कौन सी धातु के बर्तन में भोजन बनाना चाहिए

* खाना बनाने के लिए सही मेटल के बर्तन का उपयोगः आप किस मैटेरियल के बर्तनों में खाना बना रहे हैं, कहीं आप नॉनस्टिक या एलुमिनियम तो यूज़ नहीं कर रहे या फिर आप प्रेशर कुकर में खाना पकाते हैं। अगर हां.. आप जाने अनजाने में सीधे हेल्थ प्रॉब्लम को निमंत्रण दे रहे हैं, जैसे कि थायराइड, पीसीओडी, लॉस ऑफ मेमोरी, हार्ट प्रॉब्लम्स, किडनी प्रॉब्लम्स, यहां तक कि कैंसर भी। तो कौन से हैं, सबसे सैफ बर्तन कुकिंग के लिए। आइए बात करते है, कि कौन से मेटल के बर्तन कुकिंग के लिए अच्छे हैं और कौन से मेटल के बर्तन कुकिंग के लिए बेहद खतरनाक।

       आजकल हेल्दी खाने की इंपॉर्टेंन्स तो काफी लोग समझते हैं। लेकिन अभी  भी ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि आप कौन से बर्तनों में खाना पकाते हैं, वो भी उतना ही इंपॉर्टेंट है। जब भी किसी बर्तन में खाना पकता है तो डेफिनेटली उस बर्तन के अंश खाने में जाते हैं। कितनी भी हेल्दी डाइट क्यों ना ले रहे हो, आप। लेकिन अगर आपके खाना पकाने वाले बर्तन टॉक्सिक हैं तो आपको सीरियस हेल्थ कॉम्प्लिकेशन हो सकती है। इसलिए आपके लिए चीजें आसान करने के लिए, मैंने भारतीय मार्केट में सबसे ज्यादा कॉमन कुकिंग न्यूट्रिएंशिन्यस को एक्सजाईमिन किया है, और इस बेसिस पर कि वो कितने सैफ है, कुकिंग के लिए। मैंने उन्हें पांच कैटेगरी में बाटा है। आइए स्टार्ट करते हैं,

* category 1 से: जो कि है, नॉन स्टिक कुकवेयर। शहरों में 90% से भी ज्यादा घरों में लोग नॉन स्टिक युटेन्सिल्स कुकवेयर का ही इस्तेमाल करते हैं। आप कभी भी बर्तन खरीदने शॉपिंग मॉल में जाओ तो मैक्सिमम कुकिंग युटेन्सिल्स में वहां नॉन स्टिक कुकिंग यूटेंन्सिल्स ही होती है और वो इसलिए क्योंकि ये बहुत ही कंविन्यंट होते है। क्या आपको पता है कि ये सबसे डेंजरस भी हैं। इतना ही नहीं एक बार किसी जर्मन निवासी ने नॉन स्टिक कंपनी पर केस भी कर दिया था; क्योंकि नॉन स्टिक कोटिंग के धुए ने उसके पेरेट्स को मार डाला था। ज्यादातर नॉन स्टिक बर्तनों पर 'पॉलि टेट्रा फ्लोरो थाइलीन' की पर्त चढ़ी होती है। यह एक प्लास्टिक पॉलीमर है, जिसे  'टेफलॉन' भी कहा जाता है।

      जब आप टेफलॉन कोटिंग में कुक करते हैं तो उसमें फूंम्स प्रोड्यूस होते हैं। अगर आप फूंम्स को ट्रैक कर लैब में टेस्ट करवाएं तो आप हैरान हो जाएंगे; कि इसमें कितने जहरीले कैमिकल है। यहां तक कि हैवी मैट्रियल, जैसे- मरकरी और एलुमिनियम भी। ये टॉक्सिन फूम्स हमारी बॉडी के लिए बहुत ही खतरनाक है, स्पेशली ब्रेन और लंग्स के लिए।

      कुछ चीप नॉन स्टिक कुकवेयर में PFOA नाम का एक केमिकल भी पाया जाता है। ये जानलेवा है और बड़े लंबे समय तक बॉडी में डिपॉजिटिड रहता है और रिसर्च की मानें तो ये कैंसर का कारण भी बनता है। ये काफी दुखद है कि अभी भी नॉनस्टिक कुकवेयर इंडिया में बैन नहीं है। अगर आप एक हेल्दी लाइफस्टाईल मेंटेन करना चाहते हैं तो आप नॉन स्टिक कुकवेयर आपके किचन में नहीं घुसना चाहिए। कोटिंग के निकलने का इंतजार मत करें, सीधा रिप्लेस कर दें। और अगर आप सोच रहे हैं कि ग्रेनाइट कुकवेयर हेल्दी है; क्योंकि   उसे उस तरह से मार्केट किया जा रहा है तो आप दोबारा सोचे। इन पर भी PPFE की कोटिंग होती है, जो कि टॉक्सिक है। 

* category 2 में आता है, एलुमिनियम कुकवेयर:  एलुमिनियम से बने कुकिंग युटेन्सिल्स भी काफी कॉमन है। एलुमिनियम के पापुलैरिटी का कारण यह है कि ये बहुत इजी अवेलेबल है, सस्ता है, स्ट्रांग, लाइट वेट, वर्सटाइल और गुड थर्मल कंडक्टर और रीसाईकल लेबल भी है। आज एलुमिनियम कमर्शियली सबसे ज्यादा यूज होने वाला कुकिंग युटेन्सिल्स बन चुका है। बट अनफॉर्चूनेटली, एलुमिनियम एक टॉक्सिक है। प्रॉब्लम यह है कि जब भी हम एल्युमिनियम के बर्तन में खाना बनाते हैं तो यह धीरे-धीरे खाने में लीच्स  करता है। इतना कि आप एक एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं। एक नया एलुमिनियम का बर्तन खरीदे और उसका वेट चेक कर ले, अब उस बर्तन को डेली कुकिंग के लिए यूज करना शुरू कर दें और 3 साल बाद फिर उसका वेट चेक करें। आप पाएंगे, कि बर्तन का वेट कम हो चुका है। ऐसा इसलिए; क्योंकि उसमें से ज्यादा एलुमिनियम खाने में ही लीच्स हो चुका है। एलुमिनियम एक थाइरो टॉक्सिक मैट्रियल है जो की बॉडी में जाकर डिपॉजिट हो जाता है। आज डॉक्टर मान रहे हैं कि बढ़ते थायराइड केस का रीजन, एलुमिनियम कुकिंग युटेन्सिल्स का ज्यादा यूज हो सकता है। यही नहीं.. लगातार एलुमिनियम खाने से हार्ट, किडनी और ब्रेन की कॉम्प्लिकेशन भी हो सकती है।

       आजकल मार्केट में आपको हर तरह के एलुमिनियम के बर्तन मिल जाएंगे। 100% एलुमिनियम, एलुमिनियम का कोई एलॉय, एलुमिनियम युटेन्सिल्स विद नॉन स्टिक कोटिंग, हार्ड एनोडाईस्ड एलुमिनियम युटेन्सिल्स वगैरह वगैरह उन सभी को अवॉइड करें, कि ये आपकी हेल्थ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। 

* category 3: केटेगरी 3 में आता है stainless-steel  cookware, ceramic cookware. एक और कॉमन ऑप्शन है, भारतीय मार्केट में स्टैंनलेस स्टील। 100% स्टैंनलेस स्टील के बर्तन डेफिनेटली एक बैटर चॉइस है। जितने भी हमने कैटेगरी वन और टू में डिस्कस किए हैं। हालांकि इसके भी कुछ खतरे हो सकते हैं। कुछ स्टैंनलेस स्टील कुकवेयर में अधिक शाईन देने के लिए निकिल की अधिक मात्रा होती है। ऐसे स्टील के बर्तन को अवॉइड करने चाहिए; क्योंकि निकिल एक टॉक्सिक मेटल है। क्रोमियम और निकिल की रेशों डिसाइड करती है, ग्रेड ऑफ स्टैंनलेस स्टील की।  

      पहला नंबर क्रोमियम को रिप्रेजेंट करता है, जबकि दूसरा नंबर निकिल को। निकिल जितना कम होगा स्टील उतना ही सैफ होगा, कुकिंग के लिए। हालांकि काफी कंपनी बताती ही नहीं है, इस रेशों के बारे में।

      सिरामिक कुकवेयर की बात करें तो नो डाउट 100% सिरामिक कुकवेयर के बर्तन बिल्कुल सैफ है, कुकिंग के लिए। लेकिन सिरामिक के साथ प्रॉब्लम यह है, कि एक तो यह बड़ी मुश्किल से मिलते हैं और दूसरा यह बहुत महंगे होते हैं। कुछ सिरामिक के बर्तन तो सिर्फ एलुमिनियम पर कोटिंग करके ही बेचे जा रहे हैं। इसलिए उन पर पैसा वेस्ट मत करें ।

*  category 4:  कैटिगरी 4 में आता है, कास्ट आईरन कुकवेयर, ब्रास कुकवेयर, गिलास कुकवेयर और ब्रोंज कुकवेयर। यह मार्केट में अवेलेबल बिल्कुल सैफ ऑप्शन है। हालांकि इनकी थोड़ी सी लिमिटेशन जरूर है। उदाहरण के लिए- कास्ट आयरन के बर्तन काफी भारी होते हैं और अगर अच्छे से मेंटेन ना किए जाए तो इन पर अक्सर ही रस्टिंड हो जाती है। जंग लगे बर्तन को कभी भी कुकिंग के लिए यूज नहीं करना चाहिए। इसलिए अगर आप लोहे के बर्तनों की अच्छी से केयर कर सकते हैं तो जरूर इन्हें यूज करें। इससे बॉडी में आयरन की कमी भी पूरी होती है। ब्रास यानी पीतल के बर्तन एक और बहुत बड़ी ऑप्शन है। पुराने समय से ही पीतल के बर्तनों को नेचुरल टिन से कली करके यूज किया जा रहा है। जब ब्रास के बर्तन में खाना पकता है तो वो लगभग 93% न्यूट्रिएंट्स को बचा कर रखता है। जबकि एलुमिनियम सिर्फ 13 से 15 % तक न्यूट्रिएंट्स को ही रिटेन कर पाता है। मैं खुद पिछले काफी टाइम से ब्रास के बर्तनों को ही यूज कर रहा हूं और इनका फायदा देख रहा हूं, पीतल के बर्तनों को थोड़ा ध्यान से धोना पड़ता है।
  
     ब्रोंज जिसे कांसा भी कहा जाता है। इस कैटेगरी में बेस्ट कुकिंग युटेन्सिल्स है। यह खाने में 97% न्यूट्रिएंट्स बचा कर रखता है। 30 - 40 पहले तो हर घर में कांसे के बर्तनो का ही उपयोग होता है। हालांकि आज यह बहुत ही मुश्किल से मिल पाता है, अगर मिल जाए तो जरूर यूज़ करिए। अब इससे पहले कि मैं बेस्ट कुकिंग युटेन्सिल्स को रिवील करूं। बात करते हैं डिशऑनरेबल मेंशन की 'द प्रेशर कुकर'।

      भारतीय घरों में प्रेशर कुकर कभी भी यूज़ नहीं होता था। लेकिन पिछलें कुछ सालों में विदेशी टेक्नोलॉजी ज्यादा ही पॉपुलर हो चुकी है, और क्यों ना हो ये खाने को आधे समय में पका देता है। लेकिन क्या आपको पता है कि प्रेशर कुकर में खाना पकता नहीं, बल्कि टूट जाता है। यह खाना लगभग सभी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स से रहित होता है। इतना प्रेशर पडने से 90% से भी ज्यादा न्यूट्रिएंट्स खत्म हो जाते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस मैटेरियल के प्रेशर कुकर में खाना पका रहे हैं। ये खाना न्यूट्रिशन में बहुत लॉस होगा।  प्रेशर कुकर को यूज करने से नो डाउट आप अपना कीमती समय तो सेव कर रहे हैं, लेकिन आप अपनी हेल्थ भी गवा रहे हैं। तो कौन-सा है, बेस्ट कुकवेयर भारतीय मार्केट में। बात करते हैं -

* category 5: कैटेगरी नंबर 5, जिसमें है और कोई नहीं बल्कि 'मिट्टी के बर्तन'। 'मिट्टी के बर्तन' आज तक के साइंटिफिकली सबसे हेल्दी बर्तन है। मिट्टी में नेचुरल प्रोस और इंसुलिन प्रॉपर्टीज होने की वजह से ये हीट और माश्चर को ईवनली स्प्रेड करती है। जिससे न्यूट्रिएंट्स का बिल्कुल भी लॉस नहीं होता। जी हां.. सिर्फ मिट्टी के बर्तन से ही आप 100% न्यूट्रिएंशन्स की उम्मीद कर सकते हैं; क्योंकि ये बर्तन मिट्टी से बनते है तो इसकी कॉम्प्लिटेशन बिल्कुल वही है, जो हमारी बॉडी को चाहिए। 18 से भी ज्यादा मिनरल्स बिल्कुल सही क्वांटिटी में होने की वजह से ये मार्केट में मिलने वाले, सबसे बेस्ट कुकिंग युटेन्सिल्स है।मिट्टी के बर्तनों में बना खाना ना ही सिर्फ हेल्दी होता है, बल्कि बहुत ज्यादा टेस्टी भी होता है।

       ये कोई थेरेटिकल कांसेप्ट नहीं बल्कि रिसर्च से अप्रूवन भी है। पिछले समय से मैं खुद मिट्टी के बर्तन को यूज कर रहा हूं। एक कमी जो आपको महसूस होगी कि मिट्टी के बर्तन में खाना स्लो पकता है। अगर आप कोई दाल नॉन स्टिक कुकवेयर में 15 मिनट में पकती है तो वही दाल मिट्टी के बर्तन में 25 मिनट में पकती है। एक्चुअली ये डाउनसाइड नहीं बल्कि खाने को ऐसे ही पकाया जाना चाहिए, स्लोली।

       ये देखते हुए कि इतना टेस्टी और न्यूट्रिशन पैट फुड मिट्टी के बर्तन से ही मिल पाता है। लोकल वेंडर से खरीदें जो कि आपको आसानी से मिल जाएंगे। अगर आप अपने हेल्दी लाइफस्टाईल को एक लेवल ऊपर लेकर जाना चाहते हैं तो आप मिट्टी के बर्तन में खाना पकाना शुरू कर दे।

      तो कुकिंग के लिए मिट्टी के बर्तन सबसे बेस्ट है। पीतल, कांसा, कांच गिलास और लोहे के बर्तन भी बहुत सही है। stainless-steel ok - ok है। एलुमिनियम और नॉन स्टिक बर्तन पूरी तरह से र्वोस्ट है, तो इन्हें पूरी तरह से अवाईड करनें चाहिए। अगली बार जब भी आप अपनी किचन के लिए बर्तन खरीदने जाए तो उन्हें सोच समझकर ही खरीदें।
कौन सी धातु के बर्तन में भोजन बनाना चाहिए कौन सी धातु के बर्तन में भोजन बनाना चाहिए Reviewed by Tarun Baveja on July 24, 2020 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.