आटे को छानने की जो प्रथा है, वह गलत है। आटे को छानकर जो चोकर पशुओं को खिला दिया जाता है, वह गलत आदत है। अनाज के चोकर में ही अनाज के पोषक तत्व अधिक होते हैं। जिस प्रकार दूध को धीमी आँच में अधिक देर तक गर्म करने पर दूध के ऊपर मलाई जम जाती है। उसी प्रकार सूर्य की गर्मी से अनाज पकता है। अनाज के पोषक तत्व चोकर के रूप में अनाज के साथ रहते हैं। चोकर निकाल देने से शरीर के लिए, जो तत्व मिलने चाहिए, वह नहीं मिलते हैं। इसलिए आटे को छानकर चोकर को साफ करके चोकर उसी में फिर मिला देना चाहिए या मोटी चलनी से आटा
छाने। चोकर निकालने से आटा भी कम हो जाता है। अनाज की कमी को दूर करने के लिए, गरीब देश, परिवार को धनी बनाने के लिये और सदा स्वस्थ रहने के लिए आटे से चोकर को न निकालें, यह मेरी प्रार्थना है।
"चोकर क्यों न निकालें"
अनाज के ऊपर जो छिलका प्रकृति ने दिया है, वह अनाज के तत्व को रक्षा करता है। जब तक अनाज में छिलका होता है, तब तक अनाज को जमीन में बोने से उसमें अंकुर निकल कर पौधा बन जाता है। एक से अनेक रूप धारण करता है। छिलका निकल जाने पर अनाज का जीवन तत्व ही नष्ट हो जाता है। छिलका निकला कोई अनाज बोने पर उत्पन्न नहीं होगा। इसलिए जीवन तत्व के प्राप्त करने के लिये छिलका नहीं निकालना चाहिए।
प्रकृति माता ने अनाज के छिलके में, चावल के कन में ही पोषक तत्व (विटामिनों) को सुरक्षित रखा है। गेहूँ और चावल के कन में बी० विटामिन अधिक पाया जाता हैं। वैज्ञानिकों ने बी काम्पलैक्स की गोली का आविष्कार चावल के कन से किया हैं। जब हम छिलका को निकाल देते हैं, तो भोजन में बी० विटामिन की कमी हो जाती है। बी. विटामिन के अभाव में शरीर में अनेकों रोगों की उत्पत्ति होती है।
* बी० विटामिन के अभाव में नीचे लिखे रोगों को उत्पत्ति होती है -
बी० विटामिन के अभाव में हृदय की धड़कन, स्वांस लेने में कठिनाई एवं दमा हो जाता है। स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। सिर दर्द, स्नायु में दुर्बलता, सुस्ती, अनिद्रा, स्मरण शक्ति का ह्रास, जल्दी थकावट आना, हार्ट का बढ़ना, त्वचा में खुरखुरापन, कब्ज हो जाना, पैरों की जलन, साइटिका, कम सुनाई देना, कान में आवाज होना, शरीर में खाज होना, आँखों की रोशनी कम होना, मोतियाबिन्द का होना, इसी प्रकार के अनेकों रोग शरीर में उत्पन्न होते हैं।
यदि आप शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हो, तो अनाज को घर की आटा चक्की में पीसो, थोड़ा मोटा आटा पीसिये, चोकर को मत निकालिये। नित्य ताजे आटे की रोटी खाने से आपके शरीर को बी० विटामिन मिलेगा और आपका परिवार सदा स्वस्थ रहेगा।
* बी० विटामिन प्राप्त करने के खाद्य पदार्थ-
सबसे अधिक बी० विटामिन अंकुरित गेहूँ में पाया जाता हैं। गेहूँ को पीस देने पर भी विटामिन कम हो जाते हैं। मशीन से गेहूँ पिसाने पर अधिक कम होते हैं। सोयाबीन, जई, हरी मटर की फली, गेहूँ का चोकर, कन समेत चावल, शलजम, फूल गोभी, पालक, किसमिश, पत्त-गोभी, गाजर, मूली, दूध, सेव, खजूर, जामुन, खीरा, लौकी, नाशपाती, टमाटर, तिल, मूगफली, बादाम आदि खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इन खाद्य पदार्थो का उपयोग अधिक से अधिक प्राकृतिक तरीके से करना चाहिए। तभी आप को बी० विटामिन मिल सकेगा।
* बी० विटामिन के लिये चोकर चावल के मांड का प्रयोग करें -
जब शरीर में बी० विटामिन की कमी हो जाए, तो बी० काम्पलैक्स की गोली न खायें। गेहूँ के चोकर, तथा हाथ कुटे चावल के मांड का प्रयोग कीजिए।
"गेहूँ के चोकर को प्रयोग विधि"
गेहूँ के चोकर को लाकर उसे साफ कर लें। चोकर अधिक दिनों का न हो। केवल गेहूँ का ही हो, अन्य किसी आनाज का चोकर मिला न हो। चोकर में आटा भी न हो। धूप में अच्छी तरह सुखा लेंगे।

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