(१) प्रातःकाल सूर्योदय के एक घंटे प्रथम जग जाइये । मुह में पानी भरकर २०-२५ पानी की छींटे देकर आँबों को धो डालिये। ऐसा करने से आँखों की रोशनी ठीक रहती है।
(२) शान्त बैठकर ईश्वर प्रार्थना करें। ईश्वर प्रार्थना करने से दिन बड़े सुख से व्यतीत होता है।
(३) पेट भर कर पानी पियें लेकिन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से पहले अवश्य पूछ ले। इससे शौच साफ होता है । जाड़े के दिनों में या रोग की अवस्था में पानी को गरम कर लें। आवश्यकता समझें तो १ नींबू का रस मिला लें। प्रातःकाल का जल पीना स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त लाभकारी है।
(४) साफ मिट्टी लाकर कपड़े से छानकर, छोटे छोटे पेड़े बनाकर रख लें। शौच जाते समय एक पेड़ा मुह में रख लें। १०-१५ मिनट मुह में रक्खेंगे तो मुह की जितनी गन्दगी है मिट्टी निकाल देगी। उसी मिट्टी से दांतों को खूब अच्छी तरह बाहर भीतर मिट्टी से रगड़ें, जीभ को साफ करें, फिर कुल्ला कर डालें। दांतों की सब प्रकार की शिकायतें दूर हो जाती हैं । नित्य नियम पूर्वक करने से दांतों में कोई कष्ट नहीं होता है । आम के आम और गुठली के दाम । पैसा भी बचा और दाँत भी ठीक रहे।
(५) टहलना, योगासन, या व्यायाम करें। व्यायाम करने से शरीर की नाड़ियाँ शुद्ध होती हैं। रक्त का संचालन ठीक रहता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिये व्यायाम करना अत्यन्त आवश्यक है। इतना व्यायाम करें कि शरीर में हल्का पसीना आ जाय ।
(६) ताजे जल से स्नान करें। तौलिया से शरीर को रगड़ कर साफ करें। कभी-कभी सारे शरीर में साफ मिट्टी लगाकर १० मिनट बाद स्नान किया करें । मिट्टी शरीर के जहर की गर्मी (गन्दगी) को खींच लेती है। साबुन त्वचा को खराब करता है। मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग करें।
(७) स्नान के बाद शान्त होकर प्राणायाम करें, कुछ देर भगवान के नाम का जप करें, गीता रामायण या अन्य धार्मिक ग्रन्थ पढ़ें।
(8) जलपान में मट्ठा या कोई ऋतु फल लेना अच्छा है। अकुरित चना किशमिश, अथवा एक पाव शुद्ध गाय का दूध ले सकते हैं। पेट भर कर जलपान न करें । सबसे अच्छा तो नींबू शहद और पानी रहता है। जो लोग पेट भर जलपान करते हैं उनके शरीर की अच्छी गफाई नहीं हो पाती है। यदि प्रातःकाल का जलपान न किया जाय तो दोपहर को भूख अच्छी तरह लग जाती है । जिन्हें १० बजे भोजन करना है उन्हें जलपान नहीं करना चाहिए।
भोजन दिन में दो से अधिक बार नहीं ही करना चाहिए।
(९) दोपहर के भोजन में हाथ चक्की के आटे की चोकर समेत रोटी, छिलके समेत साग, समूची दाल, साथ में एक फल लेना उत्तम है। भोजन के १५-२० मिनट बाद एक पाव दूध लेना उत्तम है। भोजन खूब चबा कर करें इससे पाचन शक्ति ठीक रहती है।
(१०) सायंकाल का भोजन सूर्यास्त के पहले होना चाहिये । भोजन का पाचन सूर्य की गर्मी से होता है । रात्रि का भोजन ठीक नहीं रहता। रात्रि के भोजन में यदि फल और दूध लिया जाय तो अति उत्तम है ।
(११) रात्रि को एक घन्टे सत्संग कथा, कीर्तन अवश्य करें। ऐसा करने से विचार अच्छे बनते हैं। छोटे-छोटे बालकों के ऊपर इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है । १० बजे अवश्य सो जाना चाहिये । सोते समय हाथ मुह घोकर ईश्वर प्रार्थना करके सबको सोना चाहिये।
स्वस्थ दिनचर्या के लिए 11महत्वपूर्ण आदतें
Reviewed by Tarun Baveja
on
September 14, 2020
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