अगर कोई मेकैनिक, किसी मशीन को ठीक करता है, तो उसे पता है; कि मशीन काम कैसे करती है। लेकिन, क्या कोई आपको कोई बताता है; कि मन कैसे काम करता है। इसका क्रिया-विज्ञान क्या है। सबसे पहले, मैं आपको बताऊंगा; कि मन के काम करने की वैज्ञानिक प्रक्रिया क्या है। फिर, उसे नियंत्रित करने के बारे में हम चर्चा करेंगे।
इस प्रश्न को में गीता के महान विज्ञान से समझाने जा रहा हूं। जिसके बारे में आपको आर्टिकल के अंत में पता चलेगा। जिसे जानकर आप को गीता पर गर्व महसूस होगा, क्योंकि इसे समझने के बाद। आपके सामने गीता में बताया गया, मन को नियंत्रित करने का विज्ञान स्पष्ट हो जाएगा।
मन आपके माइंड के न्यूरॉन से भी सूक्ष्म वस्तु है। आपका माइंड हार्डवेयर है, और मन उसका सॉफ्टवेयर है। सबसे पहले, मैं आपको बता दूं। जिस मन की चर्चा हम कर रहे हैं, वो मन इस यूनिवर्स में भी होता है। और वही मन, हमारे अंदर भी होता है। जो मन यूनिवर्स में है, उसे समष्टि मनसतत्व कहा जाता है, और जो मन हमारे अंदर है, उसे व्यष्टि मन कहा जाता है। स्ट्रक्चर दोनों की लगभग सेम है। लेकिन, फिर भी दोनों अलग है। हमारा मन या मनसतत्व को आप एक वाइब्रेटिंग सुक्ष्म झिल्ली जैसा मान लीजिए; जो कि बहुत सूक्ष्म है। इसी मन से हमारे सारे काम होते हैं।
आर्टिकल के अंत में, मैं आपको एक बोनस टिप दूंगा। जिससे आप अपने मन को काबू करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इसलिए उस टिप को बिल्कुल भी मिस मत करना। वेल, हम बात कर रहे हैं, कि मन के काम करने का क्रिया-विंचान क्या है। हमने यह जान लिया, कि इसकी स्ट्रक्चर कैसी है। तो अब हम जानते हैं; कि हमारी डेली लाइफ में मन कैसे काम करता है।
मैं आशा करता हूं, कि आपको समझ में आ गया होगा; कि मन के काम करने का क्रिया विज्ञान क्या है। अब हम बात कर लेते हैं, कि इस मन को कंट्रोल कैसे किया जाए। जैसा, कि आपको पहले ही बता दिया है। हमारे मन पर जो डाटा पहले से ही फीड़ हो चुका है, उसके प्रबल प्रवाह की वजह से ही हम किसी काम को करने पर मजबूर हो जाते हैं। तो ये डाटा आपके अंदर आपके सेंस ऑर्गन के थ्रू जाता है, और ये डाटा भी दो टाइप का होगा। एक पॉजिटिव और दूसरा नेगेटिव।
और अब अंत में बोनस टिप दोस्तों... अगर आपने मन के इस विज्ञान को समझ लिया है, तो मैं आपको बता दूं। अगर, हम अपने मन को कंट्रोल नहीं करते और उसके अनुसार ही चलते रहते हैं, तो ध्यान रखिए.. भविष्य में होने वाले आपके बच्चे का मन भी आप स्वयं अपने अंदर डेवलप कर रहे हैं। यानी, कि अपने बच्चों का फ्यूचर, आप पहले से अपने मन में बीज रूप में तैयार कर दीए है।अगर, आप चाहते हैं; कि भविष्य में आपके बच्चे हर फील्ड में अच्छे हो, तो अपने मन को आज से ही ट्रेंड करना शुरू कर दीजिए।
मन आपके माइंड के न्यूरॉन से भी सूक्ष्म वस्तु है। आपका माइंड हार्डवेयर है, और मन उसका सॉफ्टवेयर है। सबसे पहले, मैं आपको बता दूं। जिस मन की चर्चा हम कर रहे हैं, वो मन इस यूनिवर्स में भी होता है। और वही मन, हमारे अंदर भी होता है। जो मन यूनिवर्स में है, उसे समष्टि मनसतत्व कहा जाता है, और जो मन हमारे अंदर है, उसे व्यष्टि मन कहा जाता है। स्ट्रक्चर दोनों की लगभग सेम है। लेकिन, फिर भी दोनों अलग है। हमारा मन या मनसतत्व को आप एक वाइब्रेटिंग सुक्ष्म झिल्ली जैसा मान लीजिए; जो कि बहुत सूक्ष्म है। इसी मन से हमारे सारे काम होते हैं।
महर्षि गौतम कहते हैं, कि मन एक समय में, एक ही विषय पर झुकता है। यानी कि, अगर आप कोई काम करेंगे तो आप मन को आदेश देंगे, और मन उस टॉपिक पर झुकेगा या कहूं कंसंट्रेट करेगा या फिर प्रेरित होगा। जिसका मन स्थिर है वो एक टॉपिक पर काफी देर तक कंसंट्रेट कर सकता है। लेकिन, जिसका मन चंचल है। उसका मन एक टॉपिक से दूसरे टॉपिक पर गमन करता रहेगा। उदाहरणत: 1 मिनट में 50 विचारों पर उसका मन गमन करता रहेगा, और ज्यादा चंचल है, तो 1 मिनट में 500 विचारों पर भी प्रवाह हो सकता है।
आर्टिकल के अंत में, मैं आपको एक बोनस टिप दूंगा। जिससे आप अपने मन को काबू करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इसलिए उस टिप को बिल्कुल भी मिस मत करना। वेल, हम बात कर रहे हैं, कि मन के काम करने का क्रिया-विंचान क्या है। हमने यह जान लिया, कि इसकी स्ट्रक्चर कैसी है। तो अब हम जानते हैं; कि हमारी डेली लाइफ में मन कैसे काम करता है।
हमारे शरीर में पांच सेंसिंग ऑर्गन है। जो कि बाहर की दुनिया की इंफॉर्मेशन को हमें प्रोवाइड करवाती है। ये पांच चीजें हैं। आंख, कान, नाक, जीप और त्वचा। जब भी हम इन सेंस ऑर्गन से किसी भी चीज को एक्सपीरियंस करते हैं, तो उस प्रटीकूलर चीज की इंफॉर्मेशन को ये सब सेंस ऑर्गन हमारे माइंड को सेंड करते हैं, और हमारे माइंड से ये इंफॉर्मेशन आगे हमारे मन तक पहुंचती है। ये डाटा या ये इंफॉर्मेशन। हमारे मन पर, विशेष प्रकार के रश्मियों के रूप में अंकित हो जाती है।
उदाहरणत: अगर, आपने चॉकलेट खाई, तो चॉकलेट से आपको जो-जो इंफॉर्मेशन मिली। वो-वो इंफॉर्मेशन, आपके मन पर अंकित हो जाएगी। चॉकलेट का स्वाद, उसकी बनावट, उसका स्पर्श और उसकी खुशबू वगैरा-वगैरा। अब, जब अगली बार आप कहीं से गुजर रहे होंगे। तो ये चॉकलेट आपको दिखाई देगी। पिछले बार की, सारी इनफार्मेशन या डाटा। जो उस चॉकलेट से रिलेटेड था। वो आपके मन में ऑलरेडी पड़ा था। जैसे ही, आपने चॉकलेट को देखा, तो आपके मन पर पड़े वो सारे संस्कार, यानी डाटा जागृत हो जाती हैं। जो आप को प्रेरित करती है, कि उस चॉकलेट को फिर से एक्सपीरियंस किया जाए।
हम कोई भी काम मन से करते हैं, और मन में उस काम से रिलेटेड व्याप्त डाटा या संस्कार दोनों सक्रिय होकर एक प्रवाह बनाते हैं। जो आपको उस काम को करने के लिए प्रेरित करता है, और जब आप उस काम को फिर से कर देते हैं, तो वो डाटा पहले से ज्यादा क्वांटिटी पर मन पर अंकित हो जाता है। बार-बार उस काम को करने से डाटा या संस्कार मन पर बढ़ते ही जाते हैं। जिससे अगली बार उनका प्रवाह और अधिक बड़ जाता है। अगर, आप चॉकलेट को देखकर अपने मन को रोक नहीं पाते हैं। उस चॉकलेट को खा लेते हैं, तो इस क्रिया या कर्म को बार-बार करते रहने से चॉकलेट से रिलेटेड डाटा बढ़ता ही जाता है, और आप चॉकलेट को देखकर अपने आप को रोक नहीं पाते हो। आप सोचते हैं, कि मैं अपने मन को कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूं। जबकि, आपके मन का ये प्रवाह तो आपने खुद ही बनाया हुआ था।
वेल, यहां पर एक सवाल खड़ा होता है, कि जब हम पैदा होते हैं। जब हमने कुछ कर्म किए ही नहीं है। तब मन में कोई डेटा या संस्कार तो नहीं होता। इसका जवाब ये है; कि जब हम बच्चे होते है, तब भी हमारे मन तक अनेकों प्रकार के डाटा स्टोर रहते हैं, क्योंकि हमारा शरीर हमारी माता-पिता की वजह से बना है। हमारा मन भी उन्हीं की वजह से बनता है। सो, इसी वजह से हमारे मन पर उनके मन के डाटा या संस्कार ऑलरेडी रहते हैं, और साथ ही इसमें पूर्व जन्म का कांसेप्ट भी रोल प्ले करता है। आपके पूर्व जन्म के डाटा या संस्कार आपके अंदर इन एक्टिव फॉर्म में रहते हैं।
मैं आशा करता हूं, कि आपको समझ में आ गया होगा; कि मन के काम करने का क्रिया विज्ञान क्या है। अब हम बात कर लेते हैं, कि इस मन को कंट्रोल कैसे किया जाए। जैसा, कि आपको पहले ही बता दिया है। हमारे मन पर जो डाटा पहले से ही फीड़ हो चुका है, उसके प्रबल प्रवाह की वजह से ही हम किसी काम को करने पर मजबूर हो जाते हैं। तो ये डाटा आपके अंदर आपके सेंस ऑर्गन के थ्रू जाता है, और ये डाटा भी दो टाइप का होगा। एक पॉजिटिव और दूसरा नेगेटिव।
आपके मन को विचलित करने वाला डाटा नेगेटिव टाइप है, इसलिए आपको अपने मन पर पॉजिटिव डाटा फीड़ करना होगा। अपने मन को किसी गलत काम करने के लिए रोकना भी एक डाटा है, और ये डाटा आपके अंदर जितना ज्यादा होगा, उतना आपके लिए फायदा करेगा। उदाहरणत: आपके अंदर चॉकलेट खाने का डाटा बहुत ज्यादा फीड़ है। इसलिए आपको अपने मन को बार बार समझाना है, कि मैं अगली बार चॉकलेट को देख कर उसे खाने के लिए प्रेरित नहीं होऊंगा। इसी सोच के डाटा को अपने मन पर अंकित करते रहना होगा।
रात को सोते समय आपको सोचकर सोना होगा, कि मैं चॉकलेट नहीं खाऊंगा। मैं चॉकलेट नहीं खाऊंगा। बार-बार ये सोचते-सोचते जब आप सो जाएंगे। तो ये डाटा आपके अनकॉन्शियस माइंड पर भी इफेक्ट करेगा। जब अगली बार आप चॉकलेट को देखोगे, तो आपके मन की नेगेटिव रश्मियां एक्टिवेट होकर आपको चॉकलेट खाने के लिए प्रेरित करेगी। लेकिन, इसके विपरीत कुछ पॉजिटिव रेशमियां भी अपना प्रभाव दिखाएगी, और कहेगी; कि मत खा, अरे मत खा।
अगर, आप इन पॉजिटिव रशमियों का कहना मानोगे, तो अगली बार ये पॉजिटिव रश्मियां और भी ज्यादा प्रबल हो जाएंगी। धीरे-धीरे आपको इन पॉजिटिव रश्मियों को प्रबल करते जाना है। इससे आपके मन में पॉजिटिव और नेगेटिव रशमियों का संघर्ष हो जाएगा। जिससे आपके मन का प्रवाह, किसी एक दिशा में ना रह कर बैलेंस रहेगा, और इसी बीच आपकी आत्मा को संभलने का मौका मिल जाएगा, और आप अपने आपको आज्ञा दे पाओगे; कि नहीं, मुझे ये नहीं करना है। पहले जो आपके नेगेटिव रश्मियों की प्रवाह की वजह से जो आपके अंदर की आवाज दब गई थी। अब, आपके खुद की आवाज दबेगी नहीं। और आप अपने आप को आदेश देना होगा। ऐसा मत करो।
तो दोस्तों.. इसीलिए गीता में बताया है, कि अपने मन पर नियंत्रण करने के लिए, दो तलवारों का प्रयोग करना होगा। पहला अपने मन को काबू करने का बार-बार प्रयास करना होगा। जिसकी प्रोसेस मैंने आपको एक्सप्लेन कर दी है और गीता के अनुसार दूसरी तलवार है, वैराग्य की तलवार। वैराग्य का मतलब, घर को छोड़कर भाग के जंगल में बैठ जाना नहीं है। बल्कि, वैराग्य का मतलब है, संपूर्ण सृष्टि को जान लेना।
यानी कि, आपको दूसरा तरीका अपनाना है, कि अपने मन को रोकने के बहाने उस मन को किसी लक्ष्य पर लगाना है। जिस भी चीज में आपको इंटरेस्ट हो, उस फील्ड में आपको अपने मन को लगाना है और ऐसा करते हुए इस ब्यूटीफुल यूनिवर्स को समझने का प्रयास करते रहना है। यानी कि, आपके पास अपनी लाइफ में एक लक्ष्य होना चाहिए। जिसके पास लक्ष्य नहीं होता। उसका मन ज्यादा अनियंत्रित रहता है।
मन को काबू में कैसे करें। इसे योगीराज भगवान श्रीकृष्ण से बढ़िया कौन बता सकता है। जिसके लिए आपको गीता पढ़नी होगी।
और अब अंत में बोनस टिप दोस्तों... अगर आपने मन के इस विज्ञान को समझ लिया है, तो मैं आपको बता दूं। अगर, हम अपने मन को कंट्रोल नहीं करते और उसके अनुसार ही चलते रहते हैं, तो ध्यान रखिए.. भविष्य में होने वाले आपके बच्चे का मन भी आप स्वयं अपने अंदर डेवलप कर रहे हैं। यानी, कि अपने बच्चों का फ्यूचर, आप पहले से अपने मन में बीज रूप में तैयार कर दीए है।अगर, आप चाहते हैं; कि भविष्य में आपके बच्चे हर फील्ड में अच्छे हो, तो अपने मन को आज से ही ट्रेंड करना शुरू कर दीजिए।
इस तकनीक से अपने मन/दिमाग को नियंत्रित करें?
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 11, 2020
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