10 बुरी आदतें जिन्हें हम अच्छा समझते हैं - भाग 2

दोस्तों.. पिछले आर्टिकल यानी आर्टिकल 1 में हमने कुछ ऐसी गलतियों के बारे में जाना, जिससे हर किसी को सुधार जरूर करना चाहिए। आज का यह आर्टिकल उसी आर्टिकल का पार्ट 2 है।

       जिसमें हम खाने पीने में की जाने वाली 10 ऐसी आदतों के बारे में जानेगें, जो की होती तो गलत है, लेकिन अक्सर लोग उसे सही समझकर कर रहे होते हैं, या फिर उन्हें इस बात का अंदाजा ही नहीं होता, जो वो कर रहे हैं; कि वो सही है या फिर गलत। जिसकी वजह से कई बार फायदे की बजाय नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। शुरू करते हैं..

       नंबर 1 से: जो कि है, टूथब्रश में एक किनारे से दूसरे किनारे तक टूथपेस्ट लगाना।  दोस्तों.. दातों की सफाई में की जाने वाली 1-2 गलतियों के बारे में हमने पिछले आर्टिकल में भी बताया था। लेकिन, उसके अलावा ब्रश के ऊपर भरकर टूथपेस्ट लगाना भी, एक अपने आप में बहुत ही गलत तरीका होता है; क्योंकि एडवर्टाइजमेंट में सिर्फ अच्छा देखने के लिए ब्रश में एक किनारे से लेकर दूसरे किनारे तक टूथपेस्ट लगाया जाता है, और जिसे बहुत से लोग सही समझकर रियल लाइफ में भी बिल्कुल वैसा ही करने लगते हैं, जो की पूरी तरह से गलत तरीका है। क्योंकि दातों की सफाई के लिए एक बार में मटर के दाने के जितना टूथपेस्ट लगाना ही काफी हो जाता है। 

    ऐसे में कोई व्यक्ति पूरे ब्रश पर टूथपेस्ट लगाकर इस्तेमाल करता है, तो दातों की सफाई के साथ-साथ उसकी पॉकेट की सफाई भी फिजूल में होती ही है। लेकिन साथ ही ब्रश में टूथपेस्ट की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाने की वजह से, ये मुंह के अंदर की नाजुक त्वचा को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए मेहरबानी करके ब्रश के ऊपर टूथपेस्ट की लंबी लकीर खींच कर, सरहद बनाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, और जितनी जरूरत हो उसी हिसाब से टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए।

       नंबर 2 है- सुबह की चाय। वैसेे तो चाय हमारेेेेे लिए हमेशा नुकसानदायकक है ।  देश में ऐसा लगता है, जैसे लोगों की जिंदगी चाय से ही शुरू होती है। हालांकि, चाय का सही तरीके से इस्तेमाल करने से, ये शरीर को फायदे भी पहुंचाता है। लेकिन ज्यादातर लोग सुबह खाली पेट चाय का इस्तेमाल करते हैं, जो कि एक बहुत ही गलत तरीका होता है; क्योंकि सुबह खाली पेट चाय का इस्तेमाल करने से यह पेट में एसिड की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे की सीने में जलन और पाचन में गड़बड़ी होने लगती है। साथ ही पेट में गैस बनना और कई दूसरी समस्याएं भी शुरू होने लगती हैं।

       इसलिए अगर चाय पीना भी है, तो इसे नाश्ते में या, फिर खाना खाने के कम से कम आधे से एक घंटे बाद तक इस्तेमाल करना चाहिए।

       नंबर 3 है: फ्रूट जूस को छानकर पीना। दोस्तों.. पहली बात तो यह है; कि फलों का सीधे-सीधे इस्तेमाल करना, शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। लेकिन अभी के टाइम में अक्सर ही लोग फलों का जूस निकालकर उसे छान दिया जाता है। जो की पूरी तरह से गलत है। क्योंकि जूस बनाने के बाद, जिसे कचरा समझकर पूरी तरह से छानकर फेक दिया जाता है। दरअसल, उसे ही खाने में  मौजूद फाइबर के नाम से जाना जाता है; और चूकि फलों में मौजूद मीठे रस को पेट में जाने के बाद ठीक से पचाने का काम करता है।

        इसलिए दोस्तों.. फलो के जूस को छानकर इस्तेमाल करने से, ये पेट में गैस पैदा करने के साथ-साथ बहुत जल्दी खून में पहुंच कर ब्लड शुगर को इनक्रीस कर देता है, और जिससे कि शरीर में धीरे-धीरे चर्बी भी जमने लगती है। इसलिए फलों को या तो डायरेक्ट खाना चाहिए, या अगर जूस बनाकर पीते भी है, तो उसे छानना बिल्कुल भी नहीं चाहिए।

       नंबर 4 है: खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना। दोस्तों.. अक्सर ज्यादातर लोग खाना खाने के बाद खुद को पानी पीने से रोक नहीं सकते। लेकिन, ये भी एक बहुत ही गलत तरीका होता है; क्योंकि खाने के तुरंत बाद पानी पीने से पेट में पाचक रस  की मात्रा ठीक से नहीं निकल पाती। जिसकी वजह से पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है, और पेट में गैस बनने लगती है।

       इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। हालांकि, एक से दो घुट पानी खाने के तुरंत बाद भी पिया जा सकता है। लेकिन अगर गिलास भर कर पानी पीना हो, तो इसे खाने कम से कम आधे से एक घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।

       नंबर 5 है: कच्चे दूध का इस्तेमाल करना। दोस्तों.. कुछ लोग को ऐसा लगता है, कि कच्चा दूध शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद होता हैं। लेकिन, ऐसा भी सोचना बिल्कुल भी पूरी तरह गलत है; क्योंकि कच्चे दूध में पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा होने के साथ-साथ उसमें ईकोलाई, स्टीरियां और समलुनियां जैसे, बैक्टीरिया भी ज्यादा मात्रा में मौजूद होते हैं। जो कि पेट में जाने के बाद फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं। जिससे  पेट दर्द, उल्टी, दस्त, सिर दर्द, और सिर चकराने वाली जैसी समस्याएं शुरू हो सकती है।

       लेकिन, जो लोग जवान होते हैं, उनके शरीर को ज्यादातर कच्चे दूध का नुकसान नहीं होता; क्योंकि उनके शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होने की वजह से वो बैक्टीरिया को पेट के अंदर ही मार देते हैं। लेकिन बच्चे, बूढ़े और गर्भवती महिलाओं को कच्चे दूध का इस्तेमाल कभी भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनके शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। 

    जिससे कि दूध में मौजूद बैक्टीरिया इनके शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए बेहतर यह है, कि हर किसी को दूध को उबालकर ही इस्तेमाल ही करना चाहिए; क्योंकि दूध को उबालने से उसमें पोषक तत्व की मात्रा में थोड़ी कमी तो आती है, लेकिन बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म हो जाता है। जिससे की ये पीने में ज्यादा सेफ हो जाता है।

       नंबर 6 है: खाना खाने के तुरंत बाद सिगरेट पीना। दोस्तों.. सिगरेट पीना शरीर के लिए अच्छा नहीं होता, ये बात तो लगभग हर कोई जानता है; लेकिन फिर भी कुछ लोग को खाना खाने के तुरंत बाद सिगरेट पीने की आदत होती है। जो कि एक बहुत ही गलत तरीका होता है; क्योंकि शायद आपको ये बात जानकर हैरानी होगी, कि खाना खाने के तुरंत बाद पी जाने वाली सिगरेट का शरीर पर 10 गुना ज्यादा बुरा असर पड़ता है। इसे इस तरह भी कहा जा सकता है, कि खाना खाने के तुरंत बाद पी जाने वाली एक सिगरेट का असर एक ही बार में 10 सिगरेट पीने के बराबर माना जाता है।

       ऐसा इसलिए है; क्योंकि जब भी हम खाना खाता खाना खाते हैं, तो खाने को पचाने के लिए ब्लड का सरकुलेशन इनक्रीस हो जाता है, और शरीर में खाने के दौरान मिलने वाले पोषक तत्व को सौंखने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है, क्योंकि जो कि खाना खाने के घंटों बाद तक चलती रहती है, और ऐसे में खाने के तुरंत बाद सिगरेट पीने से सिगरेट में मौजूद निकोटिन और दूसरे हानिकारक पदार्थ शरीर में तेजी से एबर्सोब होने लगता है, और साथ ही खाने से मिलने वाले पोषक तत्वो को शरीर में एबर्सोब होने से भी काफी हद तक रोक देता है। जिससे शरीर में जहरीले पदार्थ की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है, और कई तरीके जरूरी पोषक तत्व की शरीर में कमी होने लगती है।

        इसलिए पहली बात तो ये, मैं कहना चाहूंगा; कि हो सके तो, सिगरेट पीने की बुरी आदत को हमेशा के लिए छोड़ देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं कर सकते, तो कम से कम खाना खाने के तुरंत बाद सिगरेट हरगिज़ नहीं पीना चाहिए।

       नंबर 7 है: बार-बार पानी पीना। दोस्तों.. हमारे शरीर 60 से 70% पानी से बना होता है, इसलिए शरीर को ठीक तरह से काम करने के लिए एक सही मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी होता है। लेकिन आज हर जगह यही सुनने को मिलता मिलता है, कि पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए। जिसकी वजह से बहुत से लोग को ऐसा लगता है, कि पानी जितना ज्यादा पिया जाए उतना ही ज्यादा अच्छा होता है, और अधूरी जानकारी होने की वजह से लोग अच्छा समझ कर जल्दी-जल्दी पानी पीने लगते हैं। जो कि एक बहुत ही गलत सोच और गलत तरीका है; क्योंकि जरूरत से ज्यादा पानी पीने से खून में सोडियम की मात्रा कम होने लगती है, और हमारी किडनी का काम भी काफी हद तक बढ़ जाता है। जिससे कि समय के साथ-साथ बार-बार पेशाब आने, पेशाब को रोकना और पानी जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।

        इसलिए सबसे पहले, तो इस बात को समझना जरूरी है; कि आखिर आपके शरीर को दिन भर में कितने पानी की जरूरत पड़ती है, क्योंकि हर व्यक्ति को अलग-अलग मात्रा में पानी पीने की जरूरत पड़ती है। जो कि उस व्यक्ति के वासन और वह जहां रहता है, वहां का मौसम, और उस व्यक्ति की फिजिकल एक्टिविटी पर डिपेंड करता है।

       उदाहरण के तौर पर, एक ऐसा व्यक्ति, जिसका ज्यादातर वक्त बैठकर गुजरता है, और अगर मौसम भी ठंडी का हो, तो ऐसे में लगभग 2 लीटर यानी छह से आठ गिलास पानी पीना भी काफी हो जाता है, और अगर मौसम गर्मी का हो तो पानी की थोड़ी मात्रा बढ़ाई जा सकती है। वही जो व्यक्ति बहुत ज्यादा मेहनत करता है, तो उसके शरीर में पानी की खपत भी ज्यादा मात्रा में होती है। इसलिए जरूरत के हिसाब से 3 से 4 लीटर यानी 12 से 14 गिलास पानी भी पिया जा सकता है।

       लेकिन इस बात को समझना भी जरूरी है, कि पानी का मतलब सिर्फ ज्यादा पानी पीना नहीं होता। बल्कि फल, सब्जी और दूसरी खाने से मिलने वाला पाना भी जो होता है, हमारे शरीर उसे भी पानी की जरूरत की जगह ही इस्तेमाल करता है। इसलिए पानी पीने के बारे में हमेशा आपको दो बातों का जरूर ख्याल रखना चाहिए। 

    पहली बात तो ये, कि अगर आपको ज्यादा प्यास लगती है, तो उस सिचुएशन में प्यास के हिसाब से जितनी जरूरत हो, पानी पिया जा सकता है। लेकिन अगर प्यास कम लगे और आपको पानी पिए हुए घंटो गुजर जाए, तो थोड़ी सी भी प्यास लगने पर पानी पिया जाता है। लेकिन सिर्फ ये सोचकर, कि पानी सेहत के लिए अच्छा होता है। हर 10-15 मिनट में जल्दी जल्दी पानी बिल्कुल भी नहीं पीना चाहिए।

        इसे इस बात से भी समझा जा सकता है, कि जब किसी व्यक्ति के पेशाब  का रंग पीला होता है, तो ये शरीर में पानी की जरूरत को दर्शाता है, और ऐसे में आपको पानी जरूर पीना चाहिए। लेकिन अगर पेशाब का रंग पूरी तरह से साफ होता है, तो ऐसे में यह बात समझ में आती है; कि अभी फिलहाल आपके शरीर को पानी की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।      

        नंबर 8 है: सिर दर्द और नींद के लिए दवा का इस्तेमाल करना। दोस्तों.. पूरे दिन की उलझन और स्ट्रेस की वजह से सर दर्द और रातों में नींद ना आने की समस्या पर, अक्सर लोग दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं; क्योंकि दवा जल्दी असर दिखाती है, और कुछ समय के लिए प्रॉब्लम भी ठीक हो जाती है। लेकिन हमे इस बात का समझना जरूरी है, कि जिस तरह की दवा के खाते ही सर दर्द गायब हो जाता है, और तुरंत नींद आ जाती है। वो आगे चलकर शरीर को भारी नुकसान भी पहुंचा सकती है; क्योंकि इस तरह की दवाई का इस्तेमाल करने से प्रॉब्लम कुछ समय के लिए दब जाती है। लेकिन फिर बाद में कई सारी दूसरी प्रॉब्लम के साथ फिर से वापस आ जाती है।

        इतना ही नहीं, धीरे-धीरे इन दवाइयों की शरीर को आदत होने लग जाती है। जिससे की एक वक्त ऐसा भी आता है, कि जब जितनी भी सर दर्द की गोली खा ली जाए या फिर नींद की दवाईयां ले ली जाए, प्रॉब्लम बिल्कुल भी सॉल्व नहीं होती। फिर व्यक्ति इन दवाइयों का पूरी तरह से गुलाम बन जाता है, और इसे और भी ज्यादा डोसेज में लेना इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। जिससे कि ये शरीर को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचाने लगती है।

        इसलिए हमें इस बात का समझना जरूरी है। जिस प्रॉब्लम की गलती में सुधार करके ठीक किया जा सकता है, उसमें दवाइयों का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, और ऐसे में सबसे पहले प्रॉब्लम के होने का कारण समझने की कोशिश करनी चाहिए। जैसे कि, सर दर्द होना ज्यादातर दिमाग पर प्रेशर, उलझन को दर्शाता है।

        इसलिए सर दर्द की गोली खाने की बजाय आराम और नींद का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए, और अगर रातों को नींद नहीं आती, तो ये इस बात को दर्शाता है; कि दिन भर में दिमाग जरूरत से ज्यादा काम कर रहा है, जबकि शरीर आराम में रह रहा है। यही वजह है, कि नींद पूरी तरह से गायब हो जाती है। इसलिए दिन के समय जहां तक हो सके, दिमाग को आराम, और शरीर को काम पर लगाना चाहिए, तो रात में खुद पर खुद ही नींद आ जाती है।

        इस नींद के मामले को समझने के लिए ऐसे भी समझा जा सकता है, कि जो मजदूर और किसान होते हैं, उन्हें कभी भी नींद की समस्या नहीं होती; क्योंकि वो दिन को शारीरिक और दिमागी दोनों मेहनत करते हैं, और फिर रात को चैन की नींद सोते हैं। जबकि आज हम लोगों की लाइफ स्टाइल ऐसी हो गई है, जहां शरीर को पूरे दिन आराम में रहता है। लेकिन दिमाग पर बिना वजेह इतना काम का बोझ डाल दिया जाता है; कि नींद और सुकून पूरी तरह से गायब हो जाती है। इसलिए दिमाग को समय-समय पर आराम देने और शरीर को काम पर लगाने का खास ख्याल रखना चाहिए। अगर ये करते हैं, तो नींद की समस्या होने का सवाल ही नहीं उठता है।

        नंबर 9 है: खाना खाने के तुरंत बाद दूध पीना। दोस्तों.. सोने से पहले दूध पीना तो सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन जानकारी की कमी होने की वजह से, अक्सर ही लोग रात का खाना खाने के तुरंत बाद ही दूध पी लेते हैं, जो की पूरी तरह से गलत है; क्योंकि दूध पचने में थोड़ा भारी होता है। जिससे कि खाना खाने के तुरंत बाद दूध पीने से पाचन क्रिया बहुत धीमी पड़ जाती है, और पेट में गैस बनने लगती है।

        इसलिए, दूध हमेशा रात का खाना खाने के कम से कम 1 घंटे बाद और सोने से कम से कम आधे घंटे पहले इस्तेमाल करना चाहिए।

       नंबर 10 है: खाना खाने के तुरंत बाद ही सो जाना। दोस्तों.. अभी के वक्त में लोग रात का खाना देर से खाने की वजह से खाने के तुरंत बाद ही सो जाते हैं, और जो एक बहुत ही गलत तरीका है; क्योंकि खाना हमारे पेट में ऊपर से नीचे की तरफ ट्रेवल करता है। जिससे कि खाने के बाद तुरंत सोने से पाचन क्रिया बहुत ही धीमी पड़ जाती है। साथ ही, खाने की पेट में टूटने की प्रक्रिया में हमारे पेट में खिंचाव पैदा होता है। जिससे कि लेटे रहने की वजह से खाने का कुछ टुकड़ा आहार नली में ऊपर की तरफ आ जाता है। जिससे कि , व्यक्ति को सीने में जलन, पेट में गैस, और पाचन में गड़बड़ी होने लगती है। इसलिए खाने और सोने के बीच कम से कम एक से दो घंटे का गेप जरूर रखना चाहिए।
10 बुरी आदतें जिन्हें हम अच्छा समझते हैं - भाग 2 10 बुरी आदतें जिन्हें हम अच्छा समझते हैं - भाग 2 Reviewed by Tarun Baveja on July 22, 2020 Rating: 5

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