रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए बिना पैसे खर्च किए

नमस्कार

आज का हमारा विषय है आपने रोग प्रतिरोधक शक्ति को कैसे बढ़ाया जाए। वह भी बिना पैसे खर्च किये। यानी घर पर ही आप क्या उपाय कर सकते हैं और अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ा सकते हैं। इसके बारे में चर्चा करेंगे आज के टॉपिक में। हमारी कुछ साल पहले की जो लाइफस्टाइल देखें। वो टाइम कि हमारी लाइफ स्टाइल और आज की लाइफ स्टाइल बहुत अंतर है आज फिजिकल कंफर्ट बहुत बढ़ गया है  टेक्नोलॉजी इंप्रूव हुई है।  मेडिकल फैसिलिटी भी बहुत बढ़ गई है लेकिन हा बीमारिया भी बढ़ती जा रही है।


कुछ लोगों को तो कुछ दिनों के बाद  यानी थोड़े थोड़े अंतर से ही सर्दी खांसी जुकाम या पेट में कुछ गड़बड़ ऐसे  कुछ न कुछ चलता ही रहता है और फिर कुछ भी हो तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं डॉक्टर दवाई दे देते हैं और बीमारी ठीक होती है। लेकिन यह बार-बार क्यों हो रहा है । इस क्यों को सोचने की  जरूरत है। क्यों का जवाब है वह है हमारी इम्यूनिटी। अगर हमारी इम्यूनिटी अच्छी हो। तो ये बीमारिया होगी ही नहीं। तो इस बारे में हम चार बातें बताएंगे पूरी जानकारी के लिए टॉपिक पूरा पढ़ें।


सबसे पहली बात जो है  वो हमारे आहार से संबंधित है यानी जो भी  खानपान हम करते हैं उससे संबंधित हमें क्या बातें ध्यान में रखनी हैं इसमें बहुत ही कुछ छोटी-छोटी बातें ध्यान में रखनी है। हम जो भी खा रहे हैं उसके बारे में  हम क्या खा रहे हैं कितना खा रहे हैं कैसे खा रहे हैं और कब खा रहे हैं। इन चार बातों का आप अगर ध्यान रखेंगे। तो सब कुछ बहुत इजी हो जाएगा। हम क्या खा रहे हैं अगर आप देखे कि हमारे खाने में बहुत बदलाव आ गया है तो जंक फूड है, फास्ट फूड है ,बेकरी प्रोडक्ट्स है, या जिसमें पिज़्ज़वरेटिव डाले हुए हैं या पैकेट में बंद जो फ़ूड हमे मिलता है  या  तला हुआ ज्यादा है मिठाईयां है यह बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं हम खुद भी खाते हैं।


  घर में जो छोटे-छोटे बच्चे हैं उनके लिए तो खास तौर पर हम ये चीजें लाते हैं। तो इन सब की जगह हमें घर पर जो बना है सादा ताजा खाना  ही हमें खाना है। जो जितना बाहर का है वो खाना हम अवॉइड कर सकें उतना ही अच्छा है। इसके साथ-साथ आयुर्वेद में देशस्तमें  यानी जिस देश में हम रहते हैं जिस प्रदेश में रहते हैं वहां पर जो अनाज बनता है जो सब्जियां फल हमे मिलते हैं वो हमें खाना चाहिए। जैसे आप पंजाब में रहते हैं तो आप गेहू की रोटी या फिर मक्के की रोटी सरसों का साग खाया जाता है। या महाराष्ट्र में है इसमें ज्वार की रोटी ज्यादा बनती है। अगर आप कोकण या कोस्टल एरिया में जाएंगे। वहां पर चावल ज्यादा बनते हैं।


तो आप जहां पर भी रहते हैं वो प्रदेश के अनुसार जो खाना वह पर  बनता है जो खाद्य पदार्थ है वह हमें खाना चाहिए। इसके साथ-साथ आयुर्वेद में जो भी चीजें हमारे लिए अच्छी हैं जो हमारे स्वास्थ्य को बढ़ाती है। वो सभी पथकर आहार है  जैसे आप दालें ले उसमें मूंग की दाल सर्वश्रेष्ठ है। उसमें मूंग की हरी दाल हमारे लिए बहुत अच्छी हैं ।आप जो नामक इस्तेमाल करते हैं। उसमें सेंधा नमक बहुत अच्छा है। ये तीनों दोषों जो वात पित्त कफ ये तीन दोष रहते हैं उन सबके लिए वह हितकर है यदि आप फल ले रहे हैं उसमें हमारे लिए अनार या फिर आंवले का फल है वह हमारे लिए बहुत अच्छा है। इस तरह जो भी आयुर्वेद में बताया उसमें इन सब का समावेश हम हमारे खान-पान में कर सकते है।


आयुर्वेद में छह रस का वर्णन किया गया है यह जो छह रस है  मधुर, अमल, लवन ,तिक्त ,कटू, कषाय, मधुर यानी मीठा अमल यानी खट्टा लवण यानी खारा तिक्त यानी तीखा कटु यानी कड़वा कषाय यानी कसैला यह जो 6 रस हैं । हमारे रोज के खाने में इन सब रसो का समावेश होना चाहिये। इस तरह से आयुर्वेद ने आहार के बारे में बहुत विस्तार से वर्णन किया है और अगर हम हमारे खान-पान में इन सब बातों का ध्यान रखेंगे।तो हमारी इम्यूनिटी बढ़ने में इसका बहुत फायदा मिलेगा। जो भी हमने खाया है उसका पाचन बहुत अच्छे से हो जाएगा कम समय में हो जाएगा। फिर इसके बाद हमें हल्का पन महसूस होगा।


हमे दूसरा जो खाना है उससे पहले। यह जो खाना अच्छे से हजम हो जाएगा।  इसके बाद इस बात का हमें ध्यान रखना है की बहुत ही भरके यानी आदत पड़ जाती है कि मन भर जाने के बाद भी पेट नहीं भरता और हम खाए जाते हैं। इस बात का भी ध्यान रखना है अगर आप बहुत गिनकर या नापतोल के भी न लें तो भी पेट थोड़ा सा खाली रहने तक खाना  हमें रोक देना चाहिए। अब देखते हैं खाना कैसे खाना है। काफी बार हम देखते हैं कि कोई तोहार है या कोई प्रोग्राम है हम खाना खाने जाते हैं तो बहुत सारी अलग-अलग खाद्य पदार्थ रहते हैं।


उसमें से प्लेट भर कर लेते हैं उसमे काफी बार जो आयुर्वेद में बताया है कौन सा दो पदार्थ हमें साथ में नहीं लेने हैं। काफी बार यह खाना खाते समय दो वह दो पदार्थ हमारे शरीर में चले जाते हैं। जैसे हम खीर भी खा रहे हैं और कड़ी भी खा रहे है या फिर आप फ्रूट स्लॉट भी खा रहे है कोई भी खट्टे फल दूध के साथ कभी नहीं खाने चाहिए। तो ये भी खाने में आते हैं तो खाना खाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना है।


खुद के लिए क्या खाना है और जितनी हमारी भूख है। उसके हिसाब से यह हमें खाने का सेवन करना चाहिए। अब देखते है खाना कब खाना चाहिए। जब भी पहले खाना खाया अच्छे से पच जाए और जब भी भूख लगे और पेट में हल्का पन महसूस हो तभी दूसरा खाना हमें सेवन करना चाहिए। इसमें भी सुबह नाश्ता करने के लिए 9 या 10 बजे अच्छे से भूख लगे तभी हम खाना खा सकते हैं। शाम का खाना हो सके तो जल्दी खाएं। सूर्यास्त के पहले या 7 बजे से लेकर कम  से कम 7:30 बजे तक खाना चाहिए। हफ्ते में एक दिन उपवास हमें जरूर करना चाहिए। इसमें भी शरीर में आम दोष तैयार होता है ।


यानी अगर  खाया हुआ  खाना ठीक से पचा नहीं कुछ भी कारण है पचन को अच्छी तरह से बनाए रखने में यह लंगन चिकित्सा भी बहुत मदद करती है। खाने के साथ-साथ पानी की जितनी प्यास है जितना पानी हमें पीने का मन कर रहा है उतनी ही मात्रा में हमें पानी का सेवन भी करना चाहिए। तो यह जो खान पान के बारे में हमने बताया क्या खाना चाहिए कितना खाना चाहिए और कैसे खाना चाहिए और कब खाना चाहिए। यह जो भी खानपान है यह आहार से संबंधित जो भी बातें हैं इनका अगर आप अच्छे से पालन करेंगे। तो एबिलिटी बढ़ेगी इम्यूनिटी बढ़ेगी और बीमारियों को कम करने में हमें इसकी बहुत मदद मिलेगी।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए बिना पैसे खर्च किए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए बिना पैसे खर्च किए Reviewed by Tarun Baveja on September 04, 2020 Rating: 5

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