* व्रत रखने से स्वास्थ्य में सुधार और इसके फायदें: आज देश के ही नहीं बल्कि विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है, स्वास्थ्य की समस्या। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मौत का कारण चार बड़ी बीमारीयां है। जिनको हम गैर संचारी रोग कहते हैं। यह डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिसीज़ मतलब दिल की बीमारिया, कुछ टाइप ऑफ़ कैंसर भी इसमें है, और फेफड़ों की बीमारी। ये चार बड़े कारण है, जिनसे सबसे ज्यादा मौतें पूरे विश्व में होती हैं। अगर आप देखें तो यह चारों बीमारियां और अधिकतर बीमारियां मनुष्य के शरीर में एसिडिटी बढ़ने के कारण होती हैं। वो पेट की एसिडिटी हो सकती है या खून में एसिडिटी बढ़ने के कारण हो सकती है।
मेडिकल मॉडर्न साइंस की एक रिसर्च के अनुसार, अगर कैंसर सेल्स को Alkaline Environment में जब रखा गया। Alkaline मतलब क्षारीय एनवायरमेंट में जब रखा गया, तब वो ग्रो नहीं कर पायी, मतलब वो फैल नहीं पायी। इसका मतलब कैंसर की बीमारी Alkaline Environment में पैदा नहीं हो सकती। आज हम जो भी खाना खा रहे हैं, वो ऐसिडिक है, हमारे शरीर के, पेट के और हमारे खून की एसिडिटी को बढ़ाता है। जिससे अधिकतर बीमारियां पैदा होती हैं। अगर हम योग, प्राणायाम, ध्यान या ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं या युवा अवस्था में हमारी एसिडिटी बढ़ी हुई है तो वो एक बहुत बड़ी समस्या है और फिर हम ब्रह्मचर्य का पालन और योग, साधना अच्छे से नहीं कर सकते। इसके लिए हमें अपनी बॉडी का PH लगभग 7 के आस-पास न्यूट्रल रखना होगा, तभी हम ब्रह्मचर्य, योग, ध्यान और साधना का अभ्यास अपनी दिनचर्या में सुचारु रूप से ला सकते हैं। अगर युवा है तो अच्छी बॉडी बना सकते हैं। योग, साधना और ध्यान अगर करना है तो वो भी अच्छे से हो सकता है।
हमारे शरीर की संरचना बहुत ही अच्छे तरीके से की गई है, परमात्मा के द्वारा। यह खुद को डिटॉक्सिफाई कर सकता है। मतलभ अगर हमारे शरीर में कुछ जहर चला गया है, कोई जहरीला पदार्थ चले गए हैं तो हमारे शरीर की संरचना ऐसी है कि काफी हद तक इस जहरीले पदार्थों को हमारा शरीर खुद पर खुद निकाल देगा। लेकिन उसके लिए कुछ हमें अपनाने की जरूरत है, वो भी बड़ी चीज नहीं है। बस फर्क इतना है कि हम समय के साथ उसको भूल गए हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हम तीन समय जो खाना खाते हैं, उसमें दवाइयों का प्रयोग, खाद्य में कीटनाशक और समय से पूर्व जल्दी उत्पादन करने के लिए बहुत-सी जहरीले स्प्रे का उपयोग भरपूर मात्रा में करते हैं। वो जहर है, जो हमारे शरीर में जा रहा है, खाने के साथ। जिसे हम रोक नहीं सकते। अगर आप जैविक खेती, जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं तो अलग बात है। लेकिन आज वो आज इस्तेमाल करते कितना है, यह भी एक महत्वपूर्ण बात है।
इसके साथ-साथ जब हम डिटॉक्सिफिकेशन की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में यह आता है कि हम किसी दवाई, औषधि, सिरप या कोई टॉनिक इस तरह का कुछ ले लेंगे और हमारा शरीर डिटॉक्सिफाई कर लेगा, अपने आप को। यह एक मानसिकता हो गई है, कि हम कितने डिपेंडेंट हो गए हैं, इन चीजों पर। लेकिन हमारे शरीर को इन सब में से किसी भी चीज की जरूरत नहीं है, वह खुद पर खुद अपने आप को डिटॉक्सिफाई करने की क्षमता रखता है और कहीं ना कहीं हम अपने शरीर को कम आकते हैं, उसकी स्ट्रैंथ को, उसकी पावर से; क्योंकि हमारे शरीर में बहुत ही ज्यादा ताकत है, हमें बस उसको बाहर निकालने की आवश्यकता है।
अक्सर यह कहां जाता हैं कि Intermittent Fasting is a good way to live healthy and long life. तो आपको सुनने में, यह बहुत अच्छा लगेगा और आप यह भी सोचेगे कि यह क्या फॉर्मूला है कि जिससे हम हेल्दी, स्वस्थ और एक लंबा जीवन जी सकते हैं। लेकिन अगर मैं आपको यह कहूं कि आपको खाली पेट रहना है या व्रत रखना है, जिससे आप स्वस्थ रह सकते हैं तो आप थोड़ा-सा हिच-किचाएगे; क्योंकि ये हमारी मानसिकता बन चुकी है कि क्या खाली पेट या व्रत रहने से ही स्वास्थ्य थोड़ा ठीक रखा जा सकता है। लेकिन यह सच है। यह केवल हमारी मानसिकता हो गई है।
Canadian Medical Association General के अनुसार- अगर हम अपने शरीर को 10 से 16 घंटे अपने पेट को खाली रखते हैं और कुछ भी खाना नहीं खाते हैं तो हमारा शरीर एनर्जी के लिए, जो स्टोर फैट सेल्स है, मतलब जो चर्बी है, हमारे शरीर में। उसका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। जिससे शरीर में कीटो़न रिलीज हो जाते हैं और जो चार गंभीर बीमारियां है, जो सबसे ज्यादा मौत का कारण है, पूरे विश्व में। उनसे हमारे शरीर को बचाता है, ऐसी बीमारी हमारे शरीर में होने के चांसेस बहुत कम होते हैं। कनाडा की यह संस्था इनडायरेक्टली यह कहना चाहती हैं, कि अगर हम व्रत रख ले और अपने शरीर में कुछ खाने के लिए ना जाने दे, 16 - 17 घंटे तब हम अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं।
इसके साथ-साथ American Heart Association ने यहां तक कह दिया है, कि अगर आप व्रत रखते हैं, तो यह आपके शरीर में हार्ट फैलियर के यानी हार्ट अटैक के चांसेस को कम कर देता है। आपके शरीर में जो HDL, जो अच्छा कॉलेस्ट्रॉल है, उसको बढ़ाता है और जो LDL गंदा कॉलेस्ट्रॉल है, जिससे हार्ट और दिल की बीमारियां होती है, इसको कम कर देता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की यह शोध 2017 में हुई है। जिसमें यह भी कहा गया है कि व्रत रखने से आप अपने शरीर के ब्लड प्रेशर को भी मेंटेन रख सकते हैं। मतलब ब्लड प्रेशर की बीमारी से भी बचा जा सकता है, अगर हम व्रत रखते हैं, तो। इसके पीछे का जो मेन कारण है, वो ये है, कि शरीर अपने आप को डिटॉक्सिफाई करना शुरू कर देता है, जब हम 12 से 14 घंटे या 12 से 16 घंटे तक खाली पेट रहते हैं।
* दूसरा तरीका- हफ्ते में एक दिन या 2 दिन आप व्रत रख सकते हैं। जिसका आजकल धार्मिक रूप ज्यादा रख दिया गया है। लेकिन वो स्वास्थ्य की दृष्टि से हमें देखना चाहिए। उसमें आजकल वाले व्रत नहीं, जिसमें लोग थोड़े-थोड़े के अन्तराल पर ही कुछ ना कुछ खाते रहते हैं; क्योंकि आजकल तो व्रत के नाम पर बहुत सारी आइटम आ गयी है, जिसका बहुत से लोग सेंवन करते रहते हैं। लोग व्रत के नाम पर भी भोगी हो गए हैं ,ऐसा व्रत न रखकर। इसके विपरीत ऐसा व्रत रखें, जिसमें 24 घंटे में एक बार खाना खांए, वो भी बिना नमक, मिर्च-मसाले का और इसमें अगर अन्न की मात्रा, गेहूं की मात्रा कम ले तो, वो और भी ज्यादा फायदेमंद होगा। यह हमारे शरीर को डिटॉक्सिफाई कर देगा और हमें स्वस्थ जीवन की ओर लेकर जाएगा।
हमारे शरीर की प्रवृत्ति त्याग की प्रवृति है। आप जब एक बार व्रत रखना शुरू करेंगे तो हो सकता है, आपको एक दो महीने तक ऐसा डिस्कंफर्ट फील हो, लेकिन धीरे-धीरे जब हम इसको करना शुरू करेंगे तो तीन-चार महीनों के बाद हमें लगेगा कि जिस दिन हम व्रत रखते हैं, उससे अगले दिन हमारे शरीर की एनर्जी का लेवल ज्यादा होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग रखने के लिए हमें यह ध्यान जरूर रखना है कि उस दिन हम अगर लिक्विड डाइट लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। जैसे- दूध, लस्सी, फ्रेश जूस इत्यादि। इसके साथ ही पानी जरूर पीते रहना चाहिए; क्योंकि जो पेट में एसिड रिलीज होता है, वो न्यूट्रलाइजड़ होता रहे, ताकि हमारे पेट की भी सफाई होती रहे और शरीर से जहरीले पदार्थ निकल सके।
इन दोनो तरीकों में से किसी एक को हम अपनी रूटिन में शामिल कर सकते हैं। अगर आप डिनर जल्दी करने का रूटिन बनाते हैं, तो वो भी अच्छा है और यदि हफ्ते में एक बार इंटरमिटेंट फास्टिंग रखते हैं और अपने शरीर को स्वस्थ रखते हैं, तो इनमें से कोई भी ऑप्शन आप अपना सकते हैं।
एक स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण तभी हो सकता है, जब हम अपने आप को स्वस्थ रखेंगे।
मेडिकल मॉडर्न साइंस की एक रिसर्च के अनुसार, अगर कैंसर सेल्स को Alkaline Environment में जब रखा गया। Alkaline मतलब क्षारीय एनवायरमेंट में जब रखा गया, तब वो ग्रो नहीं कर पायी, मतलब वो फैल नहीं पायी। इसका मतलब कैंसर की बीमारी Alkaline Environment में पैदा नहीं हो सकती। आज हम जो भी खाना खा रहे हैं, वो ऐसिडिक है, हमारे शरीर के, पेट के और हमारे खून की एसिडिटी को बढ़ाता है। जिससे अधिकतर बीमारियां पैदा होती हैं। अगर हम योग, प्राणायाम, ध्यान या ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं या युवा अवस्था में हमारी एसिडिटी बढ़ी हुई है तो वो एक बहुत बड़ी समस्या है और फिर हम ब्रह्मचर्य का पालन और योग, साधना अच्छे से नहीं कर सकते। इसके लिए हमें अपनी बॉडी का PH लगभग 7 के आस-पास न्यूट्रल रखना होगा, तभी हम ब्रह्मचर्य, योग, ध्यान और साधना का अभ्यास अपनी दिनचर्या में सुचारु रूप से ला सकते हैं। अगर युवा है तो अच्छी बॉडी बना सकते हैं। योग, साधना और ध्यान अगर करना है तो वो भी अच्छे से हो सकता है।
हमारे शरीर की संरचना बहुत ही अच्छे तरीके से की गई है, परमात्मा के द्वारा। यह खुद को डिटॉक्सिफाई कर सकता है। मतलभ अगर हमारे शरीर में कुछ जहर चला गया है, कोई जहरीला पदार्थ चले गए हैं तो हमारे शरीर की संरचना ऐसी है कि काफी हद तक इस जहरीले पदार्थों को हमारा शरीर खुद पर खुद निकाल देगा। लेकिन उसके लिए कुछ हमें अपनाने की जरूरत है, वो भी बड़ी चीज नहीं है। बस फर्क इतना है कि हम समय के साथ उसको भूल गए हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हम तीन समय जो खाना खाते हैं, उसमें दवाइयों का प्रयोग, खाद्य में कीटनाशक और समय से पूर्व जल्दी उत्पादन करने के लिए बहुत-सी जहरीले स्प्रे का उपयोग भरपूर मात्रा में करते हैं। वो जहर है, जो हमारे शरीर में जा रहा है, खाने के साथ। जिसे हम रोक नहीं सकते। अगर आप जैविक खेती, जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं तो अलग बात है। लेकिन आज वो आज इस्तेमाल करते कितना है, यह भी एक महत्वपूर्ण बात है।
इसके साथ-साथ जब हम डिटॉक्सिफिकेशन की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में यह आता है कि हम किसी दवाई, औषधि, सिरप या कोई टॉनिक इस तरह का कुछ ले लेंगे और हमारा शरीर डिटॉक्सिफाई कर लेगा, अपने आप को। यह एक मानसिकता हो गई है, कि हम कितने डिपेंडेंट हो गए हैं, इन चीजों पर। लेकिन हमारे शरीर को इन सब में से किसी भी चीज की जरूरत नहीं है, वह खुद पर खुद अपने आप को डिटॉक्सिफाई करने की क्षमता रखता है और कहीं ना कहीं हम अपने शरीर को कम आकते हैं, उसकी स्ट्रैंथ को, उसकी पावर से; क्योंकि हमारे शरीर में बहुत ही ज्यादा ताकत है, हमें बस उसको बाहर निकालने की आवश्यकता है।
अक्सर यह कहां जाता हैं कि Intermittent Fasting is a good way to live healthy and long life. तो आपको सुनने में, यह बहुत अच्छा लगेगा और आप यह भी सोचेगे कि यह क्या फॉर्मूला है कि जिससे हम हेल्दी, स्वस्थ और एक लंबा जीवन जी सकते हैं। लेकिन अगर मैं आपको यह कहूं कि आपको खाली पेट रहना है या व्रत रखना है, जिससे आप स्वस्थ रह सकते हैं तो आप थोड़ा-सा हिच-किचाएगे; क्योंकि ये हमारी मानसिकता बन चुकी है कि क्या खाली पेट या व्रत रहने से ही स्वास्थ्य थोड़ा ठीक रखा जा सकता है। लेकिन यह सच है। यह केवल हमारी मानसिकता हो गई है।
Canadian Medical Association General के अनुसार- अगर हम अपने शरीर को 10 से 16 घंटे अपने पेट को खाली रखते हैं और कुछ भी खाना नहीं खाते हैं तो हमारा शरीर एनर्जी के लिए, जो स्टोर फैट सेल्स है, मतलब जो चर्बी है, हमारे शरीर में। उसका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। जिससे शरीर में कीटो़न रिलीज हो जाते हैं और जो चार गंभीर बीमारियां है, जो सबसे ज्यादा मौत का कारण है, पूरे विश्व में। उनसे हमारे शरीर को बचाता है, ऐसी बीमारी हमारे शरीर में होने के चांसेस बहुत कम होते हैं। कनाडा की यह संस्था इनडायरेक्टली यह कहना चाहती हैं, कि अगर हम व्रत रख ले और अपने शरीर में कुछ खाने के लिए ना जाने दे, 16 - 17 घंटे तब हम अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं।
इसके साथ-साथ American Heart Association ने यहां तक कह दिया है, कि अगर आप व्रत रखते हैं, तो यह आपके शरीर में हार्ट फैलियर के यानी हार्ट अटैक के चांसेस को कम कर देता है। आपके शरीर में जो HDL, जो अच्छा कॉलेस्ट्रॉल है, उसको बढ़ाता है और जो LDL गंदा कॉलेस्ट्रॉल है, जिससे हार्ट और दिल की बीमारियां होती है, इसको कम कर देता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की यह शोध 2017 में हुई है। जिसमें यह भी कहा गया है कि व्रत रखने से आप अपने शरीर के ब्लड प्रेशर को भी मेंटेन रख सकते हैं। मतलब ब्लड प्रेशर की बीमारी से भी बचा जा सकता है, अगर हम व्रत रखते हैं, तो। इसके पीछे का जो मेन कारण है, वो ये है, कि शरीर अपने आप को डिटॉक्सिफाई करना शुरू कर देता है, जब हम 12 से 14 घंटे या 12 से 16 घंटे तक खाली पेट रहते हैं।
इसमें आप खुद को दो तरीके से मेंटेन कर सकते हैं- हम जो रात का डिनर करते है, रात का जो खाना खाते है, वो 7:00 बजे खाएं और अगर हम सुबह का खाना 8:00 या 9:00 बजे खाएंगे तो यह लगभग 12 घंटे हो जाते हैं। फिर शरीर अपने आप को हर रोज़ डिटॉक्सिफाई करे लेगा। मतलब कुछ भी जहरीला पदार्थ या कोई भी चीज़, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है, तो शरीर इसको डेली निकालता रहेगा अपने आप।
* दूसरा तरीका- हफ्ते में एक दिन या 2 दिन आप व्रत रख सकते हैं। जिसका आजकल धार्मिक रूप ज्यादा रख दिया गया है। लेकिन वो स्वास्थ्य की दृष्टि से हमें देखना चाहिए। उसमें आजकल वाले व्रत नहीं, जिसमें लोग थोड़े-थोड़े के अन्तराल पर ही कुछ ना कुछ खाते रहते हैं; क्योंकि आजकल तो व्रत के नाम पर बहुत सारी आइटम आ गयी है, जिसका बहुत से लोग सेंवन करते रहते हैं। लोग व्रत के नाम पर भी भोगी हो गए हैं ,ऐसा व्रत न रखकर। इसके विपरीत ऐसा व्रत रखें, जिसमें 24 घंटे में एक बार खाना खांए, वो भी बिना नमक, मिर्च-मसाले का और इसमें अगर अन्न की मात्रा, गेहूं की मात्रा कम ले तो, वो और भी ज्यादा फायदेमंद होगा। यह हमारे शरीर को डिटॉक्सिफाई कर देगा और हमें स्वस्थ जीवन की ओर लेकर जाएगा।
हमारे शरीर की प्रवृत्ति त्याग की प्रवृति है। आप जब एक बार व्रत रखना शुरू करेंगे तो हो सकता है, आपको एक दो महीने तक ऐसा डिस्कंफर्ट फील हो, लेकिन धीरे-धीरे जब हम इसको करना शुरू करेंगे तो तीन-चार महीनों के बाद हमें लगेगा कि जिस दिन हम व्रत रखते हैं, उससे अगले दिन हमारे शरीर की एनर्जी का लेवल ज्यादा होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग रखने के लिए हमें यह ध्यान जरूर रखना है कि उस दिन हम अगर लिक्विड डाइट लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। जैसे- दूध, लस्सी, फ्रेश जूस इत्यादि। इसके साथ ही पानी जरूर पीते रहना चाहिए; क्योंकि जो पेट में एसिड रिलीज होता है, वो न्यूट्रलाइजड़ होता रहे, ताकि हमारे पेट की भी सफाई होती रहे और शरीर से जहरीले पदार्थ निकल सके।
इन दोनो तरीकों में से किसी एक को हम अपनी रूटिन में शामिल कर सकते हैं। अगर आप डिनर जल्दी करने का रूटिन बनाते हैं, तो वो भी अच्छा है और यदि हफ्ते में एक बार इंटरमिटेंट फास्टिंग रखते हैं और अपने शरीर को स्वस्थ रखते हैं, तो इनमें से कोई भी ऑप्शन आप अपना सकते हैं।
एक स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण तभी हो सकता है, जब हम अपने आप को स्वस्थ रखेंगे।
उपवास का महत्व और इसका वैज्ञानिक कारण
Reviewed by Tarun Baveja
on
September 03, 2020
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