आज हम एक ऐसे विषय पर बात कर रहे हैं। जिसकी चर्चा करना ही गलत समझा जाता है, पर जो आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है।
हम लोग हमेशा, किसी ना किसी बात से छुटकारा पाने के बारे में ही सोचते रहते हैं। आप जबरदस्ती किसी चीज से छुटकारा नहीं पा सकते। अगर, आप किसी चीज को बलपूर्वक छोड़ने की कोशिश करते हैं, तो ये कहीं ना कहीं से, फिर उठ खड़ी हो जाएगी, और आप में कोई अन्य विकृति पैदा हो जाएगी। अगर, आप इसे छोड़ देने का पर्यटन करेंगे, तो ये आपके मन एवं चैतन्य पर पूरी तरह से शासन करेगी; पर यदि आप अभी जो कुछ भी जानते हैं, उससे अधिक गहरी चीज पालें, तो वो सब जो कम महत्वपूर्ण है, अपने आप गिर जाएगा। क्या आपको मालूम है कि वे लोग, जो किसी बुद्धिजीवी गतिविधि में संलग्न रहते हैं। "वे यौन संबंध बनाने की अपेक्षा कोई पुस्तक पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं"।
आप यौन संबंधों के पीछे इसलिए दौड़ते हैं, क्योंकि इस समय आपके लिए वही सबसे बड़ा सुख है। अगर कोई आपसे कहे, "ये खराब है, इसे छोड़ दो", तो क्या आप इसे छोड़ देंगे? पर अगर आपको उससे बड़ी, किसी चीज का स्वाद मिल जाए तो फिर क्या किसी को आपसे यह कहने की जरूरत होगी कि से छोड़ दो? ये अपने आप छूट जाएगा। अतः आप को, कुछ अधिक आवश्यक कार्य करने में, थोड़ा समय लगाना होगा। जिससे एक ज्यादा बड़ी संभावना आपके लिए एक वास्तविकता बन जाए।
अगर, आप किसी ज्यादा बड़ी चीज तक पहुंच बनाते हैं, जो ज्यादा सुख देने वाली और ज्यादा उत्तेजित देने वाली हो तो ये छोटी चीज अपने आप गायब हो जाएगी। आप इसे छोड़ नहीं देंगे। बस, अब आप ये काम नहीं करेंगे क्योंकि अपने खुद के लिए, कोई ज्यादा बड़ी चीज पा ली होगी। आपके जीवन के कई पहलुओं के बारे में ये हुआ है। एक बच्चे के रूप में आप दुनिया को जैसे भी जानते, मानते थे। वो सब छूट गया, क्योंकि जैसे जैसे आप बड़े हुए आप को ऐसा कुछ मिलता गया जो पहले से ज्यादा ऊंचा, ज्यादा बड़ा था। वही बात यहां भी लागू होती है। अगर, आपको कुछ गहरी तीव्रता की चीज मिलती है, जो आपके लिए ज्यादा सुखदायक, ज्यादा उत्तेजक, ज्यादा उन्मादपूर्ण हो, तो ये चीजें भी छूट जाएंगी।
यौन संबंध आपका एक छोटा सा हिस्सा है। सिर्फ, मूर्खतापूर्ण नैतिकता की बातों के कारण लोग यौन विषयों के बारे में ज्यादा आसक्त हो गए हैं, और फिर वे इसे बलपूर्वक छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। आप जिसे पुरुष या स्त्री कहते हैं। वो बस एक छोटा सा शारीरिक अंतर है। जिससे एक खास प्राकृतिक प्रक्रिया पूर्ण हो सके। हमने एक शारीरिक हिस्से को इतना ज्यादा महत्व क्यों दिया है।
शरीर का कोई भी हिस्सा इतना ज्यादा महत्व दिए जाने के योग्य नहीं है। अगर, किसी हिस्से को इतना ज्यादा महत्व मिलना ही है, तो वो शायद मस्तिष्क है, प्रजनन अंग नहीं। दुर्भाग्यवश, अब ये उल्टा हो गया है, उन मूर्खतापूर्ण शिक्षाओं के कारण जो कहती है, "आपको शुद्ध होना चाहिए, आपको इसके बारे में नहीं सोचना चाहिए" और लोगों के दिमागों में यही बात भर गई है, और उन्होंने सब गड़बड़ कर दिया है। यदि लोग जीवन को उस तरह से देखें जैसा वह है, तो यौन संबंधों की बातें अपने सही स्थान पर आ जाएंगी , और वह है आपके जीवन का एक छोटा सा हिस्सा। ये जीवन का कोई इतना बड़ा पहलू नहीं होता, और ये ऐसा ही होना चाहिए। ये सभी प्राणियों में इसी तरह से है।
जानवर इसके बारे में हर समय नहीं सोचा करते। जब इस चीज का उनके लिए समय होता है, तभी वे उसमें होते हैं। अन्यथा वे हर समय नहीं सोचते; कि "कौन पुरुष है या, कौन स्त्री है"। ये सिर्फ मनुष्य है। जो हर समय इसी में फंसा रहता है। वे एक क्षण के लिए भी इसे नहीं छोड़ पाते, क्योंकि यह मूर्खतापूर्ण नैतिकता की बातें, जिनका जीवन से कुछ लेना-देना नहीं है, उन में घुस गई है। अगर वे जीवन को उसी तरह देखें, जैसे वह हैं, तो अधिकतर लोग बहुत कम समय में इसमें से बाहर निकल जाएंगे। कई लोग बिना इसमें पढ़े ही बाहर निकल सकते हैं।
जीवन पर गलत ढंग का ध्यान होने से हर चीज विकृत हो गई, और बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश हो रही है। बस यही बात है, अन्यथा आप देखेंगे; कि लोगों का एक बहुत बड़ा भाग इन सब बातों में कोई रुचि ही नहीं लेगा, अथवा उनकी रूचि बहुत ही साधारण होगी। ये उतनी मूर्खतापूर्ण नहीं होंगी, जितनी अभी है। धन्यवाद...
हम लोग हमेशा, किसी ना किसी बात से छुटकारा पाने के बारे में ही सोचते रहते हैं। आप जबरदस्ती किसी चीज से छुटकारा नहीं पा सकते। अगर, आप किसी चीज को बलपूर्वक छोड़ने की कोशिश करते हैं, तो ये कहीं ना कहीं से, फिर उठ खड़ी हो जाएगी, और आप में कोई अन्य विकृति पैदा हो जाएगी। अगर, आप इसे छोड़ देने का पर्यटन करेंगे, तो ये आपके मन एवं चैतन्य पर पूरी तरह से शासन करेगी; पर यदि आप अभी जो कुछ भी जानते हैं, उससे अधिक गहरी चीज पालें, तो वो सब जो कम महत्वपूर्ण है, अपने आप गिर जाएगा। क्या आपको मालूम है कि वे लोग, जो किसी बुद्धिजीवी गतिविधि में संलग्न रहते हैं। "वे यौन संबंध बनाने की अपेक्षा कोई पुस्तक पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं"।
आप यौन संबंधों के पीछे इसलिए दौड़ते हैं, क्योंकि इस समय आपके लिए वही सबसे बड़ा सुख है। अगर कोई आपसे कहे, "ये खराब है, इसे छोड़ दो", तो क्या आप इसे छोड़ देंगे? पर अगर आपको उससे बड़ी, किसी चीज का स्वाद मिल जाए तो फिर क्या किसी को आपसे यह कहने की जरूरत होगी कि से छोड़ दो? ये अपने आप छूट जाएगा। अतः आप को, कुछ अधिक आवश्यक कार्य करने में, थोड़ा समय लगाना होगा। जिससे एक ज्यादा बड़ी संभावना आपके लिए एक वास्तविकता बन जाए।
अगर, आप किसी ज्यादा बड़ी चीज तक पहुंच बनाते हैं, जो ज्यादा सुख देने वाली और ज्यादा उत्तेजित देने वाली हो तो ये छोटी चीज अपने आप गायब हो जाएगी। आप इसे छोड़ नहीं देंगे। बस, अब आप ये काम नहीं करेंगे क्योंकि अपने खुद के लिए, कोई ज्यादा बड़ी चीज पा ली होगी। आपके जीवन के कई पहलुओं के बारे में ये हुआ है। एक बच्चे के रूप में आप दुनिया को जैसे भी जानते, मानते थे। वो सब छूट गया, क्योंकि जैसे जैसे आप बड़े हुए आप को ऐसा कुछ मिलता गया जो पहले से ज्यादा ऊंचा, ज्यादा बड़ा था। वही बात यहां भी लागू होती है। अगर, आपको कुछ गहरी तीव्रता की चीज मिलती है, जो आपके लिए ज्यादा सुखदायक, ज्यादा उत्तेजक, ज्यादा उन्मादपूर्ण हो, तो ये चीजें भी छूट जाएंगी।
यौन संबंध आपका एक छोटा सा हिस्सा है। सिर्फ, मूर्खतापूर्ण नैतिकता की बातों के कारण लोग यौन विषयों के बारे में ज्यादा आसक्त हो गए हैं, और फिर वे इसे बलपूर्वक छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। आप जिसे पुरुष या स्त्री कहते हैं। वो बस एक छोटा सा शारीरिक अंतर है। जिससे एक खास प्राकृतिक प्रक्रिया पूर्ण हो सके। हमने एक शारीरिक हिस्से को इतना ज्यादा महत्व क्यों दिया है।
शरीर का कोई भी हिस्सा इतना ज्यादा महत्व दिए जाने के योग्य नहीं है। अगर, किसी हिस्से को इतना ज्यादा महत्व मिलना ही है, तो वो शायद मस्तिष्क है, प्रजनन अंग नहीं। दुर्भाग्यवश, अब ये उल्टा हो गया है, उन मूर्खतापूर्ण शिक्षाओं के कारण जो कहती है, "आपको शुद्ध होना चाहिए, आपको इसके बारे में नहीं सोचना चाहिए" और लोगों के दिमागों में यही बात भर गई है, और उन्होंने सब गड़बड़ कर दिया है। यदि लोग जीवन को उस तरह से देखें जैसा वह है, तो यौन संबंधों की बातें अपने सही स्थान पर आ जाएंगी , और वह है आपके जीवन का एक छोटा सा हिस्सा। ये जीवन का कोई इतना बड़ा पहलू नहीं होता, और ये ऐसा ही होना चाहिए। ये सभी प्राणियों में इसी तरह से है।
जानवर इसके बारे में हर समय नहीं सोचा करते। जब इस चीज का उनके लिए समय होता है, तभी वे उसमें होते हैं। अन्यथा वे हर समय नहीं सोचते; कि "कौन पुरुष है या, कौन स्त्री है"। ये सिर्फ मनुष्य है। जो हर समय इसी में फंसा रहता है। वे एक क्षण के लिए भी इसे नहीं छोड़ पाते, क्योंकि यह मूर्खतापूर्ण नैतिकता की बातें, जिनका जीवन से कुछ लेना-देना नहीं है, उन में घुस गई है। अगर वे जीवन को उसी तरह देखें, जैसे वह हैं, तो अधिकतर लोग बहुत कम समय में इसमें से बाहर निकल जाएंगे। कई लोग बिना इसमें पढ़े ही बाहर निकल सकते हैं।
जीवन पर गलत ढंग का ध्यान होने से हर चीज विकृत हो गई, और बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश हो रही है। बस यही बात है, अन्यथा आप देखेंगे; कि लोगों का एक बहुत बड़ा भाग इन सब बातों में कोई रुचि ही नहीं लेगा, अथवा उनकी रूचि बहुत ही साधारण होगी। ये उतनी मूर्खतापूर्ण नहीं होंगी, जितनी अभी है। धन्यवाद...
यौन इच्छाओं से छुटकारा कैसे पाएं
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 22, 2020
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