उड़द की दाल की तासीर, फायदे और नुकसान

नमस्कार आयुर्वेद सार मैं आज बात करेंगे उड़द के ऊपर। उड़द को पंजाबी लोग मा कहते है। मा की दाल कहते हैं। संस्कृत में इस को माश कहा जाता है। और फारसी में भी माश कहा जाता है। शायद फ़ारसी वालो ने ही संस्कृत में से इसका नाम लिया होगा। और इसकी तासीर की बात करें तो इसकी तासीर है गरम तर। अगर आयुर्वेद के डॉक्टरों के हिसाब से बात करें तो इसे ओशन वीर्य बोलते है।गर्म तासीर का है हल्की सी।  इसीलिए जब किसी को ब्लीडिंग हो रही हो पाइल्स की, या ब्लीडिंग ज्यादा हो रही होती है उस स्थिति में हम उसको नहीं देते हैं। उड़द जो है ये  पचने में भारी है। फिर भी यह भूख को बढ़ाता है। इसलिए आपने देखा होगा घर में अगर किसी के उडद बने हो तो सब की भूख जाग जाती है।  यह भूख बढ़ाने वाला है पचने में हल्का भारी भी है। इसलिए भारी काम जो करते हैं। वजनदार उनके लिए यह बहुत अच्छा है। जिनका बैठने का सीटिंग का काम है खा तो वह सकते हैं लेकिन दिन में खाएं और बहुत कम खाएं कभी-कभी खाएं ।


लिमिट आपनी आपको अंदर से पता चल जाती है। बाहर से में नहीं बता सकता की कितनी लिमिट है और इससे दूध बढ़ता है महिलाओं में माताओ में। यानी कि जो दूध बच्चों को पिलाती हैं महिलाए अच्छे से नहीं आता है। वो चाहती है कि दूध बने बच्चा पिए उसका पेट भरे। तो दूध बढ़ाएगा यह। उसमें एक सावधानी होती है वह मैं बाद में बताता हूं और यह विरज को बढ़ता, वीर्य को बढ़ाता है धातु की क्वालिटी को बढ़ाएगा जिनको कंसीव करवाना है।  जो इस लाइन में अपने आप की कोशिश में लगे हैं। उनको उड़द का प्रयोग करना चाहिए। यह ताकत को भी बढ़ाता है। और यह मास को भी बढ़ाता है। जो स्किनी है। पतले दुबले हैं । और उन्हें शौक है अपना वेट बढ़ाएं। तो उड़द की दाल का प्रयोग करें।

अब बात करते हैं रोज उड़द की दाल खाएं तो क्या यूरिक एसिड नहीं बढ़ेगा। बिल्कुल बढ़ेगा। ज्यादा दाले खाने से यूरिक एसिड बढ़ जाता है आप कहेंगे हम रोज नहीं खाएंगे। तो दूध कैसे बढ़ेगा या ताकत कैसे बढ़ेगी या मांस कैसे बढ़ेगा उसका एक समाधान है। आप इसको उड़द की दाल को लड्डू बनाकर के बिल्कुल सिंपल सा पेटर्न है, जो हलवाई हैं ,जो कुक हैं, जो शॉफ़ है, जो माताएं बहने घर में कुक हैं, उनसे आप पूछ लो कि उड़द की दाल के लड्डू कैसे बनते हैं । चाहे तो अश्वगंधा थोड़ा-थोड़ा 1 या 2 प्रतिशत अनुपात में अश्वगंधा ,सतावर आदि डाल भी सकते है। उससे और भी गुणकारी हो जाएंगे इसके लड्डू। इसके इलावा में बता दो यह जो उडद है यह वात कारक है। यह वात को बढ़ाता है।  वायु को बढ़ाता है।

इसलिए दर्दों के पेशेंट को, अर्थराइटिस के पेशेंट को नहीं देते हैं। और यह वात नाशक भी है ।अगर इसमें थोड़ा सा हींग मिला दे या बनाते समय थोड़ा अदरक डल जाए। साथ में थोड़ा बहुत मिर्च डल जाए उसके अंदर। तो यह जो है भारी है पचने में। यह जो 3 चीजों के नाम लिए मैंने यह थोड़ी अग्नि आग वाली तीखी चीजें हैं। यह अग्नि बढ़ाती हैं। जब अग्नि  का इनके साथ संपर्क होता है तो यह जल्दी हजम होने लगता है थोड़ा। यानी कि इसका मतलब यह नहीं है कि  तीन चीजें डाल दी तो जितना मर्जी खा लो वायु वाले रोगी नहीं। तीन चीजें डाल कर के हल्का-फुल्का खा लो। थोड़ा बहुत वायु बड़ा है तो वो लेता है तो उसको इतना नुकसान नहीं करेगा लिमिट मे खाए। कफ़ कारी भी है, कफ कारी से मतलब यह जैसे वीर्य को बढ़ाएगा।कफ कारी से मतलब मास को बढाएगा फेट को बढ़ाएगा ।

यह न्यूकस को भी बढ़ा सकता है अगर किसी को जैसे मुझे न्यूकस नहीं है। तो मैं खा लूंगा उडद की दाल तो मेरे को रात को न्यूकस बन जाएगा।ऐसा है लेट नाईट रात के डिनर में खा लिया फिर मैं लेट जाऊंगा। फिर हो सकता है मुझे साइनस हो कफ हो।  अगर मैं चलता,फिरता दौड़ता काम करता रहूंगा तो मुझे कफ नहीं करेगा। इसको मैंने हजम कर लिया तो फिर कफ़ नहीं करेगा। कफ़ कारी है इसका मतलब जिनको   साइनस, छीके,एलर्जी या बहुत ज्यादा रनिंगलूज है बहुत पुराना कफ रोग है। उनको यह अवार्ड ही करना चाहिए  यह था आज उड़द के ऊपर टॉपिक अगले टॉपिक में भी जब आयुर्वेद का सार लेकर आऊंगा। तो एक नई चीज लेकर के आऊंगा।आप बने रहिए हमारे साथ। नमस्कार।

उड़द की दाल की तासीर, फायदे और नुकसान उड़द की दाल की तासीर, फायदे और नुकसान Reviewed by Tarun Baveja on March 04, 2020 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.