ये 1939 में हुआ था। जर्मनी या शायद, ऑस्ट्रिया के एक यहूदी परिवार को बंदी बना लिया गया था। पहले उन्होंने माता-पिता को बंदी बनाया और फिर बच्चों को, और वो उन्हें अलग-अलग स्थानों पर ले गए।
एक लड़की जो उन दिनों 13 साल की थी, और उसका भाई जो 8 साल का था। उन्हें कई अन्य बच्चों के साथ रेलवे स्टेशन ले जाया गया। माता-पिता को किसी मजदूर कैंप ले जाया गया, और अब बच्चे अलग हो चुके थे। सर्दियों के दिनों में उन्हें एक अमीर घर से बाहर निकाल कर, एक रेलवे प्लेटफार्म पर छोड़ दिया गया। बच्चे आखिर बच्चे होते हैं, वो खेलने लग गए। उन्होंने वही खेलना शुरू कर दिया। वो लोगों के साथ खेलने लगे, सभी मिलकर फुटबॉल खेलने लगे। फिर ट्रेन आ गई। ट्रेन आने के बाद सैनिकों ने सभी को भेड़-बकरियों की तरह ट्रेन में भर दिया। जब वो ट्रेन पर चढ़ गए और ट्रेन चलने लगी, तब लड़का बोला; कि वो अपने जूते प्लेटफार्म पर ही भूल गया है। अब लड़की को बहुत गुस्सा आया। वो 13 साल की थी। उसे सबसे अभी-अभी अलग किया गया है। वो हक्की-बक्की है; कि एक अमीर घर से यहां लाया गया है।
अब वो सड़क पर है। वो नहीं जानती; कि वो कहां जा रहे हैं। आगे क्या होगा। वो कुछ भी नहीं जानते। अब वो इतिहास बन चुका है। हम जानते हैं, कि उसके बाद क्या चीज हुई थी। उस समय उस छोटे बच्चों को कुछ भी नहीं पता था, कि क्या होने वाला है। और ये लड़का, अपने जूते भूल कर आ गया, वो भी सर्दियों के मौसम में। तो उस लड़की ने अपने भाई के कान को जोर से मरोड़ कर कहा। अरे बेवकूफ पहले ही मेरे ऊपर बहुत मुसीबत है, और अब तुम जूते छोड़ कर आ गए।
फिर अगले स्टेशन पर, उन्होंने लड़के और लड़कियों को अलग- अलग कर दिया। लड़के को एक जगह ले गए, लड़की को किसी दूसरी जगह ले गए। 4 साल बाद वो एक कोंसोट्रेशन कैंप से बाहर आए और वो अपने परिवार की अकेली जीवित सदस्य थी। उसके भाई समेत परिवार के 17 लोग बस गायब हो गए। उसे कभी पता नहीं चला, कि वो कहां गया। वो बस कहीं गायब हो गया, और उसे बस वो बातें याद रह गई। जो उसने अपने भाई को कही थी। वो कुछ अच्छा कह सकती थी। लेकिन उसने इतनी भयंकर चीजें कहीं, क्योंकि उसके भाई ने अपने जूते खो दिए थे। फिर, जब वो 4.5 साल बाद कोंसोट्रेशन कैंप से बाहर आयी, तो उसने एक दृढ़ निश्चय किया। इससे फर्क नहीं पड़ता, कि मैं किससे बात कर रही हूं। मैं लोगों से इस तरह से बात करूंगी, कि अगर वो मेरी उनसे आखरी बातचीत है, तो मुझे आगे चलकर उसका दुख नहीं होना चाहिए।
अगर आप बस लोगों से इस तरह बात करेंगे, तो आप निश्चित रूप से कुछ अच्छा कहेंगे, और आपको कैसे पता, कि ये आखिरी बातचीत नहीं है। जो भी आपके पास बैठा है, हो सकता है, कि आज आप उनसे आखरी बार मिल रहे हो। ऐसा हो सकता है, है ना.. हा.. और ये एक वादा, जो उसने खुद से किया। इसने उसका पूरा जीवन ही बदल दिया, और वो बहुत ही सुंदर इंसान बन गयीं। क्योंकि उसने तय कर लिया, कि वो जिस से भी बात करेगी। वो इस तरह बात करेगी, कि अगर यह आखिरी बातचीत हो, तो उसे दुख ना हो। उसके साथ इतनी भयंकर घटना हुई। पर उसने उसे एक आशीर्वाद में बदल दिया।
अगर आपके पास जागरूक बुद्धि हो, तो आपके जीवन में जो कुछ भी होता है। उसे आप अपने लिए एक महान संभावना में बदल सकते हैं। या जो भी होता है। आप उससे दुख पैदा कर सकते हैं। है कि नहीं.. चाहे जो भी परिस्थिति हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जो भी परिस्थिति हो, आप उसे एक महान संभावना में बदल सकते हैं। बस अगर आप उसे भोलेपन से देखने के लिए तैयार हो जाएं, तो हर चीज बदली जा सकती है। जब हमारे जीवन में दुख देने वाली चीजें होती हैं, तो हम या तो समझदार बन सकते हैं या फिर पीड़ित हो सकते हैं। ये हमें ही चुनना है।
भाई बहन की जीवन बदल देने वाली कहानी
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 14, 2020
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