं पर जीवाणु अधिक तेजी से प्रभाव डालते हैं, जिससे मृत्यु भी हो सकती है।
यदि शरीर में दर्द हो या फिर व्यायाम की वजह से ही दर्द हो जांए, तो तभी रुक जाना चाहिए। जोड़ों का दर्द यह अंदेशा देता है, कि व्यायाम करते वक्त कहीं कुछ गलत हुआ है। परन्तु भारी व्यायाम करते समय धीरे-धीरे कम करते हुए फिर समाप्त करें अन्यथा नब्ज व रक्तचाप एकदम कम हो जाएंगे, जिससे आपको चक्कर भी आ सकता है।
* क्या व्यायाम करने से आप प्रसन्नचित्त हो जाते हैं ?
व्यायाम करने से शरीर थक जाता है, नींद अच्छी आती है व सुबह शरीर व मन दोनों ऊर्जा से भरपूर होते हैं। शोध से पता चला है, कि व्यायाम करने से शरीर में कुछ रासायनिक पदार्थ जिन्हें 'एन्डोमोरफिन' कहा जाता है, निकलते हैं। जो आनंद का अहसास कराते हैं।
व्यायाम करने से शरीर भी हल्का-फुल्का हो जाता है व मस्तिष्क में खून का दौरा बढ़ जाता है। इन सब कारणों से हम यह कह सकते हैं, कि व्यायाम करने से मन प्रसन्नचित्त होता है व अवसाद दूर होता है।
* क्या व्यायाम के दौरान अतिरिक्त आहार या विटामिन की आवश्यकता होती है ?
यदि आप एक संतुलित आहार ले रहे हैं, तो कोई कारण नहीं कि किसी विशेष आहार या अधिक आहार की आवश्यकता हो। किन्तु यदि वजन घटाने के उद्देश्य से कोई व्यायाम करें व साथ-साथ
आहार में कटौती करें, तो उससे मल्टी विटामिन की गोलियों की आवश्यकता पड़ सकती है। पर ये गोलियां किसी आहार विशेषज्ञ के परामर्श से ही लेनी चाहिए।
* क्या पुरुष और स्त्री एक जैसा व्यायाम कर सकते हैं ?
महिलाओं के शरीर में हिमोग्लोबिन (लौह तत्व) की मात्रा पुरुषों के मुकाबले कम होती है। जिससे उनका शरीर कम ऑक्सीजन सोख पाता है। महिलाओं की हृदय व फेफड़ों की क्षमता भी अपेक्षाकृत कम होती है। इसके साथ ही महिलाओं के शरीर में वसा का भाग शरीर के भाग का 25 प्रतिशत होता है। वहीं पुरुषों में यह 15 प्रतिशत ही होता है। इसलिए उनमें पुरुषों की अपेक्षा शारीरिक व्यायाम की क्षमता कम होती है। शारीरिक बनावट के हिसाब से भी उनके हाथ व पैर पुरुषों के मुकाबले छोटे होते हैं। जिससे कुछ खेल जिनमें फेंकने या बल्ले से मारने आदि गतिविधियां होती हैं, उनमें वे पुरुषों के जितना बाहुबल नहीं दिखा सकती।
परन्तु महिलाओं के शरीर में अधिक लचीलापन होता है। साथ ही उनकी हड्डियों के जोड़ों में अधिक गतिशीलता होती है। यह उनके शरीर के हार्मोन की वजह से संभव है। इन हार्मोन से महिलाओं मेंक्षकुछ बीमारियां जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि की संभावना भी कम हो जाती है।
* कौन-सा व्यायाम सर्वोत्तम है ?
यह हरेक व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण है, कि उसे कौन-सा व्यायाम अच्छा लगता है। कहने का तात्पर्य यह है, कि जो व्यायाम आपको अच्छा लगे या जिसे करके आपको खुशी मिले, वही सबसे
उत्तम व्यायाम है।
हमेशा अपनी पसंद का व्यायाम ही चुनना चाहिए। अधिकतम फायदा तभी मिल सकता है, जब आप व्यायाम का आनंद भी उठा सकें। यदि आपको व्यायाम बोझ लगे, तो उसे तुरंत छोड़कर किसी दूसरी तरह के व्यायाम को अपनाएं। कुछ व्यायाम जैसे ऐरोबिक्स आदि को किसी ट्रेनर की देख-रेख में ही करें। ऐसे व्यायामों के लिए पहले चिकित्सक से परामर्श कर लें। तेज गति के व्यायामो में मसल को चोट लगने का अंदेशा अधिक रहता है या फिर शुरू मे ही अत्यधिक व्यायाम करने से कई प्रकार की मुश्किलें उत्पन्न
हो सकती हैं, जिनके विषय में एक जानकार ट्रेनर आपको पहले से ही सावधान कर सकता है।
* पैदल चलना एक बेहतरीन व्यायाम है :--
यदि आप व्यायाम शुरू करने के इच्छुक हैं, पर यह नहीं सोच पा रहे हैं कि कौन-सा व्यायाम करें, तो आप पैदल चलना शुरू कर दें। यह पूरे शरीर की कसरत तो करता है, साथ ही मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है। इसके लिए न तो किसी उपकरण की आवश्यकता है और न ही किसी जगह विशेष की। पार्क, सडक या फिर घर के बाहर का आंगन, आप कहीं भी पैदल चल सकते है। यह दिन के किसी भी पहर किया जा सकता है। वैसे सुबह के शांत वातावरण में पक्षियों के कलरव के बीच, प्रदूषण रहित वातावरण में टहलने का आनंद नैसर्गिक है। वहीं रात में तारों के नीचे एकांत में टहलने से दिन भर की थकान व तनाव से मुक्ति
मिल सकती है। पैदल चलने के लिए न किसी खास मौसम की ही जरूरत पड़ती है।
शरीर को सीधा रखकर, संतुलित सधे हुए कदमों से पैदल चलिए। यह हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बेहतरीन व्यायाम है। शरीर के प्रत्येक अंग में रक्त का संचार करते हुए पैदल चलना फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ाता है। हाथ व पैरों की कसरत कराता है. साथ ही मस्तिष्क की कोशिकाओं को उत्तेजित कर उनमें ऑक्सीजन का संचार करता है।
* दौडिए और स्वस्थ रहिए :--
यदि आप बिना किसी तकलीफ के पैदल लम्बी दूरी तय करने मे सक्षम हैं, तो आपके लिए दूसरा बेहतरीन व्यायाम है, दौड़ना। युवावस्था में जब शरीर में ऊर्जा व आंतरिक बल अधिकतम होता है, दौड़ना इन्हीं गुणों को बढ़ाता है। जिन व्यक्तियों का रुझान ऐसे खेलों की ओर हो, जिनमें दौड़ना आवश्यक होता है। जैसे - एथलेटिक्स, फुटबाल, हॉकी या फिर क्रिकेट आदि, उन्हें दौड़ने का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इससे फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है व शरीर फुर्तीला बनता है।
व्यायाम करते समय सूती कपड़ा पहनना आरामदायक होता है, क्योंकि; इसमें पसीना सोखने की क्षमता अधिकतम होती है। साथ ही जूतों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। दौड़ते समय सबसे अधिक भार पैरों को सहना पड़ता है। सही जूतों के अभाव में पैरों को नुकसान पहुंच सकता है। जूते आरामदेह व फिट होने चाहिए।
उनके तले मोटे हों, किन्तु भारी न हों। भारी तलों से मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है। अधिक कसे हुए जूते पैरों में छाले पैदा कर सकते हैं। दौड़ते समय पैरों का आकार बढ़ता है, जिससे जूतों का
पैरों पर कसाव बढ़ जाता है। परिणामतः ऐसे में न तो दौड़ने का भरपूर आनंद मिलेगा और न ही पैर सही अवस्था में रह पाएंगे।
* शारीरिक फिटनेस आखिर क्या है ?
हमें अक्सर यही लगता है, कि हमें व्यायाम की आवश्यकता नहीं है, हम फिट हैं। पर जब थोड़ी-सी सीढ़ियां चढ़ते ही सांस चढ़ जाती है या फिर बस के पीछे भागते हुए हम दूसरों से पीछे रह
जाते हैं, तो हमें आभास होता है कि हम कितने गलत थे।
फिट होने का अर्थ है, कि हम अपनी जिन्दगी भरपूर तरीके से जीएं, हमें कोई समझौता न करना पड़े, कम से कम शरीर के मामले में, व हमारा वजन हमारी लम्बाई के अनुपात में हो। एक उम्र तक यदि हम इन सब बातों को नजरअंदाज कर भी दें, तो उम्र के आखिरी पड़ाव पर फिटनेस की आवश्यकता महसूस होती है। पर उस समय बीमारियां घेर लेती हैं या आत्मविश्वास की कमी
होती है, जिसके कारण दुबारा फिटनेस पाना मुश्किल हो जाता है।
बीस से पच्चीस वर्ष की अवस्था में हृदय में खून का दौरा सबसे अधिक होता है। जो लोग व्यायाम के अभ्यस्त नहीं हैं, उनमें नब्ज की गति अधिक व्यायाम करने से खतरनाक रूप से अधिक हो सकती है। अधिकतम नब्ज की गति उम्र के साथ-साथ कम होती जाती है। मसलन 20-25 वर्ष की अवस्था में व्यायाम के दौरान दिल की धड़कन प्रत्येक मिनट 140-180 के बीच होनी चाहिए, वहीं 55 की अवस्था तक आते-आते यह 110-140 के बीच ही रह जाती है। 20 वर्ष की अवस्था में किया जाने वाला व्यायाम 50 की अवस्था मे संभव नहीं।
अवस्था में नब्ज की गति 70 से 80 प्रति मिनट के बीच होती है। सुबह उठने पर यह धीमी होती है। पर जैसे-जैसे दिन बीतता है, यह बढ़ती है। विशेषकर कोई शारीरिक कार्य करने पर । पर जो व्यक्ति अधिकतर सुस्त रहते हैं व शरीर से अधिक काम नहीं लेते उनकी नब्ज की गति धीमी ही रहती है। इसका अर्थ यह भी है, कि हृदय की मांसपेशियों को कसरत नहीं मिल रही। जिससे
वे मजबूत नहीं हो पाती हैं। रक्त का संचार कम होने से शरीर के सभी भागों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
हमारा शरीर यदि स्वस्थ होगा तो हम उससे कई अतिरिक्त कार्य भी करवा सकते हैं। पर यदि वह स्वस्थ नहीं है, तो हमें रोजमर्रा के कार्यों में भी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है।
फिटनेस की तरफ अग्रसर होना एक धीमी, क्रमिक विधि है, जो रातोंरात संभव नहीं।
* व्यायाम से पेशियां कैसे प्रभावित होती हैं ?
पेशियों का कार्य है, हमारे भोजन से मिलने वाली ऊर्जा को शारीरिक ऊर्जा में बदलना। पेशियां हमेशा सिकुड़ती हैं। यदि किसी वस्तु को धकेला भी जा रहा हो, तो भी पेशियां सिकुड़ ही रही होंगी। कुछ पेशियां जैसे हृदय की मांसपेशियां या फिर आंखों की कुछ मांसपेशियां केन्द्रीय नाड़ी संस्थान के तहत काम करती हैं। वहीं अधिकतर मांसपेशियां हमारी मर्जी के मुताबिक ही कार्य करती है।
हवा से ऑक्सीजन लाल रक्त कोशिकाओं की मदद से हर पेशी कोशिका तक पहुंचती है, जहां रासायनिक वाहक इसे पेशियों की कोशिकाओं के भीतर पहुंचाते हैं। वहां यह खाने को ऊर्जा में बदलती है। व्यायाम करने से मांसपेशियों की कोशिकाओं की संख्या नहीं बढ़ सकती, व्यायाम से ये केवल मजबूत हो सकती हैं। एक बार में सभी पेशियां कार्य नहीं करतीं वरन् उनकी मोटर यूनिट ही कार्य करती है। व्यायाम से इन्हीं मोटर यूनिटों की संख्या में वृद्धि की जा सकती है, जिससे मांसपेशियों की शक्ति बढ़ती है।
व्यायाम से मांसपेशियों में एक और बदलाव भी आता है। ये अधिक प्रोटीन का निर्माण करने लगती हैं। धीरे-धीरे व्यायाम के साथ मांसपेशियों की कोशिकाओं का आकार बढ़ता है, जिससे पूरी मासपेशी अधिक मांसल व बड़ी दिखती हैं। महिलाओं में मांसपेशियां अधिक बढ़ती नहीं हैं वरन् उनकी कार्यशीलता व लचीलापन बढ़ जाता है।
मांसपेशियां दो तरह की होती हैं- धीमी और तेज। कुछ लोगों मे धीमी मांसपेशियों का अनुपात तेज से अधिक होता है, तो कुछ में ठीक इसके विपरीत होता है। तेज मांसपेशियों वाले लोग अधिकतर कूदने व भागने वाले खेलों में महारत हासिल करते हैं। इनके लिए रस्सा कूदना एक जगह से दूसरी जगह कूदना व हाथों को तेजी से घुमाना आदि व्यायाम उपयुक्त होते हैं। धीमी गति
मांसपेशियों वाले लोगों में सहनशीलता अधिक होती है व ये ज्यादा देर तक चलने वाले खेलों के लिए उपयुक्त होते हैं।
* हृदय की मांसपेशियां व व्यायाम :--
हृदय एक खोखली मांसपेशी है व एकमात्र ऐसी मांसपेशी है, जिसे स्वयं को ही रक्त पहुंचाना होता है। हृदय को जो रक्त फेफडों से प्राप्त होता है, वह ऑक्सीजन से भरपूर होता है व सर्वप्रथम हृदय की मांसपेशी को पोषित करता है।
हृदय को रक्त उसी अवस्था में पहुंचता है, जब दूसरी मांसपेशियों में संकुचन हो। ऐसे में अधिक उद्यमी कसरत के पश्चात् फौरन रुक जाने से हृदय तो तेजी से खून बाहर भेजता है। किन्तु इसे मिलने वाला रुधिर थम जाता है, जिससे बेहोशी भी आ सकती है। आराम की अवस्था में हृदय की सामान्य गति 70-80 से 100 तक भी जा सकती है। हम हृदय की गति को इच्छानुसार बदल नहीं सकते वरन् हृदय ही हमारी गति व कार्य कुशलता को संचालित करता है। एक स्वस्थ हृदय हर प्रकार के उद्यम में सक्षम है, पर एक कमजोर हृदय अधिक बोझ सहन नहीं कर सकता।
* क्या व्यायाम से शरीर में पानी की कमी हो सकती है?
व्यायाम करते वक्त कैलोरी का कुछ भाग गर्मी में तब्दील हो जाता है। यदि इसी प्रकार शरीर में गर्मी बढ़ती रहे, तो हम अधिक तापमान से ही मर जाएंगे। किन्तु पसीना शरीर के तापमान को कम करने में मदद करता है। शरीर का बढ़ा हुआ ताप पसीना पैदा करता है। जो व्यायाम के आदी नहीं हैं, उनके चेहरे पर ताप का असर लाल रंग के रूप में स्पष्ट नजर आता है।
व्यायाम करते समय शरीर का पानी कम हो जाना स्वाभाविक है। पेशेवर खिलाड़ियों के लिए “स्पोर्टस ड्रिंक्स" का प्रचलन इस बात का सूचक है, कि शरीर में पानी का स्तर बढ़ाए रखना आवश्यक है। एक सामान्य व्यक्ति के लिए सादा पानी पीना शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए काफी है। चूंकि शरीर बहुत अधिक पानी एक साथ नहीं सोख सकता इसलिए कम मात्रा में ही पानी पीना चाहिए। यदि आप कोई जूस लेना चाहें, तो उसमें पानी की मात्रा अधिक होनी चाहिए व उसका ठंडा होना भी आवश्यक है।
अगर कोई भारी व्यायाम कर रहे हो, तो उसके कम से कम आधा घंटा पहले पानी पी लें। जिससे शरीर में अचानक पानी की कमी न हो।
* व्यायाम के अन्य आसान तरीके :--
जहा तक सभव हो, पैदल चलें वाहन का उपयोग कम से कम करें। यदि वाहन का उपयोग आवश्यक हो, तो नियत स्थान से कुछ दूरी पर खड़ा कर बाकी रास्ता पैदल तय करें।
लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें। अपने पालतू जानवरों को स्वयं घुमाने ले जाएं।
बच्चों के साथ खेलें; उनके पीछे दौड़ें। नृत्य एक बेहतरीन व्यायाम है, साथ ही तैराकी भी। इन्हें शौकिया तौर पर करें, जिससे न केवल समय अच्छा कटेगा, साथ ही शरीर का व्यायाम भी होगा। साइकिल चलाना भी एक लाभकारी व्यायाम है। इससे पैरों की पैडल चलाने से अच्छी कसरत होती है। दफ्तर में काम के बीच कुछ देर टहलें।
टी. वी. देखते समय रिमोट का इस्तेमाल कम करें, उठकर आवश्यक बदलाव लाएं।

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