* वॉटर प्यूरीफायर का पानी पीने से बीमारी होती है: बिना सोचे समझे कुछ भी अपना लेना आज हमारी परंपरा सी हो गई है। अगर भारत में अच्छा विज्ञापन बनाकर जहर भी बेचा बेचा जाए तो उसकी भी डिमांड होती है, ऐसा हो भी रहा है। NGT (National Green Tribunal) एक बहुत बड़ी सरकारी संस्था है,जो प्राकृतिक संसाधनों पर और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय देती है और उन पर कार्यवाही भी करती है, अगर वो इन चीजों से जुड़े हुए मुद्दे हैं। बेसिकली एनजीटी एक ऐसी संस्था है, जो हमारे पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करती है।
NGT का RO के मुद्दे पर ऐसा ब्यान आना, RO जो हमारे घर में लगा होता है, कि RO के पानी के इस्तेमाल को सीमित करने के लिए, हमारी एनवायरमेंटल मिनिस्ट्री को कोई भी कड़ी से कड़ी पॉलिसी बनानी चाहिए। एक बेहद अलग मुद्दा है और थोड़ी सोचने की भी बात है।
आज लगभग हर घर में आपको RO water आराम मिल जाएगा, RO लगा हुआ मिल जाएगा, जो पानी को फिल्टर करता है और वही पानी हम पीते हैं। अब एनजीटी ने ऐसा क्यों कहा है, इसके दो मुख्य कारण है।
एक तो पानी की बर्बादी का मुद्दा जो आजकल काफी बड़ा मुद्दा है। इसके साथ-साथ स्वास्थ्य का भी मुद्दा जुड़ा हुआ है। एनजीटी ने कहा है कि RO वाटर सिस्टम पानी की बहुत ज्यादा बर्बादी करता है। अगर आप किसी भी RO में 3 लीटर पानी डालते हैं, साफ करने के लिए। तो उसमें से 1 लीटर पानी ही साफ होकर के आपको मिलता है और 2 लीटर पानी खराब जाता है। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि पूरे भारतवर्ष में हर रोज़ कितने करोड़ों लीटर पानी व्यर्थ जाता होगा।
यह पानी बागवानी, कपड़े धोने, बर्तन धोने, गाड़ियां धोने के इस्तेमाल में आ सकता है और भी नई जगह है, जहां पर भी इस पानी का इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन ना तो इसका ये इस्तेमाल हो रहा है और ना ही कोई कर रहा है और ना ही किसी के पास समय है और ना ही लोगों की ऐसी सोच है। अब फाइनली एनजीटी ने कहा है कि कोई ऐसी पॉलिसी बनाई जाए; क्योंकि लोगों का ना तो इस पर ध्यान है और ना ही वो ऐसा करना चाहते हैं, ना ही उनके पास समय है। क्योंकि आने वाले समय में पानी की कमी एक बहुत बड़ा मुद्दा होने जा रही है, भारत देश में।
आप देख सकते हैं, कि कैसे बड़े-बड़े शहरों का पानी 2025 -2030 तक खत्म हो जाएगा। उसके बाद हमारे पास कोई रास्ता नहीं है, अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने का।
स्वास्थ्य का मुद्दा और भी गहरा है। इस पर हम थोड़े और भी संवेदनशील हो जाते हैं। किसी भी पानी को मापने का मापदंड टीडीएस के माध्यम से बताया जाता है, हम विज्ञापन में भी देखते हैं कि पानी का टीडीएस इतना होना चाहिए, RO जब पानी को साफ करता है, तो उसका टीडीएस इतना होता है। TDS ( Total Dissolved Solids) यानी आमभाषा में पानी में जो घुले हुए खनिज पदार्थ होते हैं, वो डिफाइन करते हैं, ये कैलशियम, मैग्निशियम, सल्फेट हो सकते हैं, जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है। जिनकी कमी से शरीर में बीमारी पैदा हो सकती हैं।
इसके साथ-साथ आज विकास के नाम पर इंडस्ट्रिलाइजेशन हो रहा है। जिसकी वजह से आज पानी में खतरनाक केमिकल भी घुल गए है। जैसे- Arsenic, Nitrate आदि। ये शरीर के लिए हानिकारक होते है। जब भी आपके घर में लगा हुआ RO पानी को साफ करता है, तो ऐसा बताया जाता है कि वो 99.9% पानी को साफ कर देता है। उसमें ऐसा नहीं बताया जाता कि उसमें वो कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फेट को भी आपके पानी से निकाल देता है, जो खनिज पदार्थ आपके स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है और जिन की कमी से आपको बीमारियां हो सकती है।
विज्ञापनों में अक्सर बताया जाता है, कि RO पानी के टीडीएस को 50 से भी कम पर लेकर आता है, जो आपके पीने के लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक है। मतलब आपके शरीर के लिए कोई नुकसान नहीं पहुंचाता फायदा करता है। अगर हम इस पर WHO ( World Health Organization) की बात करें, जो पूरे विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य के लिए काम कर रही संस्था है। यह संस्था कहती है कि पानी का जो drinking-water है, उसका टीडीएस 190 से लेकर 350 तक होना चाहिए। मतलब 190 से नीचे अगर किसी पानी का टीडीएस है तो वो पानी पीने के लायक नहीं है और अगर 350 से ज्यादा टीडीएस है, तो वो भी पानी पीने के लायक नहीं है। अगर 190 से कम टीडीएस वाला पानी है तो उसमें खनिज पदार्थ मतलब जो न्यूट्रिएंट्स है, मतलब कैलशियम, मैग्निशियम, सल्फेट, इत्यादि। उस मात्रा में नहीं होते, जिस मात्रा में हमारे शरीर को आवश्यकता होती है और जिसकी कमी से हम बाद में बीमारियों को फेस करते हैं।
WHO के drinking-water को लेकर स्टैंडर्ड में भी WHO ने यह भी क्लियर किया है, कि पीने के पानी में, drinking-water में मैग्नीशियम 10mg/L होना चाहिए, कैल्शियम 20mg/L होना ही चाहिए। अगर इतना नहीं है, तो वो पानी आपके शरीर में बीमारियां पैदा करेगा, इसके अलावा कुछ भी नहीं। WHO के स्टैंडर्ड पीने के पानी को लेकर क्लियर है। लेकिन भारत में धड़ल्ले से RO सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें टीडीएस 190 तो छोड़िए 50 से भी कम पर लाकर छोड़ दिया जाता है। जो पीने के लिए खतरनाक है और हमें आज से ही छोड़ देना चाहिए।
अब एनजीटी जो एक सरकारी संस्था है। पर्यावरण संसाधनों को लेकर, प्राकृतिक संसाधनों को लेकर जो गाइडलाइन जारी करती है। उसमें भी इस पर मोहर लगाई है, कि कोई ऐसी पॉलिसी होनी चाहिए, जो RO की वजह से पानी की बर्बादी और RO की वजह से, जो हम पानी पी रहे हैं, वो शरीर के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, उस पर कहीं ना कहीं हम सीमित करें इसको और कहीं ना कहीं रोक लगाएं।
इसमें हम अपनी तरफ से इतनी पहल जरूर कर सकते हैं कि जो हम पानी पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, उसको 10 से 12 घंटे मिट्टी के घड़े में रख सकते हैं। ताकि उसके रिन्यूट्रलाइजेशन कुछ हद तक हो जाए। इसके साथ-साथ अगर आप यज्ञ वैदिक तरीक़े से करते हैं। तो उसकी राख भी पानी में मिलाकर पी जा सकती है।
अमेरिका में हवन यज्ञ राख को पानी में मिलाकर पिया जाता है। इसका वैज्ञानिक तथ्य यह भी है। एनवायरमेंट में ऑक्सीजन की मात्रा जितनी है, उससे कहीं ज्यादा मात्रा अगर वैदिक तरीकें से यज्ञ अच्छी तरीके से किया जाए तो उसकी राख में होती है। एक नार्मल वैदिक तरीके से किए गए हवन यज्ञ की राख में 46% तक ऑक्सीजन मिलती है और अगर अच्छे तरीक़े से इसको किया जाए, तो 55% तक उस राख में आक्सीजन मिलती है।
आज कोई भी बीमारी हमारे शरीर में होते हैं, तो सबसे पहला होता है कि हमारे शरीर की सेल्स में ऑक्सीजन की कमी होती है। जिसकी वजह से हमारा इम्यून सिस्टम बाद में कमजोर होता है और शरीर कोई-ना-कोई बीमारी पकड़ता है। अगर हम बच्चों को यह राख पानी में मिलाकर या किसी भी फॉर्म में दे तो बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और वो बीमारी से भी बचे रहते हैं। इसके साथ-साथ पानी भी साफ होता है। इसके अलावा आप तुलसी और मरवा के पत्ते से भी पानी को साफ कर सकते हैं। लेकिन RO के पानी को इस्तेमाल करना आज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
समाधान है, इस समस्या का। ये आपके ऊपर है कि आप इस्तेमाल करते हैं या नहीं। अगर आप चाहते हैं कि आप स्वस्थ रहें, अपने जीवन में। तो इन चीजों पर, इन विषयों पर हमें गहनता से सोचना होगा; क्योंकि अगर हमारे बच्चे स्वस्थ होंगे तो ही वो एक समृद्ध भारत का निर्माण करेंगे।
RO का पानी पीने के नुकसान
Reviewed by Tarun Baveja
on
September 04, 2020
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