* भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा कोरोनावायरस से बचाव के उपाय: आयुर्वेद जीवन का ज्ञान है और जीवन का ही विज्ञान है, यह हमारी प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा कोरोनावायरस से बचाव और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जिनका पालन करने से कोरोनावायरस के खतरे को कम किया जा सकता है, जो कि एक आयुर्वेद उपचार है। जिसे देश के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्यचार्य द्वारा सुझाया गया है ,तो आइए शुरू करते हैं।
* नंबर 1 से: पूरे दिन केवल गर्म पानी पिए। इसका कारण यह है कि पानी को उबालते समय इसमें जो जीवाणु, बैक्टीरिया, वायरस या कोई विषाणु होता है तो वह नष्ट हो जाते हैं। साथ ही गर्म पानी पीने से कफ के विकार नष्ट होते हैं, चाहे वो सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार आदि। इसके साथ-साथ यह पाचन क्रिया को सुधारने में भी मदद करता है।
* नंबर 2: प्रतिदिन प्राणायाम करें। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट प्राणायाम, योग और ध्यान करें। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाइए। प्रतिदिन प्राणायाम करने से हमारी लंग्स की कैपेसिटी बढ़ती है, हमारी इनर्स स्ट्रैंथ, मेटाबॉलिज्म, एनर्जी लेवल यह सभी इंप्रूव होगा और इसे करने से हमारी शारीरिक और मानसिक क्रियाओं में भी संतुलित होता है।
* नंबर 3: भोजन बनाते समय हल्दी, जीरा, धनिया, लहसुन आदि मसालों का प्रयोग करें, इसके साथ ही तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सौंठ और मुनक्के से बनी हर्बल-टी या काढ़ा दिन में आप एक से दो बार सेंवन कर सकते हैं, इसमें स्वाद के अनुसार गुड़ या ताजे नींबू का रस आप मिला सकते हैं। इसके साथ ही 150ml गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर इस गोल्डन मिल्क का आप दिन में 1 से 2 बार सेवन करें। इसे लेने के पीछे शास्त्रीय दृष्टिकोण भी है।
कोरोनावायरस एक ड्रॉपलेटिंग इनफेक्शन है। यानी छींकते या खांसते समय जो बूंदे निकलती है, उससे यह फैलता है। तो यह हमारे गले पर और लंग्स पर असर करता है। हमारे श्वसन तंत्र, हमारे रेस्पेटरी सिस्टम पर असर करता है। आयुर्वेद में इसे "प्राणाहव-स्त्रोतस" बताया है और इससे बचाव की सलाह में जितनी भी औषधि द्रव्य बताए हैं, वो हमारे श्वसन तंत्र और लंग्स पर काम करने वाले है। ये एंटी-ऑक्सीडेंट, इन्युमोडिलेंट, एंटीवायरल और anti-inflammatory प्रॉपर्टी के हैं।
इसके साथ ही यह कफ विकारों में भी बहुत ही फायदेमंद है। फिर चाहे वो सर्दी, खांसी, बुखार, सांस फूलना, सिर में भारीपन, गला बैठना, गले में दर्द होना इन सभी में यह लाभदायक है। इसके साथ ही आयुर्वेद में अग्नि का बहुत महत्व बताया है। अगर हमारा अग्नि अच्छा है तो कोई भी बीमारी हमारे पास नहीं आ सकती। तो यह जो सभी प्रकार के औषधि द्रव्य हैं, ये हमारे पाचन संस्थान को भी सुधारने वाले हैं।
* नंबर 4: सुबह एक चम्मच यानी 10 ग्राम की मात्रा में च्यवनप्राश का सेवन करें। मधुमेह रोगी शुगर फ्री च्यवनप्राश ले। च्यवनप्राश एक anti oxident और antigen है। ये टॉन्टिक जैसे काम करता है। हमारे फेफड़ों को बल देने वाला है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से ये उत्कृष्ट रसायन है, धातु वृद्धि करने वाला, औज वृद्धि करने वाले, हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाने वाला है। च्यवनप्राश का सेंवन बच्चे, बुजुर्ग सभी कर सकते हैं।
* नंबर 5: नश्य क्रिया। नाक के दोनों नत्थों में तेल, नारियल का तेल या गाय का देसी घी आपको लगाना है। ये बहुत ही आसान और असरदार तरीका है, ड्रॉपलेट इनफेक्शन से बचाव के लिए। एलर्जी, साइनोसाइटिस, मेजर इंफेक्शन, कंजेशन के लिए यह बहुत ही उपयुक्त है।
* नंबर 6: ऑयल पुलिंग थैरेपी। इस थैरेपी में आप एक चम्मच नारियल का तेल लेकर के उसे मुंह में लेकर अंदर घुमाना है और उसे दो-तीन मिनट रखकर उसे बाहर निकाल दें और फिर गर्म पानी से कुल्ला कर लीजिए। इससे दोनों 'नश्य क्रिया' और 'ऑयल पुलिंग थैरेपी' यानी नाक और गले में एक ऑयल की लेयर बन जाएगी, जो विषाणु के अंदर प्रवेश करने में यानी हमारे ड्रॉपलेट इनफेक्शन से खुद के बचाव करने में हमें मदद करेगी।
अगर सुखी खासी या गले में खराश हो तो गर्म पानी में पुदीने के पत्ते या अजवाइन डालकर उसकी भाप आप ले सकते हैं। इसके साथ ही लौंग के चूर्ण में एक चम्मच शहद मिलाकर उसे दिन में दो से तीन बार आप उसका सेवन कर सकते हैं। इससे आपकी सूखी खांसी और गले की खराश से आपको राहत मिलेगी।
आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सुझाय गए, यह सभी उपाय प्रतिबंधात्मक या रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने से संबंधित है, ये कोरोनावायरस की चिकित्सा नहीं है। अगर आपको खासी है, बुखार है, सांस लेने में तकलीफ है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सा जरूर कराइए।
* नंबर 1 से: पूरे दिन केवल गर्म पानी पिए। इसका कारण यह है कि पानी को उबालते समय इसमें जो जीवाणु, बैक्टीरिया, वायरस या कोई विषाणु होता है तो वह नष्ट हो जाते हैं। साथ ही गर्म पानी पीने से कफ के विकार नष्ट होते हैं, चाहे वो सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार आदि। इसके साथ-साथ यह पाचन क्रिया को सुधारने में भी मदद करता है।
* नंबर 2: प्रतिदिन प्राणायाम करें। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट प्राणायाम, योग और ध्यान करें। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाइए। प्रतिदिन प्राणायाम करने से हमारी लंग्स की कैपेसिटी बढ़ती है, हमारी इनर्स स्ट्रैंथ, मेटाबॉलिज्म, एनर्जी लेवल यह सभी इंप्रूव होगा और इसे करने से हमारी शारीरिक और मानसिक क्रियाओं में भी संतुलित होता है।
* नंबर 3: भोजन बनाते समय हल्दी, जीरा, धनिया, लहसुन आदि मसालों का प्रयोग करें, इसके साथ ही तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सौंठ और मुनक्के से बनी हर्बल-टी या काढ़ा दिन में आप एक से दो बार सेंवन कर सकते हैं, इसमें स्वाद के अनुसार गुड़ या ताजे नींबू का रस आप मिला सकते हैं। इसके साथ ही 150ml गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर इस गोल्डन मिल्क का आप दिन में 1 से 2 बार सेवन करें। इसे लेने के पीछे शास्त्रीय दृष्टिकोण भी है।
कोरोनावायरस एक ड्रॉपलेटिंग इनफेक्शन है। यानी छींकते या खांसते समय जो बूंदे निकलती है, उससे यह फैलता है। तो यह हमारे गले पर और लंग्स पर असर करता है। हमारे श्वसन तंत्र, हमारे रेस्पेटरी सिस्टम पर असर करता है। आयुर्वेद में इसे "प्राणाहव-स्त्रोतस" बताया है और इससे बचाव की सलाह में जितनी भी औषधि द्रव्य बताए हैं, वो हमारे श्वसन तंत्र और लंग्स पर काम करने वाले है। ये एंटी-ऑक्सीडेंट, इन्युमोडिलेंट, एंटीवायरल और anti-inflammatory प्रॉपर्टी के हैं।
इसके साथ ही यह कफ विकारों में भी बहुत ही फायदेमंद है। फिर चाहे वो सर्दी, खांसी, बुखार, सांस फूलना, सिर में भारीपन, गला बैठना, गले में दर्द होना इन सभी में यह लाभदायक है। इसके साथ ही आयुर्वेद में अग्नि का बहुत महत्व बताया है। अगर हमारा अग्नि अच्छा है तो कोई भी बीमारी हमारे पास नहीं आ सकती। तो यह जो सभी प्रकार के औषधि द्रव्य हैं, ये हमारे पाचन संस्थान को भी सुधारने वाले हैं।
* नंबर 4: सुबह एक चम्मच यानी 10 ग्राम की मात्रा में च्यवनप्राश का सेवन करें। मधुमेह रोगी शुगर फ्री च्यवनप्राश ले। च्यवनप्राश एक anti oxident और antigen है। ये टॉन्टिक जैसे काम करता है। हमारे फेफड़ों को बल देने वाला है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से ये उत्कृष्ट रसायन है, धातु वृद्धि करने वाला, औज वृद्धि करने वाले, हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाने वाला है। च्यवनप्राश का सेंवन बच्चे, बुजुर्ग सभी कर सकते हैं।
* नंबर 5: नश्य क्रिया। नाक के दोनों नत्थों में तेल, नारियल का तेल या गाय का देसी घी आपको लगाना है। ये बहुत ही आसान और असरदार तरीका है, ड्रॉपलेट इनफेक्शन से बचाव के लिए। एलर्जी, साइनोसाइटिस, मेजर इंफेक्शन, कंजेशन के लिए यह बहुत ही उपयुक्त है।
* नंबर 6: ऑयल पुलिंग थैरेपी। इस थैरेपी में आप एक चम्मच नारियल का तेल लेकर के उसे मुंह में लेकर अंदर घुमाना है और उसे दो-तीन मिनट रखकर उसे बाहर निकाल दें और फिर गर्म पानी से कुल्ला कर लीजिए। इससे दोनों 'नश्य क्रिया' और 'ऑयल पुलिंग थैरेपी' यानी नाक और गले में एक ऑयल की लेयर बन जाएगी, जो विषाणु के अंदर प्रवेश करने में यानी हमारे ड्रॉपलेट इनफेक्शन से खुद के बचाव करने में हमें मदद करेगी।
अगर सुखी खासी या गले में खराश हो तो गर्म पानी में पुदीने के पत्ते या अजवाइन डालकर उसकी भाप आप ले सकते हैं। इसके साथ ही लौंग के चूर्ण में एक चम्मच शहद मिलाकर उसे दिन में दो से तीन बार आप उसका सेवन कर सकते हैं। इससे आपकी सूखी खांसी और गले की खराश से आपको राहत मिलेगी।
आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सुझाय गए, यह सभी उपाय प्रतिबंधात्मक या रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने से संबंधित है, ये कोरोनावायरस की चिकित्सा नहीं है। अगर आपको खासी है, बुखार है, सांस लेने में तकलीफ है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सा जरूर कराइए।
आयुष मंत्रालय द्वारा जारी - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू उपाय
Reviewed by Tarun Baveja
on
September 04, 2020
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