* रिफाइंड ऑयल कैसे बनाया जाता है और उसके हमारे शरीर पर कौन-कौन से बुरे असर पड़ते है: रिफांइड ऑयल का उपयोग ज्यादातर लोग सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक करते हैं। जो कि नुकसान दायक है। पिछले 10 सालों में भारत में रिफाइंड ऑयल का इंपोर्ट का आंकड़ा दोगुना से भी ज्यादा बढ़ चुका है। इसका मतलब हम काफी ज्यादा रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल अपने खाने के अंदर कर रहे हैं। जब भी कभी आप मार्केट से घर पर रिफांइड ऑयल का डिब्बा ला रहे हैं तो आप तेल नहीं एक जहर ला रहे हैं, जो आपके लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
और इसी रिफाइंड तेल के अंदर हम ज्यादातर सोयाबीन का रिफाइंड तेल या सूरजमुखी का रिफांइड तेल घर पर ला रहे हैं। दोस्तों.. क्या आप जानते हैं, भारत में सोयाबीन और सूरजमुखी का काफी कम उत्पाद है, इसीलिए यह तेल हम ज्यादातर भारी देशों से इंपोर्ट करते हैं। इसके अलावा मार्केट में जितने भी तैयार प्रोडक्ट मिलते हैं, जिसके अंदर आप समोसा से लेकर वड़ा पॉव तक या कोई भी फ्राइड चीज जो आप मार्केट से ला रहे हैं, उसके अंदर भी रिफाइंड तेल का काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
आप जानते हैं कि मार्केट में मिलने वाले काफी सारे प्रोडक्ट्स के अंदर भी रिफाइंड तेल का इस्तेमाल किया जाता है और इन रेडी़मेड चीजों के अन्दर इस्तेमाल होता है, हाइड्रोजेनेटिड वेजिटेबल ऑयल यानी कि वनस्पति 2। जिसे हम डालडा के नाम से जानते हैं। साथ ही साथ इसके अंदर रिफाइंड पाम्म ऑयल का भी इस्तेमाल काफी मात्रा में किया जाता है।
* रिफाइंड ऑयल कैसे बनाया जाता है: सबसे पहले हम रिफाइंड तेल कैसे बनाया जाता है और उसके अंदर कौन-कौन से खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल होता है, इसके बारे में जानते हैं। रिफाइनिंग के प्रोसेस के लिए सबसे पहले लगता है, Fluoride और यह Fluoride पाया जाता है, तेल बीजों से या बची हुई खली से। इसके लिए Solvent Extraction Method का इस्तेमाल किया जाता है। Solvent Extraction Method की दरमिया सबसे ज्यादा खतरनाक केमिकल, जिसका नाम Hexan है। उसका इस्तेमाल किया जाता है। जो पेट्रोलियम ड्राइव है और यह Hexan हमारे शरीर के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है।
जब भी कभी Explorer के द्वारा फुड ऑयल निकाला जाता है तो उस समय भी काफी मात्रा में टेंपरेचर बढ़ाया जाता है, जो तकरीबन 120 से लेकर 150 डिग्री सेल्सियस तक भी हो सकता है, जो तेल के अंदर सभी पोष्टिक घटक को नष्ट कर देता है। इसके बाद Crude oil को Digamin करने के लिए High Temperature Steam छोड़ी जाती है, जो तेल में से गम को हटा देता है। इसके बाद तेल के अंदर डाला जाता है, खतरनाक केमिकल कॉस्टिक। कॉस्टिक एसिडिक तेल को न्यूट्रलाइज करके उसे खाने लायक बना देता है।
लेकिन कॉस्टिक डालने की मेन वजह यह रहती है कि इसमें से Soap Stock यानी की Soap पर लगने वाला Based बनाया जा सके। फिर इस तेल को D - orderised, D - Colour और Bleech किया जाता है और फिर यह तेल बाद में बोतल में पैक किया जाता है और जो मार्केट में रिफांइड ऑयल करके बिक्री के लिए भेज दिया जाता है। लेकिन दोस्तों.. आपको बता दें, जिस तेल के अंदर से चिकनांई हटाई जाती है, वह तेल खाने के लायक नहीं होता और ऐसा D-Colour और बिना खुशबू वाला तेल खाना मतलब जहर खाने के समान है।
ध्यान में रखें, हम जो भी चीज खा रहे हैं, वो हमारे शरीर को संतुलित रखने में काफी महत्वपूर्ण रहती है। हम जो भी खाना खाते हैं, वो हमारे शरीर में से वात, पित्त और कफ को बैलेंस करता है। और खाने के अंदर इस्तेमाल किया जाने वाला तेल हमारे शरीर में वात दोष को संतुलित रखता है और यदि खाने में हमने सही और अच्छे तेल का इस्तेमाल नहीं किया तो हमारे शरीर का वात दोष बिगड़कर शरीर के अंदर बहुत से रोगो को जन्म देता है। इसलिए ध्यान में रखें कि हमें अच्छा तेल ही खाना चाहिए।
घर के खाने के अलावा, रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल बाजार में मिलने वाले कई सारे प्रोडक्ट्स में किया जाता है। यदि हम घर पर चॉकलेट, बिस्कुट, चिप्स, नुड्ल्स कुछ भी खा रहे हैं तो ध्यान रखें तो उसके अंदर रिफाइंड तेल मौजूद है। ज्यादातर इन प्रोडक्ट्स में हाइड्रोजेनेटिड़ ऑयल यानी के डालड़े का इस्तेमाल किया जाता है और इनमें फॉस्फेट की मात्रा काफी ज्यादा रहती है ध्यान रखिए, घर के अंदर बना हो या बाहर बना हो, जिसके अंदर रिफाइंड तेल है, वह खाना आपके लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है, वो आपके शरीर में काफी सारी बीमारियों को भी ला सकता है।
* रिफाइंड तेल की वजह से कौन-कौन सी प्रॉब्लम हो सकती है: रिफाइंड तेल खाने की वजह से हमारे शरीर में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आ सकती है, इसके अलावा वो आपके हार्ट में ब्लॉकिज ब्रेक करके आपको हार्टअटैक भी दे सकता है। रिफाइंड तेल के सेवन से मोटापा भी काफी जल्दी बढ़ता है और वो आपके शरीर में बैड कॉलेस्ट्रॉल यानी LBL को भी बढ़ाता है। रिफाइंड तेल खाने की वजह से पाचन तंत्र कमजोर होना शुरू होता है और जिसकी वजह से कब्ज और बदहज़मी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ-साथ रिफाइंड तेल की वजह से जॉइंट पेन, जोड़ों का दर्द, घुटनों का दर्द, कंधे का दर्द जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। रिफांइड तेल के लगातार सेवन की वजह से सीने में जलन होना या एसिडिटी होना ये एक कॉमन समस्या होती जा रही है।
अब सवाल यह उठता है कि रिफाइंड तेल अगर इतना गंदा है तो वो मार्केट में खुलेआम कैसे बेचा जाता है, उसके ऊपर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता। भारत के अंदर बेचे जाने वाले रिफाइंड तेल FSSAI के स्टैंडर्ड के हिसाब से बेचा जाता है, लेकिन क्या आप जानतें कि FSSAI के स्टैंडर्ड का Inspiration भी FDA है, यानी कि अमेरिकन कंपनियों के द्वारा बनाई गई गाइड लाइन के हिसाब से।
भारत में जितना भी रिफाइंड ऑयल सेल हो रहा है, उसका सेल ज्यादातर कंपनियों को टीवी विज्ञापनों के द्वारा मिलता है। इस टीवी विज्ञापनों में हमें ज्यादातर इमोशनल किया जाता है और साथ ही साथ हमें अपने फ्यूचर का ख्याल रखना है तो उसके लिए हमें रिफाइंड ऑयल खाना कितना महत्वपूर्ण है यह बताया जाता है। जब यह एडवरटाइजमेंट खत्म होने को होती है तो आपको एक छोटी-सी लाइन दिखाई जाती है, जो हम ज्यादातर कभी नहीं पढ़ते। इसके अंदर लिखा जाता है कि आप को संतुलित खाना और व्यायाम ये दोनों चीजों की आवश्यकता है, यह तेल आपको ठीक रखेगा, इसकी गारंटी हम आपको नहीं दे सकते।
भारत में रिफाइंड तेल की बिक्री बढ़ाने के लिए उनकी कीमतें भी काफी कम रखी है या उसके अलावा उनके ऊपर काफी ज्यादा छूट भी दी जाती है। इसके अलावा भारत के अंदर बेचे जाने वाले रिफाइंड ऑयल के लेबल ज्यादातर अंग्रेजी में रहते हैं। हम में से ज्यादातर लोग यह लेबल पढ़ भी नहीं पाते। तो यदि आप लेबल को ठीक से पढ़ोगे तो आपको भी समझ में आएगा कि इसके अंदर काफी सारे केमिकल का इस्तेमाल किया गया है।
रिफाइंड तेल धीमे जहर के समान है जानिए कैसे
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 27, 2020
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