हम इस प्रकार भोजन को बिगाड़ रहे है

                          हमारा भोजन

    प्राकृतिक नियम के अनुसार मानव का भोजन फलाहार और शाकाहार है। सब्जी भी लोग कम ही खाते हैं। अधिकतर भारत के लोग रोटी, चावल, दाल को ही भोजन में मुख्य स्थान देते हैं। बाकी वस्तुओं को भोजन में स्थान नहीं है। घरों में जिस दिन सब्जी या फल खाकर लोग रहते हैं, उस दिन लोग उसे उपवास मानते हैं यानी आज कुछ खाया नहीं है। कई स्थानों में केवल चावल खाने की प्रथा है, कई जगहों में सत्तू खाकर ही रहते हैं। फिर भी जो भोजन बनाने और खाने की प्रथांए चल रही हैं, यदि उनमें थोड़ा-सा सुधार किया जाए, तो मानव का बड़ा कल्याण हो सकता है ।


   इस विज्ञान के युग में मशीन से तैयार किये गये खाद्य पदार्थों के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पोषक तत्वों की कमी के कारण ही अनेकों प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। इन्हीं पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिये दवा, खाने की आवश्यकता होती है। यदि खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने की प्राकृतिक व्यवस्था हो जाए, तो दवा की जरूरत न रहे ।

      खाद्य पदार्थों को मत बिगाड़िये

(१) अनाज को हाथ की चक्की में पीसना चाहिए। मशीन में पिसाने से अनाज के पोषक तत्व कम हो जाते हैं। मशीन के आटे में ई विटामिन का अभाव हो जाता है। आटा अधिक महीन पिसा न हो, मोटा आटा अच्छा रहता है। पेट साफ करता है। आटे में से चोकर मत निकालिये। चोकर में बी विटामिन होता है। बी विटामिन के अभाव में कब्ज हो जाता है। कब्ज से ही सारे रोगों की उत्पत्ति होती है। चक्की चलाने से नित्य ताजा आटा मिलता है। महिलाओं के गर्भाश्य की भी मालिश होती है। गर्भाश्य के दोष पूर्ण होने से गर्भ में जब बच्चा होता है, उसके शरीर का अच्छा निर्माण नहीं हो पाता है।

(२) मशीन का चावल ही अधिक लोग खाते हैं। हाथ से कुटा चावल मिलता ही नहीं है, मिलेगा तो भी लोग पसन्द भी नहीं करेंगे। यदि हाथ कुटा चावल मिले तो उसी का प्रयोग करना चाहिए। चावल से मांड बिल्कुल न निकाला जाए, मांड निकालने से चावल पोषक तत्व रहित हो जाता है। जितना चावल हो उससे दुगना पानी डालने से चावल ठीक बन जाता है। चावल को भी अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए। चावल के साथ थोड़ा वूट (चना) भिगोया हुआ मिला दिया जाए, तो भात
चबाकर खाया जाता है।

(३) दाल को छिलका समेत (समूची) बनानी चाहिए। रात को भिगो दें, पकाने में सुविधा रहेगी। दली दाल से छिलका निकल जाता है, छिलका स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त लाभकारी होता है।

(४) सब्जी ताजी और हरी होनी चाहिए, जिन सब्जियों के छिलके खाए जा सकते हों, उन्हें छिलके समेत ही बनाना चाहिए और काटने से पहले धो लेना चाहिए।

(५) फल भी ताजे हों जहाँ तक ऋतु फल मिलें उन्हीं का प्रयोग करना चाहिए। बाहर के फल कच्चे आते हैं, उनसे उतना लाभ नहीं मिलता है।

(६) सब्जी, दाल में मसाले का प्रयोग बिल्कुल न किया जाए। नमक, हल्दी, और जीरा डाल सकते हैं। लाल मिर्च की जगह हरी मिर्च का प्रयोग करें।

(७) भोजन के साथ दही मट्ठा का प्रयोग करना अत्यन्त हितकारी है। एक गिलास मट्ठा (छाछ) भोजन के अन्त में लेना चाहिए। दूध २५-३० मिनट बाद लिया जाए।

    मांस, मछली, अंडा, प्याज, लहसुन, मिठाई का प्रयोग बिलकुल न किया जाए। यह वस्तुयें स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त नुकसान दायक हैं ।

   भोजन में रोटी कम, सब्जी फल की मात्रा अधिक रखनी चाहिए। रोटी से तीन गुना सब्जी फल होनी चाहिए।

हम इस प्रकार भोजन को बिगाड़ रहे है हम इस प्रकार भोजन को बिगाड़ रहे है Reviewed by Tarun Baveja on September 17, 2020 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.