कोई इंसान अपने जीवन के भौतिक, आध्यात्मिक या किसी भी आयाम में, जितनी दूर जाएगा। ये मूल रूप से उस पर निर्भर करता है, कि उसमें कितनी ऊर्जा भरी हुई हैं। हां.. बहुत से लोगों में बहुत सारी ऊर्जाएं, मगर उनके अंदर इस ऊर्जा को एक तरह की व्यक्तिगत शक्ति में रूपांतरित करने का ज्ञान या जरूरी प्रणालियों नहीं है।
शक्ति किसी और के बारे में नहीं होती, शक्ति आपके बारे में होती है। आपकी शक्ति की संभावनाएं, आपके जीवन की तीव्रता और गहराई को तय करती है, और ये भी तय करती है; कि आप अपने जीवन में जिस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, उसमें कितने प्रभावी होंगे। अगर आपको ये शक्ति चाहिए तो आपको अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल बुद्धिमानी से करना होगा। ऊर्जा को शक्ति के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है, जरूरी ज्ञान और जरूरी साधनो की मदद से। वरना बस अन्तंहीन विचारों, अन्तंहीन प्रक्रियाओं और चिंताओं से ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है।
मैं चाहता हूं, कि आप अपने दैनिक जीवन को ध्यान से देखें। एक सरल-सी चीज। बस मान लीजिए.. दिन में आप कितने शब्द बोलते हैं। आप कभी गिनते नहीं.. और आपको ऐसा करना चाहिए, आपको गिनने चाहिए। कल एक अनुमान लगाइए, कि सुबह से रात तक आप कितने शब्द बोलते हैं। परसों उसे 50% तक कम कर दीजिए, और वही चीजें कहिए। आप लोगों से संवाद खत्म नहीं कर रहे हैं। आप अब भी संवाद कर रहें है। मगर 50% कम शब्दों के साथ। आपकी भाषा कौशल निश्चित रूप से बढ़ जाएगी, और आप देखेंगे; कि आपके अंदर काफी व्यक्तिगत शक्ति विकसित हो गई है।
देखिए.. इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण है, कि अभी जब आप यहां आराम की स्थिति में बैठे हैं। आपकी कम से कम 20% ऊर्जा आपके दिमाग में खर्च होती है। अगर आप अपने दिमाग का बिना वजह अस्थिर होना और हर समय पागल की तरह कूदते रहना कम दें। अगर वो स्थिर रहना सीख ले, और सिर्फ वही करें जो जरूरी है तो जबरदस्त व्यक्तिगत शक्ति पैदा होगी।
फिलहाल, आप अपने मन में आने वाले विचारों की संख्या को कम नहीं कर सकते, उसे भी किया जा सकता है। अगर आप बस अपने अंदर एक स्पंदन लाए, एक सरल मंत्र। जब ये पागल हो रहा हो, बस कुछ समय तक इसका जाप करें, एक तरह का स्पंदन पैदा करें। आप देखेंगे.. कि उससे जबरदस्त व्यक्तिगत शक्ति पैदा होगी। अपने अंदर इस शक्ति के बिना आप जीवन के आयामों को पार नहीं कर पाएगे।
जीवन अभी अधिकांश लोगों के लिए। चैतन्य, बस एक ग्रंथों का वाक्य है। ये उनके जीवन में एक जीवंत अनुभव नहीं है। अगर उसे जीवंत अनुभव बनना है। अगर सृष्टिकर्ता जितनी शक्तिशाली चीज को आप के अनुभव में आना है, तो आपके अंदर शक्ति की एक भावना होनी चाहिए। हमें हमेशा ये समझना चाहिए, कि शक्ति हावी होने के बारे में नहीं होती। शक्ति प्रभावशाली होने के बारे में होती है। समर्थ बनने के बारे में होती है।
शक्ति किसी और के बारे में नहीं होती, शक्ति आपके बारे में होती है। आपकी शक्ति की संभावनाएं, आपके जीवन की तीव्रता और गहराई को तय करती है, और ये भी तय करती है; कि आप अपने जीवन में जिस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, उसमें कितने प्रभावी होंगे। अगर आपको ये शक्ति चाहिए तो आपको अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल बुद्धिमानी से करना होगा। ऊर्जा को शक्ति के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है, जरूरी ज्ञान और जरूरी साधनो की मदद से। वरना बस अन्तंहीन विचारों, अन्तंहीन प्रक्रियाओं और चिंताओं से ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है।
मैं चाहता हूं, कि आप अपने दैनिक जीवन को ध्यान से देखें। एक सरल-सी चीज। बस मान लीजिए.. दिन में आप कितने शब्द बोलते हैं। आप कभी गिनते नहीं.. और आपको ऐसा करना चाहिए, आपको गिनने चाहिए। कल एक अनुमान लगाइए, कि सुबह से रात तक आप कितने शब्द बोलते हैं। परसों उसे 50% तक कम कर दीजिए, और वही चीजें कहिए। आप लोगों से संवाद खत्म नहीं कर रहे हैं। आप अब भी संवाद कर रहें है। मगर 50% कम शब्दों के साथ। आपकी भाषा कौशल निश्चित रूप से बढ़ जाएगी, और आप देखेंगे; कि आपके अंदर काफी व्यक्तिगत शक्ति विकसित हो गई है।
देखिए.. इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण है, कि अभी जब आप यहां आराम की स्थिति में बैठे हैं। आपकी कम से कम 20% ऊर्जा आपके दिमाग में खर्च होती है। अगर आप अपने दिमाग का बिना वजह अस्थिर होना और हर समय पागल की तरह कूदते रहना कम दें। अगर वो स्थिर रहना सीख ले, और सिर्फ वही करें जो जरूरी है तो जबरदस्त व्यक्तिगत शक्ति पैदा होगी।
आप अभी अपने मन के साथ ऐसा नहीं कर सकते। अगर आप उसे रोकने की कोशिश करेंगे, तो वो और भी पागल हो जाएगा। कम से कम अपने शरीर के साथ ऐसा करें। अपने शब्दों और अपने शारीरिक गतिविधियों को 50% तक कम करें। अगर आप इसे देखना चाहते हैं, तो इसे देखे, उसे देखना चाहते हैं, तो उसे देखें।
अगर आप अपने शरीर और शब्दों के साथ ऐसा करते हैं, तो यह धीरे-धीरे आपके मन में भी भी प्रकट होने लगेगा। वो अनावश्यक चीजें नहीं करेगा जब आप गैरजरूरी चीजें नहीं करते, तो आपके अंदर जो ऊर्जा हैं, वो धीरे-धीरे खुद को संभावनाओं से भरी शक्ति में बदल देती है, तो इसे विकसित करने के लिए आप जो आसन कर रहे हैं, जो सूर्य नमस्कार आप करते हैं, अगर आप कर रहे हैं या जो भी दूसरी क्रियांए और बाकी चीजें आप करते हैं, वो मुख्य रूप से इस शक्ति को बढ़ाने के लिए है। इसे अनावश्यक कार्य में नष्ट नहीं करना चाहिए।
फिलहाल, आप अपने मन में आने वाले विचारों की संख्या को कम नहीं कर सकते, उसे भी किया जा सकता है। अगर आप बस अपने अंदर एक स्पंदन लाए, एक सरल मंत्र। जब ये पागल हो रहा हो, बस कुछ समय तक इसका जाप करें, एक तरह का स्पंदन पैदा करें। आप देखेंगे.. कि उससे जबरदस्त व्यक्तिगत शक्ति पैदा होगी। अपने अंदर इस शक्ति के बिना आप जीवन के आयामों को पार नहीं कर पाएगे।
जीवन अभी अधिकांश लोगों के लिए। चैतन्य, बस एक ग्रंथों का वाक्य है। ये उनके जीवन में एक जीवंत अनुभव नहीं है। अगर उसे जीवंत अनुभव बनना है। अगर सृष्टिकर्ता जितनी शक्तिशाली चीज को आप के अनुभव में आना है, तो आपके अंदर शक्ति की एक भावना होनी चाहिए। हमें हमेशा ये समझना चाहिए, कि शक्ति हावी होने के बारे में नहीं होती। शक्ति प्रभावशाली होने के बारे में होती है। समर्थ बनने के बारे में होती है।
जब आप में इस शक्ति की संभावनाएं होती हैं। तब आप इस जीवन से सहजता से गुजरते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप की सामाजिक स्थिति क्या है, आर्थिक स्थिति, भौतिक स्थिति क्या है। आप एक राजा की तरह चलते हैं, क्योंकि आपके भीतर की शक्ति आपको इस तरह चलाती है।
यह 3 टिप्स आपको बनाएंगी महा शक्तिशाली
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 22, 2020
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