* आव, पेचिस और संग्रहणी रोगों का घरेलू उपचारः जिन व्यक्तियों को आव की शिकायत होती है, संग्रहणी की शिकायत होती है तो वो अपना उपचार किस प्रकार से करें।
आव की समस्या बहुत परेशानी देती है। हमारी आंतो में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं, यदि आंतों में घाव बनने लग जाते हैं तो एल्सलेटिव कोलाईटि्स बन जाता है। यदि आंते अपना एबर्सोशन कम कर देती हैं और मल को रोक नहीं पाती तो हम बार-बार फ्रेश होने के लिए जाते हैं, जिससे हम आईबीएस की समस्या कहते हैं।
पहले नंबर पर आता है, बेलः इस समय ग्रीष्म ऋतु चल रही है, वर्षा ऋतु प्रारंभ होने वाली है। यदि आप नियमित रूप से दिन में 5 बार बेल का जूस पीते हैं या कच्चा बेल खाते हैं तो आपकी आव की समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है। पेट के रोगों के लिए, आंत के रोगों के लिए बेल जो है वह बहुत ही परम औषधि है इसलिए आप बिना मीठा मिलाएं, आप बेल का प्रयोग करें।
आप इसके साथ बेल का प्रयोग अधिकतर करिए। प्रातकाल आप उठ कर पेट भरकर अनार खाईए, जितना आप अनार खा सकते हैं, उतना अनार खाइए और इसके साथ आप दिन में 9:00 बजे से लेकर 2:00 बजे के बीच में छाछ में जीरा और पुदीना मिलाकर 1 लीटर, 2 लीटर, 2.5 लीटर जितना आप पी सकते हैं, भर पेट छाछ का सेवन करें। जिससे की आपको संग्रहणी, आव जैसी समस्याएं समाप्त हो जाएगी। किसी प्रकार की आपको दवाइयां लेनी ना पड़े।
आव की समस्या बहुत परेशानी देती है। हमारी आंतो में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं, यदि आंतों में घाव बनने लग जाते हैं तो एल्सलेटिव कोलाईटि्स बन जाता है। यदि आंते अपना एबर्सोशन कम कर देती हैं और मल को रोक नहीं पाती तो हम बार-बार फ्रेश होने के लिए जाते हैं, जिससे हम आईबीएस की समस्या कहते हैं।
और यदि उसमें चिकनाई पन लग जाए। यदि पेट में दर्द रहना प्रारंभ हो जाए। कई बार दर्द नहीं होता किसी-किसी को, इसे हम आव कहते हैं। तो आव की समस्या होने पर हम क्या करें- कई बार एलोपैथिक में कई सालों का कोर्स दे देते हैं जिससे कि कोई प्रभाव शरीर पर नहीं होता और उल्टा शरीर खराब हो जाता है। सामान्य रूप से तीन चीज है जिनके प्रयोग से हम आव को पूरी तरह समाप्त कर सकते हैं।
पहले नंबर पर आता है, बेलः इस समय ग्रीष्म ऋतु चल रही है, वर्षा ऋतु प्रारंभ होने वाली है। यदि आप नियमित रूप से दिन में 5 बार बेल का जूस पीते हैं या कच्चा बेल खाते हैं तो आपकी आव की समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है। पेट के रोगों के लिए, आंत के रोगों के लिए बेल जो है वह बहुत ही परम औषधि है इसलिए आप बिना मीठा मिलाएं, आप बेल का प्रयोग करें।
जिनको आव होती है वो तीन चीजों को हमेशा हटा कर रखे। एक तो उन्हें घी या तेल या किसी भी प्रकार की चिकनाई नहीं खानी, दूसरा उन्हें दूध नहीं पीना है बिल्कुल भी दूध नहीं पीना। तीसरा उन्हें मिठाई भी नहीं खानी है। यह तीनों चीजों खाते ही अंदर जाते ही आपकी आव की जो शिकायत है वह बढ़ जाएगी आपको परेशानी होने लग जाएगी। इस नाभि प्रदेश में आपको दर्द होना प्रारम्भ हो जाता है, गैस की शिकायत प्रारंभ हो जाती है। तो आप इन तीनों चीजों को अवाईड़ करिए।
आप इसके साथ बेल का प्रयोग अधिकतर करिए। प्रातकाल आप उठ कर पेट भरकर अनार खाईए, जितना आप अनार खा सकते हैं, उतना अनार खाइए और इसके साथ आप दिन में 9:00 बजे से लेकर 2:00 बजे के बीच में छाछ में जीरा और पुदीना मिलाकर 1 लीटर, 2 लीटर, 2.5 लीटर जितना आप पी सकते हैं, भर पेट छाछ का सेवन करें। जिससे की आपको संग्रहणी, आव जैसी समस्याएं समाप्त हो जाएगी। किसी प्रकार की आपको दवाइयां लेनी ना पड़े।
आयुर्वेद में सभी लोगों ने मानसिकता बना रखी है कि केवल और केवल चूर्ण खाना किसी प्रकार की दवाइयां लेना ही आयुर्वेद है; जबकि आयुर्वेद का मूल स्वरूप है, हमारी जीवन-पद्धति जीवन जीने का जो ज्ञान है, वह आयुर्वेद है और वह आपके घर के आसपास आपके घर में मौजूद है बस आवश्यकता है तो उसे समझने की है। इसलिए आप इन सभी का प्रयोग करिए और अपने घर पर अपने स्वास्थ्य को बनाए रखिए।
आव, पेचिश, संग्रहणी रोग का 100% घरेलू उपचार, वह भी बिना किसी दवाई के
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 19, 2020
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