* ये चीजें अधिक न खाएँ :--
स्वाद किसी विशेष भोजन के चुनाव की उचित कसौटी नहीं है। अतः रसेंद्रिय आपको भारी संकटों में डाल सकती है। उदाहरणार्थ मीठी चीजों के खाने में अति सावधानी की आवश्यकता है। हलवा, जलेबी, मिठाइयाँ ( जो मैदा से बनती हैं ) नाश्ते में लेने की आदत न डालें । मिठाइयाँ आगे चलकर बहुमूत्र और मधुमेह उत्पन्न करती हैं। मिठाई में काम अपने वाली सफेद चीनी विष तुल्य है। बच्चों के लिए बाजार में बिकने वाली लाल-हरी चाकलेट की गोलियाँ, बिस्कुट, मिठाई, शक्कर के नाना आकर्षक पदार्थ हानिकर हैं। मीठी चीजों के प्रति विशेष प्रवृत्ति यह दिखलाती है, कि आहार में प्राकृतिक लवण की कमी है।
बाजार की तली भुनी चटपटी चीजें, जो बहुत दिनों की बासी होती हैं, मक्खियों के झुंड के झुंड जिन पर मंडराया करते हैं, कदापि न लें। पूड़ी, कचौरी खाना पेट की अनेक बीमारियों को आमंत्रित करना महात्मा गाँधी जी के अनुसार खीर, रबड़ी, श्रीखंड, पेड़े, बरफी, जलेबी इत्यादि स्वास्थ्य की दृष्टि से शून्य हैं।
* मादक द्रव्यों का परित्याग करें :--
मादक द्रव्य साक्षात विष तुल्य हैं। शराब, तंबाकू, गांजा, भांग, चरस, अफीम, चाय, काफी इत्यादि विषैले पदार्थ हैं। तंबाकू और चाय आज के फैशन में सम्मिलित हो गए हैं। आधा सेर तंबाकू में जितना विष होता है। उसका पूरा प्रभाव मनुष्य पर हो सके, तो तीन सौ व्यक्ति मर सकते हैं। एक सिगरेट से दो व्यक्तियों की मृत्यु संभव है। तंबाकू का रस खेती को हानि पहुँचाने वाले कीड़ों को मारने के काम आता है। उसके तेल की एक बूंद से काला नाग फौरन मर जाता है। यदि सिगरेट को खोलकर उसकी पुलटिस को बाँध ले, तो धीरे-धीरे विष अपना प्रभव करने लगता है। अतः निरोग मनुष्य को इनमें से कोई विषैला पदार्थ नहीं खाना चाहिए ।
सिगरेट सर्वथा त्याज्य है। यह एक क्षणिक उत्तेजक पदार्थ है, जो काम वासना को उदीप्त करता है, विवेक को नष्ट करता है और झूठ, कपट, चोरी, व्यभिचार की ओर आकृष्ट करता है।
रूस के ऋषि टाल्सटाय ने लिखा है, कि एक व्यक्ति ने सिगरेट पीकर अपनी स्त्री की हत्या तक कर डाली। टाल्सटाय की राय है, किक्षवास्तव में सिगरेट शराब से भी बढ़कर नशा है। कितने ही सिगरेट के कारण दरिद्र बन रहे हैं। इससे पाचन शक्ति निर्बल पड़ जाती है, भोजन का स्वाद नष्ट हो जाता है, दाँत और ओठ काले और बदसूरत बन जाते हैं, मुँह से सर्वदा दुगंध निकलती है।
आहार से पूरा लाभ उठाने और रक्त को निर्विकार रखने हेतु सिगरेट, बीड़ी, हुक्का और चाय इत्यादि नशीली चीजें छोड़ना आवश्यक हैं। ये नशे हमारे धन को ही नष्ट नहीं करते, प्रत्युत्त लोक-परलोक दोनों को बिगाड़ते हैं। इसी प्रकार हींग, गर्म-मसाला, मिर्च, लहसुन आदि कामोत्तेजक, क्रोध बढ़ाने वाले गर्म पदार्थों से तथा माँस, मछली, अंडा इत्यादि अभक्ष्य पदार्थों से बचते रहें। इनका पूरी तरह त्याग न बन पड़े, तो जितना कम हो सके करना उचित है ।

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