बालों का समय से पहले सफेद होना का अचूक घरेलू उपचार
एक चम्मच भर आँवला चूर्ण दो बूंट पानी के योग से सोते समय अंतिम वस्तु के रूप में लें। असमय बाल सफेद होने और चेहरे की कान्ति नष्ट होने पर जादू का सा असर करता है। (साथ ही स्वर को मधुर और शुद्ध बनाता है तथा गले की घर-घराहट भी इससे ठीक हो जाती है।
सहायक उपचार—(क) आँवला चूर्ण का लेप-सूखे आँवलों के चूर्ण को पानी के साथ लेई (Paste) बनाकर इसका खोपड़ी पर लेप करने तथा पाँच-दस मिनट सकता बाद केशों को जल से धो लेने से बाल सफेद होने और गिरने बन्द हो जाते हैं। सप्ताह में दो बार, स्नान से पहले यह प्रयोग आवश्यकतानुसार तीन मास तक करके देखें।
(ख) आँवला-जल से सिर धोना सर्वोत्तम- विधि इस प्रकार है-२५ ग्राम सूखे आंवलों के यवकूट (मोटा-मोटा कूटकर) किए हुए टुकड़ों को २५० ग्राम पानी में रात को भिगो दें। प्रात: फूले हुए आँवलों को कड़े हाथ से मसलकर सारा जल पतले स्वच्छ कपड़े से छान लें। अब इस निथरे हुए जल को केशों की जड़ों में हल्के-हल्के अच्छी तरह मलिए और दस-बीस मिनट बाद केशों को सादे पानी से धो डालिए। रुखे बालों को सप्ताह में एक बार और चिकने बालों को सप्ताह में दो बार धोना चाहिए। आवश्यकता हो तो कुछ दिन रोजाना भी धोया है। केश धोने के एक घंटे पहले या जिस दिन केश धोने हों, उसके एक दिन पहले रात में आँवलों के तेल की मालिश केशों में करें।
आँवला तेल बनाने की विधि
आँवला तेल बनाने की प्रथम विधि
हरे आँवलों को कुचलकर या कद्दूकस करके, साफ कपड़े में निचोड़कर ५०० ग्राम रस निकाले । किसी लोहे की कड़ाही या कलईदार बर्तन (या मिट्टी के चिकने बर्तन) में ५०० ग्राम आँवलों का रस डालकर उसमें ५०० ग्राम साफ किया हुआ काले तिलों का तेल (या समभाग नारियल का तेल) मिला लें और बर्तन को मन्द-मन्द आग पर रखकर गर्म करें। पकते-पकते जब आँवलों का रस का जलीय अंश वाष्प बनकर उड़ जाए (अर्थात् जब चटर-पटर या सनसनाहट की आवाज आनी बन्द हो जाय) और तेल-तेल बाकी रह जाये तब बर्तन को आग से नीचे उतारकर ठंडा कर लें। ठंडा हो जाने पर इस तेल को फलालैन के कपड़े (या साफ सफेद महीन कपड़े) या फिल्टर बेग की सहायता से छान लें। तत्पश्चात् इस तेल को बोतल में भरकर दैनिक प्रयोग में लाये। इस तेल को बालों (बाल गीले न हो) की जड़ों में अंगुलियों के पोरों से नर्मी से मालिश करने से बाल लम्बे होते हैं और काले भी।
आँवला तेल बनाने की दूसरी विधि
ताजे आँवलों के रस के बजाय आँवलों के काढ़े से आँवला तेल बनाना—इसके लिए सूखा आँवला (गुठली निकाला हुआ) १५० ग्राम को दरदरा कूटकर, एक बड़े कलई के बर्तन में ६०० ग्राम पानी में रात्रि में भिगोकर रख दें और लगातार १५ घंटे भिगोने के बाद आँवला सहित पानी युक्त बर्तन को हल्की-हल्की आंच पर पकने को रख दें। पकते-पकते जब पानी ३०० ग्राम के लगभग रह जाये तो बर्तन को आग पर से नीचे उतारकर इस घोल को ठण्डा कर लें। बाद में आँवलों को (अथवा पानी में भिगाई अन्य औषधियों को) खूब मसलकर किसी साफ बारीक कपड़े से छान लें। इससे पानी छन जायेगा तथा औषधि का फोक कपड़े के ऊपर रह जाएगा। अब इस छने हुए आँवले के पानी (काढ़ा) को किसी अन्य बर्तन में डालकर उसमें ५०० ग्राम काले तिलों का तेल मिलाकर धीमी आग पर रखकर पकाएँ । जब केवल तेल शेष रह जाय तब बर्तन को आग से नीचे उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे छानकर बोतल में भर लें। (चाहे तो इस छने हुए तेल में एक ग्राम हरा आयल कलर अच्छी तरह मिलाकर रंगीन कर सकते हैं और तदुपरांत दो ग्राम ब्राही आँवला कम्पाउण्ड (सुगन्ध) या अन्य सुगन्ध मिलाकर सुगन्धित बना सकते हैं परन्तु रंगीन या सुगन्धित बनाना जरूरी नहीं है।)
इस विधि में हर तीसरे दिन केश धोने से केशों की श्यामलता दिन प्रतिदिन बढ़ती रहती है और चिरकाल तक उनका सौंदर्य स्थिर रहता है। बालों का गिरना और टूटना बन्द होकर उनकी जड़ें मजबूत होती है। केश काले, घने, स्वच्छ, चमकीले और रेशम की तरह मुलायम हो जाते हैं। सिरदर्द तथा आँखों को भी फायदा होता है। मस्तिष्क में ताजगी रहती है और सिर के रोग दूर होते हैं। यदि नजले और मानसिक दुर्बलता के कारण बाल गिरते हो तो उपरोक्त विधि से केश धोने से निश्चय ही लाभ होता है। साबुन से जहाँ त्वचा और बालों को हानि पहुँचती है वहाँ आँवला-जल से धोने से त्वचा कांतियुक्त, शक्तिवान और कोमल होगी और केश घने, कजरारे और रेशमी बनेंगे। इसलिए कहा गया है
जूता चप्पल रबड़ की, करे नित्य प्रयोग,
शौच न जावे प्रात:, या नजला का रोग।
धोवे जो सिर को सदा, साबुन सोड़ा डाल,
कछुक समय उपरान्त ही, श्वेत होय सब बाल ।

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