आज हम आपको बताने जा रहे हैं; कि चंद्र ग्रहण के समय क्यों नहीं करना चाहिए, भोजन।
जो चीज, चंद्रमा के एक पूर्ण चक्र के दौरान 28 दिनों में होती है। वो चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रहण के 2 से 3 घंटे के भीतर सुक्ष्म रूप में घटित होती है। ऊर्जा के अर्थों में पृथ्वी की ऊर्जा गलती से इस ग्रहण को चंद्रमा का एक पूर्ण चक्र समझ लेती है। पृथ्वी ग्रह में कुछ ऐसी चीजें घटित होती है, जिससे अपनी प्राकृतिक स्थिति से हटने वाली कोई भी चीज तेजी से खराब होने लगती है। यही वजह है, कि कच्चे फलों और सब्जियों में कोई बदलाव नहीं होता। जबकि, पका हुआ भोजन ग्रहण से पहले जैसा होता है, उसमें एक स्पष्ट बदलाव आता है। जो पहले पौष्टिक भोजन होता है। वो जहर में बदल जाता है। जहर एक ऐसी चीज है, जो आपकी जागरूकता को नष्ट कर देता है। अगर, वह आपकी जागरूकता को छोटे स्तर पर नष्ट करता है, तो आप सुस्त हो जाते हैं। अगर, वह आपकी एक खास गहराई तक जागरूकता को नष्ट कर देता है, तो आप नींद में चले जाते हैं। अगर, कोई चीज आपकी जागरूकता को पूरी तरह नष्ट कर देता है, तो आप की मृत्यु हो जाती है। सुस्ती, नींद, मृत्यु यह तीन बस कर्मिक बढ़ोतरी है। इसलिए, पका हुआ भोजन किसी सामान्य दिन के मुकाबले कई अधिक तेजी से एक सूक्ष्म रूप में सड़न के चरणों से गुजरता है।
अगर, आपके शरीर में भोजन मौजूद है, तो 2 घंण्टो के समय आपकी ऊर्जा लगभग 28 दिन के बाद की अवस्था में पहुंच जाएगी। क्या इसका मतलब है, कि क्या आप कच्चा भोजन कर सकते हैं। नहीं.. क्योंकि भोजन जैसे ही आपके शरीर में प्रवेश करता है। आपके पेट में मौजूद रस या सत्व उस पर हमला कर के उसे मार देते हैं। वो आधे पके हुए भोजन की तरह हो जाता है, और उस पर भी ग्रहण का वही असर होगा। इसका संबंध केवल भोजन से नहीं है। आप जिस रूप में है, उस पर भी इसका असर पड़ता है। अगर, आप जो हैं तो उसके सहज आयाम से किसी भी रूप में अलग हटते हैं, तो आपका इन शक्तियों के शिकार बनने का खतरा ज्यादा होता है। अगर, आप अपने सहज स्वाभाविक अवस्था में हैं, तो इन शक्तियों का आप पर बहुत कम असर होता हैं। चंद्रमा के चक्रों का मानव शरीर पर शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और ऊर्जा के स्तर पर प्रभाव पड़ता है।
हमारी माताएं, अपने मासिक चक्रों से जिस तरह गुजरी। उससे ये स्पष्ट होता है। मैं माताओं की बात इसलिए कर रहा हूं, कि हमारे माताओं की चंद्रमा के साथ तालमेल में होने के कारण ही हम पैदा हो गए। अगर, हमारी माताओं के शरीर चंद्रमा के तालमेल में नहीं होते, तो आज हम यहां नहीं होते। जब चंद्रमा दो से तीन घंटों के समय में एक पूरे चक्र से गुजरता है, तो हमारी सभी माताओं के शरीरों में कुछ भ्रम की स्थिति होती है। ये किसी आदमी के शरीर में भी होता है, क्योंकि हमारी मातांए एक खास रूप में आप में मौजूद होती हैं। भौतिक रुप में नहीं, मगर दूसरे रूपों में।
जब शरीर भ्रम की स्थिति में होता है, तो उसे जितना संभव हो खाली रखना और यथासंभव चेतन रखना, सबसे बेहतर होता है। चेतन रहने का सबसे आसान तरीका है,ना खाना। तब आप लगातार कम से कम एक चीज के प्रति चेतन होंगे। और जैसे ही, आपका पेट खाली होता है। चेतन होने की आपकी क्षमता काफी बेहतर हो जाती है। आपका शरीर अधिक पारदर्शी हो जाता है, और आपके शरीर में क्या घटित हो रहा है,और आप उस पर काफी बेहतर तरीके से ध्यान दे पाते हैं। एक आध्यात्मिक साधक के लिए ग्रहण का यह मतलब होता है; कि हम सिर्फ 3 घंटों में एक पूरा महीना गुजार देते हैं। चंद्रमा के अलग-अलग पहलू चंद्रमा की 28 कलाएं। आप इन 3 घंटों में देख सकते है।
बालचंद्र से लेकर अमावस्या और फिर पूर्णिमा एक तरह से आपका जीवन एक फास्ट-फॉरवार्ड यानी तेज गति से गुजरता है। दरअसल, आध्यात्मिकता का मतलब भी यही होता है, तेज रफ्तार से जीवन का घटित होना। इसका यह मतलब नहीं है, कि हम कोई गलत रास्ता अपना रहे हैं। बस, हम अपने जीवन को तेज गति से ले जाते हैं। अगर, आप पैदल चल रहे हैं, तो आप रास्ते का नजारा देख सकते हैं; कि पेड़ों पर आम है या नहीं। आप उन्हें तोड़ कर खा भी सकते हैं। रास्ते में आप कहीं भी ठहर सकते हैं। पिकनिक कर सकते हैं। मगर, यदि आप किसी हवाई जहाज में हो। आप रास्ते में आम नहीं तोड़ सकते। नीचे हजारों एकड़ में आम के बाग हो सकते हैं। लेकिन, आप उन्हें देख तक नहीं सकते। क्योंकि आप एक खास गति में और ऊंचाई पर होते हैं, तो हम तेज गति पर हैं। ऐसा नहीं है ,कि हमारी आम से कोई दुश्मनी है। मगर, गति और ऊंचाई के कारण हम उन्हें तोड़ नहीं सकते। धन्यवाद...
चंद्र ग्रहण के समय भोजन क्यों नहीं करना चाहिए? जानिए इसका वैज्ञानिक कारण।
Reviewed by Tarun Baveja
on
July 05, 2020
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