गाय को ही माता क्यों कहते है? बकरी या भैंस को क्यों नहीं।

नमस्कार दोस्तों क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि हम गाय को ही क्यों माता बोलते हैं। कई लोग बोलेंगे भाई हम लोग दूध पीते हैं तो इसलिए गाय को माता बोलते हैं।तो दूध पीने के बारे में एक और प्रशन खड़ा हो जाता है दूध तो हम भैंस का भी पीते हैं। दूध हम बकरी का भी पीते हैं।लेकिन उनको माता क्यों नहीं बोलते। गाय ही माता क्यो? इससे पहले मैं आपको यह बता देना चाहता हूं कि हमारी भारतीय संस्कृति में माता सिर्फ जन्म देने वाली को ही नहीं कहा जाता। माता उसे भी कहते हैं जो हमारे शरीर का भरण पोषण करती है।


जैसे कि जन्म के समय अपनी मां हमें अपना दूध पिलाती है ओर उसी दूध से हमारा भरण पोषण होता है। धरती हमें तरह-तरह के अनाज देती है अलग अलग तरह के पत्ते फल गाजर मूली आदि  अलग अलग तरह के खाने योग्य आहार देती हैं  जिससे हमारे शरीर का भरण पोषण होता है। इसी कारण हम धरती को भी धरती मां बोलते हैं। और हमारे वेदों में तीन तरह की माताएं बोली गई हैं। तीनों तरह की मां बोली गयी है। पहली है जो जन्म देती है। दूसरी है जो गाय हैं। तीसरी है धरती  मलतब धरती माँ।

फिर वही सवाल आ गया।  गाय ही मा क्यों? गाये ही माता क्यो ? चलो इसका जवाब तो हम ढूंढ लेंगे। एक और तरह के लोग आते हैं जो लोग बोलते हैं गाय माता है तो बैल क्या बाप हुआ। तो उन लोगों को मैं फिर बता देना चाहता हूं। हमारी भारतीय संस्कृति में मां अलग अलग हो सकती है लेकिन बाप एक ही होता है। हमारा शास्त्र कहते हैं हमारा आयुर्वेद शास्त्र कहता है। जिस प्रकार मां का दूध बच्चे का भरण पोषण करता है। ठीक उसी प्रकार गाय का दूध जिंदगी भर उस व्यक्ति का भरण पोषण करता है। इसी कारण से ही गाय को मां बोला जाता है। जिस प्रकार अपनी मां के दूध ने हमारे शरीर का जन्म के समय भरण पोषण किया था। ठीक उसी प्रकार गाय का दूध भी जिंदगी भर उसी प्रकार भरण पोषण करता है। जिसमें मां के दूध में जन्म के समय किया था।

इसमे मैं भैंस का दूध भी नहीं बोल रहा हूं। बकरी का दूध भी नहीं बोल रहा हू। सिर्फ गाय का दूध ही इसी प्रकार भरण पोषण करता है जिस प्रकार मां के दूध ने किया था। इसमें दक्षिण भारत के साउथ इंडियन में भैंस को पूजनीय माना जाता है। कि लोग उसकी मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते हैं। लेकिन जब उन लोगों से पूछा जाता है कि मां कौन है तो वह लोग खुद बोलते हैं। हम भले ही भैंस को पूजनीय मानते हैं लेकिन मां सिर्फ एक है वह है गौमाता और कहीं भारत में ऐसे राज्य होते हैं। जिसमें बकरी को भी पूजनीय माना जाता है। और वह लोग भी खुद बोलते हैं कि बकरी को भले ही हम पूजनीय मानते हैं। लेकिन मैं तो सिर्फ एक गौ माता ही है।

माता गौ माता ही है लेकिन कई लोग भैंस का दूध पीते हैं। क्या उनके लिए भैंस माता समान हो सकती है।  तो उसमें मैं बोलना चाहता हूं। वह लोग भैंस का दूध कुछ समय के लिए ही पीते हैं। फिर बाद में जब बूढ़े होते हैं तो डाइजेशन इस तरह से लो होने लगती है। उन्हें भैंस का दूध नहीं। गाय का दूध ही सुपाच्य होता है और बुढ़ापे में गाय का दूध ही उनका भरण-पोषण कर सकता है। जो सात्विकता गाय के दूध में होती है। वो भैंस के दूध में भी नहीं होती। वो बकरी के दूध में भी नहीं होती। भले ही बकरी का दूध गाय के कंप्रेशन ज्यादा पचने में हल्का हो ओर भले ही बकरी का दूध पचने में हल्का होता है लेकिन उस दूध में सात्विकता नहीं होती। बकरी का दूध सतोगुणी नहीं होता। तो यह छोटी सी जानकारी जो गो माता पर थी। उम्मीद करता हूं कि आपको पसंद आई होगी। जय गोमाता लिखना नहीं बोलना। धन्यवाद।।

गाय को ही माता क्यों कहते है? बकरी या भैंस को क्यों नहीं। गाय को ही माता क्यों कहते है? बकरी या भैंस को क्यों नहीं। Reviewed by Tarun Baveja on March 05, 2020 Rating: 5

1 comment:

  1. Asli baat to apne batai hi nahi ki gaay ki peeth p jo hump hota h , usme ek surya nari hoti h , jo sun se urja leti h isilie kewal gaay ka doodh, ghee halka peela hota h

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