नमस्कार दोस्तों
बहुत सारे बुखार भारत देश में फैल रहे हैं। करोड़ों की
संख्या में लोग ऐसे प्रभावित हो रही है और लाखों लोग मर रहे हैं। दोस्तों सब कहते हैं कि
विज्ञान तो बहुत तरक्की कर रहा है। तो बीमारी घटने की बजाए बढ़ कैसी रही हैं। आज प्रतिवर्ष दुनिया भर में अनुमानित
390 मिलियन डेंगू संक्रमण होते हैं। इनमें से 5 लाख मामले डेंगू हेमोरेजिक
बुखार में विचलित होते है। जो बीमारी का एक अधिक गंबीर रूप है। जिसके
परिणाम स्वरुप दुनिया भर में सालाना 25,000 मौते होती हैं। यह तो कुछ भी
नहीं है अगर एक बीमारी के बारे में ऐसा पता किया जाए तो मरने वालों की
संख्या इतनी है कि आप सोच नहीं सकते। हर साल पूरी भारत में हार्टअटैक सी
3 लाख लोग मर जाते हैं। अगर पूरी दुनिया की बात करें तो करो सस्ता लोग
हार्टअटैक सी हर साल मरते हैं।
बीमारीयो का खतरा ज्यादा
कैंसर से हर साल 4 लाख 78 हजार 180 भारतीय मर जाते हैं । वही अगर दम अस्थमा की बात करें तो 23 करोड 50 लाख लोग इस पीड़ित हैं और हर साल 3 लाख 83 हजार मोते इससे हो जाती हैं। ऐसे और भी कितने ही रोग हैं जिनके कारण मरने वालों की संख्या लाखों में ही हैं।
एडीज़ मच्छर से डेंगू बुखार होता है
तो दोस्तों क्या हमारा विज्ञान तरक्की कर रहा है। मुझे तो नहीं लगता। खैर आगे की बात को आप ध्यान से समझिए। आज का हमारा उपाय डेंगू के ऊपर है। जो बहुत तेजी से देश में फैल रहा है यह एक खतरनाक का संक्रमण है। एडीज़ नामक मच्छर के काटने से होता है इस प्रजाति के मच्छर जादातर दिन में काटते हैं और यह मच्छर साफ पानी में रहते हैंै। ड्रम टंकी कूलर में पड़े पानी में यह मच्छर अंडे देते हैं। दोस्तों डेंगू होने पर बुखार आता है और खून की कमी होने लगती है। साथ ही शरीर में platelets bhi kam होने लगते हैं।
डेंगू बुखार से प्लेटे कम होना
प्लेटल्स जिन्हें बिम्बाणु भी कहते हैं। अगर इससे सरल भाषा में समझा जाए तो कह सकते हैं। ऐसी कोशिकाएं जो रक्त को बहने से रुकती हैं। रक्त में बहुत छोटी छोटी कोशिकाएं होती है। यह कोशिकाएं रक्त में लगभग 1 लाख से 3 लाख तक पाई जाती हैं। इन का काम टूटी-फूटी रक्त व्हिकाओ को ठीक करना है। डेंगू बुखार में प्लेटल्स कम होने से संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है।
प्लेटल्स का काम ब्लड कलोटिंग करना है यानि बहते खून पर थक्का जमाना है जिसे कि ज्यादा खून न बहे। यानी कि यह खून को बहने से रोकती हैं। अगर इनकी संख्या 30,000 कम हो जाए तो शरीर के अंदर ही खून बहने लगता है और वह शरीर में बहते बहते यह खून नाक, कान, यूरिन और मल से बाहर आने लगता है। क्योंकि कई बार यह ब्लीडिंग शरीर के अंदरूनी हिस्सो में ही होने लगती है। कई बार आपके शरीर में बैगनी धब्बे पड़ जाते हैं। लेकिन आपको यह मालूम नही होता यह निशान भी प्लेट्स की कमी के कारण होते हैं। हालाकि प्लेटल्स कम होने का कारण यह नहीं है कि आप को डेंगू हो गया है। अन्य कारणों से भी प्लेटल्स की संख्या घट जाती है।
मच्छर के काटने से फैला वायरस
दोस्तों जब हमारे शरीर पर मच्छर काटते हैं। तो शरीर में वायरस फ़ैल जाता है और वायरस ही प्लेटल्स के निर्माण प्रक्रिया में रुकावट पैदा करता है। प्लेटल्स जब हमारे शरीर में बनते हैं। तब सामान्यत एक प्लेटलेस कोशिका का औसत जीवनकाल 8 से 12 दिन होता है। जब इनकी संख्या घटने लगती है। तब शरीर आवश्यकता के साथ से इनका दुबारा निर्माण कर देता है। लेकिन डेंगू के वायरस प्लेटलेट्स के निर्माण की क्षमता को कम कर देते हैं।
डेंगू बुखार की कोई दवा नही
अक्सर लोग डेंगू होने पर घबरा जाती हैं। पर इस बीमारी में घबराने की नहीं घर की जरुरत है। दोस्तों एलोपैथिक चिकित्सा में डेंगू के इलाज के लिए अभी तक कोई दवा नहीं हैं। एलोपैथिक डेंगू होने पर बुखार और दर्द को कम करने की वोवरन के इंजेक्शन, पेरासिटामोल, डिस्प्रिन, ब्रूफेन डिक्लेफेन जैसे पेनकिलर दवाये दी जाती हैं।जिनके ज़्यादा सेवन से हमें आगे चलकर इस के दुष्परिणाम भुगतने पढ़ते हैं।
वोवरन इंजेक्शन के परिणाम
वोवरन के इंजेक्शन से मुंह में छाले हो जाते हैं। गले में छाले हो जाते हैं। लीवर खराब हो सकता है। पेट दर्द, त्वचा पर चकते और उल्टी होने जैसी समस्या बढ़ सकती है। डिस्प्रिन जैसी दवा से लीवर और किडनी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। तो आप इन से बचे। फिर आप पूछेंगे कि हम क्या करें दोस्तों डेंगू होने पर प्लेटल्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है। उल्टी करने का मन करता है तेज बुखार आना और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है प्लेटल्स की संख्या को तेजी से बढने और तेज बुखार को ठीक करने के लिए गिलोय सबसे उत्तम औषधि हैं।
गिलोये एक औषधि
यह सभी प्रकार के बुखार को ठीक करने में सक्षम हैं। दोस्तों इसकी मैं जितनी तारीफ करूं उतनी ही कम है। क्योंकि इसके फायदे अनगिनत हैं। अगर आप गिलोय के बारे में नहीं जानते तो आपको बता दें यह एक प्रकार की बेल होती है जो कि नीम के पेड़ पर चलती है। इसीलिए इसे हिंदी में नीम गिलोय मराठी में भूल वेल कहते हैं। वैसे तो यह दूसरेेेे पेड़ों पर भी चढ़ जाती है। पर नीम पर चढ़ी हुई गिलोय सबसे अधिक कारगर होती है। इसे अमृता भी कहा गया है। दोस्तों किसी अमरता से राजीव भाई ने लाखों लोगों को मलेरिया, टाइफाइड, चिकनगुनिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसे खराब रोगों से बचाया है ।
बीमारीयो का खतरा ज्यादा
कैंसर से हर साल 4 लाख 78 हजार 180 भारतीय मर जाते हैं । वही अगर दम अस्थमा की बात करें तो 23 करोड 50 लाख लोग इस पीड़ित हैं और हर साल 3 लाख 83 हजार मोते इससे हो जाती हैं। ऐसे और भी कितने ही रोग हैं जिनके कारण मरने वालों की संख्या लाखों में ही हैं।
एडीज़ मच्छर से डेंगू बुखार होता है
तो दोस्तों क्या हमारा विज्ञान तरक्की कर रहा है। मुझे तो नहीं लगता। खैर आगे की बात को आप ध्यान से समझिए। आज का हमारा उपाय डेंगू के ऊपर है। जो बहुत तेजी से देश में फैल रहा है यह एक खतरनाक का संक्रमण है। एडीज़ नामक मच्छर के काटने से होता है इस प्रजाति के मच्छर जादातर दिन में काटते हैं और यह मच्छर साफ पानी में रहते हैंै। ड्रम टंकी कूलर में पड़े पानी में यह मच्छर अंडे देते हैं। दोस्तों डेंगू होने पर बुखार आता है और खून की कमी होने लगती है। साथ ही शरीर में platelets bhi kam होने लगते हैं।
डेंगू बुखार से प्लेटे कम होना
प्लेटल्स जिन्हें बिम्बाणु भी कहते हैं। अगर इससे सरल भाषा में समझा जाए तो कह सकते हैं। ऐसी कोशिकाएं जो रक्त को बहने से रुकती हैं। रक्त में बहुत छोटी छोटी कोशिकाएं होती है। यह कोशिकाएं रक्त में लगभग 1 लाख से 3 लाख तक पाई जाती हैं। इन का काम टूटी-फूटी रक्त व्हिकाओ को ठीक करना है। डेंगू बुखार में प्लेटल्स कम होने से संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है।
प्लेटल्स का काम ब्लड कलोटिंग करना है यानि बहते खून पर थक्का जमाना है जिसे कि ज्यादा खून न बहे। यानी कि यह खून को बहने से रोकती हैं। अगर इनकी संख्या 30,000 कम हो जाए तो शरीर के अंदर ही खून बहने लगता है और वह शरीर में बहते बहते यह खून नाक, कान, यूरिन और मल से बाहर आने लगता है। क्योंकि कई बार यह ब्लीडिंग शरीर के अंदरूनी हिस्सो में ही होने लगती है। कई बार आपके शरीर में बैगनी धब्बे पड़ जाते हैं। लेकिन आपको यह मालूम नही होता यह निशान भी प्लेट्स की कमी के कारण होते हैं। हालाकि प्लेटल्स कम होने का कारण यह नहीं है कि आप को डेंगू हो गया है। अन्य कारणों से भी प्लेटल्स की संख्या घट जाती है।
मच्छर के काटने से फैला वायरस
दोस्तों जब हमारे शरीर पर मच्छर काटते हैं। तो शरीर में वायरस फ़ैल जाता है और वायरस ही प्लेटल्स के निर्माण प्रक्रिया में रुकावट पैदा करता है। प्लेटल्स जब हमारे शरीर में बनते हैं। तब सामान्यत एक प्लेटलेस कोशिका का औसत जीवनकाल 8 से 12 दिन होता है। जब इनकी संख्या घटने लगती है। तब शरीर आवश्यकता के साथ से इनका दुबारा निर्माण कर देता है। लेकिन डेंगू के वायरस प्लेटलेट्स के निर्माण की क्षमता को कम कर देते हैं।
डेंगू बुखार की कोई दवा नही
अक्सर लोग डेंगू होने पर घबरा जाती हैं। पर इस बीमारी में घबराने की नहीं घर की जरुरत है। दोस्तों एलोपैथिक चिकित्सा में डेंगू के इलाज के लिए अभी तक कोई दवा नहीं हैं। एलोपैथिक डेंगू होने पर बुखार और दर्द को कम करने की वोवरन के इंजेक्शन, पेरासिटामोल, डिस्प्रिन, ब्रूफेन डिक्लेफेन जैसे पेनकिलर दवाये दी जाती हैं।जिनके ज़्यादा सेवन से हमें आगे चलकर इस के दुष्परिणाम भुगतने पढ़ते हैं।
वोवरन इंजेक्शन के परिणाम
वोवरन के इंजेक्शन से मुंह में छाले हो जाते हैं। गले में छाले हो जाते हैं। लीवर खराब हो सकता है। पेट दर्द, त्वचा पर चकते और उल्टी होने जैसी समस्या बढ़ सकती है। डिस्प्रिन जैसी दवा से लीवर और किडनी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। तो आप इन से बचे। फिर आप पूछेंगे कि हम क्या करें दोस्तों डेंगू होने पर प्लेटल्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है। उल्टी करने का मन करता है तेज बुखार आना और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है प्लेटल्स की संख्या को तेजी से बढने और तेज बुखार को ठीक करने के लिए गिलोय सबसे उत्तम औषधि हैं।
गिलोये एक औषधि
यह सभी प्रकार के बुखार को ठीक करने में सक्षम हैं। दोस्तों इसकी मैं जितनी तारीफ करूं उतनी ही कम है। क्योंकि इसके फायदे अनगिनत हैं। अगर आप गिलोय के बारे में नहीं जानते तो आपको बता दें यह एक प्रकार की बेल होती है जो कि नीम के पेड़ पर चलती है। इसीलिए इसे हिंदी में नीम गिलोय मराठी में भूल वेल कहते हैं। वैसे तो यह दूसरेेेे पेड़ों पर भी चढ़ जाती है। पर नीम पर चढ़ी हुई गिलोय सबसे अधिक कारगर होती है। इसे अमृता भी कहा गया है। दोस्तों किसी अमरता से राजीव भाई ने लाखों लोगों को मलेरिया, टाइफाइड, चिकनगुनिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसे खराब रोगों से बचाया है ।
बुखार को ठीक करने के लिए काढ़ा
राजीव दीक्षित जी द्वारा बचाई गई लाखों लोगों पर प्रयोग की गई दवा आज हम आपको बताने जा रहे हैं। इस दवा के तीन खुराक मात्र से आपकी हालत में काफी सुधार आ जाएगा तो जल्दी से आप दवा नोट कर लीजिए। 20 पत्ते तुलसी के, नीम गिलोय की डंडी लेे। फिर 10 ग्राम सोंठ यानी कि सुखी अदरक और 10 छोटी पीपल के टुकडे यह भी आप को पंसारी के पास मिलेगी। यह सब सामग्री आप को आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इन सब को एक जगह इकठा करके पीसना है। पीसने के बाद एक गिलास पानी में उबालकर इसका काढ़ा बना ले।और ऊपर से थोड़ा गुड़ भी मिला लीजिए। यह कड़वा बहुत है। ठंडा होने के बाद सुबह दोपहर शाम दिन में तीन बार आपको यह काढ़ा पीना है । यानि हर बार आपको काढ़ा नया बनाना है और ठंडा करके पीना है। इस काढ़े से आपका बुखार ठीक हो जाएगा। आप के प्लेटल्स की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी। शरीर अगर टूट रहा है तो वह भी ठीक करेगा।
पपीते के पतों का काढ़ा
यह तो आप लीजिए ही साथ ही अगर उल्टी होने का मन करे तो अनार या एलोवेरा का जूस रोगी को दिया जा सकता है। इससे उल्टी काढ़ा कंट्रोल में आती है। प्लेटलेट्स को तेजी से बढ़ाने के लिए आप पपीते का पत्तों का भी इस्तमाल कर सकते हैं। यह पपीते के पत्ते लीवर को ठीक करनी और प्लेटलेट्स को बढ़ाने की उत्तम औषधि है। इसकी अलावा आप ज्यादा पानी और जूस का सेवन कीजिए और साथ ही मच्छरों से बचाव भी करें। क्योंकि यह समस्या और भी बढ़ सकती है।
दोस्तों इस के साथ ही अगर आपको कोई मित्र या परिवार का सदस्य डेंगू के चलते हॉस्पिटल में भर्ती है। तो भी आप उसे गिलोय या पपीते के जूस पिला सकते हैं। ताकि उसकी हालत में सुधार आए और उनके प्लेटल्स जल्दी से बड़े। दोस्तों एक बार फिर साथ हो जाइए इस मिशन में हर एक व्यक्ति तक यह संदेश पहुंचाएं ताकि वो डेंगू के जाल से बाहर निकल सके। यह मिशन आपके बिना संभव नहीं है इसलिए हर मित्र को शेयर करें और इसकी जानकारी सबको दे। धन्यावद।
डेंगू का खात्मा करें इस आयुर्वेदिक औषधि से
Reviewed by Tarun Baveja
on
September 04, 2020
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