* वर्षा ऋतु में आहार की दिनचर्या और रोगों के उपचार के उपायः वर्षा ऋतु का प्रारंभ हो रहा है और इसी ऋतु के आगमन के साथ कई प्रकार के रोंग आ जाते हैं और हम लोग उन्हें पहचान नहीं पाते, आने से पहले हम अपने आहार में बदलाव नहीं कर पाते जिसके कारण वर्षा ऋतु में ना-ना प्रकार के रोंग हर एक व्यक्ति के शरीर में पैदा हो जाते हैं।
आज इसी पर हम चर्चा करेंगे कि वर्षा ऋतु में हमें किन आहारो को छोड़ देना चाहिए और किन-किन आहारों का इस समय हमें सेवन करना चाहिए।
मुख्य रूप से जो प्रबल रस होता है, वर्षा ऋतु में। वो होता है, अम्ल रस और जो महाभूत इस समय पंचमहाभूतों में इस समय जो प्रबल होता है वो होता है पृथ्वी और अग्नि तत्व। जिसके कारण वाथ दोष हमारे शरीर में विकृत हो जाते हैं और पित्तदोष का अग्नि के कारण संचय होने लगता है। अब शरीर पर इनका प्रभाव क्या होगा, शरीर की जो पाचन शक्ति है वो जठराग्नि है, वह कमजोर होने लग जाती है तथा इसके साथ-साथ में वाथ दोष जो है, नमी के कारण जितने भी बाहर नमी होती है उसके कारण प्रकुपित हो जाता है।
* तो अब हमें इस ऋतु में क्या खाना चाहिए और किन आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए सिस्टमैटिक हम जान लेते हैंः खाने में हमें हल्का आहार लेना चाहिए जो पचने में बहुत ही जल्दी पच जाए, सुपाच्य हो। ताजा होना चाहिए, और गर्म होना चाहिए जिससे कि शरीर में पाचक रस अच्छे से बने, अग्नि बढ़ाने वाला खाना हो तो वह जल्दी से जल्दी पच जाता है और डाइजेशन होने से जितने भी रस होते हैं, सप्त धातुओं में अच्छे से कन्वर्ट होने लगते हैं।
* अनाज में हम क्या-क्या खाएं: पुराना जितना भी अनाज है, रखा हुआ वह आप सेवन करिए जिसमें गेहूं है, जौ है, चावल है, मक्का है ये सभी पुराने हैं। जितने भी जो 8-10 महीने पुराने, कम से कम 6 महीने पुराने तो होने ही चाहिए, आप अनाजों का सेवन करें तो इस ऋतु में आपके लिए वह स्वास्थ्यवर्धक होगा। दाल में केवल आप मूंग और अरहर। केवल दो ही प्रकार की दाले ले। अन्य प्रकार की जो दालें है वह आपके गैस और पेट में आफरा जैसी समस्याएं पैदा कर देती है और वह आपके डाइजेशन को भी बिगाड़ देती है इसलिए इस ऋतु में केवल मूंग और अरहर की दाल का सेवन करें।
* फलों में क्या क्या हम खा सकते हैंः फलों में सेब है, नाशपाती है, अनार है, केला है, जामुन है, आम है और आम तो विशेष रूप से इस समय हमें खाना चाहिए। श्रावण के बाद तो आम खराब हो जाते हैं, उनमें कीडियां आने लगती हैं इसलिए आप इस समय जब गर्मी बहुत तेज होती है, वर्षा ऋतु प्रारंभ होने वाली होती है, उस समय आम स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है, बलवर्धक होता है। जो लोग दुर्बल हैं, पतले हैं। जिनकी हड्डियां निकली हुई है वो लोग दो से तीन आम प्रतिदिन खाएं और ऊपर से दूध पीले तो उनके शरीर का सुडौल विकास भी होता है।
घी व तेल में बनी हुई नमकीन पदार्थ खाइए। जिससे कि आपकी शरीर की बनावट अच्छी हो। आपके शरीर को ताकत मिले। जितने भी लोग हैं, जिन्हें कमजोरी रहती है। वो लोग इस समय भुट्टा खाएं। मक्के का जो भुट्टा होता है उसे हल्का सा अंगारों पर सिखा कर यदि आप उस पर नमक लगाकर या फिर आप उसे टेस्ट के लिए नींबू लगा कर खाते हैं तो वह आपके डाइजेशन को बहुत अच्छा बना देता है, आपकी स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है आपकी जो स्किन हैं उसको ग्लो प्रदान करता है। इसलिए आप भुट्टे का प्रयोग जरूर कीजिए। छाछ पी सकते हैं, आप भुट्टे खाने के बाद जिससे कि वह अच्छे से डाईजेस्ट हो जाए।
इस मौसम में आप जितनी मात्रा में कटुरस वाले अम्ल या छारीय पदार्थ जो है। चटपटे पदार्थ है, नमकीन टाइप के उन उनको खाते हैं तो आप के वाथ दोषों का शमन हो जाता है। वाथ के कारण हमारे शरीर में 60 प्रकार के रोंग होते हैं तो वो वर्षा ऋतु में ज्यादा बनते हैं; क्योंकि बाहर नमी होती है, इस नमी के कारण शरीर में जठराग्नि जो है कमजोर हो जाती है। वर्षा ऋतु में और बढ़कर पैदा होते हैं इसलिए आप इन सभी को रोकने के लिए तले, भुने हुए पदार्थ, चटपटे अम्लीय या कड़वे वाले हैं उन सभी को खाइए।
* क्या नहीं खाना हैः यह भी हमें आवश्यक रूप से ध्यान में रखना चाहिए। तो जितने भी पत्तेदार सब्जियां हैं, कुछ लोग पालक खाते हैं, धनिंया खाते हैं इस प्रकार जो पत्तेदार सब्जियां होती है। वो आप वर्षा ऋतु के दौरान बंद कर दें। किसी प्रकार की पत्तियां है, चाहे वो नीम की हो, तुलसी की हो। आप इस ऋतु में दो-तीन महीनों के लिए चार महीनों के लिए छोड़ दें; क्योंकि वह इस समय उपयोगी नहीं है, हमारे शरीर के लिए। चना है, मोंठ है, उड़द है, मटर है, मसूर है, ज्वार है ये सभी इस समय गैस बनाती है, आतों में गुढगुढाहट पैदा कर देती है। जिसके कारण क्या होता है, आपके शरीर में पेट से संबंधित विकार पैदा हो जाते है। इसलिए आप इन सभी का प्रयोग इस नहीं करें।
तो ये एक सामान्य जानकारी थी, जिससे आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। आप को ध्यान रखने की आवश्यकता है कि किस समय क्या खाया जाए।
मुख्य रूप से जो प्रबल रस होता है, वर्षा ऋतु में। वो होता है, अम्ल रस और जो महाभूत इस समय पंचमहाभूतों में इस समय जो प्रबल होता है वो होता है पृथ्वी और अग्नि तत्व। जिसके कारण वाथ दोष हमारे शरीर में विकृत हो जाते हैं और पित्तदोष का अग्नि के कारण संचय होने लगता है। अब शरीर पर इनका प्रभाव क्या होगा, शरीर की जो पाचन शक्ति है वो जठराग्नि है, वह कमजोर होने लग जाती है तथा इसके साथ-साथ में वाथ दोष जो है, नमी के कारण जितने भी बाहर नमी होती है उसके कारण प्रकुपित हो जाता है।
इसलिए इस समय बुखार होना, जुखाम होना, दस्त होना, पेचिस होना, हैजा होना, कोलाइटिस होना, गठिया बाय होना या जोड़ों में दर्द होना या जोड़ों में सूजन होना, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या ज्यादा हो जाना, फुंनसिया होना शरीर पर, फोड़े निकल आना, मस्से होना ये सब प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं या फिर किसी भी व्यक्ति को पहले कभी चोट लगी हुई है तो इस समय वह चोट बहुत दर्द करती है, वहां पर। जिसे हम आम भाषा में कहते हैं, रुक रुक कर दर्द होता है, बार-बार पैंन होता है इस प्रकार की समस्याएं होने लग जाती है।
* तो अब हमें इस ऋतु में क्या खाना चाहिए और किन आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए सिस्टमैटिक हम जान लेते हैंः खाने में हमें हल्का आहार लेना चाहिए जो पचने में बहुत ही जल्दी पच जाए, सुपाच्य हो। ताजा होना चाहिए, और गर्म होना चाहिए जिससे कि शरीर में पाचक रस अच्छे से बने, अग्नि बढ़ाने वाला खाना हो तो वह जल्दी से जल्दी पच जाता है और डाइजेशन होने से जितने भी रस होते हैं, सप्त धातुओं में अच्छे से कन्वर्ट होने लगते हैं।
* अनाज में हम क्या-क्या खाएं: पुराना जितना भी अनाज है, रखा हुआ वह आप सेवन करिए जिसमें गेहूं है, जौ है, चावल है, मक्का है ये सभी पुराने हैं। जितने भी जो 8-10 महीने पुराने, कम से कम 6 महीने पुराने तो होने ही चाहिए, आप अनाजों का सेवन करें तो इस ऋतु में आपके लिए वह स्वास्थ्यवर्धक होगा। दाल में केवल आप मूंग और अरहर। केवल दो ही प्रकार की दाले ले। अन्य प्रकार की जो दालें है वह आपके गैस और पेट में आफरा जैसी समस्याएं पैदा कर देती है और वह आपके डाइजेशन को भी बिगाड़ देती है इसलिए इस ऋतु में केवल मूंग और अरहर की दाल का सेवन करें।
* सब्जियों में हम क्या खाएंः प्रायत् जो इस सेशन में पैदा होने वाली इस ऋतु में पैदा होने वाली उन सब्जियों को प्रचुर मात्रा में खाइयें। जैसे लौकी है, भिंडी है, टमाटर है, तौरी है, पुदीना है, चुलाई है, बथवा है,.बथवा आप केवल 1 महीने प्रारंभिक में खाइंए। श्वाण मास जैसे ही प्रारम्भ हो जाता है, बथुवे को आप छोड़ देना उसके बाद आप नहीं खाना।
* फलों में क्या क्या हम खा सकते हैंः फलों में सेब है, नाशपाती है, अनार है, केला है, जामुन है, आम है और आम तो विशेष रूप से इस समय हमें खाना चाहिए। श्रावण के बाद तो आम खराब हो जाते हैं, उनमें कीडियां आने लगती हैं इसलिए आप इस समय जब गर्मी बहुत तेज होती है, वर्षा ऋतु प्रारंभ होने वाली होती है, उस समय आम स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है, बलवर्धक होता है। जो लोग दुर्बल हैं, पतले हैं। जिनकी हड्डियां निकली हुई है वो लोग दो से तीन आम प्रतिदिन खाएं और ऊपर से दूध पीले तो उनके शरीर का सुडौल विकास भी होता है।
घी व तेल में बनी हुई नमकीन पदार्थ खाइए। जिससे कि आपकी शरीर की बनावट अच्छी हो। आपके शरीर को ताकत मिले। जितने भी लोग हैं, जिन्हें कमजोरी रहती है। वो लोग इस समय भुट्टा खाएं। मक्के का जो भुट्टा होता है उसे हल्का सा अंगारों पर सिखा कर यदि आप उस पर नमक लगाकर या फिर आप उसे टेस्ट के लिए नींबू लगा कर खाते हैं तो वह आपके डाइजेशन को बहुत अच्छा बना देता है, आपकी स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है आपकी जो स्किन हैं उसको ग्लो प्रदान करता है। इसलिए आप भुट्टे का प्रयोग जरूर कीजिए। छाछ पी सकते हैं, आप भुट्टे खाने के बाद जिससे कि वह अच्छे से डाईजेस्ट हो जाए।
दही का यदि आप सेवन करते हैं, इस ऋतु में। तो सावधानी ये रखें कि दही में आप लौंग और त्रिकूट, जिसमें सौंठ, पीपली और काली मिर्च तीनों को संयुक्त रूप से 'त्रिकूट' कहा जाता है। इनमे सेंधा नमक और अजवाइन मिलाकर आप दही का सेवन करें। तो लौंग, त्रिकूट और सेंधा नमक, अजवाइन इन चारों को आप दही में मिलाकर खाते हैं तो वह दही आपके लिए निश्चित रूप से लाभदायक होगा। इस ऋतु में अकेली दही का आप सेवन ना करें नहीं तो आपको वो लाभ नहीं होगा, जो इस ऋतु में आपको दही से होना चाहिए।
इस मौसम में आप जितनी मात्रा में कटुरस वाले अम्ल या छारीय पदार्थ जो है। चटपटे पदार्थ है, नमकीन टाइप के उन उनको खाते हैं तो आप के वाथ दोषों का शमन हो जाता है। वाथ के कारण हमारे शरीर में 60 प्रकार के रोंग होते हैं तो वो वर्षा ऋतु में ज्यादा बनते हैं; क्योंकि बाहर नमी होती है, इस नमी के कारण शरीर में जठराग्नि जो है कमजोर हो जाती है। वर्षा ऋतु में और बढ़कर पैदा होते हैं इसलिए आप इन सभी को रोकने के लिए तले, भुने हुए पदार्थ, चटपटे अम्लीय या कड़वे वाले हैं उन सभी को खाइए।
* क्या नहीं खाना हैः यह भी हमें आवश्यक रूप से ध्यान में रखना चाहिए। तो जितने भी पत्तेदार सब्जियां हैं, कुछ लोग पालक खाते हैं, धनिंया खाते हैं इस प्रकार जो पत्तेदार सब्जियां होती है। वो आप वर्षा ऋतु के दौरान बंद कर दें। किसी प्रकार की पत्तियां है, चाहे वो नीम की हो, तुलसी की हो। आप इस ऋतु में दो-तीन महीनों के लिए चार महीनों के लिए छोड़ दें; क्योंकि वह इस समय उपयोगी नहीं है, हमारे शरीर के लिए। चना है, मोंठ है, उड़द है, मटर है, मसूर है, ज्वार है ये सभी इस समय गैस बनाती है, आतों में गुढगुढाहट पैदा कर देती है। जिसके कारण क्या होता है, आपके शरीर में पेट से संबंधित विकार पैदा हो जाते है। इसलिए आप इन सभी का प्रयोग इस नहीं करें।
आलू, कटहल, सिंघाड़ा और करेला यह भी आपके पित प्रकुपित कर देती है। इसलिए आलू, सिंघाड़ा, कटहल यह सब भी आप वर्षा ऋतु के दौरान मत खाएं। ताकि आप स्वस्थ रह सके, किसी प्रकार की आपको कोई अन्य समस्यांए पैदा ना हो।
तो ये एक सामान्य जानकारी थी, जिससे आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। आप को ध्यान रखने की आवश्यकता है कि किस समय क्या खाया जाए।
वर्षा ऋतु में क्या खाएं क्या ना खाएं
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 19, 2020
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