प्राकर्तिक चाय के फायदे और बनाने की विधि

                प्राकृतिक चाय

          
          "प्रचलित चाय से हानि"

   वर्तमान समय में चाय का बहुत बड़ा प्रचलन हैं। जिधर देखिये चाय की दुकाने मिलेगी। बहुत से लोग तो चाय के बिना रह नहीं सकते। यदि उन्हें चाय न मिले, तो बड़े परेशान हो जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है, कि चाय सस्ता पेय है, पर मेरे विचार से चाय के मुकाबले में महंगा अन्य कोई पेय है, ही नहीं। एक कप चाय 10₹ में आती है। प्राय लोग ८-१० कप चाय पीते हैं। जिसमें 80 - 100 रुपया तक खर्च हो जाता है और 100 रुपया में दो किलो दूध आता हैं। जो कि ८-१० कप के ही बराबर होता है। फलस्वरूप आज मानव पैसा भी बरबाद करता है और रोगी भी बनता है।


   चाय स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त हानिकर पेय है। इसमें काफीन, टैनीन नामक दो प्रकार के विष पाए जाते हैं। इसके प्रयोग में भूख कम लगती है, गुर्दे कमजोर पड़ जाते हैं, पेशाब अधिक आता है, वीर्य पतला हो जाता है। चाय में नशा लाने के लिए चमड़ा का पानी भी डाला जाता है। जिसजे उत्तेजना पैदा होती है, हृदय की धड़कन बढ़ती है, नींद कम आती है। अधिक पीने से कब्ज, छाती में दर्द, स्नायु दुर्बलता और हिस्टीरिया जैसे भयंकर रोग
हो जाते हैं।

    चाय, काफी दोनों ही स्वास्थ्य के लिए महान शत्रु हैं। आज यदि समाज स्वस्थ रहना चाहता है, तो चाय का प्रचलन बन्द करना पड़ेगा। तभी स्वस्थ रह सकता है। इसके स्थान पर निम्न आदर्श पेय का प्रयोग किया जाए, तो सस्ता और स्वास्थ्यप्रद होगा।

         "प्राकृतिक चाय के लाभ"

   प्राकृतिक चाय पीने से कोई हानि नहीं होती, लाभ अधिक होता है। साधारण तौर पर नीचे कुछ चाय बनाने के फार्मूले दिये जा रहे हैं। इन्हीं में से मनोनुकूल चुनाव करके प्रयोग करना चाहिए। इससे आप रोगों से बचे रहेंगे तथा आप अपने धन का पूर्ण लाभ उठा सकेगें।

          "आनन्द प्राकृतिक चाय"

   यह चाय अन्य चाय की अपेक्षा अधिक गुणकारी, स्वास्थ्य वर्धक हैं। इसके प्रयोग से आपको किसी प्रकार की हानि नहीं होगी। बल्कि यह सर्दी जुकाम, नजला, वात, दमा रोगों से बचायेगी तथा पूर्ण शक्ति स्फूर्ति देगी एवं स्मरण शक्ति बढ़ायेगी। स्वाद एवं रंग बिल्कुल चाय जैसा होता है।

चाय में पड़ने वाली वस्तुओं के पौष्टिक गुण एवं मात्रा -
(१) सौंफ- ५०० ग्राम, आंव पेचिस में लाभ पहुँचाती है।
(२) इलायची बड़ी- २५० ग्राम, मस्तिष्क को शक्ति देने और टी० बी० के कीटाणुओं को नष्ट करने वाली है।
(३) बनफ्सा– १०० ग्राम, कफ को समन करके जमा हुआ कफ निकालता है।
(४) ब्राह्मी बूटी - २५० ग्राम, वीर्य को पुष्ट करती है और स्मरण शक्ति को बढ़ाती है।
(५) लाल चन्दन- ५०० ग्राम, रक्त को बढ़ाता है, वात रोगों में लाभ करता है।
(६) मुलेठी- १२५ ग्राम, कफ को साफ करती।
(७) सोंठ- १०० ग्राम, वात रोगों को दूर कर रक्त का संचालन करती है।
(८) काली मिर्च-१०० ग्राम, कफ को दूर करती है ।

              "बनाने की विधि"

   उपयुक्त लिखी मात्रा के अनुसार, सभी सामान को अलग-अलग कूटकर आटा छानने वाली चलनी से छानकर मिलाकर रख लें। ५००ग्राम पानी में एक छोटी चम्मच (५ ग्राम चाय) डालकर कुछ देर खोलाइये। पक जाने पर दूध, देशी शक्कर या गुड़ इच्छानुसार मिलाकर पिए। तुलसी के पत्ते भी डाल सकते हैं। सफेद चीनी डालना हानिकर है। गुड़ और देशी
शक्कर की जगह मुनक्का मिलाने से चाय के और भी गुण बढ़ जाते हैं।

प्राकर्तिक चाय के फायदे और बनाने की विधि प्राकर्तिक चाय के फायदे और बनाने की विधि Reviewed by Tarun Baveja on September 21, 2020 Rating: 5

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