नमस्कार दोस्तो
आज हम बात करेंगे कि किस तरह गांधारी ने एक साथ सौ पुत्रों को जन्म दिया ।
धृतराष्ट्र जन्मजात नेत्रहीन थे। मगर उनकी पत्नी गांधारी अपनी इच्छा से नेत्रहीन थी। धृतराष्ट्र चाहते थे कि उनकी भाइयों की संतान होने से पहले उनको संतान हो जाए क्योंकि नई पीढ़ी को सबसे बड़ा पुत्र ही राजा बनेगा। उन्होंने गांधारी से खूब प्रेम प्रोन बाते की ताकि वह किसी तरह एक पुत्र प्राप्त हो कर सके। आखिरकार गांधारी गर्भवती हुई महीने गुजरते गए 9 महीने 10 में बदले 11 हो गए, मगर कुछ नहीं हुआ उन्हें घबराहट होने लगी।
आज हम बात करेंगे कि किस तरह गांधारी ने एक साथ सौ पुत्रों को जन्म दिया ।
धृतराष्ट्र जन्मजात नेत्रहीन थे। मगर उनकी पत्नी गांधारी अपनी इच्छा से नेत्रहीन थी। धृतराष्ट्र चाहते थे कि उनकी भाइयों की संतान होने से पहले उनको संतान हो जाए क्योंकि नई पीढ़ी को सबसे बड़ा पुत्र ही राजा बनेगा। उन्होंने गांधारी से खूब प्रेम प्रोन बाते की ताकि वह किसी तरह एक पुत्र प्राप्त हो कर सके। आखिरकार गांधारी गर्भवती हुई महीने गुजरते गए 9 महीने 10 में बदले 11 हो गए, मगर कुछ नहीं हुआ उन्हें घबराहट होने लगी।
फिर उन्हें पाण्डु के बड़े पुत्र युधिष्टर के जन्म की सूचना मिली। धृतराष्ट्र और गांधारी दुख में डूब गए क्योंकि युधिष्ठिर का जन्म पहले हुआ था। इसलिए स्वाभाविक रूप से राजगद्दी का वही मालिक था 11- 12 महीने बीतने के बाद भी गांधारी बच्चों को जन्म ना दे सकी! वह बोली यह हो क्या रहा है यह बच्चा जीवित भी है या नहीं! यह इंसान है या फिर कोई पशु! हताशा में आकर उसने अपने पेट पर मुक्के मारे मगर कुछ नहीं हुआ। फिर उसने अपने एक नौकर को छड़ी दी और अपने पेट पर प्रहार करने को कहा उसके बाद उसका गर्भपात हो गया और मास का एक काला सा लोखडा बाहर आया।
लोग उसे देखते ही डर गए क्योकि इंसानी मास के टुकड़े जैसा नही था । वह कोई बुरी ओर अशुभ चीज जैसा प्रतीत हो रहा था। अचानक पूरा हस्तिनापुर शहर डरावनी आवाजों से आतंकित हो गया था। सियार बोलने लगे। जंगली जानवर सड़क पर आ गए। दिन में चमगादड़ उड़ने लगे! यह शुभ संकेत नहीं थे और इसका मतलब था कि कुछ बुरा होने वाला है। इसे देखकर ऋषि मुनि हस्तिनापुर से दूर चले गए । चारो ओर यह खबर फैल गयी की वाह से सारे ऋषि चले गए।
विदुर ने आकर धृतराष्ट्र से कहा हम सब बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ने वाले हैं। धृतराष्ट्र संतान के लिए इतने उत्सुक थे कि उन्होंने कहा जाने दो! वह देख नहीं सकते थे। इसलिए उन्होंने पूछा क्या हुआ हर कोई चीख चिल्ला क्यों रहा है ओर यह सारा शोर किस लिए है। फिर गांधारी ने व्यास मुनि को बुलाया! एक बार जब व्यास ऋषि एक लंबी यात्रा से लौटे थे! तो गांधारी ने उनके जख्मी पैरों पर मरहम लगाया था और उनकी बहुत सेवा की थी तब उन्होंने गांधारी को आशीर्वाद दिया था! तुम जो चाहे मुझसे मांग सकती हो गांधारी बोली मुझे 100 पुत्र चाहिए! व्यास बोले ठीक है तुम्हारे 100 पुत्र होंगे।
अब गर्भपात के बाद गांधारी ने व्यास ऋषि को बुलाया और उनसे कहा यह क्या है। आपने तो मुझे सौ पुत्रों को आशीर्वाद दिया था। उसकी जगह मैंने एक मास का लोखडा जन्मा था। जो इंसानी भी नही लगता कुछ और ही लगता हैं । इसे जंगल में फेंक दीजिए या फिर कहीं पर इसे मिट्टी में दबा दीजिए! व्यास बोले आज तक मेरी बात कभी गलत नहीं निकली है ओर न ही अब होगी। वह जैसा भी है मास का लोखला लेकर आयो वह उसे तहखाने में लेकर गए ओर 100 मिट्टी के घड़े में तिल का तेल और तमाम तरह की जड़ी बूटियां को लाने को कहा उन्होंने मास के उस टुकड़े को 100 टुकड़ो में बांटा ओर उन्हें घडो में डालकर बंद करके तहखानों में रख दिया फिर उन्होंने देखा कि एक छोटा टुकड़ा बच गया है वह बोले मुझे एक और घड़ा लाकर दो। तुम्हारे 100 पुत्र और एक पुत्री भी होगी । उन्होंने इस छोटे से टुकड़े को एक घड़े में डालकर उसे ऊपर से बंद कर दिया और उसे भी तहखाने में डाल दिया एक और साल बीत गया इसलिए कहा जाता है की गांधारी 2 सालों तक गर्भवती होती रही थी गर्भ 1 साल उसकी कोख में और दूसरे साल तहखाने में! 2 साल पूरे होने पर तहखाने को खोला गया। ओर उसमे से सबसे पहले जो बच्चा निकला वह दरियोधन था। कहते है कि दरियोधन जन्म के साथ ही हँसने लगा था जिससे सभी लोग भयभीत हो गए थे।
तो यह थी कहानी धृतराष्ट्र के 100 पुत्र और एक पुत्री के जन्म की। इस तरह गांधारी ने एक ही साथ 100 पुत्रो को जन्म दिया । यह कोई दैविक चमत्कार नही था । यह हमारे उस समय के विज्ञान का चमत्कार था।
तो यह थी कहानी धृतराष्ट्र के 100 पुत्र और एक पुत्री के जन्म की। इस तरह गांधारी ने एक ही साथ 100 पुत्रो को जन्म दिया । यह कोई दैविक चमत्कार नही था । यह हमारे उस समय के विज्ञान का चमत्कार था।
100 कौरवों का एक साथ जन्म कैसे हुआ था।
Reviewed by Tarun Baveja
on
February 15, 2020
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