इस आर्टिकल का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं है। बल्कि, सच बताना है। क्या आप जानते हैं, स्टीफन हॉकिंग द्वारा बिग-बैंग थ्योरी में बड़ा बदलाव किया गया था। जिसका कोई कारण नहीं बताया गया, और ना ही किसी अन्य वैज्ञानिक को इसका क्रेडिट दिया गया। इस आर्टिकल में हम उसी रहस्य को प्रुफ के साथ में बताने वाले हैं।
स्टीफन हॉकिंग इस सदी के सबसे बड़े वैज्ञानिक माने गए हैं, और यदि उनके जीवन को देखा जाए, तो वह निश्चित ही किसी को भी मोटिवेट करने के लिए काफी है। स्टीफन हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन जैसी भयंकर बीमारी होने के बावजूद उनकी जीने की प्रबल इच्छा ने उन्हें इतने साल तक हमारे बीच में रखा, और वो ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने का प्रयास करते रहे।
2004 में बेंगलुरु में आयोजित वर्ल्ड कांग्रेस ऑन वैदिक साइंस में दुनिया के 7 देशों के अनेकों वैज्ञानिक और धर्मगुरु आए। इस कांग्रेस का उद्देश्य ये जानना था, कि धर्म और विज्ञान किस तरह एक दूसरे का साथ दे सकते है। यहां पर आए हुए, अनेकों धर्मगुरुओं ने किसी तरह जोड़ तोड़ कर विज्ञान की खोजी हुई बातों को धर्म-ग्रंथों में लिखाना शुरू किया। धर्म और विज्ञान को आपस में जुड़ा हुआ बताने का प्रयास किया। यहां कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था, जो अपने धर्म ग्रंथों से विज्ञान को एक नई दिशा देने के लिए उत्सुक नया विज्ञान बताएं या फिर विज्ञान के सिद्धांतो को चुनौती दे सके।
लेकिन, अंत में वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निवृत जी ने इस कांग्रेस में अपना रिसर्च पेपर प्रेसेंट किया। जिसमें उनका विषय था, कि बिग-बैंग थ्योरी में "जीरो वॉल्यूम" में इन पायनेट मार्क्स मानना बिल्कुल गलत है। ऐसा मानना, "नेक्स्ट टू इंपॉसिबल" है। उनके इस रिसर्च पेपर का किसी वैज्ञानिक ने विरोध नहीं किया। बल्कि, बीएआरसी के वैज्ञानिक आभास मित्रा जी ने इसका समर्थन किया। इसके बाद उन्होंने 2004 में एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था: Basic Material Cause of Creation.
इस पुस्तक में इन्होंने बिग-बैंग थ्योरी को बिल्कुल पूरी तरह गलत साबित किया, और वैदिक थ्योरी के कांसेप्ट को शार्ट में बताया। इस पुस्तक को 2006 में दुनिया के अनेकों वैज्ञानिको को भेजा गया। जिसमें स्टीफन हॉकिंग भी शामिल है। मैं आपको बता दूं, कि स्टीफन हॉकिंग पहले यह मानते थे; कि बिग-बैंग थ्योरी के अनुसार, "संपूर्ण पूरा ब्रह्मांड शून्य आयतन ,यानी जीरो वॉल्यूम में समाया हुआ था"।
लेकिन, जुलाई 2006 में येरूशलम यूनिवर्सिटी में अपने भाषण में स्टीफन हॉकिंग ने इस पॉइंट के आकार के बारे में मौन रहना उचित समझा, और इस पॉइंट का वॉल्यूम जीरो नहीं बताया। इसके बाद में 2010 में डिस्कवरी चैनल पर स्टीफन हॉकिंग ने इस पॉइंट का आकार एटम के साइज के बराबर मान लिया।
हॉकिंग के विचार फिर से बदल गए। लेकिन, इस बार भी क्रेडिट किसी को भी नहीं दिया गया।
वैदिक साइंटिस्ट आचार्य अग्निवृत जी ने 2004 से लेकर 2017 तक ऋग्वेद के अत्रे ब्राहमण ग्रंथ को डी-कोड़ किया और उससे एक नए वैदिक विज्ञान को 2800 पेज की एक पुस्तक "वेद विज्ञान आलोक" में बताया। यह पुस्तक अपने आप में मॉडर्न साइंस के पैरालल एक नई वैदिक फिजिक्स है। जो मॉडल साइंस की सभी अनसुलझी समस्याओं को सुलझाने के लिए काफी है।
हम यह दावा नहीं करते, कि हॉकिंग के विचारों में परिवर्तन आचार्य जी की वजह से ही हुआ। लेकिन, हमारा यह दावा जरूर है; कि जो परिवर्तन स्टीफन हॉकिंग द्वारा किए गए। वो आचार्य अग्निवृत जी ने पहले ही उन्हें लिख कर भेज दिए थे।
स्टीफन हॉकिंग इस सदी के सबसे बड़े वैज्ञानिक माने गए हैं, और यदि उनके जीवन को देखा जाए, तो वह निश्चित ही किसी को भी मोटिवेट करने के लिए काफी है। स्टीफन हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन जैसी भयंकर बीमारी होने के बावजूद उनकी जीने की प्रबल इच्छा ने उन्हें इतने साल तक हमारे बीच में रखा, और वो ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने का प्रयास करते रहे।
जिस तरह स्टीफन हॉकिंग की लाइफ में इतनी परेशानियां थी। उसके बावजूद, उन्होंने मौत को चुनौती देते हुए, अनेकों कार्य किए। उसी तरह एक अन्य व्यक्ति भी है। जिनकी लाइफ में हॉकिंग की तरह शारीरिक समस्या होने के बावजूद उन्होंने एक महान लक्ष्य को प्राप्त किया। वो व्यक्ति हैं, वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निवृत नैश्तिक।
2004 में बेंगलुरु में आयोजित वर्ल्ड कांग्रेस ऑन वैदिक साइंस में दुनिया के 7 देशों के अनेकों वैज्ञानिक और धर्मगुरु आए। इस कांग्रेस का उद्देश्य ये जानना था, कि धर्म और विज्ञान किस तरह एक दूसरे का साथ दे सकते है। यहां पर आए हुए, अनेकों धर्मगुरुओं ने किसी तरह जोड़ तोड़ कर विज्ञान की खोजी हुई बातों को धर्म-ग्रंथों में लिखाना शुरू किया। धर्म और विज्ञान को आपस में जुड़ा हुआ बताने का प्रयास किया। यहां कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था, जो अपने धर्म ग्रंथों से विज्ञान को एक नई दिशा देने के लिए उत्सुक नया विज्ञान बताएं या फिर विज्ञान के सिद्धांतो को चुनौती दे सके।
लेकिन, अंत में वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निवृत जी ने इस कांग्रेस में अपना रिसर्च पेपर प्रेसेंट किया। जिसमें उनका विषय था, कि बिग-बैंग थ्योरी में "जीरो वॉल्यूम" में इन पायनेट मार्क्स मानना बिल्कुल गलत है। ऐसा मानना, "नेक्स्ट टू इंपॉसिबल" है। उनके इस रिसर्च पेपर का किसी वैज्ञानिक ने विरोध नहीं किया। बल्कि, बीएआरसी के वैज्ञानिक आभास मित्रा जी ने इसका समर्थन किया। इसके बाद उन्होंने 2004 में एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था: Basic Material Cause of Creation.
इस पुस्तक में इन्होंने बिग-बैंग थ्योरी को बिल्कुल पूरी तरह गलत साबित किया, और वैदिक थ्योरी के कांसेप्ट को शार्ट में बताया। इस पुस्तक को 2006 में दुनिया के अनेकों वैज्ञानिको को भेजा गया। जिसमें स्टीफन हॉकिंग भी शामिल है। मैं आपको बता दूं, कि स्टीफन हॉकिंग पहले यह मानते थे; कि बिग-बैंग थ्योरी के अनुसार, "संपूर्ण पूरा ब्रह्मांड शून्य आयतन ,यानी जीरो वॉल्यूम में समाया हुआ था"।
लेकिन, जुलाई 2006 में येरूशलम यूनिवर्सिटी में अपने भाषण में स्टीफन हॉकिंग ने इस पॉइंट के आकार के बारे में मौन रहना उचित समझा, और इस पॉइंट का वॉल्यूम जीरो नहीं बताया। इसके बाद में 2010 में डिस्कवरी चैनल पर स्टीफन हॉकिंग ने इस पॉइंट का आकार एटम के साइज के बराबर मान लिया।
जब भी, साइंस में किसी भी थ्योरी में बदलाव होता है। तब उसके पीछे कोई ना कोई वैलिड रीजन बताया जाता है, या फिर किसी अन्य व्यक्ति को उसका क्रेडिट दिया जाता है। लेकिन, हॉकिंग ने न तो इस बदलाव के पीछे कोई कारण बताया और ना ही अन्य किसी को इसका क्रेडिट दिया।
इसके बाद में 2012 में आचार्य अग्निवृत जी ने विश्व के अनेको वैज्ञानिकों को ग्लाइकोल और बिग-बैंग थ्योरी पर 12 गंभीर प्रश्न पूछे थे। ये प्रश्न स्टीफन हॉकिंग को भी भेजे गए थे। इसके बाद 2013 में स्टीफन हॉकिंग का एक लेख छपा जिसका टाइटल था: There are no Glycols.
हॉकिंग के विचार फिर से बदल गए। लेकिन, इस बार भी क्रेडिट किसी को भी नहीं दिया गया।
वैदिक साइंटिस्ट आचार्य अग्निवृत जी ने 2004 से लेकर 2017 तक ऋग्वेद के अत्रे ब्राहमण ग्रंथ को डी-कोड़ किया और उससे एक नए वैदिक विज्ञान को 2800 पेज की एक पुस्तक "वेद विज्ञान आलोक" में बताया। यह पुस्तक अपने आप में मॉडर्न साइंस के पैरालल एक नई वैदिक फिजिक्स है। जो मॉडल साइंस की सभी अनसुलझी समस्याओं को सुलझाने के लिए काफी है।
हम यह दावा नहीं करते, कि हॉकिंग के विचारों में परिवर्तन आचार्य जी की वजह से ही हुआ। लेकिन, हमारा यह दावा जरूर है; कि जो परिवर्तन स्टीफन हॉकिंग द्वारा किए गए। वो आचार्य अग्निवृत जी ने पहले ही उन्हें लिख कर भेज दिए थे।
इन vedic scientist के Bing bang से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर Stephen hawking के पास भी नहीं है
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 12, 2020
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