बिना औषधि के कब्ज को करें जड़ से खत्म

          "कब्ज दूर करने के उपाय"

   साधारण कब्ज तो फलाहार अल्पाहार से ही दूर करना अच्छा है। जुलाब की जगह अमरूद, बेल, पपीता, पके आम, सेव, हरी पत्ती के साग खाना अच्छा है। इससे शौच साफ हो जाता है। दस पन्द्रह दिन खाने से कोई हानि नहीं होती, बड़ा ही लाभ होता है। पेट भर खा सकते हैं । गाजर कब्ज को करने के लिये रामबाण है। पुराना से पुराना मल गाजर निकाल देती है।


 
   "कब्ज को दूर करने का सरल तरीका"

(१) प्रातःकाल सूर्योदय के एक घन्टे प्रथम उठ जाइये। हाथ-मुंह धोकर मिट्टी से दांत मांज कर ताम्र या मिट्टी पात्र में रखा हुआ जल पिए। यदि शौच की हाजत न हो, तो नगर के बाहर शुद्ध वायु में टहलने चले जाइये और वहीं शौच जायें। यदि शौच की हाजत हो, तो शौच होकर २-३ मील टहलिये।


(२) जलपान में, गाय के दूध का मट्ठा, मुनक्का एक छटाँक, रात के भीगे हुये बेल का शरबत, अमरूद, पपीता, अथवा अन्य कोई रसदार फल लें। १० बजे भोजन करना हो, तो केवल नींबू, शहद पानी लें।


(३) दोपहर के भोजन में, चोकर समेत आटे की रोटी, साग छिलके समेत सलाद ऋतु फल खूब चबाकर खाइये।


(४) चार बजे शाम को फल, फलों का रस, फलों का रस, सब्जी का सूप, शरबत कोई एक वस्तु लीजिये ।


(५) शाम को ७ बजे दलिया, सब्जी फल लीजिये ।


(६) पद्मासन से आध घंटे नित्य बैठने से कब्ज में आशातीत सफलता मिलती है।


(७) चार आने भर गंगा की बालू पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है।


(८) अंकुरित चना खूब चबाकर खाने से लाभ होता है।


(९) गेहूं का चोकर ५ तोला नित्य खाने से कब्ज दूर होता है।


(१०) सर्वांगासन, मत्स्यासन, हलासन, सूर्य नमस्कार, भागन, शलभासन और शवासन करने से लाभ होता है। किसी योगी से सीख कर करें।


(११) पेडू पर मिट्टी ३० मिनट के लिये रात को सोते समय या प्रातःकाल टहलने के पहले या बाद में चढ़ाने से लाभ होता है।


नोट :-तीन चार माह तक उपर्युक्त नियमों का पालन करने से आशातीत
लाभ होगा।

         "कब्ज में खाने योग्य पदार्थ"

अनाज :- गेहूं, चना, बाजरा, मकई, ज्वार का आटा, हाथ चक्की का पिसा हो, चोकर समेत हो, कुछ मोटा हो। रोटी बनाने के तीन घंटे प्रथम गूंधकर रख दिया जाए। पत्ती वाले साग, पालक, बथुआ, चौलाई, मेथी को पीसकर उसके रस से आटे को गूधे तो अच्छा है। गेह और चना को कच्चा १४ घन्टे भिगो दें, २४ घंटे मोटे कपड़े में बांधकर टाँग दें, जब अंकुर निकल आए, तब खूब चबा-चबाकर खाना चाहिये। अंकुरित गेहूं का दलिया भी खाना अच्छा है।

पत्ती वाले साग की भाजी :- पालक, बथुआ, चौलाई, लाल साग, गाजर का पत्ता, मेथी, शलजम व सरसों के पत्ते, मूली, इनको काटने के पहले खूब अच्छी तरह धो लेना चाहिए। काटने के बाद धोने से पोषक तत्व कम हो जाते हैं। पकाकर केवल हल्का नमक, हल्दी, जीरा डालकर खाना चाहिए। इनके पानी को नहीं फेंकना चाहिये ।
साग :- लौकी, तुरई, नेनुआ, परवल, टिन्डा, गाजर, टमाटर, पत्ता-गोभी, पपीता।

फल :- अमरूद, आम चूसने वाले,पपीता, ककड़ी, खीरा, खरबूजा, सेब, नासपाती, शरीफा, सन्तरा, मौसमी आदि ताजे फल उपयुक्त हैं।

सूखे फल :-अंजीर, खुमानी, मुनक्का, किसमिश, खोपरा (गोलागरी), खजूर, बेल लेना ठीक हैं। खजूर को छोड़कर सभी मेवा १२ घन्टे पहले पानी में भिगोकर लेना चाहिए।

दालः- मूग की समूची दाल रात को भिगोकर खानी चाहिए।

मट्ठा :-- गाय के दूध का पतला मट्ठा लेना अच्छा है,खट्टा न हो।

नोट :- दाल और रोटी की मात्रा कम रहे। सब्जी और फल की मात्रा ७५ प्रतिशत भोजन में रहे। दूध और घी तो पूर्ण कब्ज ठीक होने पर लेना चाहिए।

           "न खाने लायक पदार्थ"

चीनी, चीनी की बनी मिठाई, घी, तेल के
बने पदार्थ, चोकर रहित मशीन का आटा, कन और मांड रहित चावल, मैदा के बने बिस्कुट आदि। चाय, लैमन, काफी, सोडा वाटर, भैंस का दूध, घी, आलू, अरुई, कटहल, बैगन, दही की लस्सी, केला, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू यह सब वस्तुएं न खायें।

विशेष पदार्थ :- नींबू और नींबू जाति के जो भी फल हों, वह सदा खाए जा सकते हैं। धनियाँ, पुदीना, अंगूर के पत्ते की चटनी हमेशा खा सकते हैं ।

बिना औषधि के कब्ज को करें जड़ से खत्म बिना औषधि के कब्ज को करें जड़ से खत्म Reviewed by Tarun Baveja on September 20, 2020 Rating: 5

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