भूल का परिणाम ही दुःख है। जब तक जीवन में भूल रहती है, तब तक दुःख रहता है। दुःख को सदा के लिये दूर करने के लिये जीवन में भूलों का मिटाना ही मानव का परम पुरुषार्थ है। शरीर में रोगों की उत्पत्ति का कारण भी भूल है। इन भूलों का अधिकांश लोगों को तो ज्ञान भी नहीं है। जिन्हें ज्ञान है, वह आदत आशक्ति के कारण बदलने में कठिनता का अनुभव करते हैं।
हमसे सबसे पहली भूल यह होती है, कि हम बिना भूख के खाते हैं। अधिकांश लोग घड़ी का समय देखकर भोजन करते हैं, भूख हो या न हो। किसी को कार्यालय जाना है, वह भी इसलिए भोजन कर लेते हैं, कि नहीं खायेंगे तो कमजोर हो जायेंगे, कार्यालय में काम नहीं कर सकते हैं । अनुभव से देखा गया है, कि जो लोग बिना भूख के भोजन करके कार्यालय जाते हैं, एक-दो घंटे बाद, पेट में भारीपन, खट्टी डकार आना, गैस बनना, शरीर में सुस्ती आदि। अनेकों शिकायतें उत्पन्न होती हैं। इन शिकायतों को दूर करने के लिए लोग दवाओं का प्रयोग करते हैं। दवा से कुछ दिन आराम भले ही मालूम दे,
परन्तु ऐसी भूलों के कारण ही मानव कठिन रोगों का शिकार होता है। यदि भूख लगने पर ही भोजन किया जाए, तो स्वतः ही अनेकों रोगों से बचाव हो सकता है।
दूसरी भूल यह होती है, कि स्वाद वश अधिक खा लेते हैं। अधिक खाना भी रोग को अरजेन्ट तार देना जैसा है। अधिक खाने से खाद्य पदार्थों की बरबादी और स्वास्थ्य की क्षति होती है। प्राकृतिक भोजन विज्ञान के आधार पर पेट का चौथाई हिस्सा खाली रखना चाहिए।
पेट में जब भोजन पहुँच जाता है,उसके पचाने के लिये आमाशय में एक प्रकार का पाचक रस निकलता है, जो भोजन में मिलता है। आमाशय में भोजन इधर से उधर पलटता है, तभी उसकी परिपक्व क्रिया होती है। अधिक भोजन करने से भोजन को पलटने को स्थान नहीं मिलता है। इसलिये प्रकृति कच्चा भोजन ही छोटी आंत में उतारती है या कै होती है। जिससे स्वास्थ्य खराब हो जाता है, तो भोजन करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा, कि अधिक न खाए।
हम इस बात को किस प्रकार समझें, कि भोजन अधिक हुआ है। इसका एक सरल परीक्षण है, कि एक बार के भोजन करने के बाद बिना किसी शिकायत के ५ घण्टे में भूख लग जानी चाहिए। यदि ५ घण्टे में भूख नहीं लगे, तो समझना चाहिए कि भोजन अधिक हो गया है। दूसरी बार भोजन की मात्रा को कम करना चाहिए और अधिक खाने पर एक समय का भोजन छोड़ देना चाहिए। एक बार भोजन करने के बाद ७ घण्टे तक पानी के अतिरिक्त कुछ भी न लें।
छोटे बच्चे ३ घण्टे, बड़े बच्चे ५ घण्टे, और पुरुष तथा महिलाएँ ७ घण्टे तक बीच में कुछ न खाए।
भोजन के सम्बन्ध में तीसरी बात ध्यान रखना है, कि बार-बार भोजन न करें। बार-बार भोजन करने से पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन ठीक से परिपक्व नहीं हो पाता। यह भूल बाल्यावस्था से ही होती है। छोटे बच्चों को दिन में कई बार खाने की जो आदत है, उससे अनेकों रोगों की उत्पत्ति होती है। कहीं-कहीं बड़े लोग भी गलती कर जाते हैं। लोगों के आग्रह वश कई बार खा लेते हैं। इस प्रकार की भूलों का सुधार मानव के जीवन में यदि हो जाए, तो भयंकर रोगों से स्वतः रक्षा हो सकती है।
Reviewed by Tarun Baveja
on
September 18, 2020
Rating:
No comments: