रामायण का पुष्पक विमान कैसा था

* रामायण के पुष्पक विमान की विशेषता: आज से लगभग 150 साल पहले, यदि कोई इंसान उड़ने की बात करता। तब उस इंसान की बात लोगों को हजम नहीं होती थी। जब हवाई जहाज का आविष्कार भी नहीं हुआ था। तब सनातन धर्म के ग्रंथों में बताए गए, विमान की अनेकों जगह जिक्र को देखकर, लोग इन धर्म ग्रंथों का मजाक उड़ाते थे और इंसान के द्वारा विमान बनाकर उड़ने को सिर्फ एक कल्पना मानते थे। लेकिन आज इंसान के लिए हवाई जहाज में यात्रा करना, आम बात हो गई है।

      आज से 5000 साल पहले, महाभारत काल में अनेकों प्रकार के विमान का जिक्र मिलता है। लेकिन इससे भी पहले रामायण काल में बताया गया, एक ऐसा विमान था। जिसकी कल्पना महाभारत काल ने भी नहीं की थी। ऐसा विमान रामायण काल में था। जिसके बारे में जानकर बड़े बड़े वैज्ञानिक भी हैरान हो सकते हैं, वह है रामायण का "पुष्पक विमान"। अगर आपने रामायण देखी है, तो आपने सोचा होगा कि यह पुष्पक विमान कैसा होगा, इसमें क्या-क्या टेक्नोलॉजी थी। आइए जानते हैं, आखिर पुष्पक विमान में ऐसा क्या था, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा अविष्कार सिद्ध करता है।

       पुष्पक विमान को ब्रह्मा जी की आज्ञा से विश्वकर्मा ने बनाया था। यह विमान ब्रह्मा जी ने रावण के भाई कुबेर को दिया था। रावण ने अपने भाई कुबेर से युद्ध करके यह पुष्पक विमान हथिया लिया था। इस तरह यह विमान रावण के पास आ गया था। यह पुष्पक विमान साइज में काफी बड़ा था। देखने में किसी महल जैसे पहाड़ के रूप में दिखता था। 

      यह आकाश में गमन करने वाला विमान होकर भी एक महल भी था, जो अंदर से एक आलीशान महल के जैसे था। जिसमें सारी सुख सुविधाएं मौजूद थी। यह विमान देखने में काफी खूबसूरत था। बाहर से दिखने में ऐसा लगता था, जैसे  किसी महल को पुष्पों से सजा दिया गया हो और चांद की तरह चमकदार भी दिखाई देता था। इसी वजह से इसे "पुष्पक विमान" कहा गया।

       यह विमान स्वचालित विमान था। इसका आह्वान करने पर यह विमान कुछ समय में ही आ जाता था। यदि इस विमान को कहीं जाने की आज्ञा दी जाती, तब यह स्वयं उस स्थान पर चला जाता था। यह विमान मन की गति यानी मन के नियंत्रण से चलता था। चलने वाले की आज्ञा के अनुसार उड़ना, रूकना, उतरना यह सब काम हो जाता था। 

        पुष्पक विमान वायु के वेग से चलता था और इस विमान के गति कहीं पर भी रुकती नहीं थी। यह विमान स्वयं आकाश में किसी दूसरे बादल के समान ही जान पढ़ता था। इस विमान के यात्रियों को चलते वक्त बिलकुल भी धक्का महसूस नहीं होता था। इसके यात्रियों को हिलने, डुलने और कंपन का महसूस नहीं होता था। मन में जहां पर भी जाने का संकल्प होता, यह विमान वहीं पर पहुंच जाता था। यह विमान चालक की इच्छा के अनुसार छोटा या बड़ा भी रूप धारण कर लेता था।

      पुष्पक विमान ना अधिक ठंडा था, ना अधिक गर्म रहता था। हर ऋतु के अनुसार यह आराम पहुंचाने वाला था। पुष्पक विमान की एक ऐसी खासियत भी थी, कि यदि कोई विधवा स्त्री, इसमें बैठ जाती, तब यह उसे धारण ही नहीं करता। यह विमान उड़ता ही नहीं था। जब मेघनाद, श्री राम और लक्ष्मण को नागपाश से घायल कर देते थे। तब रावण त्रिजटा राक्षसी को कहता है, कि वह सीता माता को पुष्पक विमान पर बिठाकर श्री राम और लक्ष्मण जी के शव  दिखाने के लिए, जाए। 

   जब माता सीता पुष्पक विमान में बैठती हैं और श्री राम और लक्ष्मण जी का नागपाश में बंधे हुए देखती है, तब वह सोचती है कि श्री राम और लक्ष्मण मारे गए। लेकिन त्रिजटा राक्षसी ने उन्हें ये रहस्य बताती है कि, श्रीराम जीवित है; क्योंकि अगर वे जीवित ना होते, तब पुष्पक विमान माता सीता को विधवा अवस्था में धारण ही नहीं करता।

      रामायण के अनुसार पुष्पक विमान की यह सबसे बड़ी खासियत थी, कि यह विधवा स्त्री को धारण नहीं करता था। आखिर वह कौन सा विज्ञान था, जिससे यह विमान यह पता कर लेता था कि किसे धारण करना है और किसे नहीं। यह एक बहुत बड़ा आश्चर्य ही है, तो दोस्तों.. पुष्पक विमान की यही सबसे बड़ी विशेषता थी, जो इसी विमानों के इतिहास में सबसे ऊपर रखती है।
रामायण का पुष्पक विमान कैसा था रामायण का पुष्पक विमान कैसा था Reviewed by Tarun Baveja on July 27, 2020 Rating: 5

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