इन 5 बुरी आदतों को छोड़े और पाचन संबंधी सभी समस्याओं से छुटकारा पाएं

 * गलत आहार लेने से डाइजेस्ट की समस्या और डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करने के उपाय:
 हम क्या खाते हैं, कितना खाते हैं उससे कहीं ज्यादा इंपोर्टेंट है कि हम कितना डाइजेस्ट कर पाते हैं। हम कितना ईजीली खाना डाइजेस्ट कर पाते हैं, डिसाइड करता है हमारी एनर्जी लेवल, लंबी उम्र, हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर। हालाकि, ज्यादातर लोग लगभग रोज जाने अनजाने में ऐसी गलतिंया करते हैं, जिससे उनका डाइजेशन खराब होता है। 

    इसके चलते गैस, ब्लूटिंग, कॉन्स्टिपेशन, इनडाइजेशन, स्किन इशयु, और हेयर फॉल की प्रॉब्लम बहुत ही आम हो चुकी है। आयुर्वेद की मानें तो 96% से भी ज्यादा बीमारियां पेट से ही उत्पन्न होती हैं। यहां मैं आपसे डिस्कस करूंगा कि क्या हम करें, और क्या ना करें। जिससे हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम एकदम स्ट्रांग रहे।

      डाइजेशन का सही होना, अच्छे स्वास्थ्य का आधार है और खराब डाइजेशन की शुरुआत होती है, लाइफस्टाईल की गड़बड़ियों से। इस आर्टिकल में आपसे शेयर करूंगा वो पांच र्वोस्ट हैबिट जिससे हमारा डाइजेशन खराब होता है और पांच बेस्ट हैबिट जिससे आपका डाइजेशन सिस्टम फिर से सही हो जाता है तो आइए स्टार्ट करते हैं र्वोस्ट हैबिट से-

*  नंबर 1: खाने के तुरंत बाद नहाना।  क्या आप शाम को ऑफिस से आने के बाद पहले खाना खाते हैं और फिर नहाते हैं या फिर आप पहले सुबह ब्रेकफास्ट करते हैं और फिर ऑफिस के लिए रेडी होती है। अगर हां.. तो आप अपने डाइजेशन को खराब कर रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम खाना खाते हैं तो उसे ठीक से डाइजेस्ट करने के लिए हमारी बॉडी का टेंपरेचर बढ़ता है। लेकिन जब खाना हम खाने के बाद नहा लेते हैं तो बॉडी का टेंपरेचर उल्टा कम हो जाता है, जिससे खाना सही से नहीं पचता।

      इसी तरह 90% से भी ज्यादा लोग खाना खाने के जस्ट बाद पानी पी लेते हैं। यह पानी डाइजेशन की गति को धीमी करता है, जिससे प्रॉब्लम बढ़ती है। खाना जब ठीक से डाइजेस्ट नहीं हो पाता तो वो सड़ता है और न्यूट्रिशन देने की बजाय शरीर में टॉक्सिन बनाता है। इतना ही नहीं, खाने के बाद पानी पीना आयुर्वेद में विष के समान माना गया है। तो हमेशा कोशिश करें कि आप हमेशा खाने से पहले नहाए और पानी खाने के एटलीस्ट 30-40 मिनट बाद ही पिए।

* नंबर 2:  रॉन्ग फुड एंड कॉम्बिनेशन। ज्यादातर लोग अनजाने में खाने को गलत कॉम्बिनेशन में खा लेते हैं, जो ना ही सिर्फ डाइजेशन को स्लो करता है, बल्कि बॉडी में टॉक्सिन भी पैदा करता है। जैसे दूध को फ्रूट के साथ मिक्स करना। दूध चाय को नमकीन चीज के साथ पीना। खीरे का रायता या फिर खाने के बाद चाय पीना। ये सभी फ्रूट कॉम्बिनेशन विरुद्ध आहार है और डाइजेस्टिव प्रोसेस को सीधे तरीके से खराब करते हैं।

       फिर अगर आप ऑलरेडी डाइजेशन रिलेटिड प्रॉब्लम फेस कर रहे हैं तो आपको दूध वाला दलिया, बनाना या मैंगो शेक, अवाईड करना चाहिए। यहां तक कि सूरज ढलने के बाद सलाद भी नहीं; क्योंकि ये सभी फूड डाइजेशन को स्लू करते हैं। एक बार में काफी सारे ड्राई फूड खाने से बॉडी में गर्मी और खुश्की बढ़ती है, जिससे हेयर फॉल वगैरह हो सकता है और अगर आप रेगुलरली फास्ट फूड खाते हैं तो यकीन मानिए आपका डाइजेस्टिव सिस्टम लंबे समय तक स्ट्रांग नहीं रह सकता। मैदा, जीनोमोटो और बाकी फालतु इनग्रीडिएंट्स जो चाइनीस फूड में डलते हैं, वो हमारी इंटेस्टाइंस में चिपक जाते हैं और बड़ी प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं।

      सो बेटर है कि खुद घर पर होल ग्रीन पास्ता बना कर खाओ। फ्रेश फ्रूट्स और नॉन नेजोटाएबल सालेट्स ब्रेकफास्ट, लंच से पहले  खाने से आपको फाइबर मिलेगा जिससे आपका डाइजेस्ट सिस्टम को बूस्ट मिलेगा।

*  नंबर 3: पूरे हफ्ते का मिल करप्ट कर लेना। आज कल के फास्ट लाइफ में पहले से ही एक-दो दिन का खाना बनाने के फ्रिज में स्टोर कर लेने का मानो एक ट्रेंड ही चल पड़ा हो। दोस्तों.. हमें ये समझना होगा कि हर खाने की चीज की लाइफ होती है, एक वैलिडिटी पीरियड होता है। जिसके बाद वो अपना न्यूट्रिशन खोने लगती है। आप शायद सोच रहे होंगे कि फ्रीज में तो कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन ऐसा नहीं है। आयुर्वेद में ऐसे खाने को बासी कहा गया है इसे टॉमसिक कहां गया है। ये टॉमसिक खाना जब पेट में जाता है तो टॉक्सिन पैदा करता है।

      आयुर्वेद के ग्रंथों में गर्मागर्म फ्रेश खाने को हेल्दी लाइफ के लिए बहुत इंपोर्टेंट माना गया है। खाना जितना फ्रेश होगा, वह उतना ही ईजीली वो डाइजेस्ट होगा और उतना बैटर ही वह न्यूट्रिशन भी दे पाएगा।

      अब आप में से कुछ लोग कह सकते हैं कि मैं तो कब से मील करप्ट कर रहा है, लेकिन मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। बिल्कुल हो सकता है। हो सकता है.. आपका डाइजेशन सिस्टम फिलहाल स्ट्रांग हो। हमारे शरीर की पाचन शक्ति लगभग 16 साल की उम्र तक बढ़ती है। 16 से 35 साल की उम्र तक स्टेबल रहती है, लेकिन 35 साल की उम्र के बाद वो ढ़लने लगती है। यदि आप अभी यंग है तो शायद अभी काम चल रहा हो, लेकिन आगे चलकर आपको बहुत प्रॉब्लम आ सकती हैं।

* नंबर 4: स्ट्रेस। क्या आपने कभी सोचा है कि ज्यादा घबराहट में आपका पेट खराब होने लगता है। ऐसा ही कुछ होता है, जब हम एकदम से डर जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके स्टेट ऑफ माइंड का डायरेक्ट कनेक्शन है, आपके पेट से। क्या आपने नोटिस किया हैं, जब आपका अच्छे से पेट साफ हो जाता है तो आपको कितनी खुशी मिलती है। वहीं दूसरी तरफ अगर आपका पेट साफ ना हो तो इरिटेशन सी होने लगती है, इसलिए क्योंकि ब्रेन का स्ट्रैंथ कनेक्शन बहुत स्ट्रॉन्ग है।

      स्ट्रेस आजकल की मॉडल लाइफस्टाईल का एक अटूट हिस्सा-सा बनता जा रहा है। चाहे फिर वो सोशल मीडिया का स्ट्रेस हो, एग्जाम का स्ट्रेस हो, काम का स्ट्रेस हो या फिर रिलेशनशिप का स्ट्रेस। खुद को थोड़ा ब्रेक दीजिए.. खुद के साथ थोड़ा वक्त गुजारिये। प्रकृति के थोड़ा क्लोज रहिए। वर्क आउट कीजिए बहुत हेल्प करेगा।

* नंबर 5: ईर रेगुलर फुड टाइमिंग। बिजी मॉडर्न लाइफस्टाइल का एक और साइड इफेक्ट यह है कि लोगों का खाना खाने का कोई फिक्स टाइम नहीं है। जो लोग ऑफिस जाते हैं वो लंच तो ठीक टाइम पर कर लेते हैं, लेकिन उसके अलावा कुछ हिसाब नहीं है। ब्रेकफास्ट ट्रिप करना, लेट डिनर करना, आधी रात को  मंचिंग करना बहुत कॉमन हो गया है। 

   जब हमारा खाना खाने का कोई फिक्स टाइम नहीं होता तो इससे हमारी बॉडी भी कंफ्यूज हो जाती है और पाचक रस ठीक से नहीं बना पाती। अगर आप अपने डाइजेशन को स्ट्रांग रखना चाहते हैं तो खुद को प्रॉमिस करो, कि मैं रोज फिक्स टाइमिंग पर ही खाऊंगा और फिक्स  टाइमिंग का मतलब यह नहीं है कि आप अपना ब्रेकफास्ट पूरे 9:00 बजे शुरू कर दें। मतलब यह है कि लगभग-लगभग उसी टाईम। 9:00  सोचा है तो 10:30 बजे तक पक्का हो जाना चाहिए। हां.. हो सकता है, कभी एकाद दिन को शेड्यूल में गड़बड़ी हो जाए, इतना चलता है।

      और हां.. हम क्या खाते हैं, इससे कहीं ज्यादा इंपॉर्टेंट है कि हम कैसे खाते हैं। कभी देखना कि आप एक बाइट को कितनी बार चबाते हैं। ज्यादातर लोग पांच से छह बार ही चबाते हैं। जबकि आइडियल नंबर है, 32। हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम इस तरह से डिजाइन है कि 50% डाइजेशन तो मुँह में ही हो जाना चाहिए; क्योंकि आजकल ज्यादातर लोग ठीक से खाना चबाते नहीं, जिसकी वजह से उन्हें सड़न एनर्जी क्रेश महसूस होता है।

   जाहिर है, कि आपकी बॉडी की सारी एनर्जी खाना पचाने में ही लग गई है। इसलिए एनर्जेटिक रहने के लिए खाने को पूरा चबा-चबा कर खाएं। तो दोस्तों.. यह थी वो पांच र्वोस्ट हैबिट, जो आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को खराब करती हैं।

   आइए अब बात करते हैं, उन पांच बेस्ट हैबिट की जो आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को अच्छा बनाने में मदद करती है-

*  नंबर 1: अनाज को बदल बदल कर खाएं। अगर आप चाहते हैं कि आपका डाइजेस्टिव सिस्टम चलता रहे, जबरदस्त तरीके से लंबे समय तक। तो पहला रूल यही है कि अनाज को बदल बदल कर खाएं। ये नहीं कि हर मील में रोटी ही ठूसे रहे हैं या फिर हमेशा राइस ही खा रहे हैं थोड़ी वैरायटी होनी चाहिए और कितने ऑप्शन अवेलेबल है। आप कभी-कभी बेसन का चीला खाएं, कभी-कभी मूंग की दाल का डोसा खा सकते हैं या फिर औट्स, मिलट्स, रोटी के लिए आटा भी बदलते रहें। इससे ना ही सिर्फ आपको वैरायटी में न्यूट्रिएंट्स मिलेंगे, बल्कि सॉल्युबल और इनसोल्युबल फाइबर के साथ प्रीबायोटिक्स भी जिससे आपकी डाइजेशन भी बहुत स्मूथली चलेगी।

*  नंबर 2: प्रोबायोटिक रिच फूड खाना। एक कमजोर पाचन तंत्र क्लियर साइन है, प्रोबायोटिक की कमी का। प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को स्ट्रांग बनाते हैं, हार्मफुल बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोककर। प्रीबायोटिक्स रिच फूड का डेली डाइट में होना बहुत जरूरी है, तो क्या आपको सप्लीमेंट खरीदना पड़ेगा। बिल्कुल भी नहीं.. सौ, उन कोल्ड प्रोबायोटिक ड्रिंक से दूर रहे, जिनमें प्रोबायोटिक बैक्टीरिया से ज्यादा तो चीनी भरी होती है। सबसे बेस्ट है, फ्रेश दही में शक्कर मिला के ब्रेकफास्ट से पहले खाओ, प्रोबायोटिक्स के लिए। फिर सभी फॉमेंटेड फूड्स बहुत अच्छी र्सोस्स है, प्रोबायोटिक्स के।

*  नंबर 3 है: घी। अगर आपकी डाइट में गाय का देसी घी नहीं है तो आपको एसिडिटी, ब्लॉटिंग, गैस और कॉन्स्टिपेशन की कमी, कभी ना कभी जरूर आ सकती है। दोस्तों .. घी में ब्यूटीरिक एसिड होता है, जो आपके पेट और आंतों को स्ट्रांग बनाता हैं। ये ही दो ऑर्गन है, जिसकी वजह से हम खाने से न्यूट्रिशन ले पाते हैं और वेस्ट को डिस्पोज कर पाते हैं। घी से फुड पाईप लुब्रिकेटेड रहती है और आंतें खुष्क नहीं होती, जिसकी वजह से वेस्ट बड़ी आसानी से बाहर निकलता रहता है। इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका क्या फिटनेस रोल है, आपको दो से चार चम्मच देसी गाय का घी जरूर अपनी डाइट में रखना चाहिए। रोटी पर लगा ले, सब्जी में डाल ले, चावल में वगैरा।

*  नंबर 4 है: क्वालिटी स्लीप। क्या आपने नोटिस किया है, जब आप गहरी नींद से उठते हैं तो आपको ऑलरेडी पेट साफ करने का प्रेशर बढ़ा होता है। रात के गहरी नींद शायद सबसे अंडररेटीड 'वै' है, अपने डाइजेस्टिव सिस्टम को स्ट्रांग रखने के लिए। आजकल मैक्सिमम लोग अपनी नींद के साथ कॉम्प्रोमाइज कर रहे हैं। आपको समझना चाहिए कि जब हम सोते हैं तो हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम पूरी तीव्रता से काम करता है। अगर आप ऑलरेडी विक डाइजेशन से परेशान है तो  आप रोज रात को 6 से 8 घंटे की गहरी नींद से अपने डाइजेस्टिव सिस्टम को एक मौका मिलेगा, हील होने का।
      और हां.. लेफ्ट साइड में सोना बहुत ही फायदेमंद है। इस फॉर्म में सोने से एसिड रिफ्लक्स नहीं होता और डाइजेशन सही रहती है।

*  नंबर 5: योगिक टेक्निक और आसन। अपनी पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए कई योगी टेक्निक है। अगर आपकी डाइजेशन काफी वीक है तो खाने से पहले थोड़ा सा अदरक सेंधा नमक लगाकर चबाएं। इससे एकदम सही पाचन शक्ति बढ़ेगी। राइट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग जिसे 'सूर्यभेदी प्राणायाम' भी कहते हैं। बहुत अच्छी टेक्निक है, इंन्सटेंन्ट पुश के लिए। खाने से पहले 9 -10 बार काफी है। खाने के बाद सौंफ खाने से भी पाचन क्रिया तेज हो जाती है। आप चाहे तो इसे अपने साथ रखें।

      फिर काफी आसन्न है, जिन्हें आप खाली पेट कर सकते हैं। जिससे डाइजेशन स्ट्रांग होती है। ब्रज आसन्न एकमात्र ऐसा आसन्न है, जिसे खाने के बाद किया जा सकता है और यह बहुत इफेक्टिव है। दोस्तों.. ये इंन्सटेंन्ट टेक्निक परसपुश के लिए है। लेकिन असली काम ओवर ऑल लाइफस्टाईल चेंजीस से ही होना है।

       तो इन पांच र्वोस्ट हैबिट से दूर रहकर और इन पांच बेस्ट हैबिट को अपनाकर, आप मैक्सिमम डाइजेस्टिव प्रॉब्लम को हमेशा के लिए दूर कर सकते हैं और आपकी स्किन पर ग्लो बढ़ेगा, बाल मजबूत होगे, बॉडी एनर्जेटिक होगी और माइंड शांत होगा।
इन 5 बुरी आदतों को छोड़े और पाचन संबंधी सभी समस्याओं से छुटकारा पाएं इन 5 बुरी आदतों को छोड़े और पाचन संबंधी सभी समस्याओं से छुटकारा पाएं Reviewed by Tarun Baveja on July 19, 2020 Rating: 5

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