सब्जी बनाने का प्राकृतिक तरीका



    "सब्जी बनाने के प्राकृतिक तरीके"

 सब्जी सभी खाद्य पदार्थों से कोमल तत्व है। सभी घरों में सब्जी बनाने का प्राकृतिक तरीका सिखाना आवश्यक है। आगे हम विभिन्न प्रकार की सब्जी बनाने के प्राकृतिक तरीके का विवेचन लिख रहे हैं। मेरा विश्वास है, कि यदि बताए गए तरीके से सब्जी बनाई जाएगी तो अवश्य लाभ होगा।


(१) सब्जी जहाँ तक सम्भव हो ताजी होनी चाहिए। जिनके पास कुछ कच्ची जमीन हो, उन्हें छोटी-छोटी क्यारी बनाकर सब्जी पैदा करना चाहिए। जिनके पास जमीन न हो, वह बड़े गमलों में लगा सकते हैं। मकान के ऊपर १ फुट ऊँची मिट्टी डालकर पालक, मेथी,धनियाँ, मूली, गोभी लगा सकते हैं। ताजी सब्जी में ही पर्याप्त विटामिन मिल सकेगें। खेत से निकलने पर सब्जी के पोषक तत्व कम होने लगते हैं ।

(२) जिन सब्जियों के छिलके खाए जा सकते हैं, उन्हें छिलके समेत ही बनांए। लौकी, तरोई, टिन्डा, परवल, शलजम, गाजर, टमाटर, आलु आदि को छिलके समेत बनाना चाहिए। यदि छिलका खराव हो गया हो अथवा अधिक कड़ा पड़ गया हो, तो उसे निकाल दें। यदि छिलके समेत सब्जी अच्छी न लगे, तो छिलका निकालकर छोटा-छोटा काट कर या सिल पर पीसकर मिला दें।

(३) सभी सब्जियों को काटने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए। काटने के बाद धोने से सब्जी के अन्दर का पानी भी, पानी के साथ घुलकर निकल जाता है। काटने के बाद अधिक देर तक सब्जी को नहीं रखना चाहिए। तुरन्त पकाना उचित है। रखने से भी पोषक तत्व कम हो जाते हैं ।

(४) सब्जी पकाने के लिये पहले बटलोई में पानी डालिये। जब पानी खौलने लगे तब नमक, जीरा, हल्दी डाल दीजिये। थोड़ी देर पक जाने पर सब्जी डाल दीजिये। घी या तेल डालकर जो मसाले डाले जाते हैं, उनके पोषक तत्व जल जाते हैं।

(५) सब्जी को धीमी-धीमी आंच में पकाइये। बटलोई के ऊपर पानी भर कर रख दें, जिससे भाप न निकले। भाप निकलने से भी विटामिन भाप के साथ निकल जाते हैं।

(६) सब्जी के पक जाने पर जब भोजन करना हो, उस समय घी, मक्खन, तेल आदि डाल कर खाए, तो अच्छा रहेगा। सब्जी पकते समय मूंगफली के दाने डाल देने से चिकनाई का काम पूरा हो जाता है।

(७) कई सब्जी एक साथ मिलाकर पकाना अच्छा है।

(८) सब्जी बनाते समय, ठंडा पानी नहीं डालना चाहिए। गर्म करके ही डालें। दाल भात में भी यदि बाद में पानी डालना पड़े, तो गर्म करके ही डाला जाय।

(९) पकाते समय बटलोई का मुंह ढका रहे। खुला रखने से भी विटामिन नष्ट होते हैं। बार-बार करछुल से चलाना भी ठीक नहीं है ।

(१०) सब्जी का अधिक पकाना उचित नहीं है, थोड़ा सिझा लेना चाहिए। बाद में थोड़ी देर आग के ऊपर रख देने से सब्जी पककर सीझ जाती है।

(११) हरी पत्ती वाले साग पालक, मेथी, बथुआ, मूली, गाजर के पत्ते, चौलाई आदि को बहुत कम ही पकाना चाहिए। पत्ती वाली सब्जी कोमल होती है, इसलिए उसे कम से कम पकाना चाहिए। अधिक पकाने एवं भुजिया बनाकर खाने से कोई भी विटामिन नहीं मिलते ।

(१२) सब्जी का पानी कभी नहीं फेंकना चाहिए। पानी में ही विटामिन घुलकर निकल जाते हैं। पानी को अलग से निकाल कर पिया जाए, तो भी अच्छा है।

(१३) बन्द गोभी के बाहर के पत्ते अधिक न निकालें। भीतर के पत्तों में जितना विटामिन होता है, उससे दस गुना बाहर के पत्तों में होता है ।

(१४) सब्जी या किसी भी खाद्य पदार्थों में सोडा डालना उचित नहीं है। सोडा का हार्ट पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।

(१५) बनी हुई सब्जी को दुबारा गर्म करना ठीक नहीं है। गर्म करने से विटामिन नष्ट हो जाते हैं ।

(१६) सब्जी को पकाते समय नींबू का रस, टमाटर, दही या आम की खटाई, इमली डालना चाहिए। खटाई से विटामिन सुरक्षित रहते हैं ।

(१७) खटाई के अमलत्व को नष्ट करने के लिए, उसमें थोड़ा-सा गुड़ डालना चाहिए।

(१८) भोजन बन जाने के बाद उसे ढक कर रखें, एक दो घन्टे के अन्दर भोजन कर लेना उत्तम है। अधिक देर का भोजन स्वास्थ्यप्रद नहीं रहता है।

सब्जी बनाने का प्राकृतिक तरीका सब्जी बनाने का प्राकृतिक तरीका Reviewed by Tarun Baveja on September 21, 2020 Rating: 5

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