एकादशी के व्रत करने की उत्तम दिनचर्या

एकादशी व्रत
ऐकादशी के व्रत में दशमी को ही एक वक्त का भोजन छोड़ देना चाहिये । द्वादशी के दिन भी प्रातःकाल केवल कोई एक फल का रस लेना चाहिये । दोपहर को शाकाहार या फलाहार करें। शाम को पूरा भोजन करें।
लोगों से भूल क्या होती है कि दशमी के दिन शाम को यह समझ कर अधिक खा लेते हैं कि कल उपवास करना है और द्वादशी को प्रातःकाली पेट भर कर खा लेते हैं कि कल तो कुछ खाया ही नहीं है । यह धारणा गलत है, इस प्रकार के उपवास से न तो धार्मिक लाभ होता है न शारीरिक बल्कि उल्टे हानि होती है।
 समाज में जो गलत प्रथायें चल रही हैं, उनके सुधारने का प्रयास करना आवश्यक है। लोग अधिक और गलत खाकर अपनी ही हानि नहीं करते समाज और देश को भी इससे नुकसान पहुंचाते हैं। अधिकांश धर्म का उपदेश देने वाले भी ऐसी भूलों को करते और कराते रहते हैं ।

उपवास करते समय निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें।
(१) यदि एकादशी के बाद ही प्रदोप पड़े तो सायंकाल ४ बजे शंकर जी का पूजन करें और फिर फलाहार। 

(२) स्नान पूजन के बाद १ व्यक्ति का भोजन किसी गरीब ब्राह्मण पुजारी या किसी सन्त को भोजन कराना चाहिये इससे आध्यात्मिक लाभ मिलेगा।

(३) ब्रतों और उपवास के दिन चीनी, मिठाई, घी की तली वस्तुएं, दूध, घी तथा अन्य वस्तुएं खाना हानिप्रद हैं । कुछ लोग आलू और शकरकन्दी पेट भर कर खाते हैं। आलू शकरकन्दी भी एक प्रकार का भोजन ही है।
इससे शरीर की सफाई नहीं होती। उपवास व्रत करने का अर्थ है, पाचन शक्ति को विश्राम देना और शरीर की शुद्धि करना।

एकादशी के व्रत करने की उत्तम दिनचर्या
(१) प्रातःकाल ४ बजे जागरण । ईश्वर की प्रार्थना करें। हाथ मह धोकर गरम पानी में एक नींबू का रस डाल कर पेट भर पानी पीकर शौच जावें।

(२) मिट्टी से दांत साफ करें।

(३) कुजर क्रिया करें।

(४) मिट्टी लगा कर स्नान करें। योगासन प्राणायाम करें।

(५) भगवान की पूजा धार्मिक ग्रन्थों का पाठ करें।

(६) ९ बजे नींबू शहद पानी या भीगी किसमिश ।

(७) १२ बजे, ४ बजे. और ९ बजे रात्रि को नींबू + शहद + पानी ले सकते हैं। शहद एक बार में एक तोला से अधिक न लें।

(८) यदि भूख अधिक हो बिना खाये नहीं रह सकते हैं तो फलों का रस या केवल एक प्रकार का फल लीजिये।

(९) रात्रि को गरम पानी में एक नींबू का रस डाल कर एनिमा लें ।

(१०) १० वजे ईश्वर प्रार्थना करके सो जाइये ।

(११) द्वादशी के दिन नं० १ से ३ की सभी क्रियायें करें । मिट्टी पट्टी पेडू पर चढ़ावें और गरम पानी से एनिमा लें।

(१२) ९ बजे फल का रस या १ पाव मट्ठा ।

(१३) दोपहर के भोजन में रोटी सब्जी फल खाइये ।

एकादशी के व्रत करने की उत्तम दिनचर्या एकादशी के व्रत करने की उत्तम दिनचर्या Reviewed by Tarun Baveja on September 14, 2020 Rating: 5

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