"कुछ जानने योग्य बातें"
१- शंख बजाने से फेफड़े फूलते हैं, प्राणायाम भी हो जाता है और मुंह की सभी नाड़ियों में तनाव आता है। हार्ट, जिगर, क्लोम आदि यन्त्र सबल होते हैं। स्वांस और टी० बी० टांसिल के रोग नहीं होते हैं ।
२-रूद्राक्ष की माला पहिनने से हार्ट, ब्लड प्रेसर और चेचक के रोगों में लाभ होता है।
३-हरी घास पर नंगे पैर टहलने से आँखों की रोशनी बढ़ती है ।
४-सफेद चन्दन और शुद्ध केसर लगाने से आँखों के रोगों में लाभ होता है। चन्दन की सुगन्ध से दूषित कीटाणु शरीर में प्रवेश नहीं करते हैं। मोतियाबिन्द नहीं होता है ।
५-असली सिन्दूर (डेले वाला) गाय के घी में एवं नारियल के तेल में मिलाकर महिलाएं बिन्दी लगावें या मांग में सिन्दूर भरें, तो मोतियाबिन्द न होगा।
६- वेजीटेबिल घी खाने से आंखों की रोशनी कम होती है। मशीन का आटा, चावल और वेजीटेविल घी खाने से मोतियाबिन्द की शिकायत हो जाती है।
७- रबड़ की चप्पल पहिनने से आँखों की रोशनी कम होती है एक्जिा भी हो जाता है।
८- खड़ाऊँ पहिनने से वीर्य दोष नष्ट होते हैं।
९- कुशा में बैठने से बवासीर में लाभ होता है ।
१०- शौच में सदा ठंडा पानी ले जाना चाहिए, गर्म पानी हानिकर होता है। पेचिस और बवासीर, कांच निकलती हो, उसमें ठंडा पानी लाभदायक है।
११- सिर पर कभी गर्म पानी न डालें।
१२- केवल गाय के दूध घी खाने से चेचक नहीं होती है।
१३- गाय के गोबर के कन्डे पाथने से महिलाओं को टी० बी० नहीं होती है।
१४- गाय के दूध में एटामिक रेडिएशन से रक्षा करने की अद्भ त शक्ति है। अगर गाय के घी को आग पर डाला जाए, जिसे भारत में हवन करना कहते हैं, वायु मण्डल में एटामिक रेडिएशन का प्रभाव बहुत कम हो जाएगा।
मकान के ऊपर गाय के गोबर से यदि लीप दिया जाए, तो मकान के अन्दर रेडिएशन का घुसना बहुत कम हो जाएगा।
१५- श्रावण मास मे मेंहदी की हरी पत्ती को पीसकर हाथ और पैर में महिलायें लगावें, तो प्रसूत का रोग नहीं होगा।
१६- बाल्यवस्था में दाहिने कान के ऊपर की नश में छेद कराकर बाली पहिनने से हानिया से रक्षा होती है ।
१७- शुद्ध सोने के जेवर पहिनने से कैन्सर से रक्षा होती है।
१८- बायें हाथ को अनामिका अंगुली में तांबे की अंगूठी पहिनने से बवासीर की रक्षा होती है।
१९- तांबा और कुशा पानी में डालने से पानी शुद्ध होता है।
२०- गर्म दूध, चाय आदि का प्रयोग तांबे में न करें, जहर हो जाता है ।
२१- भोजन के साथ ५ पत्ती तुलसी के खाने से मलेरिया से रक्षा होती है।
२२- पैर गर्म, पेट नर्म, सिर को ठंडा रखें।
२४ - गर्भावस्था में या दूध पिलाने वाली महिलाओं को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
२६- मासिक धर्म में नारी को ठण्ड़ से बचाना चाहिए। नीचे कम्बल बिछाकर सोना चाहिए।
२८- चक्की चलाने वाली महिलाओं को मासिक धर्म की शिकायत नहीं होती है।
२९- दक्षिण की ओर पैर करके सोने से हार्ट में बुरा असर पड़ता है। पूर्व या उत्तर की ओर पैर करें। मृत्यु के समय पैर दक्षिण की ओर कर देने से शरीर जल्दी छूटता है।
३०- मकान का दरवाजा, चूल्हा, दक्षिण की ओर न करें।
३१ - भोजन, पूर्व या उत्तर की ओर मुह करके किया करें।
३२- स्नान और भोजन लकड़ी की चौकी पर करें। स्नान के बाद खड़ाऊँ पहनिये।
३३- तखत पर सोने से मेरू दंड सीधा रहता है। स्वास्थ्य के लिये लाभकारी है।
३४- अत्यन्त हर्ष शोक के अवसर पर भोजन न करें। स्वास्थ्य के लिये हानिकर है।
३५- ग्रहण, टेलीवीजन, सिनेमा को देखने से आँखों को नुकसान पहुंचता है।

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