कैसे स्वामी दयानंद ने ब्रह्मचर्य से असाधारण काम किए

* ब्रह्मचर्य एक चमत्कारी शक्ति: स्वामी दयानंद सरस्वती जिन्होंने ब्रह्मचर्य के बल पर इतनी शक्ति, बल, असीमित स्मरण शक्ति, को प्राप्त किया था। एक अद्भुत चमत्कार की भाति। इनकी इन्हीं अपार और अद्भुत शक्तियों के कारण ही इन्हें एक महान महापुरूष का दर्जा प्राप्त है। इनकी शक्तियों की व्याख्या को पढ़कर कई लोग विश्वास ही नहीं कर पाते; क्योंकि इनका ज्ञान और बल इतना अधिक हो गया था, जो एक साधारण मनुष्य के लिए एक चमत्कार से कम नहीं था। 
   आज हम इनके जीवन की ऐसी ही तीन वास्तविक घटना के बारे मे बात करेंगे, जिसको पढ़कर आप ब्रह्मचर्य को अपनाने पर विवश हो जाएगे और निरंतर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे। मतलब आपकी ब्रह्मचर्य पालन करने के प्रति रुचि और भी अधिक बढ़ जाएगी। तो आइए शुरू करते हैं।

* पहला तथ्य: स्वामी दयानंद सरस्वती जी लगातार ब्रह्मचर्य और आर्य समाज का बड़ा प्रचार करते थे और ऐसा कहा जाता था कि कोई भी व्यक्ति, कोई भी नौजवान जब एक बार उनकी कथा सुन लेता है, तो वह व्यक्ति उनके साथ जुड़ जाता है और ब्रह्मचर्य का पालन करने लगता है।

      स्वामी दयानंद सरस्वती जी अलग-अलग प्रदेशों में जाकर भी आर्य समाज का प्रचार करते थे और उनकी इस व्याख्या से कई लोग उनसे प्रभावित भी हो गए थे। उनकी कथा का प्रभाव इतना था, कि बहुत से लोग तो कई सौ किलोमीटर दूर से चलकर वहां आते थे, उनको सुनने।

      ऐसे ही, एक सभा में जब स्वामी दयानंद सरस्वती जी ब्रह्मचर्य का महत्व समझा रहे थे और बता रहे थे, कि ब्रह्मचर्य से शारीरिक और मानसिक दोनों शक्तियां बढ़ती है, दोनों के वेग में वृद्धि होती है और जो लोग सभा में आए थे, वह बड़े ध्यान से स्वामी दयानंद सरस्वती जी को सुन रहे थे, सभा खत्म होने के बाद, सभी व्यक्ति अपने राह पर जाने लगे तो उनमें से एक व्यक्ति स्वामी जी के सामने खड़ा हो गया और उनसे बोला, कि "आप ब्रह्मचारी है, ब्रह्मचर्य से जुड़ी आप बहुत सारी व्याख्या देते हैं, आपकी व्याख्या से कई लोग प्रभावित भी होते हैं, आप एक ब्रह्मचर्य जीवन जीने वाले हैं और मैं एक पारिवारिक जीवन जीने वाला हूं, लेकिन आप में और मुझ में ऐसा कोई फर्क नहीं दिखता"। तो स्वामी दयानंद सरस्वती जी उसे देखकर और वहां से मुस्कुराकर चले गए और वह बैलगाड़ी वाला व्यक्ति भी उस सभा से चला गया और बैलगाड़ी के साथ अपनी राह पर चलने लगा।

      लेकिन जब वह व्यक्ति बैलों के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था, तब बैलगाड़ी टस से मस नहीं हुई, हिली तक नहीं। मतलब उसका चक्का 1 इंच भी आगे नहीं बढ़ा। उसके दोनों बैल अपना पूरा बल लगाकर आगे बढ़ने की कोशिश करते रहे, करते रहे। लेकिन वह बैलगाड़ी जरा-सी भी आगे नहीं बढ़ी और उस बैलगाड़ी वाले ने जब पीछे आकर देखा, कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने हाथों से उस बैलगाड़ी का पहिया पकड़े हुआ है। तब उस बैलगाड़ी वाले को समझ में आया कि ब्रह्मचर्य की क्या ताकत होती है। फिर उस बैलगाड़ी वाले को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और वह स्वामी जी के चरणों में गिर गया।

* दूसरा तथ्य: यह तथ्य दो सांडों की लड़ाई की वास्तविक घटना है। एक बार दो सांड आपस में बाजार में लड़ रहे थे। अब आपको भी पता है, कि सांड़ो की क्या ताकत होती है। वह खुद तो हिलते ही हैं और साथ में पूरे बाजार को भी हिला देते है। तो ऐसे में वह सांड किसी के रोके नहीं रुक रहे थे और ऐसे में किसी व्यक्ति में इतना दम भी नहीं कि उन दोनों सांडों की लड़ाई को रोक सके।

      तो ऐसे में स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने बल का प्रदर्शन दिखाया। उन्होंने एक सांड को पहले हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से दूसरे सांड को पकड़ा और दोनों को ऐसा घुमाया की एक सांड दूसरी दिशा में और दूसरा सांड दूसरी दिशा में। ऐसे में दोनों सांड डरकर भाग गए और जैसे-तैसे करके बाजार में शांति आई। 

* तीसरा तथ्य: एक बार स्वामी दयानंद सरस्वती जी किसी स्थान पर ठहरे थे और जहां पर वह ठहरे थे, उसके पास ही एक नया भवन बन रहा था। एक दिन अचानक से उस भवन की छत टूट पड़ी और छत के टूटते ही उसके नीचें कई लोग दब गए। जो लोग दब गए थे, वो तो एकदम से अर्धमरे से हो गए थे और कोई रास्ता निकाले नहीं निकल रहा था। दबे हुए व्यक्ति अपने जीवित रहने की सूचना बाहर वाले व्यक्तियों को चिल्ला कर दे रहे थे। मतलब वह चिल्ला कर बता रहे थे कि हां.. हम जीवित हैं। हमें बचा लो। और स्थिति इतनी बेकार थी कि कोई भी व्यक्ति अंदर जाने की, उनके पास जाने की हिम्मत ही नहीं कर रहा था।

      तब स्वामी जी आस-पास लगी भीड़ को देखकर उत्सुक हुए और पूछने पर जब उन्हें पता चला कि कई व्यक्ति छत के नीचे दबे गए हैं। तब स्वामी जी आगे बढ़े और एक हाथ से ही पूरी की पूरी छत को एक तरफ किया और तब जो व्यक्ति दबे हुए थे, उनकी जान की जान में आई। अब ऐसा नहीं है कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से सिर्फ शारीरिक बल बढ़ता है, बल्कि मानसिक बल भी बढ़ता है और बुद्धि भी बढ़ती है।
कैसे स्वामी दयानंद ने ब्रह्मचर्य से असाधारण काम किए कैसे स्वामी दयानंद ने ब्रह्मचर्य से असाधारण काम किए Reviewed by Tarun Baveja on September 03, 2020 Rating: 5

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