"चमत्कारी विटामिन ; अभाव एवं प्राप्ति"
विटामिन वे पौष्टिक तत्व हैं, जिनके अभाव में शरीर ना-ना बीमारियों से परिपूर्ण बनता है। प्रथम महायुद्ध के दिनों में शाक तरकारियों के अभाव में सैनिकों को स्कर्वी' की बीमारी हुई थी, जो विटामिन सी द्वारा दूर हुई। तब से विटामिन तत्व प्रमुखता ग्रहण करता जा रहा है। विटामिन पाँच होते हैं - ए., बी., सी., डी., ई. ।
* विटामिन ए० :--
"विटामिन ए ' के अभाव में मंदाग्नि, त्वचा की शुष्कता, शक्ति की कमी, अतिसार, पाचन की खराबी, नेत्र प्रदाह, बाढ़ का रुकना, शारीरिक निर्बलता, पथरी एवं बंध्यत्व इत्यादि रोग होते हैं। यदि हम विटामिन ए० वाले पदार्थ पर्याप्त मात्रा में लें, तो हम इन रोग से बच सकते हैं। विटामिन ए. निम्न शाक तरकारियों में विशेष रूप से विद्यमान रहता है। अत: उन्हें अवश्य प्रयोग में लाया कीजिए- पालक, गाजर, हरी मिर्च, टमाटर, मटर, सलाद, जिमीकंद, करेला, कुम्हड़ा, चिचिंडा, सहजन, अजवायन का पत्ता, करमकल्ला ( पत्तागोभी ), विसारी, चौलाई, धनियां, पुदीना, बथुआ इत्यादि तरकारियां। फलों में केला, खुबानी, आम, अनन्नास, सूखे फल, अंजीर, अलूचा, कटहल, कमरख, खजूर, संतरा, पपीता, पिस्ता इत्यादि विटामिन ए० से पूर्ण हैं। इनके अतिरिक्त मक्खन, मलाई, दूध, पनीर, बाजरा, बिना भूसी की अरहर, मसूर, गुड़ इत्यादि में यह पाई जाती है।
* विटामिन बी० :--
इसकी कमी के कारण मानव शरीर में निर्बलता, मंदाग्नि, आँतों में गड़बड़ी, धड़कन, इत्यादि होते हैं, बेरीबेरी जैसे रोग होते हैं। यह विटामिन हमें जौ, गेहूँ का अंकुर, चावल का कण इत्यादि अनाज़ों तथा मटर, टमाटर, चौलाई, कुम्हड़ा, गोभी, आडू इत्यादि फल तरकारियों तथा मूंगफली, किशमिश इत्यादि में प्राप्त हो सकता है। गन्ने का रस, गुड़ और शीरा विटामिन बी. के लिए उत्कृष्ट ही नहीं, प्रत्युत लोहा, कैल्शियम और अन्य खनिज पदार्थों के लिए भी उत्तम हैं।
* विटामिन सी० :--
इसके अभाव में सिर दर्द, बेचैनी, पाचन की खराबी, दांतों के विकार, अंगों की कमजोरी, स्फूर्ति, जबड़ों की सूजन दांतों का हिलना, पसलियों में गांठ पड़ना, पेशियों को पोषण न मिलना, अस्थियों का भंग होना, पक्षाघात इत्यादि बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। इसके अभाव की पूर्ति के लिए हमें हरी मिर्च, पालक, कच्ची पत्तागोभी, मटर, टमाटर, धनियां तथा नीबू, चकोतरा, नारंगी, अनन्नास, अमरूद, इत्यादि फल लेना चाहिए ।
* विटामिन डी० :--
इसके अल्पाभाव से कब्ज होती है और तोंद बाहर निकल आती है, पैर टेढ़े हो जाते हैं, शक्ति हीनता और बेचैनी बढ़ती है, दांतों में क्षय की प्रवृत्ति होती है। इसके विशेष अभाव से अंग एंठ जाते हैं, सीना छोटा हो जाता है, मेरुदंड वक्र हो जाता है, बाढ़ रुक जाती है, हड्डियाँ मुलायम पड़ जाती हैं, शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस की कमी हो जाती है। यह विटामिन अधिकांश अन्नों, तरकारियों और फलों में नहीं होता। यह मक्खन, दूध, घी इत्यादि चिकनाई वाले पदार्थों में रहता है। सूर्य किरणों का शरीर की त्वचा द्वारा सेवन करने से भी यह प्राप्त हो सकता है।
* विटामिन ई० :--
इसका प्रभाव स्त्रियों पर बड़ा दूषित पड़ता है। इसके अभाव में गर्भावस्था में गड़बड़ी, बंध्यत्व, क्लीवता, यौन प्रवृत्ति की कमी तथा मानसिक शक्ति की कमी होती है। इसे प्राप्त करने के लिए गेहूँ के अंकुर की सबसे अधिक आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त सलाद, पालक, छीमी, गुड़, दूध इत्यादि आवश्यक हैं। जब आप उपर्युक्त किसी रोग से आक्रांत हों, तो अपने आहार का सावधानी से परीक्षण कर मालूम कीजिए कि उसमें किसी विशेष विटामिन की न्यूनता है ? जिन शाक, तरकारियों अथवा फलों में वह पाया जाता है, उन्हें खुराक में सम्मिलित कर संतुलितक्षआहार लिया कीजिए। पके भोजन के साथ हरे सलादों ( अदरक, मूली, हरी मिर्च, नीबू, टमाटर इत्यादि का मिश्रण ) का एक प्लेटक्षआश्चर्यजनक गुण देने वाला है। इसी प्रकार मठा, दही और दूध का आवश्यकता अनुसार अवश्य सेवन किया करें । जल का क्रम ( दिन में ढाई सेर ) जितना सुव्यवस्थित होगा, उतना ही शरीर शोधन होता रहेगा ।

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