"फलों का महत्व एवं उनके प्रयोग"
केला -
केला फल नहीं है। रोटी की जगह खाना चाहिए। केला में स्टार्च और शर्करा अधिक होती है। यह पौष्टिक पदार्थ है। केला खूब पका होना चाहिए। केले की धार को बाँध कर टांग दो जैसे २ पकता जाए, तब निकाल कर खाना चाहिए। केले के छिलके के ऊपर जब काली चित्ती आ जाए, तब पका हुआ समझना चाहिए। केले के छिलके के नीचे ही विटामिन होते हैं। छिलका जब काला पड़ने लगता है, तब केले के विटामिन केले के गूदे में चले जाते हैं, छिलका पतला पड़ जाता है। ऐसा केला ही स्वास्थ्य के लिये उपयोगी होता है। केले का एक प्रधान गुण है, कि इसमें कीड़ा नहीं पड़ता है। गरीब, अमीर, बच्चा, बूढ़ा, जवान सभी खा सकते हैं । सस्ता और उपयोगी फल है।
केला कई प्रकार का होता है। एक चुनिया और एक भुसावल, यही दो प्रकार के केले ज्यादा चलते हैं, भुसावली केला खाने में बहुत अच्छा होता है।
एक केले के खाने में २-३ मिनट का समय लगना चाहिए। तभी उसका लाभ मिल सकता है। छोटे बच्चों को दूध में चीनी की जगह खूब पका केला मिला कर देना चाहिए। चीनी बच्चों के लिये हानिकर होती है, केला लाभकारी है। पके केले को दूध में अच्छी तरह मिला दें, कपड़े से छानकर दे सकते हैं।
खीर, सलाद, मीठा दलिया, में केले का प्रयोग बड़े आराम से किया जा सकता है। केले का हलुआ भी बनाया जा सकता है। दूध और केला खाने से शरीर सुडौल हो जाता है। परन्तु अधिक प्रयोग न करें। गठिया, शुगर एवं रोग की अवस्थाओं में केला नहीं खाना चाहिए।
कमजोर और दुबले बच्चों को दही, केला, मूगफली को अंकुरित करके प्रातः और सायं काल कुल मिलाकर १०० से २०० ग्राम तक दिया जाए,इससे स्वास्थ्य अच्छा बनेगा और दुबलापन दूर हो जाएगा। आटे के साथ पके केले को मिलाकर रोटी बना सकते हैं। चावल में
केला, मूंगफली, खजूर डालकर पकाया जाए, तो पौष्टिक हो जाएगा।
Reviewed by Tarun Baveja
on
September 20, 2020
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