एलुमिनियम के बर्तन में खाना बनाना बहुत हानिकारक है , जानिए कैसे।

नमस्कार दोस्तों
दोस्तों आजकल हमारे घरों में अधिकतर बर्तन एलुमिनियम और स्टील से बने हुए होते हैं। अगर पूरी दुनिया की बात करें तो वर्ल्ड के लगभग 7 से फ़ीसदी बर्तन एलुमिनियम से बनाए जाते हैं क्योंकि यह दूसरी धातु से मुकाबले सस्ते और पूर्ण टिकाऊ होते हैं। आज इस उपाए में आपको with proof यह बताया जाएगा कि एलुमिनियम और स्टील के बर्तन किस तरह से हमारी जिंदगी में धीमा जहर घोल रहे हैं।

एलोमिनीयम के बर्तन
सबसे पहले बात करते हैं। एलुमिनियम के बर्तन के बारे में। आज से लगभग सौ से डेढ़ सौ साल पहले एलुमिनियम के बर्तन हमारे देश में आए थे। इससे पहले कभी भी हमारे घरों में इनका इस्तेमाल नहीं होता था।पहले सभी धातुओं में लोहा, पीतल, कांसा, चांदी, फूल आदि के बर्तन चला करते थे। बाकी मिट्टी के बर्तन चलते थे। पर सौ डेढ़ सौ साल में ऐसा क्या हो गया। जिसके की हर घर में एलोमिनीयम के बर्तनों का इस्तेमाल होने लगा।

ध्यान से सुनिए दोस्तों आपको पता होगा कि अंग्रेजो ने हमारे देश में 200 साल तक राज किया। इन 200 साल में अंग्रेजों ने भारत वासियों पर बहुत क्रूर अत्याचार किए। ऐसे-ऐसे कानून बनाए। जिससे कि भारत वासियों को कभी भी न्याय ना मिल सके।  दोस्त मुझे बहुत दुख होता है यह यह कहते हुए कि आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 34735 कानून हमारे देश में चल रहे हैं। जो हमारे हमें अंग्रेजों ने हमें लूटने के लिए बनाए थे। इन कानूनों की वजह से ना जाने कितने ही बेगुनाह भारतीय क्रांतिकारी जिन्होंने इन अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई वह सब उस समय जेलों में थे।

अंग्रेजो ने एलोमिनीयम का अविष्कार किया। फिर इस विषय में अलग बात करेंगे। दोस्तों eighteen सेंचरी में अंग्रेजों के देश में एलुमिनियम का आविष्कार हुआ। एलुमिनियम से हवाई जहाज मिसाइल चंद्रयान रोकिट आदि बना सके। क्योंकि एलुमिनियम को प्रेशर बर्दाश्त करने की ताकत होती है।

 उन्होंने यह सब बनाया और उस समय अंग्रेजों को उनके ही देश के किसी वैज्ञानिक ने बताया कि यह खाने पीने के लिए बहुत खराब धातु है। बाकी के लिए अच्छा है तो अंग्रेज सरकार ने भारत के लिए एक कानून बना दिया कि भारत के सभी जिलों में जितने भी क्रांतिकारी बंद हैं।उन सभी को एलुमिनियम के बर्तनों में खाना दिया जाए।एलुमिनियम के bartan  में चाय एल्युमिनियम के बर्तन में पानी दिया जाए।


अंग्रेजो ने बनाये एलुमिनियम बर्तन
दोस्तों उस समय अंग्रेज सरकार द्वारा एलुमिनियम के बर्तन बनाने का जो पहला नोटिफिकेशन आया वह जेल के कैदियों के लिए ही आया । हां दोस्तों अगर अंग्रेज सरकार ने यह देख लिया कि जेल के सभी कैदियों को एलुमिनियम के बर्तनों में भोजन दिया जाए । क्योंकि यह सब भारत के क्रांतिकारी हैं और अंग्रेजों को इन्हें मारना है। उस समय जितने भी लोग जेलों में थे सब क्रांतिकारी थे और उनको जानबूझकर एलुमिनियम के बर्तनों में खाना दिया जाता था ताकि यह है जल्दी मरे या मरने की स्थिति में आ जाए ।

अंग्रेजो ने मारने के लिए बनाये ये बर्तन
समझ बुझ कर अंग्रेजो की सरकार ने एलुमिनियम के बर्तन भारत में  बनकर भेजे। लेकिन अंग्रेज तो चले गए पर आज भी जेलों में खाना एलुमिनियम के बर्तनों में ही मिलता है। क्योंकि यह कानून अंग्रेज बना कर घर चले गए और अब समस्या ये हो गई कि जेलों से यह बर्तन हमारे घरों में आ गए और घर-घर में इसका इस्तेमाल होने लगा। आपको बता दें कि इन बर्तनों में पकाकर खाने से एक औसतन मनुष्य की बॉडी में प्रतिदिन 4 से 5 मिलीग्राम एलुमिनियम चला जाता है और मानव शरीर इतने एलुमिनियम को शरीर से बाहर करने में समर्थ नहीं होता है और फिर शुरू होता है बीमारियों का खेल।

एलुमिनियम से 48 बीमारी का खतरा
एलुमिनियम जितना खराब है इतना इस बात का पता लगाने के लिए राजीव दीक्षित जी ने सीडीआरआई सेंट्रल इंस्टीट्यूट से कुछ वैज्ञानिकों से बात की आप पता कीजिए कि यह एलुमिनियम हमारे शरीर के लिए कितना हानिकारक है। तो विज्ञानियों के रिसर्च के अनुसार भोजन बनाने और रखने का सबसे खराब मैटर अगर कोई है तो वह एलुमिनियम ही है। ऐसा वैज्ञानिकों ने कहा। साल का रिसर्च यह कहता है कि बार-बार अगर एलुमिनियम में पक्का खाना खाते रहे तो यह एलुमिनियम हमारी मांसपेशियों किडनी लीवर और हड्डियों में जमा हो जाता है। जिसके कारण कई गंभीर बीमारियां घर कर जाती हैं। जैसे डायबिटीज, टीबी,  अस्थमा , अर्थराइटिस, कमजोर याददाश्त,  डिप्रेशन,  मुंह में छाले होना, शुगर, अपेंडिस की समस्या,  किडनी का फेल होना, आंखों की समस्याएं, डायरिया ऐसे करके 48 रोग होने के खतरे अधिक बढ़ जाते है।

स्टील के बर्तनों में खाना न बनाए
भोजन करने के लिए और बनाने के लिए पर बात यहीं पर खत्म नहीं होती। दोस्तों अब एलुमिनियम से ज्यादा हर घर में स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल हो रहा है।  आज घरों गिलास थालिया और कटोरिया  चमचे सब के सब स्टील से बनकर आ रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि अभी स्टील के बर्तनों में ऐसा क्या है। दोस्तों स्टील के बारे में आपने गूगल या किसी ना किसी से यह जरूर सुना होगा कि स्टील ट नॉन री एक्टिव है ना इसका अच्छा असर है न बुरा असर है। लेकिन दोस्तों यह सच नहीं है। इसकी को बनाने के लिए इसमें 15 से 20 प्रतिशत क्रोमियम और 8 से 10 प्रतिशत  निकेल मिलाया जाता है  और इसके साथ ही कोबल टाइटेनियम गंधक कार्बन नाइट्रोजन स्टील बनाने में मिलाया जाता है जो कि हमारे शरीर के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होता है।

स्टील शारीर के लिए हानिकारक
इसकी को लेकर आपके मन में काफी सवाल उठ रहे होंगे। पर क्या स्टील सच में ख़राब है या एलोमिनीयम हमारे शरीर के लिए हानिकारक है इस का प्रमाण क्या है। यह खराब है इस तरह के सवाल आपके मन में उठ सकते हैं तो चलिए दोस्तों इस का प्रणाम हम आपको देते हैं।


रासायनिक प्रकिर्या से भोजन में मिले कण-
दोस्तों यह  स्टील एलुमिनियम या नॉन स्टिक बर्तनों में जब हम जब हम खाना बनाते हैं तो उसमें रासायिनक प्रक्रिया होती है जिसके कारण इन बर्तनों में मौजूद कण हमारे द्वारा गए पकाए गए भोजन में मिल जाते  है   ।और फिर खाने के दौरान यह धातु पेट में जाकर जमा होने लगती है  । और फिर हमें रोग  होने लगते हैं । दोस्तों इस टॉपिक में बताएंगे बाते राजीव दीक्षित जी द्वारा पहले ही बताई जा चुके हैं  ।पर हमें इन बातों का सिर्फ बातें बना कर नहीं रखना है  ।अपने जीवन में भी उतारना है  ।हां कि हम गंभीर बीमारियों से बचे रहे ।

भोजन काँसे या मिट्टी के बतर्न में बनाए
अब सवाल ये उठता है भोजन किस में पकाये
  पहले के लोग पीतल  ताँबा काँसे और मिट्टी के बर्तनों में ही अपना भोजन पकाते थे । और खाते थे पर अब समय बदल गया है लोग बदल गए हैं । अब सबको सारी चीजें जल्दी चाहिए ।  इन तेज गति से बढ़ रही बीमारियों को देख कर लगता है । कि अब हम सब को फिर से खाने के पुराने तोर तरीके अपनाने पड़ेंगे । पहले खाना पकाने से पहले जान ले की कौन सी धातु में कौन सा भोजन पकाना है ।

मिटटी के बर्तन है पूरी तरह सही
इसलिए भी विशेष ध्यान रखा जाता तांबा और पीतल जैसी चीजों में खट्टी चीजें रिएक्ट करते हैं जो कि हमारे लिए नुकसानदायक है इसके इलावा मिट्टी के बर्तन सबसे सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं आप मिट्टी के बर्तनों में कुछ भी पका सकते हैं कोई नुकसान नहीं है आपको बता दें कि मिट्टी के बर्तन उपयोग से ही भोजन के अंदर 100% पोषक तत्व मिलते हैं और भारत सरकार द्वारा सी बी आर आई लिबर्टी में मिट्टी के बर्तनों में बनी दाल के परीक्षणों से यह बात कई बार स्पष्ट हो चुकी है । कि इसके साथ ही कांसे के बर्तनों में जो भोजन बनता है उसमें 97% पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं पीतल के बर्तन में बनने वाले भोजन में 92% पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं और यह सभी तथ्य सी बी आरआई लिबर्टी से प्रमाणित है  ।

इन बर्तनों में खाना बनाना बन्द करे
दोस्तों इस उपाय को बताने का मकसद आप सभी मित्रों को सचेत करना है कि आप जल्द से जल्द इन एलीमिनियम स्टील नॉनस्टिक और मेलामाइन से बने बर्तनों का इस्तेमाल करना बंद कर दें क्योंकि यह धीमा जहर आपको कभी बीमार बनाएगा कुछ नहीं पता इसलिए आज से ही और अभी से आप इस मिशन में जुड़ जाइए और आपका इस विषय में क्या सुझाव है । आप हमें जरूर बताएं क्योंकि 121 करोड़ आबादी वाले देश में लगभग इस बर्तनों का इस्तेमाल हो रहा है । मिशन बड़ा है पर आप जब सभी हमारे साथ बड़े हैं तो फिर यह जानकारी हर व्यक्ति तक जरूर पहुंचेगी अगर हर एक मित्र इस उपाए  को शेयर करता है ।
100% यह जानकारी भारत के सभी लोगों तक आराम से पहुंच जाएगी तो इसी के साथ उम्मीद करता हूं आज का यह उपाय बहुत पसंद आया होगा।
 धन्यवाद।
एलुमिनियम के बर्तन में खाना बनाना बहुत हानिकारक है , जानिए कैसे। एलुमिनियम के बर्तन में खाना बनाना बहुत हानिकारक है , जानिए कैसे। Reviewed by Tarun Baveja on March 07, 2020 Rating: 5

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