* किस दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए: जब भी आप विश्रांति ले, सुबह या शाम। रात में सोए या दिन में सोए तो हमेशा दिशाओं का ध्यान रखकर सोए। हमेशा विश्रांति लेते समय सिर सूर्य की दिशा में रहे, सूर्य की दशा यानी पूर्व की दिशा में और पांव पश्चिम में रहे और कोई मजबूरी हो तो दूसरी दिशा है, दक्षिण।
दक्षिण में सिर रखें और उत्तर में पांव। उत्तर में सिर करके कभी भी ना सोए; क्योंकि उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है, सोने के लिए। उत्तर की दिशा दूसरे कई कामों में बहुत अच्छी है, पढ़ना है, लिखना है, अभ्यास करना है तो उत्तर में मुंह रखकर करें और हमारे देश में आर्य समाज के एक संस्थापक रहे, "स्वामी दयानंद सरस्वती" उन्होंने भारत में जो संस्कार होते हैं, जन्म का संस्कार, गर्भाधान का संस्कार, मृत्यु भी एक संस्कार है तो उन्होंने एक पुस्तक लिखी है, "संस्कार विधि"।
उसमें पहला ही सूत्र है, मृत्यु के लिए कि सबसे पहले मृत व्यक्ति का सिर उत्तर में करो, क्यों। कारण उसका बिल्कुल साफ है। आधुनिक विज्ञान यह कहता है कि आपका जो शरीर है और आपकी जो पृथ्वी है, इन दोनों के बीच में कोई बल काम करता है, इसको हम कहते हैं, "गुरुत्वाकर्षण बल"। अब यह कैसे काम करता है। पृथ्वी का उत्तर, पृथ्वी का दक्षिण एक चुंबक की तरह से काम करता है, गुरुत्वाकर्षण के लिए। सिर जो है, शरीर का उत्तर है और पांव दक्षिण है।
आप अगर पृथ्वी की उत्तर की दिशा में सिर करके सो गए तो आपके सिर का उत्तर और पृथ्वी का उत्तर। उत्तर-उत्तर दोनों साथ में आए हैं तो Force of repulsion काम करता है। फोर्स ऑफ रिपलशन माने, प्रतिकर्षण बल लगेगा। आप इसको ऐसे समझे कि यह उत्तर है और आपने उत्तर में सिर किया तो उधर से एक प्रतिकर्षण बल आपके शरीर पर काम करेगा तो आपके शरीर में संकुचन आएगा।
तो ब्लड प्रेशर पूरी तरह से कंट्रोल के बाहर हो जाएगा; क्योंकि ब्लड में भी प्रेशर आएगा। अगर शरीर को प्रेशर आया और शरीर में खून है तो खून को भी प्रशेर आएगा और अगर खून को प्रशेर है तो नींद नहीं आएगी। मन में हमेशा धर्पण-धर्पण चलती रहेगी, हृदय की गति हमेशा तीव्र रहेगी।
अब इसका उल्टा कर लो। पृथ्वी के दक्षिण में अपना सिर कर लो तो आपका सिर तो नॉर्थ हुआ और पृथ्वी का दक्षिण हुआ। तो आपका नॉर्थ माने, उत्तर और पृथ्वी का दक्षिण यह दोनों एक दिशा में है तो फोर्स ऑफ अट्रैक्शन काम करेगा। एक बल आपको खींचेगा और अगर आपके शरीर पर खिंचाव पड़ेगा। मान लीजिए, आप लेटे हैं और यह पृथ्वी का दक्षिण है और इधर आपका सिर हैं। तो अगर आपको खीचेगा कोई तो शरीर थोड़ा-सा बड़ा होगा। जैसे, रबड़ खीचती है।
ऐसे शरीर में थोड़ा-सा बढा़व आएगा। जैसे ही शरीर थोड़ा-सा बड़ा तो बॉडी में रिलैक्सेशन आ गया। जैसे हम अंगड़ाई लेते हैं, ना। एकदम शरीर को तान देते हैं, फिर एकदम बहुत अच्छा लगता है, बहुत रिलैक्स फील होता है। तो जो फैलाओ है, आप सुखी नींद लेंगे और उस पर दबाव है तो नींद नहीं है। अगर आप नींद अच्छी ले रहे हैं और भोजन अच्छा ले रहे हैं तो आपको कभी कोई समस्या नहीं हो सकती।
अब पूर्व दिशा की बात कर लेते है, पूर्व जो है, वो न्यूट्रल है। इस दिशा में ना तो फोर्स ऑफ रिपलशन है और ना ही फोर्स ऑफ अट्रैक्शन। अगर है भी तो दोनों एक दूसरे को बैलेंस किए हुए हैं। इसलिए पूर्व में सिर करके सोएगे तो न्यूट्रल आप भी रहेंगे और आसानी से नींद आएगी और अच्छी नींद आएगी। पश्चिम का अगर आप सोचेंगे तो पश्चिम के लिए अभी रिसर्च होना बाकी है। पश्चिम की दिशा में सोने के हिसाब से पश्चिम की दिशा में रिसर्च अभी कम हुई है।
बागवट जी के अनुसार, किन को पूर्व में सिर करके सोना है और किन को दक्षिण में। उन्होंने दो कैटेगरी बना दी। जो साधु है, सन्यासी हैं, जो ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं और जो लोग ग्रहस्थ जीवन नहीं जी रहे हैं, जो दुनिया की मोह माया से दूर है, इन सबको पूर्व में ही सिर करके सोना चाहिए और जो दुनिया चला रहे हैं, घर चला रहे हैं, गृहस्थी चला रहे हैं, परिवार चला रहे हैं, पत्नी के साथ रह रहे हैं, बच्चों के साथ उनको दक्षिण में ही सिर करना चाहिए।
हमें किस दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 27, 2020
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