"कच्चा खाने की सुविधि"
१. जिस मौसम में जो वस्तुयें मिलें उन्हें कम ज्यादा करके बनाई जाए। अपनी इच्छा और सुविधा, स्वाद के अनुसार वस्तुओं का चुनाव करना चाहिए।
२. फल और सब्जी दोनों का मेल हो सकता है। सब्जी वही मिलाए, जो कच्ची खाई जा सके। फल वह मिलाए, जिनका मेल बैठ सकता हो।
३. कड़ी वस्तुओं को कद्दूकस में कसकर डालना चाहिए। मुलायम वस्तुओं को चाकू से छोटा-छोटा काटकर अलना चाहिए।
४. नमक हरा धनियाँ, अदरख अपनी इच्छा के अनुसार डाल सकते हैं। हरी मिर्च का प्रयोग भी कर सकते हैं।
५. दही का प्रयोग सलाद में करना अच्छा है।
६. नींबू डालना आवश्यक है।
७. काटने के पहले सभी वस्तुओं को धोकर साफ कर लें।
८ सलाद बनाने के बाद एक घन्टे के अन्दर उसका उपयोग कर लेना चाहिए।
९. कच्चे खाद्य पदार्थ खूब चबा-चबा कर खाएं, जिससे मुह की लार (श्वेत सार) खाद्य पदार्थ के साथ मिल जाए। इससे उस वस्तु का पाचन भी शीघ्र होगा और अधिक भी नही खाए तथा दांतों का व्यायाम भी होगा। जिससे दांत मजबूत बनेगें और कोई रोग नहीं होगा।
१०. कई प्रकार के कच्चे फल, पत्तीदार सब्जियां, खीरा, ककड़ी, अंकुरित अनाज मिलाकर नींबू का रस एवं अदरख डाल कर खाए। इस प्रकार का सलाद खाने में स्वादिष्ट भी लगता है एवं पौष्टिक गुण भी अधिक मिलते हैं।
११. जिन फलों एवं सब्जियों के छिलके आसानी से चबाये जा सकते है। उन्हें जरूर प्रयोग में लायें ।
१२. जिन व्यक्तियों के दाँत न हो, वह कच्चे खड़ा पदार्थ को सिल पर पीसकर चटनी बनाकर, कद्दूकस में कस कर या उनका रस निकालकर खूब चबला-चबला कर (कम्पट की तरह चूस-चूसकर) ग्रहण करें।
१३. प्रतिदिन भोजन के बाद कोई कड़ा फल जैसे- खीरा, ककड़ी, गाजर, अमरूद, सेव आदि फल अवश्य खाना चाहिए। इससे भोजन का पाचन शीघ्र होगा, कब्ज नहीं रहेगा तथा दाँतों का व्यायाम होगा एवं दांतों में फंसे अन्न कण निकल जाएगे, जिससे दांतों में कोई रोग नहीं होगा।

No comments: